सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है लिखिए

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  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या अर्थ होता है?
  3. [Solved] सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या थ�
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सविनय अवज्ञा आन्दोलन

1930 में स्वतंत्रता दिवस का पालन गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुभारंभ के बाद किया गया था। इसकी शुरुआत गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई। 12 मार्च 1930 को, गांधी ने अहमदबाद से लगभग 385 किमी की दूरी पर, भारत के पश्चिमी समुद्र-तट पर बसे गांव दांडी के लिए आश्रम के 78 अन्य सदस्यों के साथ पैदल साबरमती आश्रम छोड़ दिया। वे 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचे। वहां गांधी ने नमक कानून तोड़ा। किसी के लिए भी नमक बनाना गैरकानूनी था क्योंकि यह सरकार का एकाधिकार था। गांधी ने समुद्र के वाष्पीकरण द्वारा बनाई गई मुट्ठी भर नमक उठाकर सरकार को ललकारा। नमक कानून की अवहेलना के बाद पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रसार हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन के पहले चरण में पूरे देश में नमक का प्रसार करना, यह लोगों की सरकार की अवहेलना का प्रतीक बन गया। तमिलनाडु में, सी। राजगोपालाचारी ने दांडी मार्च के समान त्रिचिनोपोली से वेदारन्यम तक मार्च का नेतृत्व किया। गुजरात के धरसाना में, सरोजिनी नायडू, प्रसिद्ध कवयित्री जो कांग्रेस की एक प्रमुख नेता थीं और कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, उन्होंने सरकार के स्वामित्व वाले नमक डिपो के लिए एक मार्च में अहिंसक सत्याग्रहियों का नेतृत्व किया। नवंबर 1930 में, ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन द्वारा प्रस्तावित सुधारों पर विचार करने के लिए लंदन में पहला गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया। कांग्रेस, जो देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रही थी, ने इसका बहिष्कार किया। लेकिन इसमें भारतीय राजकुमारों, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और कुछ अन्य लोगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लेकिन इससे कुछ नहीं निकला। ब्रिटिश सरकार जानती थी कि कांग्रेस की भागीदारी के बिना, संवैधानिक परिवर्तनों पर कोई निर्णय भार...

सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या अर्थ होता है?

सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए? सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधी जी के द्वारा 1950 में शुरू किया गया था जिसका मतलब होता है। बिना हिंसा से के किसी भी सरकारी आदेश के अवहेलना करना। जल्दी ही बड़ी संख्या में लोग इस आन्दोलन से जुड़ गये और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत तब हुई जब 51st January 1950 को गांधीजी ने लार्ड इरविन को अपनी कुछ मांगो के सम्बन्ध में बताया और उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया तो आखिरकार गांधीजी को इस आन्दोलन को शुरू करना पड़ा और इसकी शुरुआत नमक सत्याग्रह से हुई। तो चलिए इसी बारे में कुछ और बातें करते है - सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी लार्ड इरविन ने जब गांधीजी की ग्यारह मांगो को पूरा करने से मना कर दिया तो सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई। गाँधी जी ने जो मांगे इरविन के सामने रखी उनमे से कुछ निम्न है - • सिविल क्षेत्र और सेना के खर्च में 50 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए। • नशीली चीजो की बिक्री पर बैन होना चाहिए। • शस्त्र कानून में बदलाव होना चाहिए और भारतीयों को भी अपनी आत्मरक्षा के लिएहथियार रखे जाने की अनुमति होनी चाहिए। • सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाना चाहिए। • डाक आरक्षण बिल पास होना चाहिए। • किसानों पर लगने वाले कर में 50 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए। • नमक पर लगने वाले टैक्स को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और इस पर सरकारी नियंत्रण और एकाधिकार को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए। 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ...

