स्वामी विवेकानंद के जीवन की सच्ची घटना

  1. स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की 3 सीख आपको जीवन मे सफल बना देगी
  2. स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार जो बदल देंगे आपका जीवन
  3. स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय Swami Vivekananda Biography
  4. स्वामी विवेकानंद से क्या क्या सीखे ? जाने आध्यात्मिक जीवन ज्ञान
  5. स्वामी विवेकानंद: जीवनी, शिक्षा, विचार, अनमोल वचन
  6. Swami Vivekananda In Hindi: स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय!
  7. स्वामी विवेकानंद जी के 5 प्रेरक किस्से आपकी सोच को बदल देंगे
  8. स्वामी विवेकानंद


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स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की 3 सीख आपको जीवन मे सफल बना देगी

हममेसेहरकोईअपनेजीवनमेसफलइंसानबनानाचाहताहै, हरकोईअपनेअपनेसपनोंकोपूराकरनाचाहताहै, हरकोईअपनीअपनीलाइफस्टाइलजीनाचाहताहै। लेकिनकैसे?अगरआपकीभीऐसीखोवाइशहैतोइसपोस्टकोपूरापढिए। स्वामीविवेकानंदजीकोहमसबहीनहींबल्किहमारापूरादेश, औरअन्यदेशोंकेलोगभीउन्हेअपनाइन्स्परैशनमानतेहै।उनकेद्वाराकहीगईहरएकबात, हरएकसीखइंसानकेजीवनमेबहूतकुछभरसकताहै।ऐसीहीस्वामी विवेकानंदजीकेजीवनके 3 सबसेबड़ीसीखजोआपकोसुपरसक्सेस्फलबनासकतीहै:- एकबारस्वामीजीअमेरिकामेघूमरहेथे।घूमतेघूमतेवहएकपुलपरपहुचेजहाउन्होंनेदेखाकीकुछबच्चेअपनीखेलनेवालीबंदूखसेपानीमेअंडेकेछिलकोंपरनिशानासाधरहेथे।परएकभीनिशानाकोईलगानहींपारहेथे।यहसबस्वामीजीबड़ीध्यानसेदेखरहेथे।कुछदेरबादउन्होंनेएकबचेसेबंदूखलिएऔरवहीभीनिशानासाधनेलगे।उनकापहलानिशानाएकसहीलगा।ऐसेकरतेकरतेउन्होंनेलगतार 13 निशानेलगाएऔर 13 के 13 निशानेबिल्कुलसहीगएकोईभीनिशानाचुकानहीं।यहदेखकरसारेबच्चेहैरानहोकरस्वामीजीसेपूछेतोस्वामीजीनेकहे:- जोकामतुमकररहेहोअगरतुमअपनापूरादिमाक, पूराध्यानउसीकामपरलगादोतोतोआसानीसेउसकामकोसफलतापूर्णकरसकतेहै। No.2 दूसरोंकेपीछेभागनेकेबजाह, अपनालक्ष्यखुदबनाओ स्वामीविवेकानंदजीकामानाथाकीसक्सेसकिसीदूसरेकेपीछेभागनेसेनहींमिलतीहै, सक्सेसतभीमिलतीहैजबआपअपनारास्ताखुदहीबनातेहैं।औरखुदकेबनाएहुएरस्तेपरचलतेहैं।ऐसाइसलिएक्योंकिजोइंसानदूसरोंकेबनाएहुएरास्तेपरयाउनकेपीछेपीछेचलताहैवहजादाकुछप्राप्तनहींकरपाताहै।एकतरहसेवहउनकागुलामबनकेरहजाताहै।परजोइंसानअपनेबनाएहुएरास्तेपरचलताहैएकदिनवहीबड़ीकामयाबीकोहासिलकरताहै। इसेजरूरपढे:– इसेस्वामीविवेकानंदकेजीवनसेसमझतेहै।एकबारएकव्यक्तिस्वामीजीपासआयाऔरकहा:- “ स्वामीजीमैंनेखूबमेहनतकरलिएपरमुझेसफलतामिलहीनहींरहीहै”।तबस्वामीजीनेखुचनहींबोलाउन्होंनेसेकहाकीमेरेकुत्तेकोएकबारसैरकरकेलाओ।वाप...

