स्वागत गीत हिंदी में लिखा हुआ

  1. अतिथि स्वागत की मोहक दोहावली। अतिथि स्वागत के दोहे। अतिथि स्वागत पर कविता। आभार की दोहावली। Guest welcome shayari in hindi
  2. छठ गीत लिखा हुआ Chhath geet lyrics download audio video written
  3. सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ एवं उसका हिंदी में अर्थ


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अतिथि स्वागत की मोहक दोहावली। अतिथि स्वागत के दोहे। अतिथि स्वागत पर कविता। आभार की दोहावली। Guest welcome shayari in hindi

अतिथि स्वागत के दोहे– उड़ती बातपर प्रकाशित मंच संचालन के चर्चित आर्टिकल मंच संचालन शायरी, ताली शायरी, मंच संचालन स्क्रिप्ट की श्रखंला को आंगे बढ़ाते हुये आप सब के समक्ष प्रस्तुत है अतिथि स्वागत के दोहेके रूप में लिखी अतिथि स्वागत शायरी का ऐसा संग्रह जो कि आपको मुदित कर देगा। अक्सर देखा गया है कि Guest welcome shayariके रूप में प्रतीकात्मक शायरी उपलब्ध होती है जिसके परोक्ष अर्थ होते हैं लेकिन इस दोहावली में प्रत्यक्ष रूप से मंचीय कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि और कार्यक्रम अध्यक्ष को ध्यान में रखकर भाव पिरोये गये हैं। मुझे विश्वाश है कि anchoring करते समय आप सबको इस दोहावली का प्रयोग करने पर भरपूर प्रतिसाद मिलेगा। अतिथि स्वागत के दोहे स्वीकृत आमंत्रण किया, रखा हमारा मान कैसे करें कृतज्ञता, स्वागत है श्रीमान। अर्पित श्रीमन आपको, चन्द सुवासित फूल क्षमा आप करना हमें, हो जाये जो भूल। सूरज जैसे आप हैं, हम हैं दीपक तुच्छ क्या अर्पित तुमको करें, भेंट लाये कुछ पुष्प। बहु आयामी आप हैं, बहु आयामी काज पा कर अपने बीच में, पुलकित हैं हम आज। सुलभ नही होते सदा, ऐसे भवि अध्यक्ष आयोजन सार्थक हुआ, सार्थक होता लक्ष्य। ये भी पढ़ें-ताली शायरी । तालियों वाली शायरी मुख्य अतिथि ऐसे कहाँ, सबको हैं उपलब्ध मुदित हुई सारी फ़िज़ा, बदल गया प्रारब्ध।। संशय था क्या आयेंगें, चर्चित व्यक्ति आप देख सरलता दंग हैं, इसीलिये विख्यात।। रोली तन्दुल थाल में, श्रीफल लिया सजाय स्वागत को श्रीमान के, भेंट दुशाला लाय। दिव्य हुआ पांडाल यह, दिव्य हुआ है मंच दिव्य दिवस यह हो गया, आये जो श्रीमंत। जनसमूह की मुग्धता, छिपी न जाय छिपाय चन्द शब्द मुख वृन्द से, सुनने को अकुलाय। आप आप ही आप हैं, चर्चा में हर ओर अनुपम यश है आपका, कोई...

