सूखा प्रवण क्षेत्र का सर्वेक्षण आप कैसे करेंगे

  1. 19 May 2022, Question of the Day
  2. सूखा
  3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  4. प्रादेशिक विषमताओं के उन्मूलन के उपाय measures to remove regional disparities in hindi – 11th , 12th notes In hindi
  5. प्रिलिम्स फैक्ट्स (17 Aug, 2022)
  6. सूखा का प्रमुख कारण क्या है? – ElegantAnswer.com
  7. सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम और मरु विकास कार्यक्रम
  8. प्रिलिम्स फैक्ट्स (17 Aug, 2022)
  9. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  10. सूखा


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19 May 2022, Question of the Day

Q) Drought is one of the leading factors leading to the migration crisis in the world. Discuss India's vulnerability and preparedness in this regard. (250 words) सूखा दुनिया में प्रवासन संकट के लिए अग्रणी कारकों में से एक है। इस संबंध में भारत की भेद्यता और तैयारियों पर चर्चा करें। • Source: The Hindu - Page 8/Explainer - India’s vulnerability to drought • GS 3: Disaster and Disaster management Introduction: Recently a report named Drought in Numbers, 2022 was presented by the United Nations Convention to Combat Desertification (UNCCD) which claimed that the number and duration of droughts around the world have increased by an alarming 29% since 2000. It is also estimated by the World Bank that drought conditions can force up to 216 million people to migrate by 2050. Drought is an extended period when there is a shortage of water availability due to inadequate precipitation, excessive rate of evaporation, and over-utilization of water from the reservoirs and other storage, including the groundwater. It is a complex phenomenon – that involves elements of meteorology like precipitation, evaporation, evapotranspiration, groundwater, soil moisture, storage, surface run-off, agricultural practices, particularly the types of crops grown, socio-economic practices, and ecological conditions. India's vulnerability to drought: • • Vulnerability due to the Monsoon: unpredictability in the behavior of the monsoon in India can lead to a deficit year which can lead to drought in the nex...

सूखा

[ सूखा पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय (औसत से नीचे है सूखा दुनिया के अधिकांश हिस्सों में जलवायु की आवर्ती विशेषता है। सूखे के प्रकार [ ] जल विज्ञान के हिसाब से सूखा तीन प्रकार का होता है। आजकल के प्रौद्योगिकविदों ने इसमें एक प्रकार और जोड़ा है। ये चार प्रकार हैं - क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा, हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा, एग्रीकल्चरल ड्रॉट अर्थात कृषि संबंधित सूखा और चौथा रूप जिसे सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॉट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा कहते हैं। अभी हम पानी के कम बरसने यानी सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश को ही सूखे के श्रेणी में रखते हैं। इसे ही क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा यानी जलवायुक सूखा कहते हैं। फर्ज कीजिए 12 फीसदी ही कम बारिश हुई, जैसा कि पिछली बार हुआ। अगर हम इसे सिंचाई की जरूरत के लिए रोककर रखने का इंतजाम नहीं कर पाए तो भी सूखा पड़ता है, जिसे हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा कहते हैं। जो पिछली बार पड़ा। दोनों सूखे न भी पड़े, लेकिन अगर हम खेतों तक पानी न पहुंचा पाएं, तब भी सूखा ही पड़ता है, जिसे एग्रीकल्चरल ड्रॉट या कृषि सूखा कहा जाता है। जो बीते साल कसकर पड़ा। चौथा प्रकार सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॅाट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा है, जिसमें बाकी तीनों सूखे के प्रकारों में सामाजिक आर्थिक कारक जुड़े होते हैं और इस स्थिति में किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति आने लगती है। संदर्भ [ ] • • Error in Webarchive template: Empty url. • Error in Webarchive template: Empty url., retrieved on June 7th 2007. • NDTV. आगे पढ़ें [ ] क्रिस्टोफर डी बेलाचेन, "द रिवर" ( अनियंत्रित वाटर्स: हाउ रेन्स, रिवर्स, कोस्ट्स, एंड सीस है ...

