तेरी जान कसम ले आया लहंगा गुल्लक फोड़ के

  1. तीसरी कसम कहानी सारांश


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तीसरी कसम कहानी सारांश

तीसरी कसम कहानी सारांश – फणीश्वरनाथ रेणु तीसरी कसम कहानी के लेखक हैं। इसमें उन्होंने बिहार प्रांत के ग्रामीण जीवन को उभारने का सफल प्रयास किया है। यह कहानी तीसरी कसम कहानी सारांश कहानी गांव के हीरामन गाड़ी वाले के जीवन को लक्ष्य करके लिखी गई है। हीरामन एक बार एक नौटंकी में काम करने वाली नृत्यांगना हीराबाई को अपनी गाड़ी में अत्यधिक दूर ले जाता है। मीराबाई गाड़ी में अकेली ही यात्रा करती है। उसका स्वरूप उसकी हीराबाई भी हीरामन को पसंद करने लगती है। किसी अन्य कंपनी में हीराबाई नौकरी लग जाने के कारण वह गांव छोड़ कर चली जाती है। इस प्रकार हीरामन की दुनिया सूनी हो जाती है। वह यह कह कर कलेजा थाम लेता है ‘अजी हां मारे गए गुलफाम’ तीसरी कसम कहानी सारांश इस प्रकार है- हीरामन प्रायः 20 साल से गाड़ी हाकता है। वह संभवतः सीमा के उस पार सोरंगराज नेपाल से तस्करी ढोता रहता है। यह करते हुए उसके दिल में थकान हो गया है। एक सीमा के इस पार तराई में उसकी गाड़ी पकड़ी गई थी, जब वह बड़ी गद्दी के बड़े मुनीम जी को कपड़े की गांठों के साथ ले जा रहा था। उस समय उसने अपने बैलों के साथ अंधेरों में भाग कर अपनी जान बचाई थी। एक बार उसने ₹100 लेकर सर्कस कंपनी के बाघ ढोए थे किंतु आज हीरामन एक महिला को ले जा रहा था। नाम है हीराबाई। वह पहले मथुरा मोहन नौटंकी में काम करती थी किंतु उसको छोड़ कर वह रीता नौटंकी में काम करने के लिए फारबिसगंज जा रही है। उसने चंपा का इत्र अपने कपड़ों में लगा रखा है। चंपा की सुगंध हीरामन को पागल बनाए दे रही है। आप तीसरी कसम कहानी सारांश पढ़ रहे हैं। हीरामन के मन में हलचल होती है और वह हीराबाई से बातें करता है। हीराबाई एक चालाक नारी की भांति उस को बढ़ावा देती रहती है। लेखक लिखता है कि हीराबा...