स्वपरागण और पर परागण में अंतर

  1. NCERT Class 10th science Important Questions 2021
  2. परागण (Pallination) किसे कहते हैं? (What Is Pallination In Hindi)
  3. परागण क्या है
  4. स्व और क्रॉस परागण के बीच अंतर
  5. परागण (Pallination) किसे कहते हैं? (What Is Pallination In Hindi)
  6. स्व और क्रॉस परागण के बीच अंतर
  7. NCERT Class 10th science Important Questions 2021
  8. परागण क्या है


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NCERT Class 10th science Important Questions 2021

अम्ल अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं यह नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं। जल में विलय होकर H+ आयन देते हैं। अम्ल क्षारकों को उदासीन करते हैं। धातु कार्बोनेटो से किया करके CO2 गैस निकालते हैं क्षार क्षार स्वाद कड़वे (कसैले) होते हैं। यह लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं। जल में विलय होकर OH- आयन देते हैं क्षार अम्लों को उदासीन करते हैं। यह CO2 गैस नहीं निकालते हैं। Supplementary important question class 10th science Que.3धातु और अधातु में भौतिक गुणों में अंतर स्पष्ट कीजिए। Que.4धातु और अधातु में रासायनिक गुणों में अंतर स्पष्ट कीजिए। Que 5.साबुन और अपमार्जक में अंतर लिखिए। Ans- साबुन 1-साबुन और जादू बाहर वाले कार बॉक्स लेकर के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं। 2-यह केवल मृदु जल के साथ ही झाग उत्पन्न करते हैं। 3-यह कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम हुआ मैग्नीशियम लवणों के साथ अविलय पदार्थ बनाते हैं 4-साबुन अपमार्जक की तुलना में कपड़े कम साफ करते हैं। अपमार्जक 1-अपमार्जक लंबी श्रंखला वाले एल्किल अथवा एरियल सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। 2-यह कठोर एवं मृदु दोनों प्रकार के जल के साथ झाग उत्पन्न करते हैं। 3-यह कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम लवणों के साथ अविलय पदार्थ नहीं बनाते हैं। 4-अपमार्जक साबुन की तुलना में कपड़े अधिक साफ करते हैं। Que. 6मिश्र धातु क्या है ? किन्हीं तीन मिश्र धातुओं के नाम संगठन तथा उपयोग लिखिए। Que. 7धमनी एवं शिरा में अंतर लिखिए। Que 8 .रक्त और लसिका में अंतर लिखिए। Ans- रक्त (Blood) 1-यह गहरी लाल रंग का ऊतक द्रव है 2-इस में लाल रक्त कणिकाएं उपस्थित होती हैं। 3-इसमें श्वेत रक्त कणिकाएं कम संख्या में होती है। 4-इसमें अपशिष्ट पदार्थ कम मात्रा में...

परागण (Pallination) किसे कहते हैं? (What Is Pallination In Hindi)

जानें इस पोस्ट में क्या-क्या है? • • • • • परागण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं? परागण – पुंकेसर के परागकोष से परागकणों का उसी पुष्प के वर्तिकाग्र या किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचने की क्रिया को पारागणों के प्रकार – परागण दो प्रकार के होते हैं। • 1. स्वपरागण • 2. परपरागण 1.स्वपरागण (Self Pallination) – जब परागकोष से परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं तो उसे स्वपरागकण कहते हैं। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। और यह क्रिया केवल द्विलिंगी पुष्पों में पाई जाती है। इस क्रिया के पुष्प रंगहीन एवं गंधहीन होते हैं। 2. परपरागण (Cross Pallination) – जब परागकोष से परागकण किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं तो उसे परपरागकण कहते हैं। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। और यह क्रिया एकलिंगी व द्विलिंगी दोनों प्रकार के पुष्पों में पाई जाती है। और इस क्रिया के पुष्प रंगहीन व सुगंधित होते हैं। परागण (Pallination) किसे कहते हैं। स्वपरागण और परपरागण में क्या अंतर है? स्वपरागण और परपरागण में अंतर – S.N स्वपरागण परपरागण 1. इस क्रिया में पराकोष से परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं। इस क्रिया में परागकोष से परागकण किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं। 2. इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। 3. यह क्रिया केवल द्विलिंगी पुष्प में पाई जाती है। यह क्रिया एकलिंगी व द्विलिंगी दोनों प्रकार के पुष्पों में पाई जाती है। 4. इस क्रिया के पुष्प रंगहीन एवं गंधहीन होते हैं। इस क्रिया के पुष्प रंगीन और सुगंधित होते हैं। 5. यह क्रिया सुलभ एवं आसान है। ...

