थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना

  1. [Solved] थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना किसने की?
  2. प्रार्थना समाज की स्थापना किसने की थी , कब हुई , prarthana samaj in hindi प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे नाम लिखिए
  3. दक्षिण भारत में सुधार आन्दोलन
  4. थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना
  5. थियोसोफिकल सोसाइटी क्या है इसके प्रमुख सिद्धांत क्या है? – ElegantAnswer.com
  6. थियोसोफिकल सोसायटी के विषय से आप क्या समझते हैं?
  7. थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना, कार्य और सिद्धांत


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[Solved] थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना किसने की?

सही उत्तर मैडम ब्लावात्स्की और कर्नल ऑलकाटहै। Key Points • थियोसोफिकल आंदोलन: • पश्चिमी देशों के एक समूह ने मैडम एच.पी. ब्लावात्स्की (1831- 1891) और कर्नल एम.एस. ऑलकाट , जो भारतीय विचार और संस्कृति से प्रेरित थे, ने 1875 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना की। • 1882 में, उन्होंने अपना मुख्यालय भारत में मद्रास (उस समय) के बाहरी इलाके अडयार में स्थानांतरित कर दिया। • सोसाइटी का मानना ​​था कि चिंतन, प्रार्थना, रहस्योद्घाटन आदि द्वारा किसी व्यक्ति की आत्मा और भगवान के बीच एक विशेष संबंध स्थापित किया जा सकता है। • इसने पुनर्जन्म और कर्म में हिंदू मान्यताओं को स्वीकार किया, और उपनिषदों और योग, विचार के योग और वेदांत स्कूलों के दर्शन से प्रेरणा ली। • इसने जाति, पंथ, लिंग, जाति या रंग के भेद के बिना मानवता के सार्वभौमिक भाईचारे के लिए काम करने का लक्ष्य रखा। • समाज ने प्रकृति के अस्पष्ट कानूनों और मनुष्य में निहित शक्तियों की जांच करने की भी मांग की। • थियोसोफिकल आंदोलनहिंदू पुनर्जागरण के साथ संबद्ध किया गया। • इसने बाल विवाह का विरोध किया और जातिगत भेदभाव को समाप्त करने, बहिर्गमन के उत्थान, विधवाओं की स्थिति में सुधार का समर्थन किया। West Bengal Public Service Commission (WBPSC) has released the detailed WBCS Notification.Candidatesappliedfrom 28th February 2023. The prelims is expected to take place in June 2023 or later. The application can be corrected from 31st March to 6th April 2023. Selection of the candidates is based on the performance in the prelims, mains and interview. To crack the examination like WBCS, candidates need to che...

प्रार्थना समाज की स्थापना किसने की थी , कब हुई , prarthana samaj in hindi प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे नाम लिखिए

जान पाएंगे prarthana samaj in hindi प्रार्थना समाज की स्थापना किसने की थी , कब हुई , प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे नाम लिखिए ? प्रश्न: प्रार्थना समाज उत्तर: आत्मा राम पाण्डुरंग, महागोविन्द रानाड़े द्वारा 1867 में बम्बई में ब्रह्म समाज की एक शाखा के रूप में प्रार्थना समाज की स्थापना की। आर.जी. भण्डारकर, एम.जी. चन्द्रावकर इसके अन्य प्रमुख नेता थे। समाज के चार उद्देश्य थे- 1. जाति-पाति का विरोध, 2. विवाह की आयु बढ़ाना, 3. विधवा पुनः विवाह पर जोर, 4. स्त्री शिक्षा को बढ़ावा। समाज द्वारा स्थापित संस्थाएं निम्नलिखित थी – ऽ सोसियल सर्विस लीग (समाज सेवा संघ)। ऽ दलित जाति मंडल (क्मचतमेेमक ब्संेेमे डपेेपवद)। ऽ आर्य महिला समाज – पं. रमाबाई। ऽ पूना सेवा सदन (महिलाओं हेतु) – पं. रमाबाई व देवधर ऽ विधवा आश्रम संघ – महागोविन्द रानाड़े एवं कर्वे प्रश्न: महागोविंद रानाड़े उत्तर: महाराष्ट्र का सुकरात पश्चिमी भारत में सांस्कृतिक पुनः जागरण का अग्रदूत महागोविंद रानाड़े समाज सेवक के साथ-साथ एक उच्च स्तरीय दार्शनिक एवं इतिहासकार थे। इनके द्वारा अनेक महत्वपूर्ण संस्थाएं स्थापित की गई, जिनमें प्रमुख थी – विधवा विवाह संघ (1861), पूना सार्वजनिक सभा (1867), दक्कन एजुकेशन सोसायटी (1884) तथा विधवा आश्रम संघ आदि द्वारा समाजोत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रश्न: गोपाल हरि देखमुख उत्तर: गोपाल हरि देखमुख (1823-92 ई.) पश्चिमी भारत के महान समाज सुधारक थे। इन्होंने मराठी मासिक पत्रिका ‘लोकहितवादी‘ का संपादन किया। इन्होंने बाल विवाह, जाति प्रथा और दासता की निंदा की एवं विधवा पुनर्विवाह एवं स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए कार्य किया। इन्होंने अहमदाबाद में ‘विधवा पुनर्विवाह मंडल‘ की शुरूआत की। ये लोकहितवादी क...

