सवेरा सत्ता

  1. Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray On Tie Up With AIMIM
  2. CBSE Class 12 Hindi Unseen Passages अपठित काव्यांश
  3. मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना 2023: नया सवेरा कार्ड डाउनलोड
  4. सत्ता और संत
  5. 300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह
  6. 251+ प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे
  7. नया सवेरा


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Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray On Tie Up With AIMIM

शिवसेना प्रमुख और महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि AIMIM के साथ उनका कोई गठबंधन या समझौता नहीं होगा. साथ ही वे बीजेपी पर भी जमकर बरसे. ठाकरे ने जिला प्रमुखों की बैठक में यह एलान किया है कि हम हिंदू हैं और मरने तक हिंदू रहेंगे. सत्ता से चलें जाएंगे लेकिन AIMIM से गठबंधन नहीं करेंगे.

CBSE Class 12 Hindi Unseen Passages अपठित काव्यांश

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मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना 2023: नया सवेरा कार्ड डाउनलोड

Mukhyamantri Jan Kalyan Sambal YojanaOnline Registration 2023, मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजनाऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व स्टेटस, Sambal 2.0 Yojana नया सवेरा कार्डडाउनलोड, Jan Kalyan Sambal Yojana Apply। मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल नया सवेरा योजना की शुरुआत की है। मध्य प्रदेश नया सवेरा कार्ड योजना को कांग्रेस समर्थित सरकार द्वारा संशोधित रूप में सामाजिक सुरक्षा जैसी मुलभुत सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। देश में अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रही है जिनको ध्यान में रखते हुए अनेको योजनाओ की शुरुआत की जाती है। कई परिस्थितियों में उन्हें समाज कल्याण एवं उत्थान के लिए शुरू की गयी योजनाओ का लाभ नहीं मिल पाता। इन सभी समस्याओ को देखते हुए मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना की शुरुआत की गयी है। • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • जन कल्याण संबल योजना 2023 भाजपा के समर्थन से मध्य प्रदेश में सरकार के बनने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना को शुरू किया गया था। मध्यप्रदेश नया सवेरा योजना 2023 के तहत असंगठित क्षेत्रो के श्रमिकों को राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओ का लाभ दिलाने के लिए नए संबल कार्ड वितरित किये जा रहें हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के गिर जाने के बाद अब कांग्रेस समर्थित कमलनाथ सरकार द्वारा इस योजना में कई संशोधन किये गए हैं। मध्य प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल नया सवेरा योजना के माध्यम से असंगठित क्षेत्रों के कामगारो को सम्बल कार्ड उपलब्ध कराये जा रहे हैं। संबल 2.0 योजना की शुरुआत हुई सोमवार 16 मई 2022 को मध्य प्रदेश के...

सत्ता और संत

ज्योतिर्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के परम शिष्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी देहरादून प्रवास पर १२ मार्च को आये हुए थे। जनता के कार्य से वे शनिवार १३ मार्च को मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत से तय समय अनुसार दोपहर २ बजे बीजापुर गेस्ट हाउस के एनेक्सी में मिलने पहुंचे। स्वामीश्री के साथ मैं भी था, इसीलिए सत्ता और संत दोनों का स्वभाव देखा। स्वामीश्री समय के पाबंद हैं और नए मुख्य मंत्री की व्यस्तता और समय का ख्याल करते हुए १.४५ यानि १५ मिनट पहले पहुँच गए। मुख्य मंत्री के स्टाफ ने उन्हें और उनके सहयोगियों को ससम्मान एक कक्ष में बैठाया। कुछ ही देर में वहां हमें पता चला कि स्वामीश्री का मिलने का समय २.३० बजे का है, स्वामीश्री इत्मीनान से अपने अनुयायी और सहयोगियों के साथ बैठ गए। मुख्य मंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्वामीश्री के पास आये और उन्होंने बताया कि मुख्य मंत्री जी मीटिंग में हैं अभी थोड़ी देर में उनसे मिलेंगे। स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद जी ने जोशीमठ की जनता के लिए जोशीमठ में एक आधुनिक अस्पताल बनवाने का संकल्प लिया है जिसके लिए वे पहले भी वहां उपलब्ध सरकारी जमीन की मांग कर रहे थे। जोशीमठ में चिकित्सा स्वास्थ सेवाओं का बहुत आभाव है, वहां की जनता को इलाज कराने ऋषिकेश या देहरादून तक (१० घंटे का सफर) आने को मजबूर होना पड़ता है। वैसे तो इसकी प्रथम जिम्मेद्दारी प्रदेश सरकार की है… सत्ता की। जोशीमठ या ज्योर्तिमठ हिन्दुओं के मोक्ष धाम बदरीनाथ जी से लगभग ४० किमी पहले बदरी विशाल के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं का मुख्य पड़ाव भी है। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद जी महाराज हैं, उनके मार्गदर्शन से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वहां ज...

