सविनय अवज्ञा आंदोलन कब चलाया गया

  1. 2 सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब चलाया गया अ 1920 ब 1927 स 1930 द 1935?
  2. भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? – ElegantAnswer.com
  3. दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
  4. गांधी जी के तीन प्रमुख आंदोलन


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2 सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब चलाया गया अ 1920 ब 1927 स 1930 द 1935?

गांधी ने ब्रिटिश नमक कानूनों को तोड़ने के लिए प्रसिद्ध लवण सत्याग्रह पर अपने अनुयायियों का नेतृत्व किया। तिथि 12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930 स्थान साबरमती, अहमदाबाद, गुजरात, भारत दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह, महात्मा गांधी के नेतृत्व में औपनिवेशिक भारत में अहिंसक सविनय अवज्ञा का एक कार्य था। चौबीस दिवसीय मार्च 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चला। इस मार्च का एक अन्य कारण यह था कि सविनय अवज्ञा आंदोलन को एक मजबूत उद्घाटन की आवश्यकता थी जो अधिक लोगों को गांधी के उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करे। गांधी ने इस मार्च की शुरुआत अपने 78 भरोसेमंद स्वयंसेवकों के साथ की थी।[1] मार्च 240 मील (390 किमी), साबरमती आश्रम से दांडी तक फैला, जिसे उस समय (अब गुजरात राज्य में) नवसारी कहा जाता था।[2]रास्ते में भारतीयों की बढ़ती संख्या उनके साथ जुड़ गई। जब गांधी ने 6 अप्रैल 1930 को सुबह 8:30 बजे ब्रिटिश राज नमक कानूनों को तोड़ा, तो इसने लाखों भारतीयों द्वारा नमक कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा के कृत्यों को जन्म दिया।.[3] Table of Contents Show • • • • • • दांडी में वाष्पीकरण द्वारा नमक बनाने के बाद, गांधी तट के साथ दक्षिण की ओर बढ़ते रहे, नमक बनाते रहे और रास्ते में सभाओं को संबोधित करते रहे। कांग्रेस पार्टी ने दांडी से 130,000फीट (40कि॰मी॰) दक्षिण में धरसाना साल्ट वर्क्स में सत्याग्रह करने की योजना बनाई। हालाँकि, गांधी को धरसाना में नियोजित कार्रवाई से कुछ दिन पहले 4-5 मई 1930 की मध्यरात्रि को गिरफ्तार कर लिया गया था। दांडी मार्च और आगामी धरसाना सत्याग्रह ने व्यापक समाचार पत्...

भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? – ElegantAnswer.com

भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है? इसे सुनेंरोकेंसविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil disobedience movement in Hindi) का प्रारंभ महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में किया गया था। इस आंदोलन की शुरुआत गांधी जी के दांडी मार्च यात्रा से हुई थी। गांधीजी तथा साबरमती आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने 12 मार्च,1930 से अहमदाबाद से 241 मील की दूरी पर स्थित एक गांव के लिए यात्रा प्रारंभ कर दी। सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों चलाया गया? इसे सुनेंरोकेंसविनय अवज्ञा आन्दोलन (Civil Disobedience Movement) की शुरुआत नमक कानून के उल्लंघन से हुई. उन्होंने समुद्र तट के एक गाँव दांडी (Dandi, Gujarat) जाकर नमक कानून को तोड़ा. सारा देश जाग उठा. हर आदमी गाँधीजी के नेतृत्व की राह देख रहा था. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब चलाया गया? इसे सुनेंरोकेंचौबीस दिवसीय मार्च 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चला। इस मार्च का एक अन्य कारण यह था कि सविनय अवज्ञा आंदोलन को एक मजबूत उद्घाटन की आवश्यकता थी जो अधिक लोगों को गांधी के उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करे। सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और क्यों शुरू किया गया? इसे सुनेंरोकेंनई दिल्ली: दांडी मार्च जिसे नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो सन् 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी. बता दें, आज ही के दिन महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने ‘दांडी मार्च’ (Dandi March) की शुरुआत की थी. सविनय अवज्ञा आंदोलन किसके नेतृत्व में किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इसे सुनेंरोकेंसविनय अवज्ञा आन्दोलन. महा...