दक्षिण भारत में सुधार आन्दोलन

दक्षिण भारत में सुधार उत्तरी और पश्चिमी भारत में होने वाले सुधारों का प्रभाव दक्षिण भारत पर भी पड़ा। केशवचंद्र सेन की मिशनरी गतिविधियों के फलस्वरूप 1864 में मद्रास में ‘वेद समाज’ की स्थापना हुई। 1871 में श्रीधरलू नायडू ने इस संगठन को पुनः संगठित किया और इसका नाम ‘ब्रह्म समाज ऑफ साउथ इंडिया’ रखा गया। 1871 में बंगाल समाज में फूट पड़ने के बाद, साधारण ब्रह्म समाज के नेता शिवनाथ शास्त्री मद्रास गए और आंदोलन को शक्ति प्रदान की। एम० बुचीआह पंतुलू और आर0 वेंकट रत्नम समाज के प्रमुख नेता थे। परंतु दक्षिण में ब्रह्म समाज आंदोलन बड़ी धीमी गति से बढ़ा। वास्तव में यह आंदोलन वहाँ कभी भी सशक्त नहीं हो पाया। मद्रास में ब्रह्म समाज से ज्यादा प्रार्थना समाज का प्रभाव रहा। दक्षिण में प्रार्थना समाज के प्रसार का सबसे बड़ा श्रेय वीरेसलिंगम पंतुलू को है। 1878 में उन्होंने तेलुगु प्रदेश में आंदोलना की शुरूआत की और ‘राजमुन्द्री सोसल रिफार्म एसोसिएशन’ की स्थापना की। वीरेसलिंगम् अपने समय के तेलुगु के सबसे बड़े विद्वान थे जिनका तेलुगु भाषा की उन्नति में बड़ा योगदान रहा। भारत के परंपरावादी विश्वासों पर अंग्रेजी संपर्क के प्रभाव से लेकर जाति प्रथा एवं मूर्तिपूजा के दोष तक उनके चिंतन के विषय थे। उनका व्यक्तित्व महान था और तत्कालीन आंदोलन के वे स्वयं कर्णधार थे। तब बंबई की तरह मद्रास में सुधारकों का कोई ऐसा दल नहीं था जो किसी आंदोलन को आगे बढाने के लिए कृतसंकल्प हो। वहाँ सुधारकों में वह उत्साह नहीं था जो बंबई या बंगाल में मौजूद था। दक्षिण में धार्मिक एवं सामाजिक सुधारों की गति उत्तर या पश्चिमी भारत के अनुपात में धीमी रहने के कई कारण थे। 19वीं शताब्दी के शुरू में दक्षिण में आधुनिक शिक्षा का अभाव इसका एक क...

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना

इसकी अवधारणा उन पश्चिमी विद्वानों द्वारा आरम्भ की गई जो भारतीय संस्कृति और विचारों से बहुत प्रभावित थे। इस समाज के अनुयायी हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म तथा कर्म के सिद्धांतों में विश्वास करते थे। वे सांख्य तथा वेदान्त दर्शन (उपनिषद दर्शन) को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे। इनका विश्वास आध्यात्मिक भ्रातृभाव में था।

