थैलेसीमिया क्या है

  1. World Thalassaemia Day 2021: What Is Thalassaemia?
  2. थैलेसीमिया क्या है, थैलेसीमिया का इलाज
  3. World Thalassaemia Day: क्या है थैलेसीमिया बीमारी, कैसे करती है प्रभावित, इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी
  4. थैलेसीमिया Thalassemia
  5. थैलेसीमिया क्या है? : लक्षण और कारण
  6. थैलेसीमिया क्या होता है
  7. World Thalassemia Day 2023: कैसे पहचानें कि आपको थैलेसीमिया है? क्या इसका इलाज है संभव


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World Thalassaemia Day 2021: What Is Thalassaemia?

World Thalassaemia Day 2021: क्या होता है थैलेसीमिया, क्यों और किसे होता है, कैसे करता है शरीर को प्रभाव‍ित थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. एक माइनर थैले‍सीमिया और दूसरा मेजर थैलेसीमि‍या. माइनर थैलेसीमिया वाले बच्चों में खून कभी भी सामान्य के स्तर तक नहीं पहुंच पाता यह हमेशा कम रहता है, लेकिन ये स्वस्थ जीवन जी लेते हैं. वहीं, मुश्किल बड़ी मेजर थैलेसीमिया वाले बच्चों के लिए होती है. उन्हें लगभग हर 21 दिन या हर महीने खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है, जो आमतौर पर बच्चे में जन्म से ही होता है. यह एक वंशानुगत रोग यानी हेरेडिटरी है, जो जीन के माध्यम से माता-पिता से बच्चे में आता है. थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है. एक माइनर थैले‍सीमिया और दूसरा मेजर थैलेसीमि‍या. माइनर थैलेसीमिया वाले बच्चों में खून कभी भी सामान्य के स्तर तक नहीं पहुंच पाता यह हमेशा कम रहता है, लेकिन ये स्वस्थ जीवन जी लेते हैं. वहीं, मुश्किल बड़ी मेजर थैलेसीमिया वाले बच्चों के लिए होती है. उन्हें लगभग हर 21 दिन या हर महीने खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. क्या होता है थैलेसीमिया? यह भी पढ़ें • करौंदा को एनीमिया और लो इम्यूनिटी वाले इन 4 तरीकों से करें डाइट में शामिल, देगा भरपूर आयरन और विटामिन सी • एनेमिक हैं या फिर है खून की कमी तो इन चीजों को खाएं, तेजी से बढ़ने लगेगा खून, कुछ ही दिन में दिखेगा असर • Women's Fertility: इस वजह से भी आ जाती है प्रजनन क्षमता में कमी, महिलाएं फर्टिलिटी पावर बढ़ाने के लिए करें ये काम क्योंकि थैलेसीमिया एक तरह का रक्त विकार यानी ब्लड डिसऑर्डर है. तो सबसे पहले समझते हैं खून को. ये तो हम सबको पता है कि खून पतला तरल पदार्थ है, जो हमारी नसों में दौड़ता है. यह गाढ़ा, क...

थैलेसीमिया क्या है, थैलेसीमिया का इलाज

पूरी दुनिया को अगर माता-पिता दोनों ही थैलेसीमिया के कैरियर हों तो शिशु को गंभीर थैलेसीमिया होने का खतरा 25 प्रतिशत अधिक होता है। भारत की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में हर साल करीब 10 हजार शिशु, थैलेसीमिया के साथ पैदा होते हैं। ऐसे में शिशु के इलाज में होने वाले खर्च की वजह से परिवार के खर्च पर अतिरिक्त बोझ बहुत अधिक हो जाता है। गंभीर थैलेसीमिया मुख्य रूप से दो तरह का होता है- अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया। अल्फा थैलेसीमिया में कम से कम एक अल्फा ग्लोबिन जीन्स में विकृति या उत्परिवर्तन होता है जबकि बीटा थैलेसीमिया में बीटा ग्लोबिन जीन्स प्रभावित होते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको थैलेसीमिया के इलाज से जुड़ी 3 बातों के बारे में बता रहे हैं। • • • थैलेसीमिया के मरीजों को 6 महीने की उम्र से लेकर जीवन में तब तक myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने एक नई दवा लुस्पाटरसेप्ट को थैलेसीमिया से पीड़ित वयस्क मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। यह एक इंजेक्शन है। क्लिनिकल ट्रायल में लुस्पाटरसेप्ट लेने वाले थैलेसीमिया के मरीजों में खून चढ़ाने की जरूरत में 70 प्रतिशत तक की कमी देखी गई। हालांकि भारत जैसा देश जहां संसाधनों की कमी है, थैलेसीमिया के मरीजों के लिए बचाव ही इलाज का बेहतरीन तरीका है। पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं जैसे- मरीजों ...