300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह

300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह (उत्तर सहित) | Hindi Paheliyan with Answers किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle, Riddle) कहते हैं, जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अगर आप अपने दिमाग को मजबूत करना चाहते हैं, तो पहेलियाँ आपकी मदद कर सकती हैं। हम अपना दिमाग जितना पहेली सुलझाने में लगाते हैं, उससे हमारी दिमागी क्षमता उतनी ही बढ़ती है। पहेलियाँ, मानसिक सजगता एव निरीक्षण क्षमता के विकास का एक सहज व प्रभावशाली साधन है। हम पहेलियाँ बुझाकर क्या सीखते हैं? एक छोटी सी पहेली बुझाना भी हमें और हमारे बच्चों को कई तरीके से प्रभावित कर सकती है। पहेलियाँ बुझाने से निम्नलिखित फायदे होते हैं- 1. जब माता-पिता बच्चे के साथ मिलकर ऐसे दिमाग चलाने वाले खेल खेलते हैं, तो यह उनके बीच के रिश्ते को और मजबूत करता है। यह बच्चों को दूसरों के साथ बातचीत करने और सामाजिक बातों को समझने में भी मदद करता है। 2. पहेलियाँ बच्चों को कम उम्र में समस्याओं का समाधान ढूंढने और जटिल चीजों को समझने में मदद करती हैं, जो किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण कौशल हैं। 3. जब बच्चे पहेलियों में आए हुए शब्द समझ नहीं पाते, तो वे उनका अर्थ ढूंढने की कोशिश करते हैं और इस प्रकार ये बच्चों के शब्दों के ज्ञान को बढ़ाती हैं । 4. भाषा द्वारा किसी चीज को समझना स्कूली शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहेलियाँ बुझाने की कला से बच्चे किसी संदर्भ से शब्दों या वाक्यांशों को समझ सकते हैं, और उसमें छुपे हुए अर्थ को पहचान सकते हैं । 1. अन्त कटे तो कदम रखें, मध्य कटे तो ‘डर’ बन जाऊं। खुद न चल सकूँ मगर, राही को मंजिल पर पहुंचा...

251+ प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे

Kahawat in Hindi यह कहावतें कम शब्दों में बहुत कुछ कहने का अर्थ बताती है। हमने बचपन से कई कहावते सुनी है, जैसे आ बैल मुझे मार, आम खाने हैं या पेड़ गिनने ऐसी कई और भी कहावतें है, जो हम आपको आज की इस पोस्ट 250 से भी अधिक प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं उनके अर्थ (Proverbs in Hindi) आपको बताने वाले है। कहावत की परिभाषा (Proverbs Meaning in Hindi) वह पद जिसमें ज्ञान और अनुभव की बात किसी विशेष तरीके से सुंदर और प्रभावशाली तरीके से बताई हो, उन्हें कहावत कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ “कही गई बात” होता है। लेकिन हर बात कोई कहावत नहीं होती है। कहावत को उर्दू भाषा में “मसल” और अंग्रेजी में Proverb कहते है। लोकोक्ति की परिभाषा लोकोक्ति में लोक का अर्थ “जनसामान्य” है और उक्ति का अर्थ “कथन” से है। यह कहावत का ही एक रूप है। जनसामान्य में प्रसिद्ध कहावत लोकोक्ति कहलाती है। लोकोक्ति सामान्यतः जनसामान्य में होती है। 250+ प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं उनके अर्थ (Kahawat in Hindi) बाज के बच्चे मुंडेर पे नही उड़ा करते: बड़ा सोच रखने वाले छोटी चीजों के बारे में नही सोचते। वर जीत लिया कानी, वर भावर घूमे तब जानी: रिश्ते हमेशा बराबर वालों से करना चाइये। अपने जोगी नंगा तो का दिए वरदान: जिसके पास खुद के साधन ना हो वो आपको क्या देगा। पांव गरम पेट नरम और सिर हो ठंडा तो वैद को मारो डंडा: सब कुछ ठीक है तो आप स्वस्थ है। घी खाया बाप ने सूँघो मेरा हाथ: काम दूसरे का करना और श्रेय खुद लेना। अपना रख, पराया चख: अपनी वस्तु की जगह दूसरों की इस्तेमाल करना। अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना: संवेदनहीन व्यक्ति को अपना दुख बताना। अपनी करनी, पार उतरनी: स्वयं मेहनत करके आगे बढ़ना। Image: Kahawat in Hindi अरहर की टट्टी, गुजरा...

नया सवेरा

वर्षों से कहा जा रहा है ,"राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता है ,न दोस्ती न दुश्मनी". परन्तु आज के राजनैतिक परिदृश्य में एक चीज़ स्थायी है ,वह है अवसरवादी दोस्ती.अब देखिये न,किसने सोचा था कि बीजेपी जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बना सकती है.बीजेपी ने सरकार बनाने के लिये बकायदा अपने मुख्य अजेंडा धारा 370 तक से समझौता कर लिया.वहीँ इन दिनों रामबिलास पासवान लगातार इस अवसरवादी दोस्ती के सिरमौर बने हुए हैं.जिस एन.डी.ए. की बुराई करते वे थकते नहीं थे ,आज वे इसी का हिस्सा हैं.खैर ,नेताओं के पास इनसब पलटी मार करामातोंका एक ही जवाब होता है कि वे जनता की भलाई के लिये ऐसा कर रहें हैं. अब हाल-फिलहाल बिहार में भी ऐसा हीं कुछ होने जा रहा है.आइये इन ताज़ा घटनाक्रम की आलोचनात्मक विवेचना करते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के राजनीति का स्वरूप ही बदल गया.हालांकि इस राजनीतिक भूचाल की पटकथा इस चुनाव से बहुत पहले ही लिखी जा चूकी थी.बिहार में नितीश कुमार अपने मुख्यमंत्रित्व के पहले कार्यकल की बदौलत पूरे भारत में लोकप्रिय हो रहे थें,परन्तु यह लोकप्रियता इतनी ज्यादा नहीं थी कि नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दिया जा सके.यही नितीश कुमार की निजी महत्वकांक्षा के आड़े आ रहा था.और यहीं से शुरू हुआ ,नितीश कुमार की राजनैतिक हैसियत कम होने का दौर.भाजपा की तरफ से नरेंद्र मोदी के प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषणा होने के बाद से नितीश कुमार को भाजपा सम्प्रदायिक पार्टी नजर आने लगी,उसके पहले सत्ता का सुख में अंधे नितीश कुमार को भाजपा का केसरिया रंग नजर नहीं आ रहा था.खैर भाजपा से अलग होकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला जदयू और नितीश कुमार दोनों के लिये घातक सिद्ध हुआ. उधर चारा...