स्वपठित नाटक के आधार पर नायक का चरित्र-चित्रण करो

  1. परशुराम का चरित्र
  2. UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट – UP Board Solutions
  3. नाटक किसे कहते हैं? नाटक के प्रमुख तत्त्व और विशेषता (नाटक की परिभाषा)
  4. Class 12th Question paper 2023 PDF Download
  5. General Hindi (सामान्य हिंदी ) Model Paper 2023 of UP Board Class 11 Model Question Paper for Session 2022
  6. नाटक (गद्य विधा)
  7. ‘गरुड़ध्वज’ नाटक का नायक कौन है ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।


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परशुराम का चरित्र

परशुराम का चरित्र-चित्रण डॉ० गंगासहाय प्रेमी द्वारा रचित ‘सूत-पुत्र’ नाटक में परशुराम को ब्राह्मणत्व एवं क्षत्रियत्व के गुणों से समन्वित महान् तेजस्वी और दुर्धर्ष योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है। परशुराम कर्ण के गुरु हैं। इनके पिता का नाम जमदग्नि है। परशुराम अपने समय के धनुर्विद्या के अद्वितीय ज्ञाता थे। नाटक के अनुसार इनकी चारित्रिक विशेषताओं का विवेचन निम्नवत् है (1) ओजयुक्त व्यक्तित्व–परशुराम का व्यक्तित्व ओजयुक्त है। नाटककार ने उनके व्यक्तित्व का चित्रण इस प्रकार किया है-”परशुराम की अवस्था दो सौ वर्ष के लगभग है। वे हृष्ट-पुष्ट शरीर वाले सुदृढ़ व्यक्ति हैं। चेहरे पर सफेद, लम्बी-घनी दाढ़ी और शीश पर लम्बी-लम्बी श्वेत जटाएँ हैं।” (2) महान् धनुर्धर-परशुराम अद्वितीय धनुर्धारी हैं। सुदूर प्रदेशों से ब्राह्मण बालक इनके पास हिमालय की घाटी में स्थित आश्रम में शस्त्र-विद्या ग्रहण करने आते हैं। इनके द्वारा दीक्षित शिष्यों को उस समय अद्वितीय माना जाता था। भीष्म पितामह भी इन्हीं के प्रिय शिष्यों में से एक थे। (3) मानव-स्वभाव के पारखी-परशुराम मानव-स्वभाव के अचूक पारखी हैं। वे कर्ण के क्षत्रियोचित व्यवहार से जान जाते हैं कि यह ब्राह्मण न होकर क्षत्रिय-पुत्र है। वे उससे निस्संकोच कहते हैं-”तुम क्षत्रिय हो कर्ण! तुम्हारे माता-पिता दोनों ही क्षत्रिय रहे हैं।” (4) आदर्श गुरु-परशुराम एक आदर्श गुरु हैं। वे शिष्यों को पुत्रवत् स्नेह करते हैं और उनके कष्ट-निवारण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कर्ण की जंघा में कीड़ा काट लेता है और मांस में प्रविष्ट हो जाता है, जिससे रक्त की धारा प्रवाहित होने लगती है। इससे परशुराम का हृदय द्रवित हो उठता है। वे तुरन्त उसके घाव पर नखरचनी का प्रयोग करते हैं और...

