त्रिभुवन नारायण मंदिर किसने बनवाया

  1. समाधिश्वर महादेव / त्रिभुवन नारायण मंदिर चित्तौड़गढ़ का निर्माण और इतिहास।
  2. [Solved] निम्नलिखित में से किसने चित्तौड़ के "त्रिभु
  3. [SOLVED] निम्नलिखित में से किस ने "त्रिभुवन नारायण मंदिर" का निर्माण किया
  4. Rajasthan GK " Tribhuvan Narayann Shiv Mandir " Jise Ab Mokal Ka " Samiddheshwar Mandir " Ke Naam Se Jana Jata Hai , Ka Nirmann Kisne Karaya ? Gk Question Answers In Hindi
  5. Konark Sun Temple 13वीं शताब्दी में हुआ था सूर्य मंदिर का निर्माण जानें क्या है इसका महत्व


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समाधिश्वर महादेव / त्रिभुवन नारायण मंदिर चित्तौड़गढ़ का निर्माण और इतिहास।

समाधिश्वर महादेव का मंदिर, चित्तौड़गढ़/समृद्धेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध त्रिभुवन नारायण मंदिर ( तीन मूर्ति शिवजी की) चित्तौड़गढ़ किले पर स्थित बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। चित्तौड़गढ़ किले पर स्थित ऐतिहासिक स्मारकों में शामिल “विजय स्तंभ” के समीप और गौमुख कुण्ड के उत्तरी छौर पर यह मंदिर (समाधिश्वर महादेव का मंदिर, चित्तौड़गढ़) स्थित है। मूर्ति कला और अद्भुत कलाकारी की झलक इस मंदिर में देखने को मिलती है। यह भी पढ़ें- 4 कब होती है, आरती और पूजा पाठ त्रिभुवन नारायण मंदिर/समाधिश्वर महादेव का मंदिर, चित्तौड़गढ़ का इतिहास • अन्य नाम – समाधिश्वर महादेव का मंदिर (samadhishwara temple,chittorgarh ), राजा भोज का मंदिर और मोकलजी का मंदिर। • किसका मंदिर है – भगवान शिव। • विशेषता – तीन मुंह वाली शिव मूर्ति। • कहां स्थित हैं – चित्तौड़गढ़ किले पर। • ज़िला – चित्तौड़गढ़। • राज्य – राजस्थान (भारत). त्रिभुवन नारायण मंदिर/समाधिश्वर महादेव का मंदिर, चित्तौड़गढ़ को, भोज का मंदिर या नारायण का शिवालय नाम से भी जाना जाता है। अगर इस मंदिर के निर्माण की बात की जाए तो 11 वीं शताब्दी में हुआ था। त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण महाराजा भोज ने करवाया था, इसलिए इसे भोज का मंदिर नाम से जाना जाता है। जबकि सन 1428 ईसवी ( विक्रम संवत 1485 ) में महाराणा मोकल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। त्रिभुवन नारायण मंदिर (समाधिश्वर महादेव का मंदिर, चित्तौड़गढ़) को कई लोग मोकलजी का मंदिर नाम से भी जानते हैं। अगर बात इस मंदिर (samadhishwara temple) के गर्भ गृह की की जाए तो इसमें भगवान भोलेनाथ की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति है, जिसके तीन मुंह है। अत्यंत दुर्लभ और भव्य दिखने वाली यह शिव प्रतिमा और मंदिर देश के द...

[Solved] निम्नलिखित में से किसने चित्तौड़ के "त्रिभु

सही उत्तर परमार राजा भोज है। Key Points • भोज एक भारतीय राजा थे जिन्होंने राजपूतों के परमारवंश से थे। • उन्होंने 1010 ई से 1055 ई तक परमार वंशज के रूप मेंशासन किया। • मेरुतुंगा का प्रबन्ध-चिंतामणि, परमारवंश में भोज के काल के इतिहास का एक स्रोत है। • परमार अभिलेखों में भोज का उल्लेख भोज-देव के रूप में किया गया है। • उदयपुर प्रशस्ति शिलालेख भी भोज के काल के इतिहास की जानकारी प्रदान करता है • चित्तूर का त्रिभुवन नारायण मंदिर भोज द्वारा बनवाया गया था। • त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। • यह एक हिंदू मंदिर है जो शिव को समर्पित है। • मंदिर राजस्थान में चित्तौड़ किले में स्थित है। Additional Information • महाराणा प्रताप मेवाड़ के एक राजा थे जिन्होंने 1572 से 1597 के बीच शासन किया था। • पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश केएक राजा थे जिन्होंने1178 और 1192 के बीच शासन किया था। • राजा धंग भारत के चंदेलवंश केएक राजा थे जिन्होंने950 और 999 के बीच शासन किया था।

