Swar kise kahate hain

  1. Hindi Swar Vyanjan — स्वर और व्यंजन
  2. स्वर किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण
  3. स्वर किसे कहते हैं, स्वर की परिभाषा, स्वर के भेद
  4. ह्रस्व स्वर कितने होते हैं
  5. स्वर किसे कहते हैं? (परिभाषा और भेद)
  6. स्वर की परिभाषा, प्रकार, संख्या और वर्गीकरण – Best Hindi Blog in India
  7. स्वर किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण
  8. स्वर की परिभाषा, प्रकार, संख्या और वर्गीकरण – Best Hindi Blog in India
  9. Hindi Swar Vyanjan — स्वर और व्यंजन
  10. ह्रस्व स्वर कितने होते हैं


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Hindi Swar Vyanjan — स्वर और व्यंजन

Hindi Swar Vyanjan: भाषा परस्पर विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम है। अर्थपूर्ण ध्वनियाँ साधनों का एक समूह है जिसके द्वारा हम अपने विचार दूसरों तक पहुँचा सकते हैं और दूसरों के विचारों से अवगत हो सकते हैं। भाषा के दो रूप होते हैं, पहला मौखिक और दूसरा लिखित होता हैं • • भाषा के मुख्य तीन भागों के आधार पर व्याकरण को तीन भागों में बांटा गया है। • वर्ण विचार • शब्द विचार • वाक्य विचार वर्गों के समूह या समुदाय को वर्णमाला कहते हैं। Hindi Swar Vyanjan हिंदी में वर्ण वर्गों की कुल संख्या 45 होती है। जो की, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं एवं अः और इसके साथ ही ,क ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह शामिल हैं। संस्कृत वर्णमाला में एक और स्वर होता “ ऋ” है। इसको मिलाकर वर्गों की कुल संख्या 46 हो जाती है। इसके अलावा हिंदी में अ, ड, ढ़ और अंग्रेजी से आने वाली ध्वनि प्रचलित है। हम आपको बता दें की, अँ, अं से अलग होती है, और ठीक इसी तरह ड़, ड से अलग, एवं ढ़, ढ से अलग होता है। इसी प्रकार ऑ, आ से अलग ध्वनि है। असल में इन ध्वनियों ( अँ, ड, ढ, आँ) को भी 11 25 4 (य, र, ल, ब) 4 (ह, श, ष, स) 4 (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ) वर्ण विचार व्याकरण का वह भाग है जिसमें • 1 Different Between Swar and Vyanjan In Hindi • 2 Swar In Hindi Vowel —स्वर किसे कहते हैं? • 3 Vyanjan in Hindi Consonants — व्यंजनकिसे कहते हैं? • 4 FAQ: Hindi Swar Vyanjan Different Between Swar and Vyanjan In Hindi (Hindi Swar Vyanjan) हिन्दी वर्णमाला के मुख्यतः दो भाग होते हैं, पहला स्वर और दूसरा उदाहरण के लिए जब मुख से अ, आ, इ, ई और क, ख, ग, घ इत्यादि का उच्चारण किया जाता है, तो ये...

स्वर किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण

दोस्तों, आज हम को बताने वाले हिंदी व्याकरण के स्वर के बारे में जो कि व्याकरण के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे स्वर किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं। आज हम स्वर को बहुत ही सरल भाषा में समझेंगे तो आइए जानते हैं कि स्वर किसे कहते हैं? स्वर किसे कहते हैं? वह वर्ण जिन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जाता है यानि जिन वर्णों बिना अन्य किसी वर्ण की सहायता से बोला जाता हैं। उन्हें स्वर्ग कहते हैं। सामान्य रूप से स्वरों की संख्या 13 होती है। लेकिन उच्चारण की दृष्टि के आधार पर 10 स्वर होते हैं। तथा एक अर्ध स्वर और दो अनु स्वर होते हैं। जिसमें अनुस्वर को स्वर की श्रेणी में नहीं रखा जाता बल्कि अर्ध स्वर को स्वरों के साथ ही गिना जाता है। स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ। अर्ध स्वर – ऋ। अनु स्वर – अं, अ: वैसे स्वरों की संख्या 11 होती है क्योंकि अनुस्वर को स्वर्ग के साथ नहीं गिना जाता है। तो दोस्तों आइए जानते हैं कि स्वर कितने प्रकार के होते हैं। स्वरों के प्रकार- • हस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर हस्व स्वर :- हस्व स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जो बहुत सबसे कम समय में बोले जाते हैं। यानि एक मात्रा के बराबर। जैसे:- अ, इ तथा उ। दीर्घ स्वर :- दीर्घ स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में अधिक समय लगता है। यानि दो मात्राओं के बराबर। जैसे:- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ। प्लुत स्वर :- प्लुत स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है यानि तीन मात्राओं के बराबर। जैसे:- ओउम् तथा राsम्। जीभ के प्रयोग के आधार पर स्वरों के प्रकार अग्र स्वर, मध्य स्वर तथा पश्च स्वर अग्र स्वर :- अगर स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में जीभ के अग...