[Solved] सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या थ�

सही उत्तर विकल्प 4अर्थात नमक कर के विरुद्ध है । सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) : • सविनय अवज्ञा आंदोलन मार्च 1930 में गांधी के नेतृत्व में शुरू किया गया था। • इसकी शुरुआत गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई। • सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक कर के खिलाफ था। • सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत के दौरान लॉर्ड इरविन वाइसराय थे। • नमक मार्च को नमक सत्याग्रह, दांडी मार्च या सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। गोलमेज सम्मेलन : • प्रथम गोलमेज सम्मेलन1930 में आयोजित किया गया था। • डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने पहले गोलमेज सम्मेलन में 'अछूतों' के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मांग की। • दूसरा गोलमेज सम्मेलन वर्ष 1931 में आयोजित किया गया। • दूसरे गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी ने भाग लिया। • तीसरा गोलमेज सम्मेलन 1930 और 1932 के बीच आयोजित ऐसे तीन सम्मेलनों में अंतिम था। • तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर, 1932 को लंदन में आयोजित किया गया था। • कांग्रेस तीसरे दौर के गोलमेजसम्मेलनों में शामिल नहीं हुई। • इन्हीं सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार अधिनियम, 1935 पारित किया गया। • बी.आर. अंबेडकर और तेज बहादुर सप्रू ने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में हिस्सा लिया। अगस्त प्रस्ताव(1940) : • 8 अगस्त को लॉर्ड लिनलिथगो ने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समर्थन पाने के लिए कुछ उपायों का सुझाव दिया, जिसे अगस्त प्रस्ताव या लिनलिथगो के प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। • अधिक संख्या में भारतीयों को शामिल करके वायसराय कार्यकारी परिषद का तत्काल विस्तार। • एक युद्ध सलाहकार परिषद। • युद्ध के बाद संविधान बनाने वाली संस्था। • भारत में सभी संवैधानिक समझौतों को अल्पसंख्यक सम...

सविनय अवज्ञा आन्दोलन

1930 में स्वतंत्रता दिवस का पालन गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुभारंभ के बाद किया गया था। इसकी शुरुआत गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई। 12 मार्च 1930 को, गांधी ने अहमदबाद से लगभग 385 किमी की दूरी पर, भारत के पश्चिमी समुद्र-तट पर बसे गांव दांडी के लिए आश्रम के 78 अन्य सदस्यों के साथ पैदल साबरमती आश्रम छोड़ दिया। वे 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचे। वहां गांधी ने नमक कानून तोड़ा। किसी के लिए भी नमक बनाना गैरकानूनी था क्योंकि यह सरकार का एकाधिकार था। गांधी ने समुद्र के वाष्पीकरण द्वारा बनाई गई मुट्ठी भर नमक उठाकर सरकार को ललकारा। नमक कानून की अवहेलना के बाद पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रसार हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन के पहले चरण में पूरे देश में नमक का प्रसार करना, यह लोगों की सरकार की अवहेलना का प्रतीक बन गया। तमिलनाडु में, सी। राजगोपालाचारी ने दांडी मार्च के समान त्रिचिनोपोली से वेदारन्यम तक मार्च का नेतृत्व किया। गुजरात के धरसाना में, सरोजिनी नायडू, प्रसिद्ध कवयित्री जो कांग्रेस की एक प्रमुख नेता थीं और कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, उन्होंने सरकार के स्वामित्व वाले नमक डिपो के लिए एक मार्च में अहिंसक सत्याग्रहियों का नेतृत्व किया। नवंबर 1930 में, ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन द्वारा प्रस्तावित सुधारों पर विचार करने के लिए लंदन में पहला गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया। कांग्रेस, जो देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रही थी, ने इसका बहिष्कार किया। लेकिन इसमें भारतीय राजकुमारों, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और कुछ अन्य लोगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लेकिन इससे कुछ नहीं निकला। ब्रिटिश सरकार जानती थी कि कांग्रेस की भागीदारी के बिना, संवैधानिक परिवर्तनों पर कोई निर्णय भार...

सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या अर्थ होता है?

सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए? सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधी जी के द्वारा 1950 में शुरू किया गया था जिसका मतलब होता है। बिना हिंसा से के किसी भी सरकारी आदेश के अवहेलना करना। जल्दी ही बड़ी संख्या में लोग इस आन्दोलन से जुड़ गये और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत तब हुई जब 51st January 1950 को गांधीजी ने लार्ड इरविन को अपनी कुछ मांगो के सम्बन्ध में बताया और उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया तो आखिरकार गांधीजी को इस आन्दोलन को शुरू करना पड़ा और इसकी शुरुआत नमक सत्याग्रह से हुई। तो चलिए इसी बारे में कुछ और बातें करते है - सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी लार्ड इरविन ने जब गांधीजी की ग्यारह मांगो को पूरा करने से मना कर दिया तो सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई। गाँधी जी ने जो मांगे इरविन के सामने रखी उनमे से कुछ निम्न है - • सिविल क्षेत्र और सेना के खर्च में 50 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए। • नशीली चीजो की बिक्री पर बैन होना चाहिए। • शस्त्र कानून में बदलाव होना चाहिए और भारतीयों को भी अपनी आत्मरक्षा के लिएहथियार रखे जाने की अनुमति होनी चाहिए। • सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाना चाहिए। • डाक आरक्षण बिल पास होना चाहिए। • किसानों पर लगने वाले कर में 50 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए। • नमक पर लगने वाले टैक्स को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और इस पर सरकारी नियंत्रण और एकाधिकार को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए। 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ...

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सही उत्तर विकल्प 4अर्थात नमक कर के विरुद्ध है । सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) : • सविनय अवज्ञा आंदोलन मार्च 1930 में गांधी के नेतृत्व में शुरू किया गया था। • इसकी शुरुआत गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई। • सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नमक कर के खिलाफ था। • सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत के दौरान लॉर्ड इरविन वाइसराय थे। • नमक मार्च को नमक सत्याग्रह, दांडी मार्च या सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। गोलमेज सम्मेलन : • प्रथम गोलमेज सम्मेलन1930 में आयोजित किया गया था। • डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने पहले गोलमेज सम्मेलन में 'अछूतों' के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मांग की। • दूसरा गोलमेज सम्मेलन वर्ष 1931 में आयोजित किया गया। • दूसरे गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी ने भाग लिया। • तीसरा गोलमेज सम्मेलन 1930 और 1932 के बीच आयोजित ऐसे तीन सम्मेलनों में अंतिम था। • तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर, 1932 को लंदन में आयोजित किया गया था। • कांग्रेस तीसरे दौर के गोलमेजसम्मेलनों में शामिल नहीं हुई। • इन्हीं सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार अधिनियम, 1935 पारित किया गया। • बी.आर. अंबेडकर और तेज बहादुर सप्रू ने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में हिस्सा लिया। अगस्त प्रस्ताव(1940) : • 8 अगस्त को लॉर्ड लिनलिथगो ने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समर्थन पाने के लिए कुछ उपायों का सुझाव दिया, जिसे अगस्त प्रस्ताव या लिनलिथगो के प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। • अधिक संख्या में भारतीयों को शामिल करके वायसराय कार्यकारी परिषद का तत्काल विस्तार। • एक युद्ध सलाहकार परिषद। • युद्ध के बाद संविधान बनाने वाली संस्था। • भारत में सभी संवैधानिक समझौतों को अल्पसंख्यक सम...

सविनय अवज्ञा आन्दोलन

1930 में स्वतंत्रता दिवस का पालन गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुभारंभ के बाद किया गया था। इसकी शुरुआत गांधी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई। 12 मार्च 1930 को, गांधी ने अहमदबाद से लगभग 385 किमी की दूरी पर, भारत के पश्चिमी समुद्र-तट पर बसे गांव दांडी के लिए आश्रम के 78 अन्य सदस्यों के साथ पैदल साबरमती आश्रम छोड़ दिया। वे 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचे। वहां गांधी ने नमक कानून तोड़ा। किसी के लिए भी नमक बनाना गैरकानूनी था क्योंकि यह सरकार का एकाधिकार था। गांधी ने समुद्र के वाष्पीकरण द्वारा बनाई गई मुट्ठी भर नमक उठाकर सरकार को ललकारा। नमक कानून की अवहेलना के बाद पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रसार हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन के पहले चरण में पूरे देश में नमक का प्रसार करना, यह लोगों की सरकार की अवहेलना का प्रतीक बन गया। तमिलनाडु में, सी। राजगोपालाचारी ने दांडी मार्च के समान त्रिचिनोपोली से वेदारन्यम तक मार्च का नेतृत्व किया। गुजरात के धरसाना में, सरोजिनी नायडू, प्रसिद्ध कवयित्री जो कांग्रेस की एक प्रमुख नेता थीं और कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, उन्होंने सरकार के स्वामित्व वाले नमक डिपो के लिए एक मार्च में अहिंसक सत्याग्रहियों का नेतृत्व किया। नवंबर 1930 में, ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन द्वारा प्रस्तावित सुधारों पर विचार करने के लिए लंदन में पहला गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया। कांग्रेस, जो देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ रही थी, ने इसका बहिष्कार किया। लेकिन इसमें भारतीय राजकुमारों, मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और कुछ अन्य लोगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लेकिन इससे कुछ नहीं निकला। ब्रिटिश सरकार जानती थी कि कांग्रेस की भागीदारी के बिना, संवैधानिक परिवर्तनों पर कोई निर्णय भार...

सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्या अर्थ होता है?

सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए? सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधी जी के द्वारा 1950 में शुरू किया गया था जिसका मतलब होता है। बिना हिंसा से के किसी भी सरकारी आदेश के अवहेलना करना। जल्दी ही बड़ी संख्या में लोग इस आन्दोलन से जुड़ गये और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत तब हुई जब 51st January 1950 को गांधीजी ने लार्ड इरविन को अपनी कुछ मांगो के सम्बन्ध में बताया और उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया तो आखिरकार गांधीजी को इस आन्दोलन को शुरू करना पड़ा और इसकी शुरुआत नमक सत्याग्रह से हुई। तो चलिए इसी बारे में कुछ और बातें करते है - सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी लार्ड इरविन ने जब गांधीजी की ग्यारह मांगो को पूरा करने से मना कर दिया तो सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई। गाँधी जी ने जो मांगे इरविन के सामने रखी उनमे से कुछ निम्न है - • सिविल क्षेत्र और सेना के खर्च में 50 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए। • नशीली चीजो की बिक्री पर बैन होना चाहिए। • शस्त्र कानून में बदलाव होना चाहिए और भारतीयों को भी अपनी आत्मरक्षा के लिएहथियार रखे जाने की अनुमति होनी चाहिए। • सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाना चाहिए। • डाक आरक्षण बिल पास होना चाहिए। • किसानों पर लगने वाले कर में 50 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए। • नमक पर लगने वाले टैक्स को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और इस पर सरकारी नियंत्रण और एकाधिकार को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए। 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ...

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सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए? सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधी जी के द्वारा 1950 में शुरू किया गया था जिसका मतलब होता है। बिना हिंसा से के किसी भी सरकारी आदेश के अवहेलना करना। जल्दी ही बड़ी संख्या में लोग इस आन्दोलन से जुड़ गये और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत तब हुई जब 51st January 1950 को गांधीजी ने लार्ड इरविन को अपनी कुछ मांगो के सम्बन्ध में बताया और उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया तो आखिरकार गांधीजी को इस आन्दोलन को शुरू करना पड़ा और इसकी शुरुआत नमक सत्याग्रह से हुई। तो चलिए इसी बारे में कुछ और बातें करते है - सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी लार्ड इरविन ने जब गांधीजी की ग्यारह मांगो को पूरा करने से मना कर दिया तो सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई। गाँधी जी ने जो मांगे इरविन के सामने रखी उनमे से कुछ निम्न है - • सिविल क्षेत्र और सेना के खर्च में 50 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए। • नशीली चीजो की बिक्री पर बैन होना चाहिए। • शस्त्र कानून में बदलाव होना चाहिए और भारतीयों को भी अपनी आत्मरक्षा के लिएहथियार रखे जाने की अनुमति होनी चाहिए। • सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया जाना चाहिए। • डाक आरक्षण बिल पास होना चाहिए। • किसानों पर लगने वाले कर में 50 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए। • नमक पर लगने वाले टैक्स को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और इस पर सरकारी नियंत्रण और एकाधिकार को ख़त्म कर दिया जाना चाहिए। 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ...