Tansil treatment in hindi

  1. दांतों में ठंडा गर्म लगने (सेंसिटिविटी) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
  2. टॉन्सिल्स के लिए रामबाण इलाज पहला दिन पहली बार से आराम
  3. गले में टॉन्सिल का इलाज करने के पांच घरेलू उपचार
  4. दाद खाज खुजली की दवा
  5. हाइड्रोसील के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  6. गले में टॉन्सिल के लक्षण पहचान कर तुरंत करें ये घरेलू उपचार
  7. सफेद बालों से छुटकारा पाने के घरेलू इलाज
  8. टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज
  9. फंगल इन्फेक्शन कारण, लक्षण, प्रकार और घरेलू उपचार


Download: Tansil treatment in hindi
Size: 37.37 MB

दांतों में ठंडा गर्म लगने (सेंसिटिविटी) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

Tooth Sensitivity In Hindi आमतौर पर बर्फ का पानी और गर्म कॉफी, चाय पीने पर ये ठंडे और गर्म पेय पदार्थ दांतों में बहुत तेजी से लगते हैं जो असहनशील हो जाते हैं, इसे ही दांतों की सेंसिटिविटी या दांतों में ठंडा गर्म लगने की समस्या कहा जाता है। ऐसी स्थिति में दांतों की विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है और कोई भी खाद्य पदार्थ बहुत सावधानी से खाना पड़ता है। वास्तव में दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, यदि वह अपने दांतों के प्रति बहुत लापरवाही बरतता हो तो। इसलिए दांतों की सेंसिटिविटी से बचने के लिए दांतों की साफ-सफाई पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में में हम आपको दांतों में सेंसिटिविटी के कारण, लक्षण, घरेलू उपाय और बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं। दांतों में ठंडा गर्म लगने या सेंसिटिविटी की समस्या तभी होती है जब दांतों के अंदर पाये जाने वाला डेंटिन, इनेमल के सुरक्षा कवच को खो देता है या दांतों की बाहरी परत सिमेंटम का क्षय हो जाता है। जिसके कारण दांतों में ठंडा, गर्म और अम्लीय भोजन खाने पर सेंसिटिवटी की समस्या होती है। आमतौर पर दांतों में ठंडा गर्म लगने की समस्या निम्न कारणों से होती है। • बहुत कठोर ब्रश से दांतों को साफ करने से दांतों का इनेमल क्षतिग्रस्त हो जाता है जिसके कारण दांतों में सेंसिटिविटी होने लगती है। • अत्यधिक अम्लीय भोजन और पेय पदार्थों का सेवन करने के कारण भी दांतों में ठंडा गर्म लगने की समस्या हो जाती है। • दांतों में मसाला भरवाने के कारण भी एक समय के बाद सेंसिटिविटी की समस्या हो जाती है। • दांतों के बीच से या आधा टूटने के कारण, मसूढ़ों का दांतों से पीछे की ओर खिसकने के कारण भी दांतों में ठंडा गर्म लगता...

टॉन्सिल्स के लिए रामबाण इलाज पहला दिन पहली बार से आराम

Tonsil badhne par kya kare, Tonsilka gharelu ilaaj. अगर किसी कारण से डॉक्टर ने आपको ऑपरेशन के लिए भी बोल दिया है तो भी एक बार ये घरेलु नुस्खा ज़रूर आज़माये। बहुत सारे केस में एक सप्ताह में ही ये ठीक हो जाता है। आइये जाने ये प्रयोग। हल्दी (यवकूट अर्थात थोड़ी कुटी हुयी), सेंधा नमक, बायवडिंग (थोड़ा कुटा हुआ) तीनों वस्तुएं प्रत्येक दो – दो ग्राम (आधा – आधा चम्मच) लें और 500 ग्राम पानी में पांच मिनट ओटायें। फिर कपडे से छानकर सुहाते गर्म पानी में नित्य दो बार गरारे करें, रात में सोते समय अवश्य करना है। एक सप्ताह में रोग जाता रहता है। 1) टॉन्सिल्स (Tonsils) तथा गलगंड में गाजर का रस प्रतिदिन तीन चार बार दिन में 125 ग्राम (एक छोटा गिलास) लगातार दो तीन मास तक पियें। यह कॉड लिवर आयल का अच्छा विकल्प है। 2) टॉन्सिल की सूजन में केवल गर्म पानी 200 ग्राम में आधा चम्मच नमक डालकर गरारे करने से आराम आ जाता है। दिन में दो तीन बार नमक के पानी के गरारें करें। नमक मोटा डली वाला इस्तेमाल करें तो ज़्यादा फायदा होगा।