परागण क्या है

Table of Contents • • • What Is Pollination In Hindi परागण :- पुंकेसर में उपस्थित पराग कणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचना परागण कहलाता है। • परागण के लिए किसी क्रमक या साधन की आवश्यकता होती है। • पराग कणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। • अंकुरण के पश्चात बनाने वाली पराग नली से युग्म को का स्थानांतरण होता है। एकलिंगता :- प्रकृति में पाए जाने वाले अनेक पौधों पर एक लिंग पुष्प लगते हैं। इन पुष्पों में पर परागण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। उदा. पपीता, ताड़ इत्यादि। द्विलिंगता :- सामान्य पुष्पा द्विलिंगी होते हैं। जिनमें स्वपरागण होता है। Types Of Pollination In Hindi परागण के प्रकार :- परागण मुख्यतः दो प्रकार का होता है। • स्वपरागण • पर परागण स्वपरागण :- जब किसी एक पुष्प के पराकाम उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तो उसे स्वपरागण करते हैं। सामान्यतः स्वपरागण द्विलिंगी पुष्प में होता है। स्वपरागण दो प्रकार का होता है। • स्वयुग्मक • सजात पुष्पी परागण स्वयुग्मक परागण :- द्विलिंगी पुष्पों में एक ही पुष्प के परागकण उसी के वर्तिका ग्रह पर गिरते हैं तो स्वयुग्मक कहलाता है। उदा. मटर, चना, सरसों इत्यादि। सजात पुष्पी परागण :- जब किसी एक ही प्रकार के पौधे पर एक ही प्रकार के पुष्प लगते हैं तो इनकी बीच होने वाले परागण को सजात पुष्पी परागण कहते हैं। उदा. मक्का, लौकी, खीरा, ककड़ी इत्यादि। स्वपरागण के लिए युक्तियां अनुकूलन :- अनुनमिल्ये पुष्प :- जब किसी पौधे के पुष्प स्वपरागण तक अथवा सदैव बंद रहते हैं। उन्हें अनुनमिल्ये पुष्प कहा जाता है। इन पुष्पों में केवल स्वपरागण संभव है। उदा. मेहंदी इत्यादि। समकाल पंबता :- जब किसी पुष्प के स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर एक ही समय पर परिपक्व होते हैं।...

स्व और क्रॉस परागण के बीच अंतर

मुख्य अंतर - स्व बनाम क्रॉस परागण यौन प्रजनन के दौरान पौधों में परागण की दो विधियाँ स्व और पर परागण हैं। स्व-परागण के दौरान, परागकणों को एक फूल के परागकोश से या तो उसी फूल के वर्तिकाग्र या उसी पौधे के भिन्न फूल में स्थानांतरित किया जाता है। इसके विपरीत, परागकणों को एक फूल के परागकोश से पार परागण के दौरान एक ही प्रजाति के एक अलग पौधे के एक अलग फूल में स्थानांतरित किया जाता है। NS मुख्य अंतर स्वयं और पर परागण के बीच संतान की प्रकृति है; स्वपरागण द्वारा शुद्ध वंशज प्राप्त की जा सकती है जबकि अनुवांशिक विविधताओं वाली संतानों को क्रॉस परागण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है. यह लेख देखता है, 1. स्व परागण क्या है - लक्षण, तंत्र, संतान 2. क्रॉस परागण क्या है - लक्षण, तंत्र, संतान 3. स्व और क्रॉस परागण में क्या अंतर है स्व परागण क्या है एक फूल के परागकोष से परागकणों का एक ही फूल के वर्तिकाग्र पर या एक ही पौधे में भिन्न फूल के वर्तिकाग्र पर जमा होना स्वपरागण कहलाता है। आनुवंशिक रूप से समान फूलों के परागकोशों और कलंक के बीच स्व-परागण होता है, जिससे माता-पिता को आनुवंशिक रूप से समान संतान उत्पन्न होती है। स्व-परागण करने वाले पौधों में कई प्रकार की प्रजनन विधियाँ देखी जाती हैं। एक ही फूल के भीतर परागण कहलाता है ऑटोगैमी. कुछ पौधों में, कई फूल एक ही तने से जुड़े होते हैं। इन फूलों में विभिन्न फूलों के परागकण एक ही तने में फूलों को परागित करते हैं। यह कहा जाता है गीतोनोगैमी. कार्पेल और पुंकेसर समान लंबाई के होते हैं, जो फूलों में एक साथ समूहित होते हैं, जो जियटोनोगैमी का उपयोग करते हैं। कुछ फूल खुलने से पहले ही स्वपरागित हो जाते हैं। यह कहा जाता है क्लिस्टोगैमी. क्लिस्टोगैमी प्रदर्शित करने व...