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महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की गयी जिसका प्रारंभ गाँधी जी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुआ| 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम से गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए पैदल यात्रा आरम्भ की| 1930 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की गयी जिसका प्रारंभ गाँधी जी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुआ| 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से गाँधी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दूर स्थित भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक गाँव, के लिए पैदल यात्रा आरम्भ की| वे 6 अप्रैल ,1930 को दांडी पहुंचे,जहाँ उन्होंने नमक कानून तोड़ा| उस समय किसी के द्वारा नमक बनाना गैर क़ानूनी था क्योंकि इस पर सरकार का एकाधिकार था| गाँधी जी ने समुद्री जल के वाष्पीकरण से बने नमक को मुट्ठी में उठाकर सरकार की अवज्ञा की| नमक कानून की अवज्ञा के साथ ही पूरे देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रसार हो गया| इस आन्दोलन के प्रथम चरण में नमक बनाने की घटनाएँ पूरे देश में घटित हुई और नमक बनाना लोगों द्वारा सरकारी अवज्ञा का प्रतीक बन गया| तमिलनाडु में सी.राजगोपालाचारी ने दांडी मार्च जैसे ही एक मार्च का आयोजन तिरुचिरापल्ली से वेदारंयम तक किया| प्रसिद्ध कवयित्री सरोजिनी नायडू,जो कांग्रेस की महत्वपूर्ण नेता थी और कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही थी, ने सरकार के धरसना (गुजरात) स्थित नमक कारखाने पर अहिंसक सत्याग्रहियों के मार्च का नेतृत्व किया| सरकार द्वरा बर्बरतापूर्वक किये गए लाठी चार्ज में 300 से अधिक लोग घायल हुए और दो लोगों की मौत हो गयी| धरना, हड़ताल व विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कि...

दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कब हुई?

विषयसूची Show • • • • • • द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन करने का कारण-गांधी इरविन पैक्ट समझौता की शर्तों को ना मानना ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य देने की बात स्वीकार नहीं करना द्वितीय अवज्ञा आंदोलन का प्रथम स्थगन-8 मई 1933 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन का अंतिम-स्थगन 7 अप्रैल 1934 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद करने की घोषणा-18 19 मई 1934 द्वितीय सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के दो प्रमुख कारण है 1. प्रथम-इरविन की जगह नियुक्त हुए गवर्नर जनरल वेलिगंटन द्वारा इरविन समझौते को लागू नहीं किया जाना और आंदोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक कार्यवाही करना 2. दुसरा-महात्मा गांधी का द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में ब्रिटिश सरकार के व्यवहार से निराश होना और ब्रिटिश सरकार द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य की मांग को स्वीकार करना • महात्मा गांधी जी की इंग्लैंड प्रवास के समय इस आंदोलन को सरकार ने बर्बरता से दबाना चाहा • इस बीच देश के अनेक भागों में किसानों में असंतोष की लहर फेल चुकी थी • विश्वव्यापी मंदी के कारण खेतिहर पैदावार के दाम गिर गए थे और लगान व मालगुजारी का बोझ उनके लिए असहनीय हो गया था • दिसंबर 1930 में कांग्रेस ने “न लगाना न टैक्स देने” का अभियान चलाया था • फलस्वरूप 26 दिसंबर 1930 को जवाहर लाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया • पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में सरकार की मालगुजारी संबंधी नीति के खिलाफ खुदाई खिदमतगार किसान आंदोलन चला रहे थे • 24 दिसंबर को उनके नेता खान अब्दुल गफ्फार खाँ को भी गिरफ्तार कर लिया गया था • किसान आंदोलन पूरे देश में तेजी के साथ फेल रहा था • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के बाद भारत आते ही गांधीजी ने पुनः आंदोलन की बागडोर संभाली • 1 जनवरी 1932 को कांग्रेस कार्यसमिति ने सवि...

गांधी जी के तीन प्रमुख आंदोलन

4.3 भारत छोड़ो आंदोलन कब और क्यों समाप्त किया गया : गांधी जी के तीन प्रमुख आंदोलन – इस पोस्ट में हम हमारे देश के राष्ट्रपिता और देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी जी के तीन प्रमुख आंदोलनों के बारे में पढ़ेंगे। हम जानेंगे कि वो आंदोलन कोन कोन से थे, वो कब और क्यों किए गए उनका महत्व क्या रहा। जिसे असहयोग आंदोलन के रूप में गांधी जी ने नेतृत्व प्रदान किया। असहयोग आंदोलन को शुरू होने के मुख्य कारण थे : प्रथम विश्व युद्ध के बाद के आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे और आम जनता को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। रॉलेट एक्ट – मार्च 1919 में ब्रिटिश भारत सरकार ने केंद्रीय विधान परिषद के एक – एक भारतीय सदस्य द्वारा विरोध के बावजूद रॉलेट एक्ट बनाया, इस कानून में सरकार को अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए और बिना दंड दिए जेल में बंद कर सके। कैदी को अदालत में प्रत्यक्ष उपस्थिति करने का जो कानून ब्रिटेन में नागरिक स्वाधीनता की बुनियाद था उसे भी निलंबित करने का अधिकार सरकार ने रॉलेट कानून से प्राप्त कर लिया। इस एक्ट के विरुद्ध मार्च / अप्रैल 1919 में सत्याग्रह किया गया जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी जी ने किया। मांटेंग्यू – चेम्सफोर्ड – सुधार ब्रिटिश सरकार के भारत मंत्री एडमिन माटेंग्यू तथा वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने 1918 में संविधान सुधारों की एक योजना सामने रखी जिनके आधार पर 1919 का भारत सरकार कानून बनाया गया यह कानून दोहरी शासन प्रणाली के लिए लाया गया था। जलियांवाला बाग हत्याकांड – रॉलेट एक्ट के विरुद्ध गांधी जी के आह्वाहन पर – पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को एक निहत्थे मगर भारी भीड़ अपने लोकप्रिय नेताओं ड...