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (प्राईम मिनिस्टर क्रॉप इनश्योरेंस स्किम) भारतीय अर्थव्यवस्था के कृषि प्रधान होने के कारण भारतीय सरकार ने समय-समय पर कृषि के विकास के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया, जिसमें से कुछ योजनाएं, जैसे: गहन कृषि विकास कार्यक्रम (1960-61), गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (1964-65), हरित क्रान्ति (1966-67), सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (1973) आदि। लेकिन इन सभी योजनाओं के बाद भी कृषि क्षेत्र की अनिश्चिताओं का समाधान नहीं हुआ, जिससे आज 21वीं सदी में भी किसान सुरक्षित नहीं है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से भारत के हरेक क्षेत्र में विकास के प्रोत्साहन के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया है, जिसमें किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये, भारत के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने, 13 जनवरी 2016, बुद्धवार को, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (प्राईम मिनिस्टर क्रॉप इनश्योरेंस स्किम) को मंजूरी दे दी। ये योजना 13 जनवरी को लोहड़ी (किसानों का त्योहार) के शुभ अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री, नरेंन्द्र मोदी द्वारा किसानों के लिए तौहफा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंन्द्र मोदी, द्वारा शुरु की गयी योजना है, जिसके शुरु करने के प्रस्ताव को 13 जनवरी 2016, को केन्द्रीय मंत्रीपरिषद ने अपनी मंजूरी दी है। इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रुपयों को खर्च किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत, किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित, खरीफ क...

प्रादेशिक विषमताओं के उन्मूलन के उपाय measures to remove regional disparities in hindi – 11th , 12th notes In hindi

measures to remove regional disparities in hindi प्रादेशिक विषमताओं के उन्मूलन के उपाय ? प्रादेशिक विषमताएँ और पंचवर्षीय योजनाएँ भारत में आर्थिक नियोजन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य प्रादेशिक विषमताओं को कम करके पिछड़े क्षेत्रों का तीव्र विकास करना है। एक के बाद दूसरी पंचवर्षीय योजनाओं ने इस समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट किया है तथा समानतावाद एवं सामाजिक न्याय के आदर्शों को व्यावहारिक रूप देने के क्रम में प्राथमिकता के आधार पर पिछड़े क्षेत्रों की विकास संभावनाओं के दोहन पर जोर दिया गया। पुनः जनसंख्या के निर्धनतम लोगों, जिनमें से अधिकांश पिछड़े क्षेत्रों में हैंय के जीवन स्तर को ऊपर उठाने पर दिए गए बल के दृष्टिगत, इस बात पर अधिक जोर दिया गया है कि सामाजिक आर्थिक विकास के लिए रणनीति इस तरह से बनाई जाये कि सापेक्षिक रूप से अलाभ वाले क्षेत्र और जनसंख्या धीरे-धीरे विकास प्रक्रिया की मुख्यधारा से जुड़ जाएँ। प्रादेशिक विषमताओं के उन्मूलन के उपाय प्रादेशिक विषमताओं का उन्मूलन अथवा उनको कम करने के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों पर नीचे चर्चा की गई है: केन्द्र से राज्यों को संसाधनों का अंतरण केन्द्र से राज्यों को संसाधनों के अंतरण में पिछड़े क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। संसाधनों का अंतरण निम्नलिखित के माध्यम से होता हैः क) योजना आयोग द्वारा मुख्य रूप से योजना अंतरण के रूप में, और ख) वित्त आयोग द्वारा गैर-योजना अंतरण के रूप में। योजना आयोग द्वारा, सरकार के संगत विभागों के सहयोग से, नियोजन प्रक्रिया में केन्द्रीय परियोजनाओं और केन्द्रीय द्वारा प्रायोजित स्कीमों की अवस्थिति निर्धारित की जाती है। इस विषय पर हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि निर्धन राज्यों को उनके बराबर के समृद्ध राज्यों...

प्रिलिम्स फैक्ट्स (17 Aug, 2022)

हाल ही में भारतीय वायु सेना का एक दल 'उदारशक्ति' नामक द्विपक्षीय युद्धाभ्यास में भाग लेने हेतु मलेशिया के लिये रवाना हुआ। • इसके अतिरिक्त हरिमऊ शक्ति संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों देशों के बीच प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। प्रमुख बिंदु • परिचय: • भारतीय वायु सेना एसयू-30 एमकेआई और सी-17 विमानों के साथ युद्धाभ्यास में भाग ले रही है जबकि मलेशियाई वायु सेना एसयू 30 एमकेएम विमान उड़ाएगी। • इस चार दिवसीय युद्धाभ्यास में दोनों वायु सेनाओं के बीच विभिन्न हवाई युद्ध अभ्यास आयोजित किये जाएंँगे। • पृष्ठिभूमि: • पहला द्विपक्षीय वायु सेना अभ्यास जिसमें फ्रंटलाइन सुखोई -30 लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया गया, वर्ष 2018 में आयोजित हुआ था। • वर्ष 2008 से 2010 तक मलेशियाई पायलटों को एसयू-30एसकेएम विमान पर प्रशिक्षण देने के लिये भारतीय वायु सेना प्रशिक्षण दल को मलेशिया में तैनात किया गया था। अभ्यास का महत्त्व : • यह अभ्यास लंबे समय से चली आ रही मित्रता को मज़बूत करेगा और दोनों सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाएगा। इससे क्षेत्रीय सुरक्षा भी मज़बूत होगी। • IAF के पास इस अभ्यास के माध्यम से रॉयल मलेशियाई वायु सेना के साथ सर्वोत्तम तरीकों को साझा करने और सीखने का अवसर होगा। यह भी संभावना है कि वे आपसी युद्ध क्षमताओं पर चर्चा करेंगे। स्रोत:पी.आई.बी इटली के सबसे भीषण सूखे के कारण देश की सबसे बड़ी गार्डा झील दशकों में अब तक के सबसे कम जल स्तर तक पहुँच गई है। • इसके परिणामस्वरूप जल के नीचे की चट्टानें दिखने लगी और जल का तापमान कैरेबियन सागर के औसत तापमान तक गर्म हो गया। गार्डा झील • उत्तरी इटली ने महीनों तक काफी कम वर्षा हुई और वर्ष 2022 में हिमपात भी 70% कम हुआ है, जिससे पो जैसी महत्त्वपूर्ण नदियाँ स...