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय) are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 11 Subject Sahityik Hindi Chapter Chapter 5 Chapter Name राजमुकुट (व्यथित हृदय) Number of Questions Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 11 Sahityik Hindi नाटक Chapter 5 राजमुकुट (व्यथित हृदय) प्रश्न 1: श्री व्यथित हृदय द्वारा लिखित ‘राजमुकुट नाटक का सारांश अथवा कथा-सार संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक की कथावस्तु (कथानक) संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के द्वितीय अंक का कथा-सार लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के तृतीय अंक का कथा-सार संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट नाटक के प्रथम अंक की कथा अपने शब्दों में लिखिए। या ‘राजमुकुट नाटक के किसी एक अंक की कथा संक्षेप में लिखिए। या ‘राजमुकुट’ नाटक के अन्तिम (चतुर्थ) अंक की कथा संक्षिप्त रूप में लिखिए। या “राजमुकुट नाटक की कथा एवं अन्तर्कथाओं पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। या ‘राजमुकुट नाटक के आधार पर महाराणा प्रताप और अकबर की भेंट का वर्णन कीजिए। उत्तर: ‘राजमुकुट’ नाटक, नाटककार श्री व्यथित हृदय का एक ऐतिहासिक नाटक है। इस नाटक में * महाराणा प्रताप की वीरता, बलिदान और त्याग की कथा अंकित है। कथा का प्रारम्भ महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक से तथा कथा का अन्त महाराणा प्रताप की मृत्यु पर होता है। महाराणा प्रताप इस नाटक के नायक हैं। प्रथम अंक– प्रस्तुत नाटक के प्रथम अंक की कथा मेवाड़ के राणा जगमल के महल से आरम्भ होती है। राणा जगमल एक विलासी और क्रूर शासक है। वह अपनी मर्यादा का निर्वाह करना भूल गया था तथा सुरा-सुन्दरी में डूबा रहता था। ऐसे ही समय में राष्ट्रनायक कृष्णजी चन्दावत, राजस...

नाटक किसे कहते हैं? नाटक के प्रमुख तत्त्व और विशेषता (नाटक की परिभाषा)

आपसभीनेनाटकज़रूरदेखाहोगा। अभिनयकेमाध्यमसेसमाजएवंव्यक्तिकेचरित्रोंकाप्रदर्शनही‘नाटक’कहलाताहै।यहदृश्यकाव्यकेअंतर्गतआताहैजोरंगमंचकाविषयहै।इसकाउद्देश्यशिक्षणऔरमनोरंजनकेसाथ-साथमानवीयसंवेदना, समस्याएवंसमाजकेयथार्थकाचित्रणकरनाहै।औरआजहमइसीकेबारेमेंबातकरनेवालेहैंकि नाटककिसेकहतेहैं?औरनाटककेप्रमुखतत्त्वकौन-कौनसेहैं? हिंदीमेंनाटकलिखनेकीपरम्पराभारतेंदुयुगसेमानीगईहै।भारतेंदुहरिश्चंद्रका‘अँधेरनगरी’, प्रसादका‘चंद्रगुप्त’, ‘ Table of Contents • • • • • • • • • नाटककिसेकहतेहैं? नाटककाव्यकलाकासर्वश्रेष्ठअंगहै।अभिनयकेमाध्यमसेसमाजएवंव्यक्तिकेचरित्रोंकाप्रदर्शनहीनाटकहै।इसमेंकथा-तत्त्वकीप्रधानताहोतीहै।परम्परागतरूपसेनाटककम-से-कमपाँचअंकोंकाहोनाचाहिए, जिसमेंआरम्भ, विकास, चरमएवंअंतदिखायाजाताहै। भारतीयपरंपरामेंनाटकको‘पंचमवेद’कहागयाहै। नाटककीउत्पत्तिकेसंबंधमेंविभिन्नमतप्रचलितहैं।किंतुविद्वानोंनेनाटककेमूलमेंअनुकरणकीप्रवृत्तिकोमुख्यमानाहै।नाटककेमूलमेंमनुष्यकीचारप्रवृत्तियाँकामकरतीरहतीहैं- अनुकरण, आत्म-प्रसार, जातिकीरक्षाकाभावऔरआत्माभिव्यक्ति। नाटककेप्रमुखतत्त्वकौन-सेहैं? नाटककेमुख्यतःसाततत्त्वमानेगएहैं, जोनिम्नलिखितहैं। कथावस्तुकिसेकहतेहैं? नाटककीकहानीकोकथावस्तुकहतेहैं।किंतुनाटककारउपन्यासकारकीतरहविस्तृतकथावस्तुकेचयनकेलिएस्वतंत्रनहींहोता।उसेसीमितअवधि (तीन-चारघंटे) मेंअभिनीतकिएजानेयोग्यकथा-सामग्रीकाउपयोगकरनापड़ताहै। अतःवहविस्तृतकथावस्तुसेअपनेमतलबकेतथ्यकोचुनलेताहै। नाटककीकथावस्तुदोप्रकारकीहोतीहै; आधिकारिकएवंप्रासंगिक। नाटककीमुख्ययाप्रधानकथाकोआधिकारिकएवंगौणयासहायककथावस्तुकोप्रासंगिककथावस्तुकहतेहैं।प्रासंगिककथावस्तुकेभीदोभेदहैं- (i) पताकाऔर (ii) प्रकरी।मुख्यकथाकेसाथअंततकचलनेवालीप्रासंगिककथा‘प्रकरी’कहलातीहैजब...

