स्वपरागण के उदाहरण

  1. स्वपरागण
  2. प्रकाश का परावर्तन, नियम, प्रकार, चित्र, उदाहरण, प्रशन, reflection of light in hindi
  3. स्वपरागण एवं पर
  4. स्वपरागण के लाभ एवं हानियाँ लिखिए।
  5. अनुस्वार और अनुनासिक वाले शब्द, उदाहरण, परिभाषा और अन्तर
  6. परागण


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स्वपरागण

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प्रकाश का परावर्तन, नियम, प्रकार, चित्र, उदाहरण, प्रशन, reflection of light in hindi

प्रकाश का परावर्तन प्रकाश का परावर्तन के उदाहरण आइए प्रकाश के परावर्तन को उदाहरण से समझते हैं। चित्र में आपतित किरण A तथा परावर्तित किरण B तथा अभिलंब N हैं। आपतन कोण को i तथा परावर्तन कोण को r द्वारा दर्शाया गया है। जब आपतित प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है। तो यह किरण दोनों माध्यमों को अलग करने वाली सीमा रेखा XY से टकराकर (या परावर्तित) होकर वापस पहले माध्यम में ही लौट आती है। इस पूरी प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। प्रकाश के परावर्तन के नियम प्रकाश के परावर्तन के दो नियम होते हैं। 1. आपतन कोण i, परावर्तन कोण r के बराबर होता है। कारण– क्योंकि चित्र में देख सकते हैं कि जब प्रकाश की किरण दूसरे माध्यम में जाती है तो वह वापस उसी माध्यम में परिवर्तित हो जाती है। लेकिन इस दौरान इनका (आपतित तथा परावर्तित) कोण बराबर रहता है। यानि जिस कोण से दूसरे माध्यम में जाती है। उसी कोण से वापस पहले माध्यम में लौट आती है। अर्थात् आपतन कोण = परावर्तन कोण या i = r आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं। कारण– चित्र में स्पष्ट किया गया है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में बिंदु O पर मिल रहे हैं। प्रकाश का परावर्तन के प्रशन प्रकाश के परिवर्तन संबंधी निम्न प्रकार से प्रश्न आते हैं उनमें से कुछ प्रकार यहां दिए गए हैं। • प्रकाश के परावर्तन को समझाइए तथा उदाहरण भी दीजिए? • आपतित किरण तथा परावर्तित किरण के बीच का कोण बराबर क्यों होता है। हल – क्योंकि प्रकाश की किरण जब पहले माध्यम से दूसरे माध्यम में जाकर वापस लौटती है तो किरण की आवृत्ति, तरंगदैर्ध्य तथा चाल में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इसलिए आपतित किरण तथा पराव...

स्वपरागण एवं पर

स्वपरागण (Self pollination) – जब किसी पौधे के पुष्प के परागकण, उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानानतरित होते हैं तो इसे स्वपरागण कहते हैं। उदाहरण– मटर (Pea)। पर-परागण (Cross-pollination) – जब एक पौधे के पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं, तो इसे पर-परागण कहते हैं। उदाहरण– ग्लोरिओसा। Categories • • (31.9k) • (8.8k) • (764k) • (261k) • (257k) • (218k) • (248k) • (2.9k) • (5.2k) • (664) • (121k) • (72.1k) • (3.8k) • (19.6k) • (1.4k) • (14.2k) • (12.5k) • (9.3k) • (7.7k) • (3.9k) • (6.7k) • (63.8k) • (26.6k) • (23.7k) • (14.6k) • (25.7k) • (530) • (84) • (766) • (49.1k) • (63.8k) • (1.8k) • (59.3k) • (24.5k)

स्वपरागण के लाभ एवं हानियाँ लिखिए।

स्वपरागण के लाभ(Advantages of self pollination) • इसमें अधिक संख्या में परागकणों की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि परागकणों का व्यर्थ व्यय अधिक नहीं होता है। • स्वपरागण की क्रिया सरल व सुलभ होती है। • स्वपरागण से उत्पन्न बीज शुद्ध नस्ली (Pure variety) होते हैं। • पुष्पों को रंग, सुगंध तथा मकरन्द स्रावित करने की आवश्यकता नहीं होती है। • स्वपरागण के अवसर अधिक होते हैं। स्वपरागण की हानियाँ(Disadvantage of Self Pollination) • स्वपरागण से उत्पन्न बीजों में संकर ओज (Hybrid vigoun) कम होता है। • स्वपरागित पुष्पों से उत्पन्न बीज संख्या में कम, हल्के व छोटे होते हैं। • परागण के बाद उत्पन्न पौधों में अच्छे वे स्वस्थ पौधों के गुणों का सम्मिश्रण नहीं हो पाता है। • इस परागण से उत्पन्न पौधे दुर्बल व अस्वस्थ होते हैं। • पादप विकास की सम्भावनाएँ कम हो जाती हैं।

