Swar sandhi ke kitne prakar hote hain

  1. Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain
  2. CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि
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Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain

Table of Contents • • • • • Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain किसी भी भाषा को सीखने और बोलने के लिए उसके व्याकरण का आना बहुत जरूरी है। क्यूंकि व्याकरण से ही आप जान सकते हैं कि आपको कौन सा शब्द कैसे,कहाँ और कब बोलना है। किसी भी भाषा का सही ढंग से प्रयोग तभी आप कर सकते हैं। जब आपको भाषा के व्याकरण का ज्ञान होगा। तो इस आर्टिकल में पूरे विस्तार से सीखेंगे हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण अंग संधि के बारे में और संधि के कितने प्रकार हैं ? संधि किसे कहते है ? संधि का मतलब होता है ‘मेल’। जब दो वर्णों के परस्पर मेल से जो तीसरा विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। संधि ध्वनियों का मेल होता है। जब दो शब्दों का मेल किया जाता है तो पहले शब्द के आखिरी अक्षर दूसरे शब्द के पहले अक्षर के बीच में परिवर्तन होता है। उदाहरण के लिए : विधा + अर्थी = विद्यार्थी। देव + इंद्र = देवेंद्र। संधि के कितने प्रकार होते हैं (Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain)? संधि तीन प्रकार की होती है। • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है तो उसे स्वर संधि कहा जाता है। जैसे – विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर संधि कितने प्रकार होती? स्वर संधि पांच प्रकार की होती है। • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब दो सवर्ण मिलकर दीर्घ बन जाते हैं तो दीर्घ संधि कहलाता है। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे – ई + ई = ई, नदी + ईश = नदीश मही + ईश = महीश गुण संधि इसे भी पढ़े: जब अ और आ के बाद इ,ई या उ ,ऊ या ऋ आ जाये तो दोनों मिलकर ए ,ओ और अर हो जाते हैं। तो इस मेल को गुण सं...

CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि

CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि संधि – संधि का शाब्दिक अर्थ है-मेल। अर्थात् जब दो निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय। यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है। कुछ और उदाहरण – रेखा + अंकित = रेखांकित राका + ईश = राकेश लोक + उक्ति = लोकोक्ति पा + अन = पवन अति + अंत = अत्यंत संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं – • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि। 1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे – शिव+आलय=शिवालय महा+आत्मा महात्मा नर-ईश-नरेश एक-एक एकैक स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के पाँच भेद हैं – (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ङ) अयादि संधि। (क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (a) (b) (c) (ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है; जैसे – (a) (b) (c) (ग) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व अ या दीर्घ आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ऐ, ओ या औ हो जाता है; जैसे – (घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे – (ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे – 2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने ...

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Table of Contents • • • • • Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain किसी भी भाषा को सीखने और बोलने के लिए उसके व्याकरण का आना बहुत जरूरी है। क्यूंकि व्याकरण से ही आप जान सकते हैं कि आपको कौन सा शब्द कैसे,कहाँ और कब बोलना है। किसी भी भाषा का सही ढंग से प्रयोग तभी आप कर सकते हैं। जब आपको भाषा के व्याकरण का ज्ञान होगा। तो इस आर्टिकल में पूरे विस्तार से सीखेंगे हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण अंग संधि के बारे में और संधि के कितने प्रकार हैं ? संधि किसे कहते है ? संधि का मतलब होता है ‘मेल’। जब दो वर्णों के परस्पर मेल से जो तीसरा विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं। संधि ध्वनियों का मेल होता है। जब दो शब्दों का मेल किया जाता है तो पहले शब्द के आखिरी अक्षर दूसरे शब्द के पहले अक्षर के बीच में परिवर्तन होता है। उदाहरण के लिए : विधा + अर्थी = विद्यार्थी। देव + इंद्र = देवेंद्र। संधि के कितने प्रकार होते हैं (Sandhi Kitne Prakar Ke Hote Hain)? संधि तीन प्रकार की होती है। • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि स्वर संधि दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है तो उसे स्वर संधि कहा जाता है। जैसे – विद्या + आलय = विद्यालय। स्वर संधि कितने प्रकार होती? स्वर संधि पांच प्रकार की होती है। • दीर्घ संधि • गुण संधि • वृद्धि संधि • यण संधि • अयादि संधि दीर्घ संधि जब दो सवर्ण मिलकर दीर्घ बन जाते हैं तो दीर्घ संधि कहलाता है। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे – ई + ई = ई, नदी + ईश = नदीश मही + ईश = महीश गुण संधि इसे भी पढ़े: जब अ और आ के बाद इ,ई या उ ,ऊ या ऋ आ जाये तो दोनों मिलकर ए ,ओ और अर हो जाते हैं। तो इस मेल को गुण सं...

CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि

CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि संधि – संधि का शाब्दिक अर्थ है-मेल। अर्थात् जब दो निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय। यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है। कुछ और उदाहरण – रेखा + अंकित = रेखांकित राका + ईश = राकेश लोक + उक्ति = लोकोक्ति पा + अन = पवन अति + अंत = अत्यंत संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं – • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि। 1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे – शिव+आलय=शिवालय महा+आत्मा महात्मा नर-ईश-नरेश एक-एक एकैक स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के पाँच भेद हैं – (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ङ) अयादि संधि। (क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (a) (b) (c) (ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है; जैसे – (a) (b) (c) (ग) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व अ या दीर्घ आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ऐ, ओ या औ हो जाता है; जैसे – (घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे – (ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे – 2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने ...

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CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि संधि – संधि का शाब्दिक अर्थ है-मेल। अर्थात् जब दो निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय। यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है। कुछ और उदाहरण – रेखा + अंकित = रेखांकित राका + ईश = राकेश लोक + उक्ति = लोकोक्ति पा + अन = पवन अति + अंत = अत्यंत संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं – • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि। 1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे – शिव+आलय=शिवालय महा+आत्मा महात्मा नर-ईश-नरेश एक-एक एकैक स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के पाँच भेद हैं – (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ङ) अयादि संधि। (क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (a) (b) (c) (ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है; जैसे – (a) (b) (c) (ग) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व अ या दीर्घ आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ऐ, ओ या औ हो जाता है; जैसे – (घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे – (ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे – 2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने ...

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CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि

CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि संधि – संधि का शाब्दिक अर्थ है-मेल। अर्थात् जब दो निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय। यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है। कुछ और उदाहरण – रेखा + अंकित = रेखांकित राका + ईश = राकेश लोक + उक्ति = लोकोक्ति पा + अन = पवन अति + अंत = अत्यंत संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं – • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि। 1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे – शिव+आलय=शिवालय महा+आत्मा महात्मा नर-ईश-नरेश एक-एक एकैक स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के पाँच भेद हैं – (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ङ) अयादि संधि। (क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (a) (b) (c) (ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है; जैसे – (a) (b) (c) (ग) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व अ या दीर्घ आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ऐ, ओ या औ हो जाता है; जैसे – (घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे – (ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे – 2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने ...

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CBSE Class 9 Hindi B व्याकरण संधि संधि – संधि का शाब्दिक अर्थ है-मेल। अर्थात् जब दो निकटवर्ती ध्वनियाँ आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण करती हैं तब उसे संधि कहते हैं; जैसे-सूर्य+ उदय-सूर्योदय। यहाँ ‘सूर्य’ की अंतिम ध्वनि ‘अ’ तथा ‘उदय’ की प्रारंभिक ध्वनि ‘उ’ पास-पास आकर एक नया रूप ‘ओ’ बना रही हैं। इस परिवर्तन या विकार का नाम संधि है। कुछ और उदाहरण – रेखा + अंकित = रेखांकित राका + ईश = राकेश लोक + उक्ति = लोकोक्ति पा + अन = पवन अति + अंत = अत्यंत संधि के भेद – संधि के तीन भेद हैं – • स्वर संधि • व्यंजन संधि • विसर्ग संधि। 1. स्वर संधि- दो स्वरों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे – शिव+आलय=शिवालय महा+आत्मा महात्मा नर-ईश-नरेश एक-एक एकैक स्वर संधि के भेद – स्वर संधि के पाँच भेद हैं – (क) दीर्घ संधि (ख) गुण संधि (ग) वृद्धि संधि (घ) यण संधि (ङ) अयादि संधि। (क) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर आ, ई, ऊ हो जाते हैं, जैसे- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ, धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (a) (b) (c) (ख) गुण संधि-यदि अ और आ के आगे इ, ई, उ, क, ऋ हो तो दोनों के मिलने से ए, ओ, औ तथा अर हो जाता है; जैसे – (a) (b) (c) (ग) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व अ या दीर्घ आ के बाद ए या ऐ हो तो दोनों मिलकर ऐ, ओ या औ हो जाता है; जैसे – (घ) यण संधि-यदि इ, ई,उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ, ई का अय, उ, ऊ का व तथा ऋ का ‘र’ हो जाता है; जैसे – (ङ) अयादि संधि-जब ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है तो इनके स्थान पर ए-अय, ऐ-आय, ओ-अव तथा औ-आव में बदल जाता है; जैसे – 2. व्यंजन संधि – व्यंजन संधि का स्वर या व्यंजन से मेल होने ...