Hindi

ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के नाम से जाने जाते हैं. ब्रह्मा संसार के रचनाकार, विष्णु पालनहार और महेश को संहारक माना जाता है, इसलिए ये तीनो देव सबसे प्रधान देवता हैं. भारत में ही क्या सम्पूर्ण विश्व में शिव और विष्णु भगवान् के काफी मंदिर हैं परन्तु भारत में एक ऐसा स्थान है जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर हैं. आइए ऐसे मंदिर के बारें में अध्ययन करते हैं और यह कहाँ स्थित हैं. ये हम सब जानते है कि भारत में या हिन्दू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के नाम से जाने जाते हैं और ये ही प्रधान देवता भी हैं. ब्रह्मा संसार के रचनाकार, विष्णु पालनहार और महेश को संहारक माना जाता है. भारत में विष्णु और महेश के काफी मंदिर हैं परन्तु एक ही ऐसा स्थान हैं जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर है. इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं कि ऐसा क्यों हैं. ब्रह्माजी का मंदिर आखिर है कहाँ देश में ऐसा स्थान हैं जहां केवल ब्रह्माजी का ही मंदिर है और वो भी भारत में राजस्थान के पुष्कर तीर्थ स्थल में. पद्म पुराण के अनुसार ऐसा इसलिए हैं क्योंकि ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री ने उन्हें श्राप दिया था. अब सवाल यह उठता है कि ब्रह्माजी को उन्हीं की पत्नी ने आखिर श्राप क्यों दिया था. सावित्री ने ब्रह्माजी को श्राप क्यों दिया था हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के अनुसार वज्रनाश नामक राक्षस ने धरती पर उत्पात मचाया हुआ था. उसके अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्माजी ने उसका वध कर दिया. परन्तु वध करते वक्त ब्रह्माजी के हाथों से कमल का पुष्प तीन जगहों पर गिरा जहाँ पर तीन झीलें बन गई. इस घटना के बाद इस जगह का नाम पुष्कर पड़ गया और फिर ब्रह्माजी ने संसार की भलाई के लिए इसी स्थान पर यज्ञ करने का फैसला किया. So...

[SOLVED] निम्नलिखित में से किस ने "त्रिभुवन नारायण मंदिर" का निर्माण किया

SOLUTION सही उत्तर है परमार राजा भोज। • भोज एक भारतीय राजा थे जिन्होंने राजपूतों के परमारा वंश पर शासन किया था। • उन्होंने 1010 सीई से 1055 ईस्वी तक परमारा वंश पर शासन किया। • मेरुतुंग का प्रबन्ध-चिंतामणि, परमारा वंश में भोज के काल के इतिहास का एक स्रोत है। • परमार शिलालेखों में भोज का उल्लेख भोज-देव के रूप में किया गया है। • उदयपुर प्रशस्ति शिलालेख भी भोज के काल के इतिहास की जानकारी प्रदान करता है • चित्तूर का त्रिभुवन नारायण मंदिर भोज द्वारा बनवाया गया था। • त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। • यह एक हिंदू मंदिर है जो शिव को समर्पित है। • मंदिर राजस्थान में चित्तौड़ किले में स्थित है। • महाराणा प्रताप मेवाड़ के एक राजा थे जिन्होंने 1572 से 1597 के बीच शासन किया था। • पृथ्वीराज चौहान , चमन वंश का एक राजा था जिसने 1178 और 1192 के बीच शासन किया था। • राजा धंग भारत के चंदेला वंश का एक राजा था जिसने 950 और 999 के बीच शासन किया था।

Rajasthan GK " Tribhuvan Narayann Shiv Mandir " Jise Ab Mokal Ka " Samiddheshwar Mandir " Ke Naam Se Jana Jata Hai , Ka Nirmann Kisne Karaya ? Gk Question Answers In Hindi

" त्रिभुवन नारायण शिव मंदिर " जिसे अब मोकल का " समिद्धेश्वर मंदिर " के नाम से जाना जाता है , का निर्माण किसने कराया ? - Who built the "Tribhuvan Narayan Shiva Temple" which is now known as "Samidheshwar Temple" of Mokal? - " Tribhuvan Narayann Shiv Mandir " Jise Ab Mokal Ka " Samiddheshwar Mandir " Ke Naam Se Jana Jata Hai , Ka Nirmann Kisne Karaya ?Rajasthan GK in hindi, इतिहास कला एवं संस्कृतिPratihar - Gurjar Raja Nagbhatt - Dvitiya question answers in hindi pdf vatsRaj Ne questions in hindi, Know About Parmar Raj bhoj Ne Rajasthan GK online test Rajasthan GK MCQS Online Coaching in hindi quiz book Maharanna Kumbha Ne

Konark Sun Temple 13वीं शताब्दी में हुआ था सूर्य मंदिर का निर्माण जानें क्या है इसका महत्व

Konark Sun Temple: 13वीं शताब्दी में हुआ था सूर्य मंदिर का निर्माण, जानें क्या है इसका महत्व Konark Sun Temple आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव का समर्पित है। आज हम आपको सूर्यदेव का प्रसिद्ध मंदिर यानी सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोर्णाक उड़िसा में स्थित है। यह भव्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। Konark Sun Temple: आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव का समर्पित है। आज हम आपको सूर्यदेव का प्रसिद्ध मंदिर यानी सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोर्णाक, उड़िसा में स्थित है। यह भव्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार में बनाया गया है। आइए जानते हैं इस मंदिर का निर्माण किसने कराया था, मंदिर का महत्व क्या है और अन्य अहम जानकारियां। उड़िसा के कोर्णाक में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए यह मंदिर पूरे विश्व में जाना जाता है। यह मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। मान्यता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों पर सैन्यबल की सफलता का जश्न मनाने के लिए राजा नरसिंहदेव ने कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। लेकिन 15वीं शताब्दी में मुस्लिम सेना ने यहां लूटपाट मचा दी थी। इस समय सूर्य मंदिर के पुजारियों ने यहां स्थापित मूर्ति को पुरी में ले जाकर रख दिया था। लेकिन मंदिर नहीं बच सका। पूरा मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। फिर धीरे-धीरे मंदिर पर रेत जमा होती रही और मंदिर पूरा रेत से ढक गया। फिर 20वीं सदी में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत रेस्टोरेशन का काम हुआ और इसी में सूर्य मंदिर खोजा गया। कोणार्क सूर्य मन्दिर भारत में उड़ीसा...