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार जो बदल देंगे आपका जीवन

भारतीय इतिहास कई प्रेरणादायक और महान हस्तियों और नेताओं से भरा है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में एक प्रसिद्ध समाज सुधारक, स्वामी विवेकानंद को अक्सर भारत में हिंदू धर्म के पुनरुद्धार (रीस्टोरेशन) का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने एक ऐसे जीवन का नेतृत्व किया, जो आधुनिक 21 वीं सदी में हमारे जीवन जीने के सबसे सरल तरीकों को खोजने में हमारी मदद कर सकता है। उनका जीवन, दर्शन और शिक्षाएं छात्रों के लिए वास्तव में सुनहरा है और एक जैसे हैं, क्योंकि वे हम सभी को एक बेहतर भविष्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने में मदद कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम Swami Vivekanand ke Vichar के बारे में विस्तार से जानते हैं। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • स्वामी विवेकानंद के बारे में 1863 में जन्में, स्वामी विवेकानंद एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के दौरान भारतीय समाज की दुर्दशा कर रहे थे। इस उद्देश्य के लिए, उन्होंने एक तरह के हिंदू धर्म की वकालत की, जो लिंग या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता है लेकिन एक सार्थक जीवन जीने के लिए विचारों को सामने रखता है। स्वामी जी ने हिंदू धर्म के सार को पकड़ने और दुनिया में इसे फैलाने की कामना की और वेदांत के दर्शन और ज्ञान, भक्ति, कर्म और राजयोग के आदर्शों के प्रचार के लिए समर्पित रामकृष्ण मिशन की भी स्थापना की थी। इस प्रकार, एक अर्थ में, स्वामी विवेकानंद ने अपना जीवन हिंदू धर्म के लेंस के माध्यम से अपने आसपास की दुनिया को समझने के लिए समर्पित किया और फिर मानवता के अधिक अच्छे के लिए उस ज्ञान का प्रसार किया। इसलिए, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को जानना और समझना महत्वपूर्ण है, ताकि वे दुनिया की बेहत...

स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय Swami Vivekananda Biography

नमस्कार स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय Swami Vivekananda Biography In Hindi आर्टिकल में आपका स्वागत हैं. आज हम स्वामी विवेकानंद की जीवनी बायोग्राफी इतिहास उनकी कहानी जानेंगे. सरल भाषा में विवेकानंद जी के जीवन पर यह आर्टिकल दिया हैं, उम्मीद करते है यह आपको पसंद आएगा. स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय Swami Vivekananda Biography In Hindi राष्ट्रवादी भविष्यवक्ता के रूप में प्रसिद्ध और प्रतिष्टित स्वामी विवेकानंद देशभक्तों के बीच में एक प्रगतिशील देशभक्तों की श्रेणी की अग्रणी पक्ति में खड़े पाते है. यधपि सीधे रूप में उनका राजनीती में उनका कोई योगदान नही था पर उनका मनोमस्तिष्क, भारत की स्वतंत्रता के लिए साहस और आत्मविश्वास की भावना से प्रबल रूप में ओत प्रेत था. शारीरिक और मानसिक उत्थान के लिए प्रोत्साहित करते हुए तथा भारत के अतीत को गौरवान्वित करते हुए स्वामी विवेकानंद ने मातृभूमि की दुर्दशा के खिलाफ एक आंदोलन छेड़ने के लिए लाखों व करोड़ो भारतीयों को जाग्रत किया. नरेंद्रनाथ दत्त का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकता में हुआ था. मेट्रोपोलिटन संस्थान से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने कलकता में स्काटिश चर्च कॉलेज में अध्ययन किया. अध्ययन के दौरान इन्होने पाश्चात्य संस्कृति का गहन अध्ययन किया. Telegram Group ये संत रामकृष्ण परमहंस के परमशिष्य बन गये थे. रामकृष्ण जी की मृत्यु के बाद उनके उपदेशो को प्रसारित करने के लिए विवेकानंद सन्यासी बन गये. ताकि शास्त्र विधि के अनुसार पूजा पाठ को दोषी ठहराने वालों की समझ में रामकृष्ण परमहंस के उद्देश्यों को लोग समझ सके तथा आत्मत्याग भक्ति, व ध्यान के द्वारा लोगों की वास्तविकता को गहन रूप से समझ सके. सन्यास मार्ग पर चलने के लिए प्रतिज्ञा कर लेन...

