सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया

  1. सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
  2. सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को लिरिक्स
  3. suraj ki garmi se jalte huye tan ko bhajan lyrics
  4. सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया
  5. [Lyrics & PDF] जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
  6. सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Lyrics Bhajans Bhakti Songs
  7. Suraj ki garmi se Lyrics in Hindi


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सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया। जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया। ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥ सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया। भटका हुआ मेरा मन था कोई मिल ना रहा था सहारा। लहरों से लडती हुई नाव को जैसे, मिल ना रहा हो किनारा। उस लडखडाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया। ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥ सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया शीतल बने आग चन्दन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी। उजयाली पूनम की हो जाये राते जो थी अमावस अँधेरी॥ युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया। ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥ सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बढ़ाऊं। फूलों मे खारों मे, पतझड़ बहारो मे मैं ना कभी डगमगाऊँ॥ पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया। ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥ सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया। ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम॥ सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया।

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को लिरिक्स

Table of Contents • • • • • सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को लिरिक्स (Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko Lyrics) जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम, सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया… भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा, लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा। मिल ना रहा हो किनारा, इस लडखडाती हुई नव को जो किसी ने किनारा दिखाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम, सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया… शीतल बने आग चन्दन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी, उजयाली पूनम की हो जाये राते जो थी अमावस अँधेरी। जो थी अमावस अँधेरी, युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम, सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया… जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बड़ाऊ, फूलों मे खारों मे पतझड़ बहारो मे मैं ना कबी डगमगाऊ। मैं ना कबी डगमगाऊ, पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम, सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया… Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko Lyrics In English Jaise Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko Mil Jaaye Taruvar Ki Chhaya, Aisa Hi Sukh Mere Mann Ko Mila Hai, Main Jab Se Sharan Teri Aaya। Mere Ram, Jaise Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko Mil Jaaye… Bhatka Hua Mera Mann Tha Koi, Mil Na Raha Tha Sahara, Laheron Se Lagi Hui Naa...

suraj ki garmi se jalte huye tan ko bhajan lyrics

सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया ll ऐसा ही, सुख मेरे, मन को, मिला है मैं, जब से, शरण तेरी, आया* मेरे राम,,,,,,, सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया,,,,,,,,, भटका, हुआ मेरा, मन था कोई, मिल ना, रहा था सहारा ll लहरों से लड़ती, हुई नाव को ll जैसे, मिल ना, रहा हो, किनारा*, मिल ना, रहा हो किनारा l उस लडखडाती, हुई नाव, को जो, किसी ने, किनारा दिखाया, ऐसा ही, सुख मेरे, मन को, मिला है मैं, जब से, शरण तेरी, आया* मेरे राम,,,,,, सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया,,,,,,,,, शीतल बनी, आग चन्दन, के जैसी, राघव, कृपा,,, हो जो तेरी l राघव, कृपा,,, हो जो तेरी l उजयाली पूनम, की हो जाए रातें, जो थी, अमावस अँधेरी l उजयाली पूनम, की हो जाए रातें, जो थी, अमावस, अँधेरी*, जो थी, अमावस अँधेरी l युग युग से, प्यासी, मुरुभूमि, ने जैसे, सावन का, संदेस पाया, ऐसा ही, सुख मेरे, मन को, मिला है मैं, जब से, शरण तेरी, आया* मेरे राम,,,,,, सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया,,,,,,,,, जिस राह, की मंजिल, तेरा मिलन हो, उस पर, कदम मैं बड़ाऊँ ll फूलों मे, खारों मे, पतझड़, बहारो मे, मैं ना, कभी डगमगाऊँ l फूलों मे, खारों मे, पतझड़, बहारो मे, मैं ना, कभी, डगमगाऊँ*, मैं ना, कभी डगमगाऊँ l पानी के, प्यासे को, तकदीर, ने जैसे, जी भर के, अमृत, पिलाया ll ऐसा ही, सुख मेरे, मन को, मिला है मैं, जब से, शरण तेरी आया*, मेरे राम,,,,,, सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया l ऐसा ही, सुख मेरे, मन को, मिला है मैं, जब से, शरण तेरी, आया* मेरे राम,,,,,, सूरज की, गर्मी से, जलते, हुए तन को, मिल जाए, तरुवर की छाया,,,,,,,,, अपलोडर-...

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया.. रामकथापार्क में रामायण मेला की तीसरी शाम पुण्यसलिला सरयू के समानांतर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की रसधार प्रवाहित करने वाली साबित हुई। मुजफ्फरपुर के भजन गायक पं. रामदेव शर्मा ने सहयोगी गायिका वैदेही शर्मा के साथ संयुक्त स्वर में डिमिक-डिमिक डमरू बाजे.. की प्रस्तुति से शिव विवाह की छटा बिखेरी। अयोध्या : रामकथापार्क में रामायण मेला की तीसरी शाम पुण्यसलिला सरयू के समानांतर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की रसधार प्रवाहित करने वाली साबित हुई। मुजफ्फरपुर के भजन गायक पं. रामदेव शर्मा ने सहयोगी गायिका वैदेही शर्मा के साथ संयुक्त स्वर में डिमिक-डिमिक डमरू बाजे.. की प्रस्तुति से शिव विवाह की छटा बिखेरी। शर्मा ने राम के प्रति हनुमान भक्ति का भावगीत प्रस्तुत कर समां बांधा। जिनके मन में सदा विराजैं राम लखन और जानकी जय बोलो हनुमान की..। सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया.. की प्रस्तुति से उन्होंने संगीत संध्या को शिखर का स्पर्श दिया। सांस्कृतिक संध्या की अंतिम प्रस्तुति शीतलाप्रसाद वर्मा एवं उनके दल के नाम रही। इस दल ने अवधी के प्रतिनिधि लोकनृत्य फरुवाही की प्रस्तुति से दर्शकों को विभोर किया। कार्यक्रम के बाद रामायण मेला के नोडल अधिकारी कमलेश कुमार पाठक तथा सह नोडल अधिकारी रामतीरथ ने सभी कलाकारों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वप्रकाश टेकचंदानी ने किया। इससे पूर्व मेला के प्रथम सत्र में रामविवाह पर आधारित रामलीला की प्रस्तुति से दर्शक भावविभोर हुए। इससे पूर्व सांस्कृतिक संध्या का आरंभ प्रदेश के राजस्व एवं बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्री विजयकुमार कश्यप ने की। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में रामज...

[Lyrics & PDF] जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को

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सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Lyrics Bhajans Bhakti Songs

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Lyrics suraj ki garmi se jalte hue man ko सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Lyrics in Hindi सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा इस लडखडाती हुई नव को जो किसी ने किनारा दिखाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया मेरे राम शीतल बने आग चन्दन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी उजयाली पूनम की हो जाये राते जो थी अमावस अँधेरी युग युग से प्यासी मुरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया मेरे राम जिस राह की मंजिल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बड़ाऊ फूलों मे खारों मे पतझड़ बहारो मे मैं ना कबी डगमगाऊ पानी के प्यासे को तकदीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया Download PDF (सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Bhajans Bhakti Songs) सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Bhajans Bhakti Songs सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण ते Lyrics Transliteration (English) sooraj kee garmee se jalate hue tan ko mil jaaye taruvar kee chhaaya, aisa hee sukh mere man ko mila hai, main jab se sharan teree aaya, mere...

Suraj ki garmi se Lyrics in Hindi

Suraj ki garmi se Lyrics is written by Ramanand Sharmafrom the movie Parinay. The music was composed by Jaidev and the song was sung by sharma Bandhu. Suraj ki garmi se jalate hue tan ko Song Detail: • Film: परिणय-( • Music Director: जयदेव-(Jaidev) • Lyricist: Ramanand Sharma • Singer(s): Sharma Bandhu • Genre : शीतल बने आग चंदन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी उजियाली पूनम की हो जाएं रातें जो थीं अमावस अंधेरी, जो थीं अमावस अंधेरी युग-युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया ऐसा ही सुख … जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बढ़ाऊं फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में मैं न कभी डगमगाऊं, मैं न कभी डगमगाऊं पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया ऐसा ही सुख … सूरज की गर्मी से जलते हुए – Jaise Suraj Ki Garmi Se Lyrics in English Jaise Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko, Mil Jaaye Taruvar Ki Chhaya, Aisa hi sukh mere Man ko mila hai, Main jabse sharan Teri aaya…mere ram. Bhatka hua mera Man tha koi, Mil na raha tha sahara, Lehro se ladati Huyi naav ko, Jaise mil na raha ho kinara, Mil na raha ho kinara. Us ladakhadati Hui naav ko jo, Kisi ne kinara dikhaya, Aisa hi sukh mere Man ko mila hai, Main jabse sharan Teri aaya…mere ram. Jaise Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko, Mil Jaaye Taruvar Ki Chhaya… Sheetal bane aag Chandan ke jaisi, Raghav kripa ho jo teri, Ujiyali punam ki Ho jaaye rate, Jo thi amavas andheri, Jo thi amavas andheri. Yug yug se pyasi Marubhumi ne, Jaise savan ka sandes paya, Aisa hi sukh mere Man ko mila hai, Main jabse sharan Teri aaya…me...