थियोसोफिकल सोसाइटी क्या है इसके प्रमुख सिद्धांत क्या है? – ElegantAnswer.com

थियोसोफिकल सोसाइटी क्या है इसके प्रमुख सिद्धांत क्या है? इसे सुनेंरोकेंथियोसॉफिकल सोसाइटी (Theosophical Society) एक अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था है। ‘थियोसोफी ग्रीक भाषा के दो शब्दों “थियोस” तथा “सोफिया” से मिलकर बना है जिसका अर्थ हिंदू धर्म की “ब्रह्मविद्या”, ईसाई धर्म के ‘नोस्टिसिज्म’ अथवा इस्लाम धर्म के “सूफीज्म” के समकक्ष किया जा सकता है। मनुष्य ईश्वर को कहाँ कहाँ ढूँढ़ता है? इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 8 : मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है? उत्तर : मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूँढता फिरता है। थियोसोफिकल सोसायटी से कौन संबंधित है? इसे सुनेंरोकेंथियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना 1875 में ‘मैडम एच.पी. ब्लैवेत्स्की’ और ‘कर्नल एच.एस. आल्काट’ ने अन्य सहयोगियों के साथ अमेरिका में की थी। सन् 1879 में इसका मुख्यालय मुंबई में स्थानांतरित हुआ तदुपरांत सन् 1882 में अंडयार (चेन्नई) में स्थापित हो गया। ईश्वर की प्राप्ति कब होती है? इसे सुनेंरोकेंस्वाध्याय का तात्पर्य अच्छे-अच्छे ग्रंथों का अध्ययन करना तो है ही अपना अध्ययन करना भी है। इसे आत्मनिरीक्षण की घड़ी भी कह सकते हैं। जब तक मनुष्य आत्मनिरीक्षण या आत्म विश्लेषण नहीं करता तब तक वह प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकता। ईश्वर प्राप्ति के लिए ईर्ष्या द्वेष आदि कुटिल भावनाओं का त्याग नितांत आवश्यक है। हम ईश्वर को क्यों नहीं ढूंढ पाते? इसे सुनेंरोकेंSolution. मनुष्य ईश्वर को इसलिए नहीं खोज पाता है क्योंकि वह ईश्वर का वास मंदिर-मस्जिद जैसे धर्मस्थलों और काबा-काशी जैसी पवित्र मानी जाने वाली जगहों पर मानता है। वह इन्हीं स्थानों पर ईश्वर को खोजता-फिरता है। वह ईश्वर को अपने भीतर नहीं खोजता है। भारत में थियोसोफिक...

थियोसोफिकल सोसायटी के विषय से आप क्या समझते हैं?

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना 1857 ई० में अमेरिकी कर्नल हेनरी स्टील अल्काट तथा एक रूसी महिला मैडम हेलेन पेट्रोवना ब्लेवस्ट्स्की द्वारा, न्यूयार्क में की गई। भारत में इस संस्था का मुख्यालय 1893 ई० में मद्रास के समीप अड्यार नामक स्थान पर खोला गया। भारत में इस संस्था की अध्यक्ष एक आयरिश महिला श्रीमति एनी बेसेण्ट बनी। थियोसोफिकल सोसायटी का गठन सभी प्राचीन धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन इस संस्था ने प्राचीन हिन्दू धर्म को अत्यधिक गूढ़ व आध्यात्मिक माना। थियोसोफिकल सोसायटी के प्रचारकों ने हिन्दू धर्म की बहुत प्रशंसा की तथा इस धर्म के विचारों का प्रचार किया। इस संस्था ने हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का भी प्रयत्न किया। इस संस्था का विश्वास सभी धर्मों के मूल सिद्धान्तों में था।

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना, कार्य और सिद्धांत

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना, कार्य और सिद्धांत (theosophical society, theosophical society ki sthapna, karya aur Siddhant थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना उन विद्वानों ने की थी जो भारतीय संस्कृति और विचारों से बहुत प्रभावित हुए थे 1875 ई• में रूस की एक महिला ने थियोसोफिकल सोसायटी की नींव न्यूयॉर्क में रखी थी। कुछ दिनों बाद कर्नल अलकॉट उनके संपर्क में आए और उन्होंने अपनी सोसाइटी का मुख्यालय भारत के चेन्नई राज्य में स्थापित किया। आगे चलकर श्रीमती एनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष बनीं। Contents • 1 थियोसोफिकल सोसायटी • 1.1 थियोसोफिकल सोसायटी के कार्य • 1.2 थियोसोफिकल सोसायटी के सिद्धांत थियोसोफिकल सोसायटी 1893 ई• में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेंट बनी श्रीमती एनी बेसेंट भारतीय विचार एवं संस्कृति से परिचित हैं बाद में वह मेल मिलाप और सामाजिक शिष्टाचार से हिंदू हो गई। श्रीमती एनी बेसेंट को भारत के प्राचीन धर्म में विश्वास था उन्होंने अपनी सोसाइटी के माध्यम से हिंदू धर्म के उत्तम विचारों को चारों ओर फैलाया तथा साथ ही हिंदू धर्म में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का भी प्रयत्न किया। थियोसोफिकल सोसायटी के कार्य 1. इस संस्था के लोगों ने हिंदू धर्म में सुधार किया और भारतीयों के हृदय में स्वाभिमान की भावना जगाई। 2. शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए। 3. श्रीमती एनी बेसेंट ने बनारस में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की आगे चलकर यही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध हुआ। 4. इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय लोगों में राष्ट्रीय भावना को जागृत किया और इन्होंने 1916 में होमरूल लीगका गठन किया 1917 में वे कांग्रेस की अध्यक्ष भी...