गले में टॉन्सिल का इलाज करने के पांच घरेलू उपचार

अगर आप टॉन्सिल के दर्द से काफी परेशान हैं और इसके लिए कुछ घरेलू उपायों की जानकारी चाहते हैं तो यह लेख आपके काम आएगा। इस लेख में हम टॉन्सिल के दर्द से राहत पाने के पांच घरेलू उपायों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। Tonsils ka ilaj Kaise Kare: Tonsillitis gale ki ek bimari hai jo khane mein iodine ki kami ke karan hoti hai. Hamare gale (throat) mein 2 ganthe hoti hai aur jab in gantho mein se koi fool kar laal ho jaati hai to gale ke dono taraf sujan aane lagti hai aur dard hone lagta hai. Dard itna tej hota hai ki paani pine aur khana khane mein bahut pareshani hoti hai aur bolte waqt bhi pain hota hai. Ye samasya jadatar chote bacho (kids) mein hoti hai. Tonsils ki pareshani badhne par doctor operation karwane ki salah dete hai. Is bimari ka upchar natural ayurveda medicine, gharelu nuskhe aur homeopathy se kiya ja sakta hai. Aaiye jane home remedies for tonsils treatment in hindi. • Jane Tonsils kyu hote hai – Causes Tonsils gale mein infection ke karan hota hai, jo kai baar halke fluke ilaaj se hi thik ho jata hai par infection jada hone par ise thik hone mein jada time lag sakta hai. Jane tonsils pain hone ke karan kya hai. • Gale mein infection hona. • Thandi cheej ka sevan karna. • Sardi jukam ki wajah se bhi tonsils ho jate hai. • Pet mein gas aur kabz ki shikayat hone se. • Cold drink peena aur ice creame khana. • Immunity weak hone se. • Jada thandi aur garam cheeje khane pine se. • Mirch masale aur jada teekha khana khane se. Tonsils ke Lakshan – Symptoms • Gale me...

दाद खाज खुजली की दवा

दाद त्वचा की ऊपरी परत पर होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी ही आसानी से फैल सकता है। दाद को चिकित्सकीय भाषा में टिनीया ( Tinea) कहते हैं। यह एक परतदार त्वचा पर गोल और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई देता है। इसमें खुजली एवं जलन होते हैं। यह बड़ी ही आसानी से संक्रमित व्यक्ति की चीजें या कपड़े उपयोग करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। क्या आपको पता है दाद खाज खुजली होने का कारण क्या है, दाद के लक्षणों की पहचान कैसे की जा सकती है। दाद खाज खुजली होने पर आपको क्या घरेलू उपचार करना चाहिए। दाद की आयुर्वेदिक दवा कौन-कौन सी है। यहां खुजली दूर करने के लिए कई घरेलू नुस्खे ( khujli ke upay) बताए जा रहे हैं ताकि आप इसका पूरा लाभ ले पाएं। दाद खाज खुजली त्वचा की एक बीमारी है। यह फंगल संक्रमण के कारण होता है। दाद के कारण रोगग्रस्त व्यक्ति को काफी परेशानी का सामाना करना पड़ता है इसलिए यहां दाद खाज खुजली को दूर करने के लिए घरेलू उपाय (( khujli ke upay)) बताए जा रहे हैं। Contents • 1 दाद (रिंगवार्म) क्या होता है? (What is RingWorm in Hindi?) • 2 दाद (रिंगवार्म) होने के कारण (Ringworm Causes in Hindi) • 3 दाद (रिंगवार्म) के लक्षण (Ringworm Symptoms in Hindi) • 4 दाद (रिंगवार्म) से कैसे बचें? (How to Prevent from Ringworm?) • 5 दाद (रिंगवार्म) के इलाज के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies for Ringworm Treatment in Hindi) • 5.1 दाद खाज खुजली की दवा है नारियल का तेल (Coconut Oil: Home Remedies for Ringworm in Hindi) • 5.2 दाद खाज खुजली की दवा है लहसुन (Garlic: Home Remedies for Ringworm in Hindi) • 5.3 दाद खाज खुजली की दवा है हल्दी (Turmeric: Home Remedies for Ringworm i...