स्वामी विवेकानंद से क्या क्या सीखे ? जाने आध्यात्मिक जीवन ज्ञान

स्वामी विवेकानंद, जिन्हें उनके पूर्व-मठवासी जीवन में नरेंद्र नाथ दत्ता के नाम से जाना जाता था, का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता, विश्वनाथ दत्ता, एक सफल वकील थे, जो कई विषयों में रुचि रखते थे, और उनकी माँ भुवनेश्वरी देवी, गहरी भक्ति, मजबूत चरित्र और अन्य गुणों से संपन्न थीं। एक असामयिक लड़का, नरेंद्र ने संगीत, जिम्नास्टिक और पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। जब तक उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, तब तक उन्होंने विभिन्न विषयों, विशेष रूप से पश्चिमी दर्शन और इतिहास का व्यापक ज्ञान प्राप्त कर लिया था। योगिक स्वभाव के साथ जन्मे वे बचपन से ही ध्यान का अभ्यास करते थे और कुछ समय तक ब्रह्म आंदोलन से जुड़े रहे। Tabel of Contents:- • स्वामी विवेकानंद का जन्म and नाम • श्री रामकृष्ण के साथ • कठिन स्थितियां • एक मठवासी भाईचारे की शुरुआत • जीवन के मिशन के बारे में जागरूकता • वास्तविक भारत की खोज • एक संगठन की आवश्यकता • धर्म संसद और उसके बाद • अपने देशवासियों को जगाना • रामकृष्ण मिशन की स्थापना • बेलूर मठ • शिष्य • अंतिम दिवस श्री रामकृष्ण के साथ:- युवावस्था की दहलीज पर नरेंद्र को आध्यात्मिक संकट के दौर से गुजरना पड़ा जब उन्हें ईश्वर के अस्तित्व के बारे में संदेह से घेर लिया गया। उस समय उन्होंने पहली बार कॉलेज में अपने एक अंग्रेजी प्रोफेसर से श्री रामकृष्ण के बारे में सुना था। नवंबर 1881 में एक दिन, नरेंद्र श्री रामकृष्ण से मिलने गए, जो दक्षिणेश्वर में काली मंदिर में ठहरे हुए थे। कठिन स्थितियां:- कुछ वर्षों के बाद दो घटनाएं हुईं जिससे नरेंद्र को काफी परेशानी हुई। एक तो 1884 में उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। इससे ...

स्वामी विवेकानंद: जीवनी, शिक्षा, विचार, अनमोल वचन

स्वामी विवेकानंद एक महान भारतीय दार्शनिक एवं हिंदू सन्यासी थे, स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व भारत की ओर से किया था। भारतकाअध्यात्म से परिपूर्णवेदांतदर्शन पूरे अमेरिकाऔर यूरोपके हरेक देश में स्वामी विवेकानंदके विवेचनात्मक और विस्तृत विचार व्याख्यान के माध्यम से फैला उनके आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंसथे तथा स्वामी रामकृष्ण परमहंस से संदर्भित रामकृष्ण मिशनकी स्थापना भी उनके द्वारा की गई। उन्हें 1893 के शिकागो सम्मेलन में वक्तव्य का 2 मिनट का अवसर दिया गया जिसमें उनके भाषण का संबोधन “मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों “के साथ करने के लिए जाना जाता है उनके प्रथम वाक्यनेहीं सबका मन मोह लिया। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • स्वामी विवेकानंद बायोग्राफी स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त जन्म 12 जनवरी 1863(कलकत्ता) मृत्यु 4 जुलाई 1902 ( उम्र -39),बेल्लूर मठ बंगाल रियासतब्रिटिश राज(अब बेलूर पश्चिम बंगालमें हैं) पिता का नाम विश्वनाथ दत्त माता का नाम भुनेश्वरी देवी भाई भूपेन्द्रनाथ दत्त और महेंद्र नाथ दत्त बहन स्वर्णमयी देवी धर्म हिन्दू राष्ट्रीयता भारतीय गुरु रामकृष्ण परमहंस शिक्षा कलकत्ता मेट्रोपोलिटन स्कूल और प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता स्वामी विवेकानंद बायोग्राफी स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन • उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। • सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा। • तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हे सब कुछ खुद अंदर से सीखना है, आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है। • ख़ुद को कमज़ोर समझन...

