स्वयं अब जागकर हमको जगाना देश है अपना

  1. स्वयं अब जागकर जगाना है देश अपना
  2. स्वयं अब जागकर हमको,जगाना देश है अपना
  3. पत्थर बने समाज को थोड़ा जगाने आया हूं
  4. भारत मां का मान बढ़ाने बढ़ते मां के मस्ताने
  5. "स्वयं अब जागकर हमको देश को जगाना है" निबंध…
  6. विजयादशमी: स्वयं अब जागकर हमको, जगाना देश है अपना


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स्वयं अब जागकर जगाना है देश अपना

जयपुर प्रान्त के संघ शिक्षा वर्ग, प्रथम वर्ष का समापन कार्यक्रम सीकर संघ शिक्षा वर्ग के समापन अवसर पर क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास ने अपने बौद्धिक में कहा कि हिंदू समाज ताकतवर होगा, तो देश की ताकत बढ़ेगी। गत 93 वर्षों से संघ इस काम लगा हुआ है। हिंदू समाज में गुणों की वृद्धि करना तथा हिंदू समाज का संगठन ही सभी समस्याओं का हल है। इन स्वयंसेवकों द्वारा सम्पूर्ण देश में डेढ़ लाख सेवाकार्य चलाए जा रहे हैं। आपदाओं के समय निस्वार्थ भाव से सेवा करने में स्वयंसेवक सबसे आगे रहते हैं। गोवा मुक्ति आंदोलन संघ के स्वयंसेवकों के नेतृत्व में हुआ। विवेकानंद शिला स्मारक पर विवेकानंद केंद्र बनाने के लिए श्रीगुरुजी ने संघ के सहसरकार्यवाह #एकनाथरानाडे को इस काम में लगाया। गौरक्षा, मतांतरण रोकने, आपातकाल हटाने, लोकतंत्र बचाने व रामजन्मभूमि मुक्ति,रामसेतु के संरक्षण ,अमरनाथ में श्राइनबोर्ड की भूमि के लिए स्वयंसेवकों ने संघर्ष किया, बलिदान दिया, विजय प्राप्त की। राष्द्रीयता के जागरण का यह परिणाम है, भारत नहीं विश्व की अनेक समस्याओं के समाधान का मार्ग हिन्दुदर्शन के पास है इसी आध्यात्मिक मार्ग से स्वयं जागकर हमको जगाना है देश अपना।

स्वयं अब जागकर हमको,जगाना देश है अपना

कोई दामाद जेल गया नहीं ! किसी के पास काला धन मिला नहीं ! गंगा साफ हुई नहीं ! किसान की हालत सुधरी नहीं l सीमा पर शहादतें घटीं नहीं ! युवा को रोजगार मिला नहीं l Income tax में कोई राहत नहीं। तो क्या हम लोगों ने ये सरकार सिर्फ मोबाइल नम्बर को आधारकार्ड से लिंक कराने के लिए बनाई थी ?? थोड़ा Time निकाल कर जरूर सोचना ............ *जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ( RSS )* के सम्बन्ध मे अनर्गल प्रलाप सुनता हूं तो मन व्यथित होता है। जो नेता , पत्रकार संघ का"क ख ग" भी नहीं जानते वो संघ दर्शन / विचार पर लंबे लंबे भाषण में विरोध करते दिखाई देते हैं। उनको धिक्कारते हुए उनके लिए जानकारी.... *कृपया जो लोग संघ को जानते नहीं, उनसे निवेदन है कि,"संघ के कार्यालय या शाखा पर कभी जायें व संघ को समझने का प्रयास करें* *जीवन लगा देने वाले* *"राष्ट्रीय नमः स्वाहा"* *एक मंत्र* *स्वयं झाड़ू लगाना* *भोजन खा कर थाली धोकर करीने से रख देना।* *चाय भी पियो किंतु पैसे स्वयं की जेब से देना* *दो चार जोड़ी कपड़े में जीवन निर्वहन।* *एक बगल थैला भर का वैभव* क्या जानते हैं आप संघ के बारे में ? *सदा अविवाहित, संत जीवन, तपस्वी जीवन जीते हैं संघ के प्रचारक* *"नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे" ...से दिन की शुरुआत होती है।* *योग..* *महापुरुषों पर सम्बोधन* *हर पर्व, त्योहार, महापुरुषों की जन्मतिथि मनाना।* *राष्ट्र के लिए वो केरल के आततायी और कश्मीरी आतंक के गढ़ों मे कहीं भी मैदान में ध्वज के समक्ष प्रार्थन