अनुस्वार और अनुनासिक वाले शब्द, उदाहरण, परिभाषा और अन्तर

Anuswar Shabd: हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी शुद्ध रूप से बोलने और लिखने के लिए इसकी व्याकरण को समझना बहुत ही जरूरी है। बोलचाल की भाषा में हम भले ही हिंदी को बहुत ही आसान भाषा समझते हैं। लेकिन बोलचाल की भाषा में हम शुद्ध हिंदी का प्रयोग नहीं करते हैं। शुद्ध हिंदी बोलने के लिए या फिर लिखने के लिए इसकी विषय सूची • • • • • • • • • • • • अनुनासिक की परिभाषा (Anunasik Shabd) अनुनासिक ऐसे स्वर होते हैं, जिन का उच्चारण करते समय मुख और नाक दोनों का ही प्रयोग किया जाता है। इन स्वरों को लिखते समय उन पर चंद्रबिंदु (ँ) लगाया जाता है। चंद्रबिंदु शिरोरेखा के ऊपर लगता है। अनुनासिक शब्दों का जब उच्चारण किया जाता है तब मुंह से अधिक सांस निकलती है, वहीँ नाक से बहुत कम सांस निकलती हैं। अनुनासिक शब्द के उदाहरण जैसे – उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ,पहुँच, बाँधकर, मियाँ,अँगूठा, बूँदा-बाँदी, गाँव, आँखें, बाँधकर, अजाँ, आँगन, कँप-कँपी, ठूँस, गूँथ, साँस, दाँत, झाँका, मुँहजोर, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, कुआँ, काँप, मँहगाई, चाँद, भाँति, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर, फूँकना, भाँति, रँगी, काँव-काँव, ऊँचाई, मुँह, धुँधले, धुआँ, चाँद, झाँकते, अँधेर, माँ, टाँग, पाँच, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर, सूँड, दाँया, बाँया, रस्सियाँ, भँवर, झाँकना, आँचल, साँस, ऊँट, मुँह, बाँका, साँच आदि। अनुनासिक के स्थान पर बिंदु का प्रयोग उपरोक्त हमने जाना कि अनुनासिक स्वरूप को दर्शाने के लिए जिन शब्दों में उनका प्रयोग होता है, उन पर चंद्रबिंदु लगाया जाता है और अ, आ, उ, ऊ तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। लेकिन क्या आपके मन में यह प्रश्न आया है कि इन स्वरों को छोड़कर बाकी इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ भी तो हिंदी ...

परागण

परागकण द्वारा उत्पादित नर युग्मक अण्डाशय की अण्डकोशिका (मादा युग्मक) से संलयित हो जाता है। जनन कोशिकाओं के इस युग्मन अथवा निषेचन से युग्मनज बनता है जिसमें नए पौधे में विकसित होने की क्षमता होती है। अतः पराग कणों को पुंकेशर से वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण या परागण की आवश्यकता होती है। यदि परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो यह स्वपरागण कहलाता है। परन्तु एक पुष्प के पराग कण दूसरे पुष्प पर स्थानांतरित होते हैं, तो उसे परपरागण कहते हैं। एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक परागकणों का यह स्थानान्तरण वायु, जल अथवा प्राणी जैसे वाहक द्वारा संपन्न होता है। पराग कणों के उपयुक्त, वर्तिकाग्र पर पहुँचने के पश्चात नर युग्मक को अण्डाशय में स्थित मादा युग्मक तक पहुँचना होता है। इसके लिए परागकण से एक नलिका विकसित होती है तथा वर्तिका से होती हुई बीजाण्ड तक पहुँचती है। निषेचन के पश्चात्, युग्मनज में अनेक विभाजन होते हैं तथा बीजाण्ड में भ्रूण विकसित होता है। बीजाण्ड से एक कठोर आवरण विकसित होता हैं तथा यह बीज में परिवर्तित हो जाता है। अण्डाशय तीव्रता से वृद्धि करता है तथा परिपक्व होकर फल बनाता है। बाहरी कड़ियाँ [ ] • • • • • • Afrikaans • Aragonés • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Башҡортса • Беларуская • Български • বাংলা • Bosanski • Català • کوردی • Čeština • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • Galego • עברית • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Italiano • 日本語 • ქართული • Taqbaylit • Қазақша • 한국어 • Кыргызча • Lietuvių • Latviešu • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • Nederlands • Nor...