तिरुपति बालाजी मंदिर राजस्थान

  1. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें
  2. अदभुत,अकल्पनीय है, तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य!
  3. Preparations for Patotsav to be held in Tirupati Balaji temple in full swing grand event will be held
  4. Preparations for Patotsav to be held in Tirupati Balaji temple in full swing grand event will be held
  5. अदभुत,अकल्पनीय है, तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य!


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तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें

भारत को मंदिर का देश यूं ही नहीं कहा जाता, कुछ तो बात है यहां के मंदिरों में..., जो हजारों किमी. दूर से लोगों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण आकर्षित करती हैं। यहां हजारों ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक इतिहास और रहस्य है, जिनसे आज तक न कोई पर्दा उठा सका और शायद किसी के बस की बात भी नहीं है। इन्हें में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर...। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख व पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भी है। चमत्कारों व रहस्यों से भरा हुआ यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और तिरुमाला पर्वत पर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में केश-दान की परम्परा मान्यताओं के मुताबिक, जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, वे मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपना बाल समर्पित (दान) करते हैं। दक्षिण में होने के बावजूद इस मंदिर से पूरे देश की आस्था जुड़ी है। यह प्रथा आज से नहीं बल्कि कई शाताब्दियों से चली आ रही है, जिसे आज भी भक्त काफी श्रद्धापूर्वक मानते आ रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां न सिर्फ पुरुष अपने बाल का दान करते हैं बल्कि महिलाएं व युवतियां भी भक्ति-भाव से अपने बालों का दान करती हैं। तिरुपति में केश दान करने के पीछे की कहानी क्या है? पौराणिक किवदंती के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर चीटियों ने बांबी बना ली थी, जिसके कारण वह किसी को दिखाई नहीं देती थी। ऐसे में वहां र...

अदभुत,अकल्पनीय है, तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य!

🔊 Listen to Post तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। य़ह भारत के सबसे चमत्कारी और रहस्यमयी मन्दिरों में से एक मंदिर है। भगवान तिरुपति के दरबार में गरीब और अमीर दोनों श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवा का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं! तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। मंदिर का इतिहास मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार- गोपुरम माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब कांची पुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, परंतु 15 सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मंदिर की ख्याति सीमित रही। 15 सदी के पश्चात इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलनी शुरू हो गई। 1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला। हैदराबाद के मठ का भ...

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Bilara: राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा में पीपाड़ सिटी कस्बे के रेलवे स्टेशन रोड़ पर स्थित श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में आयोजित होने वाले पाटोत्सव कार्यक्रम की तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी है. श्री तिरुपति बालाजी मंदिर सेवा संस्थान द्वारा समूचे शहर में धार्मिक आयोजन का प्रचार कर शहर के हर धर्म प्रेमी परिवार को आयोजन में शरीक होने का निमंत्रण भी दिया जा रहा है. यह भी पढ़ें - इस दौरान धर्म प्रेमी नागरिक भी स्वेच्छा से आगे आकर अपनी श्रृद्धा अनुसार आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है. वहीं सोमवार को भामाशाह परिवार के दानदाता श्रीकिशन सोनी (माहेश्वरी) निवासी गुलेदगुड द्वारा 10 किलो शुद्ध चांदी से निर्मित पूजन के लिए बर्तन पात्र मंदिर में भेट किए गए हैं, जिस पर मंदिर ट्रस्ट के भंवरलाल चौहान, पन्नालाल सोनी, धनराज सोलंकी, चन्द्रशेखर व्यास, जगदीश छीपा, घनश्याम तिवाड़ी, रमेश अरोड़ा, सत्यनारायण पारीक आदि ने दानदाता परिवार का मंदिर की ओर से साधुवाद और आभार व्यक्त किया गया है. वहीं गत सायं समय ठेकेदार अमराराम मारोठिया द्वारा बंदोला प्रसादी का आयोजन कर मारोठिया बेरा पर बालाजी की सवारी का पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया गया. इस दौरान मेड़ता उप जिला कलेक्टर शैतान सिंह राजपुरोहित ने भी धार्मिक आयोजन की आरती में शिरकत कर भव्य आयोजन पर खुशी जाहिर कर इसमें शरीक होने का निमंत्रण स्वीकार किया गया है. मीडिया प्रभारी सत्यनारायण पारीक ने बताया कि बालाजी के विवाह उत्सव को लेकर मंदिर परिसर में दिनभर महिला श्रद्धालुओं द्वारा बालाजी के भजन और विवाह के मंगल गीत भी गाए जा रहे हैं. यह भी पढ़ें - वहीं बुधवार को महिलाओं द्वारा मंदिर परिसर में मेहंदी की रस्म अदा करने के साथ मेहंदी के मंगल गीतों पर नृत्य भ...