स्वर किसे कहते हैं, स्वर की परिभाषा, स्वर के भेद

Contents • 1 स्वर किसे कहते हैं • 2 वर्णमाला के आधार पर स्वरो का वर्गीकरण • 3 स्वर के भाग • 4 हस्व स्वर किसे कहते हैं • 5 दीर्घ स्वर किसे कहते हैं • 6 प्लुत् स्वर किसे कहते हैं • • 6.0.1 स्वर से जुड़े कुछ सवाल • 6.1 इस लेख के बारे में: स्वर किसे कहते हैं जिन वणों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है, उन्हें स्वर कहते है। मुख्य रूप से स्वरो की संख्या 13 होती हैं लेकिन उच्चारण की दृष्टि से 10 स्वर , 1 अर्धस्वर और 2 अनुस्वार होते हैं इसमें कुल स्वर 11 होते हैं: क्योकि इनमे 2 स्वर के भाग स्वर के तीन भाग होते हैं (I) हस्व स्वर (II) दीर्घ स्वर (III) प्लुत् स्वर हस्व स्वर किसे कहते हैं हस्व स्वर -जिन स्वर का उच्चारण में सबसे कम समय या इकाई (एक मात्रा काल) के समान समय लगे, उन्हें हस्व स्वर कहते हैं। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं ये संख्या में चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। दीर्घ स्वर किसे कहते हैं दीर्घ स्वर– जिन स्वरों के उच्चारण में हस्व स्वर से दुगुना या दो मात्राओ का उच्चारण करने में जो समय लगाता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं।इन्हें संधि स्वर भी कहते हैं; क्योकि ये सभी स्वर एक से अधिक स्वरो के योग से बनते हैं। दीर्घ स्वर सात होते हैं जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। प्लुत् स्वर किसे कहते हैं प्लुत् स्वर– जिन स्वरों के उच्चारण में हस्व स्वर से तिगुना या तीन इकाइयों के समान समय लगे, उन्हें प्लुत् स्वर कहते हैं। प्लुत स्वर को लिखने के लिए संस्कृत के स्वर के साथ 3 का अंक लिख जाता हैं। जैसे-ओउम्! यहाँ ओ का उच्चारण देर तक किया जा रहा हैं। इसी प्रकार, अब हिंदी में ‘ ऊ‘ लिखने का प्रचलन समाप्त हो चूका हैं। इससे सम्बंधित लेख स्वर से जुड़े कुछ सवाल उत्तर: जिन स्वर का उच्चा...