World Thalassaemia Day: क्या है थैलेसीमिया बीमारी, कैसे करती है प्रभावित, इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी

World Thalassaemia Day 2023: वर्ल्ड थैलेसीमिया डे हर साल 8 मई को मनाया जाता है। थैलेसीमिया एक ब्लड डिसऑर्डर की बीमारी है। इसी के बारे में जागरुकता फैलाने और इस कम को दूर करने के लिए हर सालल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक थैलेसीमिया का सबसे ज्यादा असर भारत में ही देखने को मिलता है। यह सामान्य तौर पर ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से हमें विरासत में मिलता है। अगर आपके माता-पिता इस बीमारी से पीड़ित हो तो ये बच्चे में भी ट्रांसफर हो सकता है। थैलेसीमिया हीमोग्लोबिन का उत्पादन कम होता है इसलिए एनीमिया के लक्षण भी दिखते हैं। थैलेसीमिया के हल्के लक्षण को इलाज की ज्यादातर जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन गंभीर रूपों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन और डोनर स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत हो सकती है। इसलिए ऐसे में ये बहुत जरूरी हो जाता है कि आप थैलेसीमिया के बारे में जाने। थैलेसीमिया के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है। क्या है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे का इतिहास?

थैलेसीमिया Thalassemia

थैलेसीमिया विरासत में मिली ब्लड से जुड़ी एक बीमारी है। जो व्यक्ति के शरीर की नॉर्मल हीमोग्लोबिन बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में मिलने वाला एक जरूरी प्रोटीन है। जो इन रेड ब्लड सेल्स को पूरे शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई करने की अनुमति देता है, साथ ही आपके शरीर की अन्य कोशिकाओं को पोषण भी देता है। अगर किसी व्यक्ति को थैलेसीमिया है, तो उसका शरीर कम हेल्दी हीमोग्लोबिन प्रोटीन का उत्पादन करता है और उसकी अस्थि मज्जा (Bone marrow) कम स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन करती है। रेड ब्लस सेल्स के कम होने को एनीमिया कहा जाता है क्योंकि शरीर के टिश्यूज तक ऑक्सीजन पहुंचाने में रेड ब्लस सेल्स का रोल बहुत ही खास होता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। थैलेसीमिया के लक्षण थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के शरीर में धीरे-धीरे पीलापन बढ़ता जाता है। बच्चे का मूड भी बढ़ते समय के साथ चिड़चिड़े होते जाते हैं, भूख कम लगती है। स्तनपान कम कर होते जाता है, जिसके चलते वज़न गिरते जाता है। वजन न बढ़ने के बाद भी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों का पेट नॉर्मल बच्चों की तुलना में बढ़ा हुआ होता है। थैलेसीमिया के कितने प्रकार हैं? थैलेसीमिया दो प्रकार होते हैं - अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया अल्फा थैलेसीमिया आपको चार जीन विरासत में मिलते हैं, प्रत्येक माता-पिता से दो, जो अल्फा ग्लोबिन प्रोटीन श्रृंखला बनाते हैं। जब एक या अधिक जीन दोषपूर्ण होते हैं, तो आप अल्फा थैलेसीमिया विकसित करते हैं। बीटा थैलेसीमिया आपको दो बीटा-ग्लोबिन जीन विरासत में मिलते हैं, प्रत्येक माता-पिता से एक। आपके एनीमिया के लक्षण और आपकी स्थिति कितनी गंभीर है यह इस बात...