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Bilara: राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा में पीपाड़ सिटी कस्बे के रेलवे स्टेशन रोड़ पर स्थित श्री तिरुपति बालाजी मंदिर में आयोजित होने वाले पाटोत्सव कार्यक्रम की तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी है. श्री तिरुपति बालाजी मंदिर सेवा संस्थान द्वारा समूचे शहर में धार्मिक आयोजन का प्रचार कर शहर के हर धर्म प्रेमी परिवार को आयोजन में शरीक होने का निमंत्रण भी दिया जा रहा है. यह भी पढ़ें - इस दौरान धर्म प्रेमी नागरिक भी स्वेच्छा से आगे आकर अपनी श्रृद्धा अनुसार आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है. वहीं सोमवार को भामाशाह परिवार के दानदाता श्रीकिशन सोनी (माहेश्वरी) निवासी गुलेदगुड द्वारा 10 किलो शुद्ध चांदी से निर्मित पूजन के लिए बर्तन पात्र मंदिर में भेट किए गए हैं, जिस पर मंदिर ट्रस्ट के भंवरलाल चौहान, पन्नालाल सोनी, धनराज सोलंकी, चन्द्रशेखर व्यास, जगदीश छीपा, घनश्याम तिवाड़ी, रमेश अरोड़ा, सत्यनारायण पारीक आदि ने दानदाता परिवार का मंदिर की ओर से साधुवाद और आभार व्यक्त किया गया है. वहीं गत सायं समय ठेकेदार अमराराम मारोठिया द्वारा बंदोला प्रसादी का आयोजन कर मारोठिया बेरा पर बालाजी की सवारी का पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया गया. इस दौरान मेड़ता उप जिला कलेक्टर शैतान सिंह राजपुरोहित ने भी धार्मिक आयोजन की आरती में शिरकत कर भव्य आयोजन पर खुशी जाहिर कर इसमें शरीक होने का निमंत्रण स्वीकार किया गया है. मीडिया प्रभारी सत्यनारायण पारीक ने बताया कि बालाजी के विवाह उत्सव को लेकर मंदिर परिसर में दिनभर महिला श्रद्धालुओं द्वारा बालाजी के भजन और विवाह के मंगल गीत भी गाए जा रहे हैं. यह भी पढ़ें - वहीं बुधवार को महिलाओं द्वारा मंदिर परिसर में मेहंदी की रस्म अदा करने के साथ मेहंदी के मंगल गीतों पर नृत्य भ...

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🔊 Listen to Post तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। य़ह भारत के सबसे चमत्कारी और रहस्यमयी मन्दिरों में से एक मंदिर है। भगवान तिरुपति के दरबार में गरीब और अमीर दोनों श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगवा का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं! तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। मंदिर का इतिहास मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार- गोपुरम माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब कांची पुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था, परंतु 15 सदी के विजयनगर वंश के शासन के पश्चात भी इस मंदिर की ख्याति सीमित रही। 15 सदी के पश्चात इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलनी शुरू हो गई। 1843 से 1933 ई. तक अंग्रेजों के शासन के अंतर्गत इस मंदिर का प्रबंधन हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला। हैदराबाद के मठ का भ...