Swami Vivekananda In Hindi: स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय!

स्वामी विवेकानंद के बारे में हम सब जानते हैं | उनके व्यक्तित्व की परकाष्टा करना किसी भी व्यक्ति के लिए गर्व का विषय हैं | वे हिन्दू सभ्यता के शिरोमणि संत थे | वह एक तत्व ज्ञानी , उच्चकोटि के वक्ता सच्चे देशभक्त , और आध्यात्मिक मन के स्वामी कहे जाते थे | उन होने अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरे जीवो के कल्याण के लिए लगा दिया | Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद ने हिन्दू ज्ञान का परचम पूरी दुनिया के सामने रखा | उनके द्वारा बताई गई यहीं प्रेणादायक बातें आज हमारे आध्यात्मिक एवं मानसिक विकास का आधार बनी | उनका सर्वदा भाईचारे और आत्मचेतना का सन्देश विश्व में चिर परिचित हैं | स्वामी जी कम उम्र में ज्ञान प्राप्त करने वाले युवा संत थे जो युवाओ के प्रेणना स्तम्भ भी कहलाता हैं | श्याद यहीं कारन हैं , की उनके जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं| स्वामी विवेकानंद की जीवनी – Swami Vivekananda Biography in Hindi (Vivekanand Jayanti) स्वामी विवेकानंद का जन्म , १२ जनवरी १९८३ को सक्रांति के दिन , पिता विश्वनाथ दत्ता और माता भुवनेश्वर दत्ता के यहाँ हुआ था | उनके पिता एक प्रतिष्ठित सरकारी प्रतिनिधि थे | माता भुवनेश्वरी सरल स्वभाव की ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थी | स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम , नरेंद्र था | बालक नरेंद्र बचपन से ही मेधावी छात्र थे | उनके जिज्ञासु स्वभाव के परिणाम स्वरुप उनका रुझान संगीत और कला में भी बड़ा | उनकी प्रारंभिक शिक्षा मेट्रोपोलिटन संसथान व् उसके बाद , प्रेसीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में हुयी | उन्हें सभी विषयो की अच्छी खासी पकड़ थी | इसके अलावा वे खेल कूद और कसरत में भी विशेष रूचि रखते थे | अपने युवा काल में स्वामीजी ने सभी उपनिषद , ग्रंथो , वेदो , और भगवत गीता...