थैलेसीमिया क्या है? : लक्षण और कारण

थैलेसीमिया : लक्षण और कारण थैलेसीमिया क्या है? थैलेसीमिया मूल रूप से एक विरासत में मिला रक्त विकार है। थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों में हीमोग्लोबिन का स्तर असामान्य होता है। थैलेसीमिया आरबीसी या लाल रक्त कोशिकाओं के अत्यधिक विनाश में योगदान देता है। यह बदले में एनीमिया की ओर जाता है, एक ऐसी स्थिति जहां शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की आवश्यक मात्रा नहीं होती है। यह एक आनुवंशिक रक्त रोग है और यदि माता-पिता में से एक या दोनों में रोग पैदा करने वाला जीन है तो बच्चों को यह विकार विरासत में मिलता है। यदि माता-पिता दोनों को थैलेसीमिया है तो बच्चे के रोग विकसित होने का जोखिम बहुत अधिक होता है। हालांकि थैलेसीमिया के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन रोग की पहचान करने के लिए कुछ निर्धारित चिकित्सीय परीक्षण हैं। एक सामान्य चिकित्सक भी आपको आपकी स्थिति के बारे में बता सकता है लेकिन उचित निदान के लिए एक हेमेटो ऑन्कोलॉजिस्ट, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन या मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट को देखना महत्वपूर्ण है। थैलेसीमिया के लक्षण • फुर्ती • बार-बार संक्रमण होना • पीलापन • अपर्याप्त भूख • पीलिया • बढ़े हुए अंग यह महत्वपूर्ण है कि लोग बीमारी के लक्षणों से अवगत हों ताकि वे सतर्क हो सकें और देर होने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर सकें। भारत में थैलेसीमिया का इलाज रक्त परीक्षण के बाद रोग का निदान किया जाता है और उपचार रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर सबसे अच्छा उपचार निर्धारित करेगा जो विशेष मामले के लिए सबसे अच्छा काम करता है। सबसे आम और प्रभावी उपचारों में शामिल हैं: • ब्लड ट्रांसफ़्यूजन • अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण • दवाएं • ऑपरेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस घोषित किया है ।...

थैलेसीमिया क्या होता है

By थैलेसीमिया एक जन्मजात बीमारी है जो माता पिता के जीन्स से बच्चों को मिलती है , जिसकी वजह से बच्चे को जन्म से लेकर मृत्यु तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत रहती है, थैलेसीमिया एक ऐसा ब्लड डिसॉर्डर है, जिसकी वजह से मरीज के शरीर में RBC यानी रैड ब्लड सेल्स कम बनती हैं या बनती ही नहीं या जिस फॉर्म और रूप में बननी चाहिए उस फार्म में नहीं बनती!! 6 थैलेसीमिया का इलाज थैलेसीमिया के प्रकार 1-माइनर थैलेसीमिया 2-मेजर थैलेसीमिया 1-माइनर थैलेसीमिया माइनर थैलेसीमिया एक तरह से बीमारी तो नहीं है क्योंकि इसका किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं होता है, बस आम तौर पर माइनर थैलेसीमिया कैरियर की हीमोग्लोबिन 12.5 से नीचे ही रहती है मतलब की RBC पूरी मात्रा में नही बनती और जहां तक हमारी जानकारी है RBC जिस रूप और फॉर्म में बननी चाहिए उसमें भी नहीं बनती लेकिन एक बार फिर कहते हैं कि *माइनर किसी तरह की बीमारी नहीं है* ये बस एक अवस्था है हमारे ब्लड की! 2-मेजर थैलेसीमिया मेजर थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में RBC नहीं बन पाती जिसकी वजह से मरीज को जन्म से लेकर मृत्यु तक ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है , जिसका एक मात्र इलाज है *बोन मेरो ट्रांसप्लांट* मेजर थैलेसीमिया का कारण. दो माइनर थैलेसीमिया कैरियर की अगर आपस में शादी हो जाये तो उनसे जो बच्चा पैदा होगा उसके 50 फीसदी चांस होते हैं कि वो मेजर पैदा होगा* *और केवल व केवल मेजर पेशेंट के दुनिया में आने की वजह ही यही है कि दो माइनर की आपस में शादी और फिर उनसे बच्चे का पैदा होना* रोकथाम इलाज व बचाव *शादी करने से पहले अगर दोनों पक्षों का माइनर थैलेसीमिया टेस्ट करा लिया जाये और अगर दोनों माइनर हैं तो उनकी शादी रोक दी जाये तो मेजर बच्चे को दुनिया में आने से रोका जा सकता है* और ...

World Thalassemia Day 2023: कैसे पहचानें कि आपको थैलेसीमिया है? क्या इसका इलाज है संभव

थैलेसीमियाअसामान्य हीमोग्लोबिनऔर रेड ब्लड सेल्स (RBC) के उत्पादन से जुड़ा एक ब्लड डिसऑर्डर है. जिसके कारण इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है. जिसकी वजह से वो एनीमिया का शिकार बन जाता है और उस व्यक्ति में हर समय कमजोरी, थकावट महसूस होना, पेट में सूजन, डार्क यूरिन, त्वचा का रंग पीला पड़ जाना, हड्डियों की विकृति, हृदय संबंधी बीमारियों, दिल की धड़कन, बढ़े हुए जिगर, पीलिया, गाल या माथे की बढ़ी हुई हड्डियों जैसी समस्याएं सामने आ सकतीहै. ऐसा लक्षण आने पर आप किसी डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं और इसकी जांच करा सकते हैं.