Class 12th Question paper 2023 PDF Download

Class 12th Question paper 2023 PDF Download : वार्षिक परीक्षा पेपर 2023 कक्षा-12वीं Class 12th Question paper 2023 PDF Download वार्षिक परीक्षा प्रश्न पत्र 2023 कक्षा-12 विषय- हिंदी प्र०-1 (क) 'शिक्षा का उद्देश्य' निबंध के लेखक हैं- (i) भारतेंदु हरिश्चंद्र (ii) संपूर्णानंद (iii) मोहन राकेश (iv) रामकृष्ण दास (ख) लल्लू लाल की रचना है- (i) सुख सागर (ii) प्रेम सागर (iii) परीक्षा गुरु (iv) रानी केतकी की कहानी (ख) 'पर्दा' कहानी के लेखक हैं- (i) प्रेमचंद (ii) जयशंकर (iii) अमरकांत (iv) यशपाल (घ) 'आवारा मसीहा' के रचनाकार हैं- (i) विष्णु प्रभाकर (ii) रामवृक्ष बेनीपुरी (iii) राहुल सांकृत्यायन (iv) रांगेय राघव (ड़) 'बाणभट्ट की आत्मकथा' के लेखक हैं- (i) महावीर प्रसाद द्विवेदी (ii) सरदार पूर्ण सिंह (iii) वासुदेव शरण अग्रवाल (iv) हजारी प्रसाद द्विवेदी प्र०-2 (क) 'कामायनी' किस युग की रचना है- (i) द्विवेदी युग (ii) छायावादी युग (iii) भारतेंदु युग (iv) प्रगतिवाद युग (ख) निम्नलिखित कवियों में से कौन प्रगतिवादी युग का है- (i) अग्रदास (i) तुलसीदास (iii) नंददास (iv) रामधारी सिंह 'दिनकर' (ग) 'तार सप्तक' का प्रकाशन वर्ष है- (i) 1941 ई० (ii) 1943 ई० (iii) 1954 ई० (iv) 1947 ई० (घ) द्विवेदी युग की रचना नहीं है- (i) प्रियप्रवास (ii) साकेत (iii) भारत - भारती (iv) कामायनी (ड़) निम्नलिखित में से कौन-सी कृत महाकाव्य नहीं है- (i) रामचरित मानस (ii) साकेत (iii) पद्मावत (iv) मामा Class 12th varshik Pariksha 2023 PDF प्र०-3 दिए गए गद्यांश आधारित निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए। धरती माता की कोख में जो अमूल्य नदियां भरी हैं जिनके कारण वह वसुंधरा कहलाती है उससे कौन परिचित ना होना चाहेगा? लाखों करोड़ों वर्षों...

General Hindi (सामान्य हिंदी ) Model Paper 2023 of UP Board Class 11 Model Question Paper for Session 2022

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नाटक (गद्य विधा)

