तिरुपति बालाजी की चढ़ाई कितनी है

  1. भक्ति के साथ
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें
  3. तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर
  4. तिरुपति बालाजी की क्या है कहानी, भक्त क्यों देते हैं अपने बालों का दान
  5. तिरुपति बालाजी की संपूर्ण जानकारी व मंदिर से जुड़े अद्भुत 10 रहस्य (Tirupati Balaji ki sampoorn jankari v mandir se jude adbhut 10 rahasay in hindi)
  6. तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक
  7. Tirupati Balaji Online Darshan Booking


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भक्ति के साथ

तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित है। तिरुपति बालाजी को भक्त अगल- अलग नामों से पुकारते हैं। कोई उन्हें वेंकटेश्वर कहता है तो कोई श्रीनिवास। श्रद्धा से महिलाएं उन्हें प्यार से गोविंदा कहती हैं। भारत के सभी मंदिरो की तुलना में तिरुपति बालाजी के मंदिर को सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। यहां हर वर्ग के लाखों श्रद्धालु भगवान का आशीर्वाद लेने आते हैं। फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता आदि सभी तिरुपति बालाजी के दर्शन करने यहां आते हैं। गोविंदा के मंदिर तिरुपति बालाजी से जुड़ी कई मान्यताएं और विश्वास है। यहां कई ऐसी चीजें है जिनपर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है, वैज्ञानिक भी इन रहस्यों के पीछे की वजह तलाश रहे हैं। वैज्ञानिक कुछ भी कहें लेकिन वेंकटेश्वर के भक्त इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं। आइये आपको बताते हैं कि तिरुपति बालाजी का ये मंदिर आखिर क्यों इतना प्रसिद्ध है। मंदिर में रखी बालाजी की मूर्ति अपना स्थान बदलती है। मंदिर में मूर्ति को देखकर तब आश्चर्य होता है जब बाला जी की मूर्ति को गर्भ-गृह से देखने पर वह मंदिर के मध्य में दिखाई देती है और जब मंदिर से बाहर आकर देखें तो वह अपना स्थान बदलकर दाई ओर दिखाई देने लगती है। तिरुपति बालाजी के मंदिर में भगवान को एक पिचाई कपूर चढ़ाया जाता है। ये वह कपूर है जिसको अगर किसी और पत्थर पर लगाया जाता है तो वह पत्थर कुछ समय बाद चटक जाता है लेकिन भगवान की मूर्ति पर इसका कोई असर नहीं होती। कहते हैं कि तिरुपति बालाजी के मंदिर में जो भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति रखी है उस पर जो बाल लगे हैं वह अलसी है। यह बाल कभी भी नहीं उलझते। भक्तों की मान्यता है कि यहां भगवान स्वयं रहते हैं। तिरुपति बालाजी के मंदिर के इतिह...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें

भारत को मंदिर का देश यूं ही नहीं कहा जाता, कुछ तो बात है यहां के मंदिरों में..., जो हजारों किमी. दूर से लोगों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण आकर्षित करती हैं। यहां हजारों ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक इतिहास और रहस्य है, जिनसे आज तक न कोई पर्दा उठा सका और शायद किसी के बस की बात भी नहीं है। इन्हें में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर...। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख व पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भी है। चमत्कारों व रहस्यों से भरा हुआ यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और तिरुमाला पर्वत पर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में केश-दान की परम्परा मान्यताओं के मुताबिक, जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, वे मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपना बाल समर्पित (दान) करते हैं। दक्षिण में होने के बावजूद इस मंदिर से पूरे देश की आस्था जुड़ी है। यह प्रथा आज से नहीं बल्कि कई शाताब्दियों से चली आ रही है, जिसे आज भी भक्त काफी श्रद्धापूर्वक मानते आ रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां न सिर्फ पुरुष अपने बाल का दान करते हैं बल्कि महिलाएं व युवतियां भी भक्ति-भाव से अपने बालों का दान करती हैं। तिरुपति में केश दान करने के पीछे की कहानी क्या है? पौराणिक किवदंती के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर चीटियों ने बांबी बना ली थी, जिसके कारण वह किसी को दिखाई नहीं देती थी। ऐसे में वहां र...

तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर

आन्ध्र प्रदेश में अवस्थिति 13°40′59.7″N 79°20′49.9″E / 13.683250°N 79.347194°E / 13.683250; 79.347194 13°40′59.7″N 79°20′49.9″E / 13.683250°N 79.347194°E / 13.683250; 79.347194 वास्तु विवरण प्रकार द्रविड़ शैली आयाम विवरण मंदिर संख्या 1 अभिलेख द्रविड़ भाषाओं और संस्कृत में अवस्थिति ऊँचाई 853मी॰ (2,799फीट) वेबसाइट .tirumala .org तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। अनुश्रुतियां [ ] अनुक्रम • 1 अनुश्रुतियां • 2 इतिहास • 3 वर्णन • 3.1 मुख्य मंदिर • 3.2 मंदिर की चढ़ाई • 4 अन्य आकर्षण • 4.1 श्री पद्मावती समोवर मंदिर • 4.2 श्री गोविंदराजस्वामी मंदिर • 4.3 श्री कोदंडरामस्वमी मंदिर • 4.4 श्री कपिलेश्वरस्वामी मंदिर • 4.5 श्री कल्याण वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.6 श्री कल्याण वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.7 श्री वेद नारायणस्वामी मंदिर • 4.8 श्री वेणुगोपालस्वामी मंदिर • 4.9 श्री प्रसन्ना वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.10 श्री चेन्नाकेशवस्वामी मंदिर • 4.11 श्री करिया मणिक्यस्वामी मंदिर • 4.12 श्री अन्नपूर्णा-काशी विश्वेश्वरस्वामी • 4.13 स्वामी पुष्करिणी • 4.14 आकाशगंगा जलप्रपात • 4.15 श्री वराहस्वामी मंदिर • 4.16 श्री बेदी अंजनेयस्वामी मंदिर • 4.17 टीटीडी गार्डन • 4.18 ध्यान मंदिरम • 5 खानपान • 5.1 तिरुमला में • 5.2 तिरुपत...

तिरुपति बालाजी की क्या है कहानी, भक्त क्यों देते हैं अपने बालों का दान

Tirupati balaji mandir ki kahani: तिरुपति बालाजी का विश्व प्रसिद्ध आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पास तिरूमाला पहाड़ी पर स्थित है, जहां पर भगवान श्रीहरि विष्णु की वेंकटेश्वर के रूप में पूजा होती है। भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती (लक्ष्मी माता) के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। आओ जानते बालाजी की कहानी और भक्त क्यों देते हैं यहां पर अपने बालों का दान। पहली कथा :आदि काल में धरती पर जल ही जल हो गया था। यानी पैर रखने के लिए कोई जमीन नहीं बची थी। कहते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पवन देव ने भारी अग्नि को रोकने के लिए उग्र रूप से उड़ान भरी जिससे बादल फट गए और बहुत बारिश हुई और धरती जलमग्न हो गई। धरती पर पुन: जीवन का संचार करने के लिए श्रीहरि विष्णु ने तब आदि वराह अवतार लिया। उन्होंने अपने इस अवतार में जल के भीतर की धरती को ऊपर तक अपने तुस्क का उपयोग करके खींच लिया। इसके बाद पुन: ब्रह्मा के योगबल से लोग रहने लगे और आदि वराह ने तब बाद में ब्रह्मा के अनुरोध पर एक रचना का रूप धारण किया और अपने बेहतर आधे (4 हाथों वाले भूदेवी) के साथ कृदचला विमना पर निवास किया और लोगों को ध्यान योग और कर्म योग जैसे ज्ञान और वरदान देने का फैसला किया। दूसरी कथा:कलयुग के प्रारंभ होने पर आदि वराह वेंकटाद्री पर्वत छोड़कर अपने लोक चले गए जिसके चलते ब्रह्माजी चिंतित रहने लगे और नारद जी से विष्णु को पुन: लाने के लिए कहा। नारद एक दिन गंगा के तट पर गए जहां पर ऋषि इस बात को लेकर भ्रम में थे कि हमारे यज्ञ का फल त्रिदेवों में से किसे मिलेगा। नारद जी ने उनके शंका समाधान हेतु भृगु को यह कार्य सौंपा। भृगु ऋषि सभी देवताओं के पास गए, लेकिन भगवान शिव और विष्णुजी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया...

तिरुपति बालाजी की संपूर्ण जानकारी व मंदिर से जुड़े अद्भुत 10 रहस्य (Tirupati Balaji ki sampoorn jankari v mandir se jude adbhut 10 rahasay in hindi)

नमस्कार, दोस्तों आज हम एक विश्व के सुप्रसिद्ध मंदिर जिसकी ख्याति देश से लेकर विदेश तक फैली हुई है के बारे में बात करेंगे। आज हम तिरुपति बालाजी जो कि एक अद्भुत मंदिर होने के साथ-साथ रहस्यमई मंदिर भी है कि बारे में बात करेंगे। तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे चमत्कारिक व रहस्यमई मंदिरों में से एक है। तिरुपति बालाजी मंदिर में गरीब व अमीर दोनों ही बड़ी श्रद्धा पूर्वक यहां अपनी मनोकामना को लेकर भगवान बालाजी के सामने शीश झुकाने के लिए आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व के सबसे अमीर मंदिरों की गिनती में शामिल है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से बालाजी भगवान के दर पर प्रार्थना करते हैं, बालाजी भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं को जरूर पूरा करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां पर अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां दान या चढ़ावा चढ़ाते हैं या अपने बालों का दान करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। श्री रामानुज ने यहां पर स्थित सात पहाड़ियों में सातवीं पहाड़ी वेंकेटवरी की पहाड़ी पर चढ़ाई कर भगवान तिरुपति बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त किया था। रामानुज भगवान के आशीर्वाद से लगभग 112 वर्षों तक जीवित रहे। ऐसा माना जाता है कि तिरुपति बालाजी के गर्भ गृह में जो मूर्ति है उसे किसी ने नहीं बनवाया है बल्कि यह मूर्ति स्वयंभू अर्थात स्वयं प्रकट हुई है। भगवान विष्णु की काले रंग की यह मूर्ति देखने में बहुत ही भव्य, विशाल व आकर्षक हैं। मूर्ति को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो भगवान तिरुपति बालाजी (विष्णु) हमारे सामने खड़े हैं। यह मूर्ति इतनी वास्तविक प्रतीत होती है। तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में से एक हैं। इस मंद...

तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर भारत के उन मंदिरों में से एक है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये जाते तो हैं लेकिन इनमें से कुछ लोगों को ही पता है कि ये मंदिर कितना पुराना है। मंदिर को लेकर कई दंतकथाएं हैं लेकिन एक बात जो हम अच्छी तरह जानते हैं वो ये कि ये हज़ार बरसों से पूजा-अर्चना का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और इसे दक्षिण में पल्लव से लेकर विजयनगर के राय राजवंश का संरक्षण प्राप्त था। इस मंदिर में आज भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के तिरुपति शहर में तिरुमाला अथवा तिरुमलय पहाड़ी पर स्थित है। ये पूर्वी घाटों में शेषाचलम पर्वतमाला का हिस्सा है जिसकी सात चोटियां हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि ये सात चोटियां नागराज आदिशेष के सात फनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पर्वतमाला को देखने से लगता है मानों कोई सांप कुंडली मारे बैठा हो। पास की पहाड़ियों से दिखता तिरुपति बालाजी मंदिर | लिव हिस्ट्री इंडिया कहा जाता है कि तिरुमाला के भगवान श्री वेंकटेश्वर का आरंभिक उल्लेख ई.पू.दूसरी सदी के तमिल साहित्यिक ग्रंथ तोल्काप्पियम में मिला था। श्री वेंकटेश्वर सात पर्वतों के भगवान के रुप में जाने जाते हैं और ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह कलि युग (हिंदू धर्म के अनुसार विश्व की चार अवस्थाओं में से एक) में भागवान विष्णु के अवतार हैं। श्री वेंकटेश्वर मंदिर के साथ कई कथाएं जुड़ी हुई हैं और इनमें एक कथा ये भी है कि यहां मुख्य देवता की प्रतिमा स्वयंभू मूर्ति है। इसी वजह से मंदिर को अपने तमाम श्रृद्धालों के लिये पवित्र स्थान माना जाता है। पुराणों में मंदिर को लेकर कई कहानी-क़िस्से हैं। वराह पुराण के अनुसार मंदिर का निर्माण टों...

Tirupati Balaji Online Darshan Booking

Tirupati Balaji Online Darshan Booking ( Tirupati 300 rs Ticket) की इस पोस्ट में आपको तिरुपति बालाजी स्पेशल दर्शन टिकट की ऑनलाइन बुकिंग की समस्त जानकारी प्राप्त होगी हमने अपनी पिछली पोस्ट Tirupati Balaji Online Darshan Booking Kaise kare – तिरुपति बालाजी स्पेशल दर्शन टिकट आज हम तिरुपति बालाजी मंदिर की प्रसिद्धि , मान्यता , भव्यता की ज्यादा बात नहीं करेंगे क्यूंकि ये सब हमने आपको अपनी पिछली पोस्ट में बता ही दिया था तो आज सीधा बात करते है तिरुमला तिरुपति देवास्थानम की एक बेहद ही अच्छी सर्विस के बारे में , इस मंदिर में हर दिन हजारो की संख्या में भीड़ होती है तो यहाँ दर्शन पाने के लिए आपको कम से कम 6-7 घंटे तो लाइन में लगना ही पड़ता है | अच्छा कुछ लोग सच में ऐसे होते जो बालाजी महाराज के दर्शन करना तो चाहते है परन्तु किन्ही कारणोंवश (जैसे बुजुर्ग है या बीमार है या समय की कमी है ) इतनी देर लाइन में नहीं लग सकते ऐसे ही भक्तो के लिए मंदिर प्रशासन ने Tirupati Balaji Online Darshan Booking की व्यवस्था शुरू की जिसमे आप थोड़े से रूपये देकर जल्दी दर्शन का सौभाग्य पाते है | Tirupati Balaji Online Darshan Booking से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बाते चलिए अब हम लोग कुछ महत्वपूर्ण बाते जान ले जिससे हमें तिरुपति बालाजी स्पेशल दर्शन टिकट बुक करने में सुविधा रहे – ~ तिरुपति बालाजी के शीघ्र दर्शन की यह व्यवस्था देवास्थानम में सन 2009 से चलाई जा रही है | ~ यहाँ आपको जिस समय दर्शन करने है उससे तीन घंटे पहले भी बुकिंग करवा सकते हो यदि सीट खाली है तो आपको स्पेशल दर्शन की टिकट मिल जाएगी | ~ इस मन्दिर में Tirupati Balaji Darshan Tickets का शुल्क रूपये 300 निर्धारित किया गया है इसीलिये इसे Tirupati 300 rs Ti...