ह्रस्व स्वर कितने होते हैं

hasv swar kitne hote hain hasv swar kise kahate hain in hindi definition example ह्रस्व स्वर कितने होते हैं | ह्रस्व स्वर के उदाहरण संख्या क्या है | प्रकार किसे कहते है ? ज्ञान-अघोष व्यंजन – ‘क’ है क्योंकि इसके उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ निकट नहीं होतीं। शेष तीनों अघोष ध्वनियाँ हैं। नोट- स्वरों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है 1. ह्रस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ, दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ 2. मूल स्वर – अ, इ, उ, ऋ, संयुक्त स्वर – ए = अ $ इ ऐ = अ + ए ओ = अ + उ औ = अ + ओ 3. अग्रस्वर – इ, ई, ए, ऐ, मध्य स्वर – अ, पश्च स्वर – आ, उ, ऊ, ओ, औ 4. व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण स्थान, प्रयत्न के आधार पर किया गया है। प्रयत्न के आधार पर- स्पर्श, स्पर्श संघर्षी, नासिक्य, पार्शि्वक, प्रकम्पित, उत्क्षिप्त, संघर्षी, संघर्षहीन, अप्रवाह । 5. उच्चारण स्थान के आधार पर- ओष्ठ्य, दंत्य, कंठ्य, वर्ण्य, तालव्य जिह्वामूलीय, स्वरयंत्रमुखी, पूर्व तालव्य, पश्च तालव्य । अध्याय 2. हिन्दी व्याकरण  हिन्दी का पहला व्याकरण ग्रन्थ किसने लिखा? -जे. जे. केटलर ने ज्ञान-हिन्दी का पहला व्याकरण ग्रन्थ जे. जे. केटलर ने लिखा । इनके अतिरिक्त सन् 1921 में कामताप्रसाद गुरु ने ‘हिन्दी व्याकरण‘ और सन् 1928 में किशोरीदास वाजपेयी ने ‘हिन्दी शब्दानुशासन‘ नामक प्रमुख व्याकरण ग्रन्थ लिखे।  हिन्दी व्याकरण के पाँच प्रमुख तत्त्व हैं-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय । इनमें से प्रथम चार विकारी हैं और अन्तिम अविकारी। 2.1 संज्ञा किसी प्राणी, वस्तु या स्थान के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के प्रमुखतः तीन भेद हैं- (1) व्यक्तिवाचक, (2) जातिवाचक, (3) भाववाचक । (1) किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु का बोध कराने वाली संज्ञा ‘व्यक्तिवाचक ...

स्वर किसे कहते हैं? (परिभाषा और भेद)

Image: Swar Kise Kahate Hain हम पूरा प्रयत्न करेंगे कि आज के इस विषय को हम आपको अच्छे से स्पष्ट कर पाएं। यहां पर आप जानेंगे स्वर किसे कहते हैं? एवं इसके कितने भेद होते हैं। इन सभी से संबंधित और अन्य आवश्यक इससे जुड़ी हुई जानकारियां आपको पढ़ने को मिलने वाली है। अर्थात आप इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें और आज के इस विषय को स्पष्ट करें। विषय सूची • • • • • • • • स्वर किसे कहते हैं? वर्तमान में परंपरागत रूप से हिंदी भाषा में लेखनी के आधार पर स्वर की संख्या 13 मानी गई है, इस 13 स्वर में से 2 अनुस्वार (अं, अ:), एक अर्ध अनुस्वार (ऋ) और 10 स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ) माने गए हैं। हिंदी भाषा में मूल रूप से स्वरों की संख्या 11 होती है, जिसमें अर्ध अनुस्वार जुड़ा हुआ होता है, इसमें अनुस्वार को नहीं जोड़ा जाता। स्वर की परिभाषा Swar ki Paribhasha: हिंदी व्याकरण के ऐसे वर्ण जिनका बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से आसानी से उच्चारण किया जा सके, ऐसे वर्णों को स्वर कहा जाता है, अर्थात स्वर एक ऐसी ध्वनि है, जिसे स्वतंत्र रूप से आसानी से बोला जा सकता है। उदाहरण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:। Read Also: स्वर के कितने भेद होते हैं? स्वर के भेद (Swar ke Bhed): उच्चारण के आधार पर स्वर को चार खंडों में विभाजित किया गया है, जोकि नीचे इस प्रकार से निम्नलिखित है। Swar Kitne Hote Hain • मात्रा के आधार पर। • तालु की स्थिति के आधार पर। • ओष्ठ आकृति के आधार पर। • जीव के क्रियाशील के आधार पर। मात्रा के आधार पर स्वर कितने प्रकार के होते हैं? यदि हम बात करें उच्चारण के आधार पर स्वर्ग के प्रकार की, तो उच्चारण के आधार पर क्रमागत रूप से स्वर कुल 3 प्रकार के होते हैं, जो कि इस प्रकार से निम्नलि...

