तारा रानी की कहानी

  1. जानिये तारा रानी की कहानी पति पर गोलिया चलते देखा लेकिन फिर भी नहीं झुकने दिया तिरंगा
  2. तारा रानी की कथा
  3. Story Of Tara
  4. तारा रानी की कथा tara rani ki katha in hindi


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जानिये तारा रानी की कहानी पति पर गोलिया चलते देखा लेकिन फिर भी नहीं झुकने दिया तिरंगा

भारत को आज़ाद हुए 75 साल इस वर्ष पुरे हो जयेन्गे। जिसमे कई वीरो का योगदान रहा जिसके बाद देश को आज़ादी मिली। और उन्ही में से एक थी। अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने में तारा रानी श्रीवास्तव ने अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि भारतीय इतिहास में उनका नाम अधिक लोगों को नहीं पता होगा। तारा रानी श्रीवास्तव का जन्म बिहार के सारण जिले में हुआ था। कम उम्र में ही तारा रानी का विवाह फुलेंदू बाबू नाम के शख्स से हो गया था।उनके पति फुलेंदू बाबू स्वतंत्रता सेनानी थे और गांधी जी के अनुयायी थे। वह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जुलूस निकालते थे। यहां से ही तारा रानी ने भी आजादी की लड़ाई में अपनी सहभागिता दर्ज करानी शुरू की। उस दौर में शादीशुदा महिलाओं पर बहुत पाबंदियां होती थीं लेकिन तारा रानी ने घर की चारदीवारी से निकल कर न केवल स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी इस संग्राम से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।अगस्त 1942 को एक जुलुस निकला गया जिसमे ,तारा रानी और उनके पति दोनों थे उस दौरान उनके पति पर अंग्रेजो ने लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गयी। तारा के हाथ में तिरंगा था। उन्होंने अपनी पति को देखते हुए भी तिरंगा नहीं छोड़ा और प्रदर्शन जारी रखा। Tags: Post navigation

तारा रानी की कथा

मां भगवती को मानने वालों में से एक राजा स्पर्श भी थे। वो दिन-रात उनकी पूजा-अर्चना में लीन रहते थे। राजा को किसी चीज की कमी नहीं थी। बस उन्हें बच्चे की ख्वाहिश थी। सालों से बच्चा न होने के कारण राजा कुछ निराश रहा करते थे। एक दिन राजा की भक्ति से खुश होकर मां भगवती ने सपने में आकर उसे दो बेटी होने का वरदान दिया। आशीर्वाद मिलने के कुछ समय बाद राजा के घर एक बेटी पैदा हुई। बेटी पैदा होने की खुशी में राजा ने सबको दावत दी और बेटी की कुंडली बनवाने के लिए पंडितों को बुलवाया। सबने राजा से एक ही बात कही कि यह साक्षत देवी का रूप है। जहां भी इसके कदम पड़ेंगे वहां खुशियां ही खुशियां होंगीं। यह भगवती देवी की भक्तन होगी। इतना सब कहकर पंडितों ने लड़की का नाम तारा रख दिया। कुछ समय के बाद मंगलवार के दिन राजा के घर एक और बेटी पैदा हुई। ज्योतिषों ने उसकी भी कुंडली बनाई और उदास हो गए। राजा ने जब उनसे उदासी का कारण पूछा, तो ज्योतिषों ने बताया कि ये लड़की आपके जीवन में खूब सारा दुख लेकर आएगी। राजा ने ज्योतिषों से पूछा कि आखिर मैंने ऐसे कौन-से खराब कर्म किए थे कि इसने मेरे घर जन्म लिया है। ज्योतिषों ने बताया कि आपकी दोनों बेटियां राजा इंद्र की अप्सराएं हुआ करती थीं। इनमें से बड़ी बहन का नाम तारा और छोटी का रुक्मन था। एक दिन ये दोनों मिलकर धरती की सैर करने के लिए गईं। दोनों ने ही वहां पहुंचकर एकादशी के दिन का व्रत रखा। तारा ने अपनी छोटी बहन से कहा कि आज एकादशी का व्रत है, इसलिए बाजार जाकर कुछ ताजे फल ले आओ, लेकिन वहां कुछ खाना मत। रुक्मन बाजार फल लेने के लिए चली गई। वहां उसे मछली के पकौड़े दिखे। उसने झट से उन्हें खा लिया और अपनी दीदी के लिए कुछ फल ले लिए। रुक्मन से तारा ने पूछा कि तुम अपने लिए फल क...