सूखा का प्रमुख कारण क्या है? – ElegantAnswer.com

सूखा का प्रमुख कारण क्या है? इसे सुनेंरोकेंमौसम संबंधी सूखा: यह सूखा स्थिति प्राकृतिक कारकों जैसे वर्षा के निचले स्तर, वातावरण में नमी की कमी, अधिक समय तक सूखापन और उच्च तापमान के कारण होती है। मौसम संबंधी सूखा यदि लंबे समय तक बना रहता है तो गंभीर जल संकट और इससे संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। सूखा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण आप कैसे करेंगे? इसे सुनेंरोकेंसूखा उस जगह होता है, जहां पर कम वर्षा होते हैं। आवश्यकता से भी कम वर्षा होने के कारण वहां पर पेड़ पौधे अपने अनुकूल वातावरण में नहीं रहने के कारण वह जमीन धीरे-धीरे बंजर होने लगती हैं। भारत में वर्तमान समय में सूखा की सबसे बड़ी चपेट में राजस्थान का पश्चिमी भाग जैसे कि पूर्ण रेगिस्तान जैसलमेर मुख्य जिला है। सूखा कितने प्रकार का होता है? इसे सुनेंरोकेंये चार प्रकार हैं – क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा, हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा, एग्रीकल्चरल ड्रॉट अर्थात कृषि संबंधित सूखा और चौथा रूप जिसे सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॉट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा कहते हैं। अभी हम पानी के कम बरसने यानी सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश को ही सूखे के श्रेणी में रखते हैं। सूखे से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंसूखा पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय (औसत से नीचे है वर्षा) पानी हो, सतह का पानी हो या भूजल। सूखा महीनों या वर्षों तक रह सकता है, और इसे 15 दिनों के बाद घोषित किया जा सकता है। सूखे के परिणाम स्वरूप क्या हानियां होती है? इसे सुनेंरोकेंफसल की पैदावार में कमी, पशुधन उत्पादन की कम दर, पौधे की बीमारी और हवा के क्षरण में वृद्धि सूखा के कुछ प्रमुख प्रभाव हैं। सूखा से किसान सबसे प्रभावित होते हैं। सूखा...

सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम और मरु विकास कार्यक्रम

योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. सी.एच. हनुमंत राव की अध्यक्षता में एक चौदह सदस्यीय तकनीकी समिति अप्रैल, 1993 में बनाई गई थी जिसने वर्तमान सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम और मरु विकास कार्यक्रम की विस्तार से जाँच की। समिति के विचारार्थ विषय निम्नलिखित थे: 1. इन कार्यक्रमों के लिये क्षेत्र के चुनाव के वर्तमान मापदंडों की समीक्षा और उसमें उपयुक्त संशोधन करना ताकि सूखे और मरुस्थलीकरण से वास्तव में प्रभावित क्षेत्रों को शामिल किया जा सके और जो वास्तव में प्रभावित नहीं हैं उन्हें कार्यक्रमों से हटाया जा सके। 2. मरु विकास कार्यक्रम और सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम की केन्द्र, राज्य, जिला और जल-संभरण स्तर पर प्रशासनिक संरचना, कार्यक्रम की सामग्री, नियोजन कार्यविधि तथा वित्त पोषण के पैमाने और तरीके की समीक्षा करना और जहाँ भी आवश्यक हो उचित संशोधन करना। दोनों कार्यक्रमों को सम्बंधित क्षेत्र विकास कार्यक्रमों, जैसे वर्षा वाले क्षेत्रों में राष्ट्रीय जल-संभरण विकास परियोजना, राष्ट्रीय पर्ती भूमि कार्यक्रम आदि के साथ समेकित करने की सम्भावनाओं की जाँच करना और इसके लिये उपयुक्त कार्यनीति की सिफारिश करना। 3. शुष्क भूमि की तथा कृषि में खास तौर पर फसल उगाने के तरीके और कार्मिक रुकावटों के लिये उपयुक्त तकनीकों की पहचान करना और उपलब्ध तकनीकों को सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम और मरु विकास कार्यक्रम को हस्तांतरित करने के लिये अनुसंधान और प्रक्रिया की दिशाओं का सुझाव देना। 4. जल संभरण समिति, पानी पंचायतों और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को बढ़ाने के उपाय सुझाना ताकि लोगों की भागीदारी को बढ़ाया जा सके और जन प्रतिनिधियों के खंडवार विभागों और धन के प्रति अधिक जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना। 5. इन दोनों कार्...