स्वर की परिभाषा, प्रकार, संख्या और वर्गीकरण – Best Hindi Blog in India

पिछले लेख ‘वर्ण’ में हमने जाना था कि ‘वर्ण और वर्णमाला’ क्या है। इसमें हमने वर्ण के दो प्रकारों ‘स्वर और व्यंजन’ की चर्चा की थी। इस लेख में हम वर्ण के पहले प्रकार ‘स्वर’ के बारे में पूरे विस्तार से जानेंगे। आइये शुरू करते हैं! स्वर की परिभाषा: स्वर किसे कहते हैं ? हिन्दी व्याकरण में स्वर उन अखंड ध्वनियों को कहा जाता है, जिनके उच्चारण के लिए अन्य किसी वर्ण की जरूरत नहीं पड़ती है। सरल भाषा में कहें तो, स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ही स्वर कहलाते हैं। स्वर के उच्चारण के लिए अधिकांशतः, कण्ठ और तालु का प्रयोग किया जाता है। इनके उच्चारण में ओष्ठ और जिह्वा पर लगभग नगण्य प्रभाव पड़ता है। इनसाइक्लोपीडिआ के अनुसार स्वर की परिभाष कुछ इस प्रकार है – स्वर एक विशेष प्रकार की वाक् ध्वनि है जो ऊपरी मुखर पथ या जीभ के ऊपर मुंह के क्षेत्र के आकार को बदलकर बनाई जाती है। स्वर वर्णों की संख्या वास्तव में कितनी है ? भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक हिंदी वर्णमाला में स्वर की संख्या 11 और व्यंजन की संख्या 35 निर्धारित की गयी है। हालांकि, पारंपरिक हिंदी वर्णमाला में 13 स्वर और 33 व्यंजन हुआ करते थे। पुराने हिन्दी व्याकरण के किताबों में भी आपको पारंपरिक का ही उल्लेख मिलेगा। लेकिन वर्तमान समय या आधुनिक हिन्दी व्याकरण के अनुसार, मानक हिन्दी वाली संख्या – 11 और 33 सही है। वर्तमान में हिन्दी भाषा में मूल रूप से 11 स्वर होते हैं – अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ । अन्य कुछ वर्णों के वर्गीकरण को लेकर कई लोग थोड़े असमंजस में रहते हैं और कुछ लोगों में मतभेद भी है। • ‘अं’ और ‘अः’ – ये पारंपरिक हिन्दी में स्वर हैं लेकिन मानक हिन्दी में ये व्यंजन हैं। • ‘ऋ’ को अर्धस्वर (आधा स्वर) माना जाता है। ...

स्वर किसे कहते है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण

दोस्तों, आज हम को बताने वाले हिंदी व्याकरण के स्वर के बारे में जो कि व्याकरण के माध्यम से बहुत ही महत्वपूर्ण है। जैसे स्वर किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं। आज हम स्वर को बहुत ही सरल भाषा में समझेंगे तो आइए जानते हैं कि स्वर किसे कहते हैं? स्वर किसे कहते हैं? वह वर्ण जिन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जाता है यानि जिन वर्णों बिना अन्य किसी वर्ण की सहायता से बोला जाता हैं। उन्हें स्वर्ग कहते हैं। सामान्य रूप से स्वरों की संख्या 13 होती है। लेकिन उच्चारण की दृष्टि के आधार पर 10 स्वर होते हैं। तथा एक अर्ध स्वर और दो अनु स्वर होते हैं। जिसमें अनुस्वर को स्वर की श्रेणी में नहीं रखा जाता बल्कि अर्ध स्वर को स्वरों के साथ ही गिना जाता है। स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ। अर्ध स्वर – ऋ। अनु स्वर – अं, अ: वैसे स्वरों की संख्या 11 होती है क्योंकि अनुस्वर को स्वर्ग के साथ नहीं गिना जाता है। तो दोस्तों आइए जानते हैं कि स्वर कितने प्रकार के होते हैं। स्वरों के प्रकार- • हस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर हस्व स्वर :- हस्व स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जो बहुत सबसे कम समय में बोले जाते हैं। यानि एक मात्रा के बराबर। जैसे:- अ, इ तथा उ। दीर्घ स्वर :- दीर्घ स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में अधिक समय लगता है। यानि दो मात्राओं के बराबर। जैसे:- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ। प्लुत स्वर :- प्लुत स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है यानि तीन मात्राओं के बराबर। जैसे:- ओउम् तथा राsम्। जीभ के प्रयोग के आधार पर स्वरों के प्रकार अग्र स्वर, मध्य स्वर तथा पश्च स्वर अग्र स्वर :- अगर स्वर उन स्वरों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में जीभ के अग...