Story Of Tara

एक बार की बात है तारा नाम की एक छोटी लड़की थी। वह एक सुंदर लड़की थी और उसके माता-पिता दयालु थे, लेकिन वह बहुत दुखी छोटी लड़की थी। हर कोई जो जानता था उसे उसके लिए खेद था क्योंकि वह हमेशा बहुत दुखी लगती थी। वह एक छोटे से गरीब घर में रहती थी, और उसके पिता काम पर जाते थे, लेकिन उनका वेतन बहुत अधिक नहीं था, इसलिए खर्च करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं था। इसलिए वह कुछ दूर आम के एक छोटे से बगीचे में चली गई और वहां एक पेड़ की ठंडी छांव में बैठ गई। इतने में एक बुलबुल आई और उसके सिर के ऊपर पेड़ में जा बैठी। वह रोई, "छोटी लड़की! तुम यहाँ एक पेड़ के नीचे अकेली क्या कर रही हो?" "मैं सोच रहा हूँ", तारा ने कहा। "मैं एक गरीब पिता के साथ एक बहुत ही दुर्भाग्यशाली लड़की हूँ जो मुझे रेशमी कपड़े, बाल गहने, सोने का हार आदि नहीं दे सकता। मेरी माँ हमेशा चाहती है कि मैं फर्श पर झाडू लगाऊँ, बर्तन साफ ​​करूँ या बच्चों को आराम दूँ! क्या मैं कभी अमीर नहीं बन सकती हूँ? मैं मेरी किताब में एक रानी की तस्वीर है। उसके पास गहनों का एक सुंदर मुकुट और मोतियों की माला है। निस्संदेह उसके पास करने के लिए कुछ नहीं है और वह दिन भर खुश रहती है। "बेचारी तारा", बुलबुल ने कहा, "यह दुख की बात है कि तुम खुश नहीं रह सकते। आओ! मैं तुम्हें दुनिया में ले जाऊंगा और तुम्हें कुछ सबसे अमीर और सबसे खुश लोगों को दिखाऊंगा जिन्हें मैं जानता हूं। बस कुछ जामुन चुनो मेरे खाने के लिए। तारा के ऐसा करते ही पक्षी उड़ गया। बुलबुल ने उसके हाथ से कुछ उठाए और उन्हें निगल लिया। फिर बुलबुल बढ़ी और इतनी बड़ी हुई कि वह एक गरुड़ के आकार की हो गई! लेकिन यह अभी भी सुंदर और रंगीन थी पहले जैसा। बुलबुल ने कहा "मेरी पीठ पर चढ़ो, मेरे गर्म पंखों के बीच बैठ...

तारा रानी की कथा tara rani ki katha in hindi

कथा – एक राज्य में एक राजा रहता था । जिसका नाम स्पर्श था । वह राजा बहुत ही प्रतापी और दानी था । वह मां भगवती का सबसे प्रिय भक्त था । मां भगवती की पूजा करता था । उसके पास मां भगवती की कृपा से सब कुछ था । परंतु उसके कोई भी संतान नहीं थी । इस बात से राजा स्पर्श बड़ा दुखी रहता था । उसने माता भगवती से प्रार्थना की है मां तुम मुझे पुत्र का सुख प्रदान कर दो तो मेरी सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी । मां भगवती में राजा स्पर्श की बात स्वीकार कर ली थी । स्वप्न में राजा स्पर्श को मां भगवती ने दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे यहां मेरे आशीर्वाद से 2 कन्याओं का जन्म होगा । ऐसा कहकर मां भगवती वहां से अंतर्ध्यान हो गई थी । कुछ समय बीत जाने के बाद रानी के पेट में गर्भ ठहरा और एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया । जब राजा ने सुना कि उसके यहां एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया है तब वह खुशी के मारे झूम उठा था । उसने पूरे राज्य में घोषणा करवा दी थी कि सभी को इस खुशी में शामिल होने के लिए मैं निमंत्रण दे रहा हूं । सभी लोग इस शुभ अवसर पर एकत्रित हो । सभी को भोजन, कपड़े दिए जाएंगे । इस तरह से उसने पहली कन्या के जन्म पर खूब उत्सव मनाया । राजा स्पर्श ने सभी ऋषि-मुनियों को घर पर बुलाया , खाना खिलाया था । राजा स्पर्श ने ज्योतिषियों को बुलवा कर लड़की की कुंडली बनवाई । जब ज्योतिषियों ने उस लड़की की कुंडली देखी तब वह राजा से कहने लगे कि यह लड़की बहुत ही भाग्यशाली है । इसका भाग्य बहुत अच्छा है । मां भगवती के आशीर्वाद से राजा स्पर्श के यहां दूसरी संतान हुई और ज्योतिष को बुलाया । ज्योतिष ने जब दूसरी कन्या की कुंडली देखी तो वह आश्चर्यचकित रह गया । राजा से कहने लगा कि यह कन्या मनहूस है । यह कन्या जहां पर भी रहेगी वहां के हाला...