हाइड्रोसील के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

हाइड्रोसील पुरुषों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य बीमारी है। इस स्थिति में अंडकोश में पानी भर जाता है। दूसरे शब्दों में समझे तो हाइड्रोसील अंडकोश में हाइड्रोसील आमतौर पर दर्दनाक या हानिकारक नहीं होता है और इसके लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर आपको अंडकोश की सूजन है, तो डाक्टर से जरुर संपर्क करना चाहिए। हाइड्रोसील के प्रकार नीचे दिए जा रहे हैं: • कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील: इस स्थिति में अंडकोश की थैली पूर्ण रूप से बंद नहीं होती। इसके कारण हाइड्रोसील, एब्डॉमिनकल कैविटी के तरल पदार्थ के साथ संपर्क में होता है। कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील, प्रोसेसस वेजिनेलिस के फेलियर के कारण होता है। प्रोसेसस वेजिनेलिस एक प्रकार की पतली झिल्ली होती है जो इनग्विनल कैनाल के अंदर से होती हुई अंडकोश तक फैली रहती है। इस झिल्ली के खुलने पर हर्निया और हाइड्रोसील दोनों विकार होने की संभावना होती है। • नॉन- कम्युनिकेटिंग हाइड्रोसील: इस स्थिति में अंडकोश की थैली बंद होने के बाद भी अंडकोश और उसके आसपास अतिरिक्त तरल पदार्थ जमने लगता है। इस प्रकार का हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में देखने को मिलता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है। इसके लिए इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसी नवजात शिशु को हाइड्रोसील है, तो यह लगभग एक वर्ष में अपने आप ठीक हो सकता है। किन्हीं कारणों से यदि बच्चे का हाइड्रोसील अपने आप ठीक नहीं होता है या बड़ा हो जाता है, तो इसे सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। हाइड्रोसील का इलाज सर्जरी और नीडिल एसपिरेशन दो तरह से किया जा सकता है। • सर्जरी: हाइड्रोसील को हटाने के लिए सर्जरी एनेस्थीसिया के तहत की जाती है। इसे हाइड्रोसिलेक्टोमी कहते हैं। ज्यादातर मामलों में मरीज हाइड्रोसिलेक्टोमी ...