स्वर की परिभाषा, प्रकार, संख्या और वर्गीकरण – Best Hindi Blog in India

पिछले लेख ‘वर्ण’ में हमने जाना था कि ‘वर्ण और वर्णमाला’ क्या है। इसमें हमने वर्ण के दो प्रकारों ‘स्वर और व्यंजन’ की चर्चा की थी। इस लेख में हम वर्ण के पहले प्रकार ‘स्वर’ के बारे में पूरे विस्तार से जानेंगे। आइये शुरू करते हैं! स्वर की परिभाषा: स्वर किसे कहते हैं ? हिन्दी व्याकरण में स्वर उन अखंड ध्वनियों को कहा जाता है, जिनके उच्चारण के लिए अन्य किसी वर्ण की जरूरत नहीं पड़ती है। सरल भाषा में कहें तो, स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ही स्वर कहलाते हैं। स्वर के उच्चारण के लिए अधिकांशतः, कण्ठ और तालु का प्रयोग किया जाता है। इनके उच्चारण में ओष्ठ और जिह्वा पर लगभग नगण्य प्रभाव पड़ता है। इनसाइक्लोपीडिआ के अनुसार स्वर की परिभाष कुछ इस प्रकार है – स्वर एक विशेष प्रकार की वाक् ध्वनि है जो ऊपरी मुखर पथ या जीभ के ऊपर मुंह के क्षेत्र के आकार को बदलकर बनाई जाती है। स्वर वर्णों की संख्या वास्तव में कितनी है ? भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक हिंदी वर्णमाला में स्वर की संख्या 11 और व्यंजन की संख्या 35 निर्धारित की गयी है। हालांकि, पारंपरिक हिंदी वर्णमाला में 13 स्वर और 33 व्यंजन हुआ करते थे। पुराने हिन्दी व्याकरण के किताबों में भी आपको पारंपरिक का ही उल्लेख मिलेगा। लेकिन वर्तमान समय या आधुनिक हिन्दी व्याकरण के अनुसार, मानक हिन्दी वाली संख्या – 11 और 33 सही है। वर्तमान में हिन्दी भाषा में मूल रूप से 11 स्वर होते हैं – अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ । अन्य कुछ वर्णों के वर्गीकरण को लेकर कई लोग थोड़े असमंजस में रहते हैं और कुछ लोगों में मतभेद भी है। • ‘अं’ और ‘अः’ – ये पारंपरिक हिन्दी में स्वर हैं लेकिन मानक हिन्दी में ये व्यंजन हैं। • ‘ऋ’ को अर्धस्वर (आधा स्वर) माना जाता है। ...