स्वामी विवेकानंद जी के 5 प्रेरक किस्से आपकी सोच को बदल देंगे

Swami Vivekananda Jayanti: स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस पर युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामीजी के जीवन से संबंधित कई रोचक किस्से हैं। वे रामकृष्‍ण परमहंस के शिष्य थे। उनका जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को कोलकाता में हुआ और मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया था। उनका जन्म नाम नरेंद्र दत्त था। आओ जानते हैं उनके जीअन के 5 प्रेरक किस्से। 1. पहला प्रेरक किस्सा : एक बार की बात है स्वामी विवेकनन्द बनारस में मां दुर्गा के मंदिर से लौट रहे थे, तभी रास्ते में बंदरों के एक झुंड ने उन्हें घेर लिया। स्वामीजी के हाथ में प्रसाद थी जिसे बंदरों छीनने का प्रयास कर रहे थे। स्वामीजी बंदरों द्वारा इस तरह से अचानक घेरे जाने और झपट्टा मारने के कारण भयभीत होकर भागने लगे। बंदर भी उनके पीछे भागने लगे। बंदरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। 2. दूसरा प्रेरक किस्सा : स्वामीजी को शिकागो जाना था। श्रीरामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदामणि मुखोपाध्याय से वह विदेश जाने की इजाजत मांगने के लिए गए। कहते हैं कि उस समय शारदामणि किचन में कुछ कार्य कर रही थीं। विवेकानंद ने उनके समक्ष उपस्थित होकर कहा कि मैं विदेश जाना चाहता हूं। आपसे इसकी इजाजत लेने आया हूं। माता ने कहा कि यदि मैं इजाजत नहीं दूंगी तो क्या तुम नहीं जाओगे? यह सुनकर विवेकानंद कुछ नहीं बोले। 3. तीसरा प्रेरक किस्सा : एक बार एक युवक स्वामी विवेकानंद के पास आया और कहने लगा कि वेदांत के बारे में समझ गया हूं लेकिन इस देश में मां को इतना पूज्जनीय क्यों माना जाता है यह आज तक समझ में नहीं आया। इस पर स्वामीजी हंस दिए और कहने लगे कि एक काम करो इसका जवाब मैं तुम्हें 24 घंटे के बाद दूंगा लेकिन मेरी शर्त यह है कि एक 5 किलो का पत्थर आपके अपने पेट पर तब तक के...

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद की जीवनी Swami Vivekananda in hindi स्वामी विवेकानंद बंगाल में जन्मे (जन्म नरेंद्रनाथ दत्ता) एक हिंदू भिक्षु थे, और प्रसिद्ध भारतीय सन्यासी रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। आइए उनके जीवन, शिक्षाओं और दर्शन पर एक नज़र डालें। स्वामी विवेकानंद का जीवन इतिहास और शिक्षाएं जन्म तिथि:12 जनवरी 1863 जन्म स्थान: कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी (अब पश्चिम बंगाल में कोलकाता) माता-पिता: विश्वनाथ दत्ता (पिता) और भुवनेश्वरी देवी (माता) शिक्षा: कलकत्ता मेट्रोपॉलिटन स्कूल; प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता संस्थाएँ: रामकृष्ण मठ; रामकृष्ण मिशन; वेदांत सोसायटी ऑफ़ न्यूयॉर्क दर्शन: अद्वैत वेदांत प्रकाशन: कर्म योग (1896); राज योग (1896); कोलंबो से अल्मोड़ा के लिए व्याख्यान (1897); माई मास्टर (1901) मृत्यु: 4 जुलाई, 1902 मृत्यु का स्थान: बेलूर मठ, बेलूर, बंगाल स्मारक: बेलूर मठ, बेलूर, पश्चिम बंगाल स्वामी विवेकानंद पर निबंध प्रारंभिक जीवन और शिक्षा युवा अवस्था में नरेंद्र को आध्यात्मिक संकट के दौर से गुजरना पड़ा जब उन्हें भगवान के अस्तित्व के बारे में संदेह होने लगा था । यह उस समय था जब उन्होंने पहली बार कॉलेज में अपने एक अंग्रेजी प्रोफेसर से श्री रामकृष्ण के बारे में सुना। नवंबर 1881 में एक दिन, नरेंद्र दक्षिणेश्वर में काली मंदिर में रहने वाले श्री रामकृष्ण से मिलने गए। स्वामी विवेकानंद, जिन्हें नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में उनके पूर्व-मठवासी जीवन में जाना जाता था, 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में एक संपन्न परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता, विश्वनाथ दत्त, एक सफल वकील थे, और उनकी माँ , भुवनेश्वरी देवी, गहरी भक्ति,महान चरित्र और अन्य गुणों से संपन्न थी। एक असामयिक लड़का, नरेंद्र ने संगीत, जिमनास्टिक ...