गले में टॉन्सिल के लक्षण पहचान कर तुरंत करें ये घरेलू उपचार

गले में टॉन्सिल की समस्याकेघरेलू उपाय टॉन्सिल के कारण आयोडीन की कमी मौसम में बदलाव ठंडी चीजें खाने पर गलत खान-पान इंफेक्शन या बैक्टीरिया के कारण धूल-मिट्टी के कारण खट्टी-मीठी चीजों का सेवन टॉन्सिल के लक्षण शरीर का उच्च ताप सूखा बलगम बुखार के साथ कंपकंपी सांसों में बदबू टॉन्सिल के उपाय अंदर से गला लाल होना दर्द होना आवाज का भारीपन खान-पीन या निगलने में परेशानी टॉन्सिल के घरेलू उपचार काली मिर्च इस समस्या को दूर करने के लिए शहद और दालचीनी एंटीबैक्टीरियल गुणों सो भरपूर दालचीनी पाउडर और हल्दी हल्दी, काला नमक और काली मिर्च में पानी डालकर उबाल लें। इसके बाद इस पानी से दिन में 2 बार गरारे करें। इससे आपकी समस्या कुछ दिनों में ही दूर हो जाएगी। हर्बल चाय ग्रीन टी में लौंग, दूध दूध में 1/2 टीस्पून हल्दी डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें मिश्री या शक्कर मिलाकर रात को सोने से पीएं। इसका सेवन करने से आपकी यह समस्या 2-3 दिन में दूर हो जाएगी। सिंघाड़ा शरीर में आयरन की कमी से होने वाली टॉन्सिल की समस्या होने पर सिंघाड़े का सेवन करें। इससे यह समस्या दूर भी हो जाएगी और शरीर में आयरन की कमी भी पूरी हो जाएगी। इन चीजों से करें परहेज टॉन्सिल की समस्या होने पर आपको खट्टी-मीठी, तीखी और ठंडी चीजों का सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे आपकी यह समस्या और भी बढ़ सकती है। इसके अलावा भोजन में अधिक तेल मसाले का प्रयोग न करें। ऐसे फलों और आहार से परहेज करें जिनकी तासीर ठंडी होती है जैसी कि अनानास, खुबानी, केला, संतरा, आड़ू, खरबूजा, पपीता और सेब। भोजन करने के बाद हमेशा 2-3 तुलसी की पत्तियों को साफ करके चबाएं। Browser Notification हमें खेद हैं कि आप opt-out कर चुके हैं। लेकिन, अगर आपने गलती से "Block" सिलेक्ट किया था...

सफेद बालों से छुटकारा पाने के घरेलू इलाज

हर किसी का सपना होता है कि वो खूबसूरत और जवां दिखे, लेकिन शरीर में असमय आए कुछ बदलाव सुंदरता को बिगाड़ देते हैं। उम्र से पहले बालों का सफेद होना भी ऐसी ही एक समस्या है। आधुनिक और खराब जीवनशैली के कारण बालों की यह सफेदी कम उम्र में दिखने लगती है। इस सफेदी को छुपाने के लिए लोग बालों पर कलर लगाते हैं, जिसके कारण कई बार एलर्जी व अन्य नुकसान का खतरा बना रहता है। इसी वजह से स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सफेद बालों से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपचार के बारे में बता रहे हैं। लेख में मौजूद सारी जानकारी वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है। • आनुवंशिकता: असमय बाल सफेद होने का एक कारण आनुवंशिकता भी है। यह कारक निर्धारित करता है कि उम्र के किस पड़ाव में आकर बालों में पिगमेंट की कमी होनी शुरू होगी। • पोषक तत्व की कमी- बालों के सफेद होने का एक कारण पोषक तत्वों की कमी भी हो सकता है। खासकर विटामिन की कमी से बाल सफेद हो सकते हैं। इसके अलावा, क्लोरोक्वीन 8-1 जैसी दवाएं भी सफेद बालों के लिए जिम्मेदार हैं • चिकित्सीय स्थिति : थायराइड, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और विटिलिगो (सफेद दाग) के कारण भी बालों के सफेद होने के आसार बढ़ जाते हैं • तनाव : बाल सफेद होने का एक कारण तनाव भी है। तनाव से शरीर बुरी तरह प्रभावित होता है, जिसका एक नकारात्मक प्रभाव बालों का सफेद होना भी है • रसायन : रसायन युक्त शैम्पू, साबुन व हेयर डाई आदि का उपयोग बाल सफेद होने का कारण बन सकते हैं। यह समस्या एलर्जी की वजह से भी हो सकती है पढ़ते रहें आगे हम जानेंगे उन घरेलू उपायों के बारे में, जो बालों को असमय सफेद होने से रोक सकते हैं। सफेद बालों का घरेलू उपाय– Home Remedies for White Hair in Hindi बालों को सफेद होने से बचाने के लिए कई लोग डाई ...