Hindi Swar Vyanjan — स्वर और व्यंजन

Hindi Swar Vyanjan: भाषा परस्पर विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम है। अर्थपूर्ण ध्वनियाँ साधनों का एक समूह है जिसके द्वारा हम अपने विचार दूसरों तक पहुँचा सकते हैं और दूसरों के विचारों से अवगत हो सकते हैं। भाषा के दो रूप होते हैं, पहला मौखिक और दूसरा लिखित होता हैं • • भाषा के मुख्य तीन भागों के आधार पर व्याकरण को तीन भागों में बांटा गया है। • वर्ण विचार • शब्द विचार • वाक्य विचार वर्गों के समूह या समुदाय को वर्णमाला कहते हैं। Hindi Swar Vyanjan हिंदी में वर्ण वर्गों की कुल संख्या 45 होती है। जो की, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं एवं अः और इसके साथ ही ,क ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह शामिल हैं। संस्कृत वर्णमाला में एक और स्वर होता “ ऋ” है। इसको मिलाकर वर्गों की कुल संख्या 46 हो जाती है। इसके अलावा हिंदी में अ, ड, ढ़ और अंग्रेजी से आने वाली ध्वनि प्रचलित है। हम आपको बता दें की, अँ, अं से अलग होती है, और ठीक इसी तरह ड़, ड से अलग, एवं ढ़, ढ से अलग होता है। इसी प्रकार ऑ, आ से अलग ध्वनि है। असल में इन ध्वनियों ( अँ, ड, ढ, आँ) को भी 11 25 4 (य, र, ल, ब) 4 (ह, श, ष, स) 4 (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र ) वर्ण विचार व्याकरण का वह भाग है जिसमें • 1 Different Between Swar and Vyanjan In Hindi • 2 Swar In Hindi Vowel —स्वर किसे कहते हैं? • 3 Vyanjan in Hindi Consonants — व्यंजनकिसे कहते हैं? • 4 FAQ: Hindi Swar Vyanjan Different Between Swar and Vyanjan In Hindi (Hindi Swar Vyanjan) हिन्दी वर्णमाला के मुख्यतः दो भाग होते हैं, पहला स्वर और दूसरा उदाहरण के लिए जब मुख से अ, आ, इ, ई और क, ख, ग, घ इत्यादि का उच्चारण किया जाता है, तो ये...

ह्रस्व स्वर कितने होते हैं

hasv swar kitne hote hain hasv swar kise kahate hain in hindi definition example ह्रस्व स्वर कितने होते हैं | ह्रस्व स्वर के उदाहरण संख्या क्या है | प्रकार किसे कहते है ? ज्ञान-अघोष व्यंजन – ‘क’ है क्योंकि इसके उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ निकट नहीं होतीं। शेष तीनों अघोष ध्वनियाँ हैं। नोट- स्वरों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है 1. ह्रस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ, दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ 2. मूल स्वर – अ, इ, उ, ऋ, संयुक्त स्वर – ए = अ $ इ ऐ = अ + ए ओ = अ + उ औ = अ + ओ 3. अग्रस्वर – इ, ई, ए, ऐ, मध्य स्वर – अ, पश्च स्वर – आ, उ, ऊ, ओ, औ 4. व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण स्थान, प्रयत्न के आधार पर किया गया है। प्रयत्न के आधार पर- स्पर्श, स्पर्श संघर्षी, नासिक्य, पार्शि्वक, प्रकम्पित, उत्क्षिप्त, संघर्षी, संघर्षहीन, अप्रवाह । 5. उच्चारण स्थान के आधार पर- ओष्ठ्य, दंत्य, कंठ्य, वर्ण्य, तालव्य जिह्वामूलीय, स्वरयंत्रमुखी, पूर्व तालव्य, पश्च तालव्य । अध्याय 2. हिन्दी व्याकरण  हिन्दी का पहला व्याकरण ग्रन्थ किसने लिखा? -जे. जे. केटलर ने ज्ञान-हिन्दी का पहला व्याकरण ग्रन्थ जे. जे. केटलर ने लिखा । इनके अतिरिक्त सन् 1921 में कामताप्रसाद गुरु ने ‘हिन्दी व्याकरण‘ और सन् 1928 में किशोरीदास वाजपेयी ने ‘हिन्दी शब्दानुशासन‘ नामक प्रमुख व्याकरण ग्रन्थ लिखे।  हिन्दी व्याकरण के पाँच प्रमुख तत्त्व हैं-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय । इनमें से प्रथम चार विकारी हैं और अन्तिम अविकारी। 2.1 संज्ञा किसी प्राणी, वस्तु या स्थान के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के प्रमुखतः तीन भेद हैं- (1) व्यक्तिवाचक, (2) जातिवाचक, (3) भाववाचक । (1) किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु का बोध कराने वाली संज्ञा ‘व्यक्तिवाचक ...