परागण (Pallination) किसे कहते हैं? (What Is Pallination In Hindi)

जानें इस पोस्ट में क्या-क्या है? • • • • • परागण किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं? परागण – पुंकेसर के परागकोष से परागकणों का उसी पुष्प के वर्तिकाग्र या किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचने की क्रिया को पारागणों के प्रकार – परागण दो प्रकार के होते हैं। • 1. स्वपरागण • 2. परपरागण 1.स्वपरागण (Self Pallination) – जब परागकोष से परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं तो उसे स्वपरागकण कहते हैं। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। और यह क्रिया केवल द्विलिंगी पुष्पों में पाई जाती है। इस क्रिया के पुष्प रंगहीन एवं गंधहीन होते हैं। 2. परपरागण (Cross Pallination) – जब परागकोष से परागकण किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं तो उसे परपरागकण कहते हैं। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। और यह क्रिया एकलिंगी व द्विलिंगी दोनों प्रकार के पुष्पों में पाई जाती है। और इस क्रिया के पुष्प रंगहीन व सुगंधित होते हैं। परागण (Pallination) किसे कहते हैं। स्वपरागण और परपरागण में क्या अंतर है? स्वपरागण और परपरागण में अंतर – S.N स्वपरागण परपरागण 1. इस क्रिया में पराकोष से परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं। इस क्रिया में परागकोष से परागकण किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं। 2. इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। इस क्रिया के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। 3. यह क्रिया केवल द्विलिंगी पुष्प में पाई जाती है। यह क्रिया एकलिंगी व द्विलिंगी दोनों प्रकार के पुष्पों में पाई जाती है। 4. इस क्रिया के पुष्प रंगहीन एवं गंधहीन होते हैं। इस क्रिया के पुष्प रंगीन और सुगंधित होते हैं। 5. यह क्रिया सुलभ एवं आसान है। ...

स्व और क्रॉस परागण के बीच अंतर

मुख्य अंतर - स्व बनाम क्रॉस परागण यौन प्रजनन के दौरान पौधों में परागण की दो विधियाँ स्व और पर परागण हैं। स्व-परागण के दौरान, परागकणों को एक फूल के परागकोश से या तो उसी फूल के वर्तिकाग्र या उसी पौधे के भिन्न फूल में स्थानांतरित किया जाता है। इसके विपरीत, परागकणों को एक फूल के परागकोश से पार परागण के दौरान एक ही प्रजाति के एक अलग पौधे के एक अलग फूल में स्थानांतरित किया जाता है। NS मुख्य अंतर स्वयं और पर परागण के बीच संतान की प्रकृति है; स्वपरागण द्वारा शुद्ध वंशज प्राप्त की जा सकती है जबकि अनुवांशिक विविधताओं वाली संतानों को क्रॉस परागण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है. यह लेख देखता है, 1. स्व परागण क्या है - लक्षण, तंत्र, संतान 2. क्रॉस परागण क्या है - लक्षण, तंत्र, संतान 3. स्व और क्रॉस परागण में क्या अंतर है स्व परागण क्या है एक फूल के परागकोष से परागकणों का एक ही फूल के वर्तिकाग्र पर या एक ही पौधे में भिन्न फूल के वर्तिकाग्र पर जमा होना स्वपरागण कहलाता है। आनुवंशिक रूप से समान फूलों के परागकोशों और कलंक के बीच स्व-परागण होता है, जिससे माता-पिता को आनुवंशिक रूप से समान संतान उत्पन्न होती है। स्व-परागण करने वाले पौधों में कई प्रकार की प्रजनन विधियाँ देखी जाती हैं। एक ही फूल के भीतर परागण कहलाता है ऑटोगैमी. कुछ पौधों में, कई फूल एक ही तने से जुड़े होते हैं। इन फूलों में विभिन्न फूलों के परागकण एक ही तने में फूलों को परागित करते हैं। यह कहा जाता है गीतोनोगैमी. कार्पेल और पुंकेसर समान लंबाई के होते हैं, जो फूलों में एक साथ समूहित होते हैं, जो जियटोनोगैमी का उपयोग करते हैं। कुछ फूल खुलने से पहले ही स्वपरागित हो जाते हैं। यह कहा जाता है क्लिस्टोगैमी. क्लिस्टोगैमी प्रदर्शित करने व...