टॉन्सिल (टॉन्सिलाइटिस) के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज

14 वर्षीय इमरान के गले में दर्द उठने लगा और लार टपकने लगा जिसके कारण इमरान के पिता ‘सोहेल’ काफी ज्यादा परेशान हो गए। उन्होंने तुरंत इमरान को किसी अच्छे ENT डॉक्टर को दिखाने का निर्णय लिया, जिसके बाद सोहेल ‘Pristyn Care’ के वरिष्ठ डॉ. अनुपमा से मिलें। सोहेल और डॉक्टर अनुपमा के बीच कुछ बातें हुईं फिर डॉक्टर को इस बात का अनुभव हुआ कि इमरान को टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) की समस्या हो सकती है। हमारे गले के पीछे टिश्यू (Tissue) की दो नर्म गांठ होती है, जिन्हें टॉन्सिल (Tonsil) कहते हैं। इनका मुख्य कार्य शरीर को इंफेक्शन से बचाना है। इंफेक्शन के संपर्क में आने के कारण इनमें सूजन की समस्या हो सकती है और इनके आकार में बदलाव हो सकता है। ‘टॉन्सिल’ लिंफेटिक सिस्टम (Lymphatic System) में पाए जाते हैं। टॉन्सिल (Tonsil) शरीर में इंफेक्शन से लड़ता है लेकिन इन्हें निकाल देने पर शरीर में कोई बुरा असर देखने को नहीं मिलता है। इनके निकल जाने के बाद भी शरीर इंफेक्शन को लेकर उतना ही संवेदनशील होता है जितना इनके रहने पर। वैसे तो टॉन्सिल्स 2 से 2.5 सेंटीमीटर तक के हो सकते हैं लेकिन यौवन के समय इनका आकार ज्यादा होता है। बाद में इनका आकार कम होने लगता है।“ Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • टॉन्सिलाइटिस क्या है — What is Tonsillitis in Hindi जब सोहेल ने डॉक्टर से टॉन्सिलाइटिस के बारे में पूछा तो डॉक्टर अनुपमा समझाती हैं, “ टॉन्सिल्स मुख्य रूप से हमारे शरीर में मौजूद संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं। लेकिन जब टॉन्सिल्स खुद संक्रमित हो जाते हैं तो उसे टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) कहा जाता है। यह समस्या छोटी उम्र के बच्चों में अधिक देखी जाती है। 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु तक के बच्चों में ...

फंगल इन्फेक्शन कारण, लक्षण, प्रकार और घरेलू उपचार

Fungal Infection In Hindi फंगल संक्रमण (fungal infections) एक आम प्रकार का संक्रमण है। मनुष्यों में, फंगल संक्रमण तब होता है जब कवक (fungus) शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते है और प्रतिरक्षा प्रणाली इनसे लड़ने में सक्षम नहीं होती है। इस लेख में, आप जानेंगे कि एक फंगल संक्रमण क्या होता है, फंगल इन्फेक्शन के प्रकार, यह किन कारणों से होता है ओर फंगल इन्फेक्शन के लक्षण क्या होते है, इसके निदान और उपचार क्या हैं। कुछ कवक ऐसे भी हैं जो मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। अतः मानव शरीर में पाए जान वाले कवकों में कुछ उपयोगी कवक होते है और कुछ हानिकारक कवक होते हैं। जब हानिकारक कवक की अधिक मात्रा शरीर पर आक्रमण करती है, तो मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें नष्ट करने में सक्षम नहीं होती है। यह कवक पर्यावरण दशाओं के कारण जीवित रहते हैं और स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. • • • • • • फंगल इन्फेक्शन क्या है – What are Fungal Infections in Hindi फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections) मानव शरीर को प्रभावित करने वाला एक कवक संक्रमण है। यह तब होता है, जब कवक की अधिक मात्रा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है। जिससे कवक से प्रभावित त्वचा में लाला धब्बे, दाद, खुजली और त्वचा में घाव आदि लक्षण दिखाई देने लगते है। ये कवक हवा, मिट्टी, पौधों और पानी किसी भी जगह में विकसित हो सकते है। तथा ये पर्यावरणीय दशाओं में अनियंत्रित वृद्धि कर सकते है। हानिकारक कवक ही फंगल संक्रमण (Fungal Infections) का कारण बनते हैं। यदि इस संक्रमण का सही समय पर निदान और उपचार ना किया जाये, तो ये अधिक जोखिम दायक होते है। हालांकि, फंगल संक्रमण का इलाज किये जाने के बाद प...