पत्थर बने समाज को थोड़ा जगाने आया हूं

आज फिर भारत माता रो रही है। वह क्रांतिवीर जिन्होंने भारत देश को अंग्रेजों के गुलाम जी आजाद करवाया आज उनकी आंखों में आंसू है कि हमारे किन लोगों के लिए अपने देश को आजाद करवा दिया। वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपनी जान का बलिदान देकर इस देश को आजाद करवाया ,आज उन्हीं के देश में एक बेटियों के लिए कोई इज्जत और सुरक्षा नहीं है। एक निर्भया की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो हरियाणा के पावन धरती के ऊपर दूसरी निर्भया को इन दरिंदों ने बना दिया। आज फिर एक माँ रो रही है आज फिर पिता रो रहा है की वह समाज में मुंह दिखाने के लायक नहीं रहा तो एक भाई की हाथ से एक भाई के हाथ की कलाई से राखी छूट गई है। वह बेटी को उनके परिवार का गौरव थी ,उसको चंद दरिंदों ने अपनी हवस का शिकार बना कर जान से मार डाला। इंतजार कर रही थी वह मां कि उसकी बेटी आएगी मगर बेटी ना आए आई तो उसकी मौत की खबर आई । अब फिर से वही शुरू होगा , निर्भया के नाम पर लोग राजनीति शुरु कर देंगे , खुद को हाईलाइट दिखाने के चक्कर में फिर एक बेटी के नाम का प्रयोग होगा। कुछ दिन ड्रामे दिखाएंगे और फिर अपना अपना उल्लू सीधा करने में लग जाएंगे। क्यों नहीं सोच रहे कि देश के साथ क्या हो रहा है। कोई सरकार को गाली देगा कोई सत्ताधारी को तो कोई विपक्ष को। राजनीति के चक्कर में सब अंधे हो गए हैं और ऊपर से हमारी कानून व्यवस्था कितनी अच्छी है। यह बेटी की रक्षा नहीं कर सकती। मैं एक आम आदमी किसी से कोई रोजगार नहीं मांग रहा। मैं अपनी बेटी की ,अपनी बहन रक्षा मांग रहा हूं। शर्म की बात है जिस हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चल रहे हैं। मेरे हरियाणा में बेटियों की कमी है और वही बेटी के साथ रहे अत्याचार हो रहे हैं। उस मां की कोख कांप रही होगी जिसकी पेट ...

भारत मां का मान बढ़ाने बढ़ते मां के मस्ताने

भारत मां का मान बढ़ाने बढ़ते मां के मस्ताने कदम कदम पर मिल जुल गाते वीरों के व्रत के गाने…॥ध्रु.॥ ऋषियों के मंत्रों की वाणी भरती साहस नस नस में चक्रवर्तियों की गाथा सुन नहीं जवानी है बस में हर हर महादेव के स्वर से विश्व गगन को थर्राने॥1॥ हम पर्वत को हाथ लगाकर संजीवन कर सकते हैं मर्यादा बन कर असुरों का बलमर्दन कर सकते हैं रामेश्वर की पूजा करके जल पर पत्थर तैराने॥2॥ हिरण्याक्ष का वक्ष चीर दे नरसिंह की दहाड़ लिए कालयवन का काल बने जो योगेश्वर की नीति लिए चक्र सुदर्शन की छाया में गीता अमृत बरसाने॥3॥ जरासंध छल बल दिखला ले अंतिम विजय हमारी है कालयवन का काल बने जो योगेश्वर गिरधारी है अर्जुन का रथ हांक रहा जो हम सब उसके दीवाने॥4॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे संगठन का भाव भरते जा रहे॥ध्रु.॥ यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां वेद की पावन ऋचाएं गूंजती प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां देव निर्मित इस धरा को पूजती हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे॥1॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी हम उसे फिर से जगाने आ गए परम पौरुष की पताका हाथ ले क्रांति के नवगीत गाने आ गए विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे॥2॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे हम करें युवाओं का आह्वान फिर शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले संगठन भी तीव्रगामी हो सके लक्ष्य का संधान करते जा रहे॥3॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है जीवन भर अविचल चलता है।।ध्रु.।। सज धज कर आए आकर्षण,पग पग पर झूमते प्रलोभन होकर सबसे विमुख बटोही,पथ पर सम्भल सम्भल बढ़ता है।।1।। अमरतत्व की अमिट साधना,प्राणों में उत्सर्ग कामना जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,साधक हंस कण कण गलता है।।2।। पतझड़ के झंझावातों में, जग ...