NCERT Class 10th science Important Questions 2021

अम्ल अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं यह नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं। जल में विलय होकर H+ आयन देते हैं। अम्ल क्षारकों को उदासीन करते हैं। धातु कार्बोनेटो से किया करके CO2 गैस निकालते हैं क्षार क्षार स्वाद कड़वे (कसैले) होते हैं। यह लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं। जल में विलय होकर OH- आयन देते हैं क्षार अम्लों को उदासीन करते हैं। यह CO2 गैस नहीं निकालते हैं। Supplementary important question class 10th science Que.3धातु और अधातु में भौतिक गुणों में अंतर स्पष्ट कीजिए। Que.4धातु और अधातु में रासायनिक गुणों में अंतर स्पष्ट कीजिए। Que 5.साबुन और अपमार्जक में अंतर लिखिए। Ans- साबुन 1-साबुन और जादू बाहर वाले कार बॉक्स लेकर के सोडियम या पोटैशियम लवण होते हैं। 2-यह केवल मृदु जल के साथ ही झाग उत्पन्न करते हैं। 3-यह कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम हुआ मैग्नीशियम लवणों के साथ अविलय पदार्थ बनाते हैं 4-साबुन अपमार्जक की तुलना में कपड़े कम साफ करते हैं। अपमार्जक 1-अपमार्जक लंबी श्रंखला वाले एल्किल अथवा एरियल सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण होते हैं। 2-यह कठोर एवं मृदु दोनों प्रकार के जल के साथ झाग उत्पन्न करते हैं। 3-यह कठोर जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम लवणों के साथ अविलय पदार्थ नहीं बनाते हैं। 4-अपमार्जक साबुन की तुलना में कपड़े अधिक साफ करते हैं। Que. 6मिश्र धातु क्या है ? किन्हीं तीन मिश्र धातुओं के नाम संगठन तथा उपयोग लिखिए। Que. 7धमनी एवं शिरा में अंतर लिखिए। Que 8 .रक्त और लसिका में अंतर लिखिए। Ans- रक्त (Blood) 1-यह गहरी लाल रंग का ऊतक द्रव है 2-इस में लाल रक्त कणिकाएं उपस्थित होती हैं। 3-इसमें श्वेत रक्त कणिकाएं कम संख्या में होती है। 4-इसमें अपशिष्ट पदार्थ कम मात्रा में...

परागण क्या है

Table of Contents • • • What Is Pollination In Hindi परागण :- पुंकेसर में उपस्थित पराग कणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचना परागण कहलाता है। • परागण के लिए किसी क्रमक या साधन की आवश्यकता होती है। • पराग कणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। • अंकुरण के पश्चात बनाने वाली पराग नली से युग्म को का स्थानांतरण होता है। एकलिंगता :- प्रकृति में पाए जाने वाले अनेक पौधों पर एक लिंग पुष्प लगते हैं। इन पुष्पों में पर परागण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। उदा. पपीता, ताड़ इत्यादि। द्विलिंगता :- सामान्य पुष्पा द्विलिंगी होते हैं। जिनमें स्वपरागण होता है। Types Of Pollination In Hindi परागण के प्रकार :- परागण मुख्यतः दो प्रकार का होता है। • स्वपरागण • पर परागण स्वपरागण :- जब किसी एक पुष्प के पराकाम उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तो उसे स्वपरागण करते हैं। सामान्यतः स्वपरागण द्विलिंगी पुष्प में होता है। स्वपरागण दो प्रकार का होता है। • स्वयुग्मक • सजात पुष्पी परागण स्वयुग्मक परागण :- द्विलिंगी पुष्पों में एक ही पुष्प के परागकण उसी के वर्तिका ग्रह पर गिरते हैं तो स्वयुग्मक कहलाता है। उदा. मटर, चना, सरसों इत्यादि। सजात पुष्पी परागण :- जब किसी एक ही प्रकार के पौधे पर एक ही प्रकार के पुष्प लगते हैं तो इनकी बीच होने वाले परागण को सजात पुष्पी परागण कहते हैं। उदा. मक्का, लौकी, खीरा, ककड़ी इत्यादि। स्वपरागण के लिए युक्तियां अनुकूलन :- अनुनमिल्ये पुष्प :- जब किसी पौधे के पुष्प स्वपरागण तक अथवा सदैव बंद रहते हैं। उन्हें अनुनमिल्ये पुष्प कहा जाता है। इन पुष्पों में केवल स्वपरागण संभव है। उदा. मेहंदी इत्यादि। समकाल पंबता :- जब किसी पुष्प के स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर एक ही समय पर परिपक्व होते हैं।...