छठ गीत लिखा हुआ Chhath geet lyrics download audio video written

Table of Contents • • • • • • • • • • छठ गीत लिखा हुआ छठ पर्व पूर्वांचल विशेषकर बिहार का प्रमुख पर्व है जो सूर्य भगवान और उनकी माता षष्ठी देवी से संबंधित है। इस त्यौहार के साथ भक्तों की विशेष भावना जुड़ी होती है। यह त्यौहार आस्था के साथ-साथ पर्यावरण का भी है। भक्त डूबते सूर्य और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं। सूर्य भगवान के आशीर्वाद से ही इस पृथ्वी पर जीवन संभव है, उनके माध्यम से ही प्राणियों में पोषण की शक्ति प्राप्त होती है। प्रस्तुत लेख में छठ पर्व के उत्कृष्ट गीतों का संकलन तैयार किया गया है, आशा है आपको पसंद आएगा। गीत १ – काच्चे ही बांस के बहंगिया काच्चे ही बांस के बहंगिया , बहंगी लचकत जाए,,,,,,,,,,,२ होए ना बलम जी कहरिया , बहंगी घाटे पहुंचाए,,,,,,,,,,,,,२ कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए,,,,,,,,,,,,,२ बाट जे पूछे ना बटोहिया , बहंगी केकरा के जाय,,,,,,,,,,,२ तू तो आंध्र होवे रे बटोहिया , बहंगी छठ मैया के जाए,,,,,,,,,,,,,,२ वह रे जे बाड़ी छठी मैया , बहंगी उनका के जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,२ कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,२ होए ना देवर जी कहरिया , बहंगी घाटे पहुंचाई ,,,,,,,,,,,,,२ वह रे जो बाड़ी छठी मैया बहंगी उनका के जाए ,,,,,,,,,,,,२ बाटे जे पूछे ना बटोहिया बहंगी केकरा के जाय ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,२ तू तो आन्हर होय रे बटोहिया बहंगी छठ मैया के जाए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,२ वह रे जय भइली छठी मैया , बहंगी उनका के जाए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,२ Also Read • • निहित शब्द सरल रूप में – काच्चे बांस – कच्चा बांस। बहंगिया – कांवर ( जिसपर श्रवण कुमार अपने माता पिता को घूमते थे ) | लचकत – झूलता। कहरिया – कहार (जाति ) | घाटे – घाट ( नदी तालाब का ...

सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ एवं उसका हिंदी में अर्थ

Table of Contents • • • • • महामृत्युंजय मंत्र कथा : महामृत्युंजय मंत्र मृत्य को जीत लेने वाला मंत्र है इसकी कथा के अनुसार परम शिव भक्त ऋषि मृकण्डु की कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शंकर की बहुत तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर शंकर जी ने इच्छानुसार संतान प्राप्त करने का वरदान दिया। लेकिन उन्होंने बताया कि इस संतान की आयु कम होगी। भगवान शिव की कृपा से ऋषि मृकण्डु के घर एक पुत्र का जन्म हुआ जिस नाम उन्होंने मार्कण्डेय रखा। ऋषियों ने बताया की मार्कण्डेय की आयु 16 वर्ष ही होगी। यह जानकर ऋषि मृकण्डु शोक में डूब गए लेकिन उनकी उनकी पत्नी ने कहा की जब शिव जी की कृपा से इसका जन्म हुआ है तो शिव जी ही इसकी रक्षा करेंगे। तब ऋषि ने अल्पायु की बात अपने पुत्र मार्कण्डेय को बताई और कहा की तुम्हे शिव जी की भक्ति करना चाहिए और उन्हें एक शिव मंत्र दिया। यह भी पढ़ें : सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र: ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ। तब मार्कण्डेय ने शिव जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए तपस्या करना प्रारंभ किया और शिव जी की उपासना करने के लिए उन्होंने एक मंत्र की रचना की जिसे महामृत्युंजय मंत्र का नाम दिया। जब उनकी मृत्य का समय आया तो यमराज प्राण लेने आये और उन्होंने अपना पाश मार्कण्डेय पर फेका, तो वो शिवलिंग से लिपट गए और पाश शिवलिंग पर गिरा, जिससे शिव जी क्रोधित हो गए और यमराज को मार्कण्डेय के प्राण लेने से रोका। इस बात पर यमराज ने मार्कण्डेय के पूर्व लिखित भाग्य के बारे में याद दिलाया। तो शिव जी ने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान दिया और भाग्य को बदल दि...