Install - vidyarthi sanskrit dictionary app नाटक (गद्य विधा) - नाटक के तत्व || नाटक के विकास युग - भारतेंदु, प्रसाद, प्रसादोत्तर युगीन नाटक • BY:RF Temre • 512 • 0 • Copy • Share नाटक एक दृश्य काव्य है। यह अभिनेय होता है। अभिनय देखकर जिस काव्य के आनंद का उपयोग किया जा सके उसे दृश्य काव्य कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि दृश्य काव्य, श्रव्य काव्य की भाँति सुने या पढ़े नहीं जा सकते। इनको भी पढ़ या सुन सकते हैं, किन्तु पूर्णानंदानुभूति अभिनय देखकर ही की जा सकती है। नट किसी अन्य व्यक्ति विशेष की विभिन्न अवस्थाओं का अपने अभिनय द्वारा अनुकरण करता है। यह अनुकृति ही नाट्य है और अभिनय कार्य ही नाटक है। नाटक 'नट' धातु से बना है जिसका अर्थ होता है अवस्कंदन अर्थात् शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का परिचालन। यह परिचालनकर्ता नट तथा उसका कार्य नाटक कहलाता है। आत्माभिव्यक्ति करना मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, क्योंकि उससे उसे आत्मतुष्टि होती है। अनुकरण प्रवृत्ति भी स्वाभाविक है। मनुष्य जाने अनजाने अनुकरण करता ही रहता है अर्थात् दूसरों की व्यवस्था विशेष का अनुकरण करता है। यही रूप है इसीलिए धनंजय ने 'दश-रूपक' में अनुकरण को ही नाट्य का मूलाधार माना है। इस प्रकार से हम यह कह सकते हैं कि इसी अनुकरण को जब आपसी वार्तालाप, संगीत, नृत्य, वेषभूषा एवं भाव-भंगिमा से समन्वित कर देने पर नाटक हो जाता है। भरतमुनि के अनुसार नाटक के चार तत्त्व हैं - 1. संवाद 2. संगीत 3. अभिनय और 4. रस। नाटक के प्रारंभ होने के विषय में अनेक मत है। पाश्चात्य समीक्षक मृतात्माओं को प्रसन्न करने के प्रयत्नों से इसे प्रारंभ होना मानते हैं, जबकि भारतीय समीक्षक इसके श्रीगणेश को राम जन्म, कृष्ण जन्म, दशहरा स्वांग तथा ...

‘गरुड़ध्वज’ नाटक का नायक कौन है ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

‘गरुड़ध्वज’ नाटक का नायक कौन है ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के नायक की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के प्रमुख पुरुष-पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के प्रमुख पात्र के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। या विक्रममित्र की चारित्रिक विशेषताओं का उदघाटन कीजिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर विक्रममित्र के चरित्र पर प्रकाश डालिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के किसी एक पुरुष-पात्र की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर विक्रममित्र के शौर्य एवं त्याग का वर्णन कीजिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के आधार पर ‘विक्रममित्र’ की चारित्रिक विशेषताएँ उद्घाटित कीजिए। या ‘गरुड़ध्वज’ नाटक के विक्रममित्र का चरित्रांकन कीजिए। विक्रममित्र का चरित्र-चित्रण श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र कृत ‘गरुड़ध्वज’ नाटक में विषमशील तथा विक्रममित्र दो प्रमुख पात्र हैं। नाटक के नायक विक्रममित्र हैं, जो नाटक के आरम्भ से अन्त तक की सभी घटनाओं के साथ जुड़े रहते हैं। यह कहा जा सकता है कि सारे कथानक के मेरुदण्ड विक्रममित्र ही हैं, जिन्होंने मूल कथा को सबसे अधिक प्रभावित किया है। विक्रममित्र, पुष्यमित्र शुंग के वंश के अन्तिम शासक हैं। वे ब्रह्मचारी, सदाचारी, वीर, कुशल राजनीतिज्ञ तथा प्रजावत्सल हैं। वह शासन का संचालन कुशलता से करते हैं। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं (1) सज्जन महापुरुष–विक्रममित्र सज्जन महापुरुष हैं। वे स्वयं को ‘महाराज’ कहलवाना पसन्द नहीं करते, अत: लोग उन्हें ‘सेनापति’ कहते हैं। नारियों के प्रति सम्मान का भाव सदा उनके मन में रहता है। (2) अनुशासनप्रिय-विक्रममित्र अनुशासनप्रिय हैं तथा कठोर अनुशासन का पालन ...