"स्वयं अब जागकर हमको देश को जगाना है" निबंध…

प्रस्तावना भारत में विभिन्न धर्म, जाति व संप्रदाय के लोग निवास करते हैं। जिनकी अपनी एक विशेष विचारधारा है व संकल्प धारणाएं हैं। लेकिन विचार चाहे जो भी हो, वह देश हित में ही होना अनिवार्य हो जाता है। इस धरती को ही मानना उनका कर्तव्य व अधिकार हो जाता है। माता भूमि: पुत्रोहम पृथिव्या:।। अर्थात, यह धरती मेरी माता है और मै इसका पुत्र हूं। जब आप इस धरती को अपनी माता मान लेते हो तब आप वास्तव में स्वयं को जागरूक कर लेते हैं। देश हित में विद्यार्थी जागे जागरूकता की पहल भारतीय के सेवा क्षेत्र • भारत प्रजातंत्र आत्मक देश है जिसमें वास्तविक शक्ति जनता के हाथ में रहती है। अपने मताधिकार का उचित प्रयोग करके जनप्रतिनिधि के रूप में सत्य, निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करके और देश को जाति, संप्रदाय की राजनीति से मुक्त करके हम उसके विकास में सहयोग दे सकते हैं। • जो मनुष्य आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक संपन्न है उन्हें देश की विकास योजनाओं में सहयोग देना चाहिए।उन्हीं देश के रक्षा कोष में उत्साह पूर्वक अधिकतम धन देना चाहिए जिससे देश के प्रतिरक्षा शक्ति मजबूत हो सके। निष्कर्ष आज जब तक कि देश समस्याओं का सामना कर रहा है ऐसे समय में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग करके देश के सम्मान, रक्षा, विकास के लिए तन मन धन को न्योछावर कर दें। हम सभी भारत की वैचारिक, अंतरमानस आधारित एकात्मता के मूल दर्शन, देश के विकास के कार्यों को समझें और इसके हित में अपना आचरण व कार्य नियम निर्धारित करें। यही भूमि के पुत्रों से अपेक्षित है। Categories

विजयादशमी: स्वयं अब जागकर हमको, जगाना देश है अपना

– डॉ. पवन सिंह मलिक आज का दिन विजय के संकल्प का दिन है। यह विजय न किसी एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति पर और न ही किसी देश की दूसरे देश पर विजय है। अपितु यह धर्म की अधर्म पर, नीति की अनीति पर, सत्य की असत्य पर, प्रकाश की अंधकार पर और न्याय की अन्याय पर विजय है। अपनी परंपरा में आज का दिन स्फूर्ति का दिवस है। आज के दिन ही दैवी प्रवृति द्वारा दानवी प्रवृति पर विजय प्राप्त की गयी थी। यही वो दिन है जिस दिन प्रभु श्री राम द्वारा रावण पर विजय प्राप्त की गयी थी। इस दिन शस्त्रपूजन की भी परंपरा है बारह वर्ष के वनवास तथा एक वर्ष के अज्ञातवास के पश्चात पांडवों ने अपने शस्त्रों का पूजन इसी दिन किया था और उन्हें पुन: धारण किया था। विपरीत परिस्थितियों के होते हुए भी हिन्दुत्व का स्वाभिमान लेकर हिंदू पद – पादशाही की स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी द्वारा सीमोल्लंघन की परंपरा का प्रारंभ भी आज के दिन हुआ था। दुनियाकेसबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन आरएसएस की स्थापना भी डॉ. हेडगेवार द्वारा नागपुर में आज के दिन की गयी थी। शक्ति संचय से आज देश में फैली कुरीतियों को समाप्त करने में अपनी व्यक्तिगत भूमिका तय करने का दिन भी है। समाज में नया चैतन्य, आत्मविश्वास एवं विजय की आकांक्षा निर्माण कर, उसकी सिद्धि के लिए शक्ति की उपासना करने के लिए, उसे प्रवृत करने के निमित्त यहविजय दशमी काउत्सव एक परंपरा प्राप्त साधन ही है। आज अपना देश पहले से कहीं अधिक व तेज गति से आगे बढ़ रहा है। विकास,विस्तार व स्वाभिमान के अनेक कीर्तिमानों को हमने स्थापित किया है और करते भी जा रहे है। आज प्रत्येक राष्ट्रभक्त के मनों में भारत बसता है। भारत बोध के आधार पर आगे बढ़ना,ये अब हमारी प्राथमिकता में पहले से अधिक हो गया है। स्वदेशी,स्वभाषा...