प्रिलिम्स फैक्ट्स (17 Aug, 2022)

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (प्राईम मिनिस्टर क्रॉप इनश्योरेंस स्किम) भारतीय अर्थव्यवस्था के कृषि प्रधान होने के कारण भारतीय सरकार ने समय-समय पर कृषि के विकास के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया, जिसमें से कुछ योजनाएं, जैसे: गहन कृषि विकास कार्यक्रम (1960-61), गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (1964-65), हरित क्रान्ति (1966-67), सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (1973) आदि। लेकिन इन सभी योजनाओं के बाद भी कृषि क्षेत्र की अनिश्चिताओं का समाधान नहीं हुआ, जिससे आज 21वीं सदी में भी किसान सुरक्षित नहीं है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से भारत के हरेक क्षेत्र में विकास के प्रोत्साहन के लिये अनेक योजनाओं को शुरु किया है, जिसमें किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये, भारत के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने, 13 जनवरी 2016, बुद्धवार को, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (प्राईम मिनिस्टर क्रॉप इनश्योरेंस स्किम) को मंजूरी दे दी। ये योजना 13 जनवरी को लोहड़ी (किसानों का त्योहार) के शुभ अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री, नरेंन्द्र मोदी द्वारा किसानों के लिए तौहफा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, भारत के प्रधानमंत्री, श्री नरेंन्द्र मोदी, द्वारा शुरु की गयी योजना है, जिसके शुरु करने के प्रस्ताव को 13 जनवरी 2016, को केन्द्रीय मंत्रीपरिषद ने अपनी मंजूरी दी है। इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रुपयों को खर्च किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत, किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित, खरीफ क...

सूखा

[ सूखा पानी की आपूर्ति में लंबे समय तक की कमी की एक घटना, चाहे वायुमंडलीय (औसत से नीचे है सूखा दुनिया के अधिकांश हिस्सों में जलवायु की आवर्ती विशेषता है। सूखे के प्रकार [ ] जल विज्ञान के हिसाब से सूखा तीन प्रकार का होता है। आजकल के प्रौद्योगिकविदों ने इसमें एक प्रकार और जोड़ा है। ये चार प्रकार हैं - क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा, हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा, एग्रीकल्चरल ड्रॉट अर्थात कृषि संबंधित सूखा और चौथा रूप जिसे सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॉट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा कहते हैं। अभी हम पानी के कम बरसने यानी सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश को ही सूखे के श्रेणी में रखते हैं। इसे ही क्लाइमैटेलॉजिकल ड्रॉट यानी जलवायुक सूखा यानी जलवायुक सूखा कहते हैं। फर्ज कीजिए 12 फीसदी ही कम बारिश हुई, जैसा कि पिछली बार हुआ। अगर हम इसे सिंचाई की जरूरत के लिए रोककर रखने का इंतजाम नहीं कर पाए तो भी सूखा पड़ता है, जिसे हाइड्रोलॉजिकल ड्रॉट यानी जल विज्ञानी सूखा कहते हैं। जो पिछली बार पड़ा। दोनों सूखे न भी पड़े, लेकिन अगर हम खेतों तक पानी न पहुंचा पाएं, तब भी सूखा ही पड़ता है, जिसे एग्रीकल्चरल ड्रॉट या कृषि सूखा कहा जाता है। जो बीते साल कसकर पड़ा। चौथा प्रकार सोशिओ-इकोनॉमिक ड्रॅाट यानी सामाजिक-आर्थिक सूखा है, जिसमें बाकी तीनों सूखे के प्रकारों में सामाजिक आर्थिक कारक जुड़े होते हैं और इस स्थिति में किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति आने लगती है। संदर्भ [ ] • • Error in Webarchive template: Empty url. • Error in Webarchive template: Empty url., retrieved on June 7th 2007. • NDTV. आगे पढ़ें [ ] क्रिस्टोफर डी बेलाचेन, "द रिवर" ( अनियंत्रित वाटर्स: हाउ रेन्स, रिवर्स, कोस्ट्स, एंड सीस है ...