Trikonamiti ka parichay

  1. मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय
  2. त्रिकोणमिति
  3. कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं
  4. Flats for sale in Trichy
  5. Flats for sale in Trichy
  6. मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय
  7. कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं
  8. त्रिकोणमिति
  9. त्रिकोणमिति
  10. मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय


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मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय

प्रेमचंद की जीवनी जन्म 31 जुलाई, 1880 ई. लमही ग्राम (बनारस) निधन 8 अक्टूबर 1936 ई. (काशी) वास्तविक नाम धनपत राय पिता अजायब लाल मुंशी माता आनंदी देवी व्यवसाय अध्यापक ,लेखक ,पत्रकारिता वास्तविक नाम धनपत राय प्रेमचंद जी उर्दू में ’नवाब राय’ के नाम से लिखते थे तथा हिन्दी में ये ’प्रेमचंद’ नाम से लिखते थे। प्रेमचंद का शुरूआती जीवन इनकी छोटी आयु में उनकी शिक्षा आरम्भ हुई। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा से बीए तक फारसी में अध्ययन किया। लगभग 15 वर्ष की आयु 1895 ई. में इनका विवाह हो गया। ये अपनी पत्नी से खुश नहीं थे इसलिए 1906 ई. में त्याग दिया और दूसरी शादी बाल विधवा शिवरानी देवी से की। 1910 ई. में इण्टर की पढ़ाई की तथा 1919 ई. में बी.ए. की पढ़ाई पूरी की। प्रेमचंद जी ने बचपन में ’तिलिस्म-ई-होश-रूबा’ रचना का अध्ययन किया। प्रेमचंद जब 7 वर्ष के थे, जो उनकी माता का निधन हो गया। उनकी 14 वर्ष की आयु के समय उनके पिता का देहांत हो गया था। 1898 ई. में बनारस के पास चुनार गांव में मास्टर की नौकर मिल गई। जिन दिनों प्रेमचंद जी ने विधवा शिव रानी से विवाह किया उन्हीं दिनों वह अपना छोटा उपन्यास – प्रेमा (उर्दू में ’हम-खुर्माओं हम सबाब’ लिख रहे थे) जिसका एक विधवा लङकी से विवाह कर रहा था। 1906 ई. ’प्रेमा’ का प्रकाशन किया गया। 1921 ई. में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने और गांधी जी के कहने पर अपनी नौकरी छोङ दी। प्रेमचंद के सम्पादन कार्य • 1922 ई. – माधुरी पत्रिका (लखनऊ से प्रकाशित।) • 1920-21 ई. – मर्यादा पत्रिका ’सपूर्णानन्द’ के जेल जाने पर। • 1930 ई. हंस – बनारस से अपना मासिक पत्र निकाला। • 1932 ई. – साप्ताहिक पत्र। प्रेमचंद से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य • प्रेमचंद को ’प्रेमचंद’ नाम ’जमाना’ के संपादक ’दयानारायण...

त्रिकोणमिति

अनुक्रम • 1 त्रिकोणमितीय अनुपात • 2 त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय • 3 कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान • 4 प्रमुख त्रिकोणमितीय सूत्र • 5 त्रिभुज की भुजाओं एवं कोणों में सम्बन्ध • 5.1 साइन सूत्र • 5.2 कोसाइन सूत्र • 5.3 टैन सूत्र • 6 त्रिकोणमिति के उपयोग • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें त्रिकोणमितीय अनुपात [ ] ज्या sine कोज्या (कोज) cosine स्पर्शज्या (स्पर) tan व्युज्या (व्युज) cosec व्युकोज्या (व्युक) sec व्युस्पर्शज्या (व्युस) cot एक समकोण त्रिभुज की तीनों भुजाओं (कर्ण, लम्ब व आधार) की लम्बाई के आपस में अनुपातों को त्रिकोणमितीय अनुपात कहा जाता है। तीन प्रमुख त्रिकोणमितीय अनुपात हैं: ज्या (स) = लम्ब/कर्ण कोज (स)= आधार/कर्ण स्पर (स)= लम्ब/आधार बाकी तीन अनुपात ऊपर के अनुपातों का व्युत्क्रम होते हैं: व्युज (स) = कर्ण/लम्ब व्युक (स)= कर्ण/आधार व्युस (स)= आधार/लम्ब कोण स आधार और कर्ण के बीच के कोण का मान है। त्रिकोणमिति की लगभग सभी गणनाओं में त्रिकोणमितीय अनुपातों का प्रयोग किया जाता है। स्पर (स) = ज्या (स) / कोज (स) व्युस (स) = कोज (स) / ज्या (स) दूसरा तरीका: त्रिकोणमित्तीय फलनों की परिभाषा कोण के 'सामने की भुजा', 'संलग्न भुजा' एवं कर्ण के अनुपातों के रूप में याद करने से कभी 'लम्ब' या 'आधार' का भ्रम नहीं रहता। नीचे opp = सामने की भुजा; adj = संलग्न भुजा तथा hyp = कर्ण sin ⁡ A = opp hyp = a c cos ⁡ A = adj hyp = b c tan ⁡ A = opp adj = a b त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय [ ] बौधायन प्रमेय के अनुसार: कर्ण २ = लम्ब २ + आधार २ इस प्रकार किसी भी कोण स के लिये: ज्या २(स) + कोज २(स) = १ कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान [ ] टिप्पणी: भारत के महान गणितज्ञ निम्नलिखित तालिका कुछ प्र...

कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं

जब भी हम दोहों और पदों के बारे में बात करते हैं तो सबसे पहले कबीरदास का नाम ही हमारे मुख में आता है। कबीरदास ने अपने दोहों और पदों से समाज को एक नई दिशा दी है। हिंदी साहित्य के महान कवि होने के साथ ही कबीर दास विद्दंत विचारक, भक्तिकाल के प्रमुख कवि और अच्छे समाज सुधारक थे। कबीर दास की सधुक्कड़ी मुख्य भाषा थी। लेकिन हमें इनके पदों और दोहों में हिंदी भाषा की एक अलग ही झलक दिखाई देती है। कबीर दास की मुख्य रचनाओं में हमें पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली आदि देखने को मिलती है। इन्होंने अपनी सकारात्मक विचारों और कल्पना शक्ति से कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी। kabir das ka parichay कबीर दास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए अपना अहम योगदान दिया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को बहुत अच्छे तरीके से वर्णित किया है, जिसमें हमें उसका महत्व समझने को मिलता है। इन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। कबीर दास भक्तिकाल की निर्गुण भक्ति धारा से बहुत प्रभावित थे। कबीर दास का प्रभाव हमें सिख, हिन्दू, मुस्लिम आदि धर्मों में देखने को मिलता है। इन्होंने अपने जीवन में समाज में व्याप्त ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव आदि जैसी भयंकर बुराईयों दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कबीर दास के दोहों, पदों और उनकी रचनाओं को पढ़कर कोई भी अपने जीवन को सफल बना सकता है और अपने जीवन को एक नई दिशा में अग्रेसित कर सकता है। यहां पर हम कबीर दास की जीवनी (Kabir Das ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने वाले है, जिसमें कबीर की शिक्षा कहां तक हुई थी, कबीरदास जी के गुरू कौन थे, उनकी पत्नी का नाम...

Flats for sale in Trichy

Project Name - Rohini Nakshatra A Block Address - M.R. Radha Colony Sangiliyandapuram Project type - Gated community Blocks - 3 (A, B & C) Apartment type - 1, 2 & 3 BHK Apartments No of Floors - Still + 4 Block C: 64 apartments (Successfully handed over) Building License No: 180/2013 By Trichy Corp Planning Permit No: 46/2013 By Trichy LPA. Block B: 55 apartments (Successfully handed over) TN RERA/16/Building/044/2019 Dated 29/03/2019 55% Open Space + 45% Construction = 100% Peace of Mind Rohini Nakshatra project has been approved for HOME LOANS by

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मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय

प्रेमचंद की जीवनी जन्म 31 जुलाई, 1880 ई. लमही ग्राम (बनारस) निधन 8 अक्टूबर 1936 ई. (काशी) वास्तविक नाम धनपत राय पिता अजायब लाल मुंशी माता आनंदी देवी व्यवसाय अध्यापक ,लेखक ,पत्रकारिता वास्तविक नाम धनपत राय प्रेमचंद जी उर्दू में ’नवाब राय’ के नाम से लिखते थे तथा हिन्दी में ये ’प्रेमचंद’ नाम से लिखते थे। प्रेमचंद का शुरूआती जीवन इनकी छोटी आयु में उनकी शिक्षा आरम्भ हुई। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा से बीए तक फारसी में अध्ययन किया। लगभग 15 वर्ष की आयु 1895 ई. में इनका विवाह हो गया। ये अपनी पत्नी से खुश नहीं थे इसलिए 1906 ई. में त्याग दिया और दूसरी शादी बाल विधवा शिवरानी देवी से की। 1910 ई. में इण्टर की पढ़ाई की तथा 1919 ई. में बी.ए. की पढ़ाई पूरी की। प्रेमचंद जी ने बचपन में ’तिलिस्म-ई-होश-रूबा’ रचना का अध्ययन किया। प्रेमचंद जब 7 वर्ष के थे, जो उनकी माता का निधन हो गया। उनकी 14 वर्ष की आयु के समय उनके पिता का देहांत हो गया था। 1898 ई. में बनारस के पास चुनार गांव में मास्टर की नौकर मिल गई। जिन दिनों प्रेमचंद जी ने विधवा शिव रानी से विवाह किया उन्हीं दिनों वह अपना छोटा उपन्यास – प्रेमा (उर्दू में ’हम-खुर्माओं हम सबाब’ लिख रहे थे) जिसका एक विधवा लङकी से विवाह कर रहा था। 1906 ई. ’प्रेमा’ का प्रकाशन किया गया। 1921 ई. में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने और गांधी जी के कहने पर अपनी नौकरी छोङ दी। प्रेमचंद के सम्पादन कार्य • 1922 ई. – माधुरी पत्रिका (लखनऊ से प्रकाशित।) • 1920-21 ई. – मर्यादा पत्रिका ’सपूर्णानन्द’ के जेल जाने पर। • 1930 ई. हंस – बनारस से अपना मासिक पत्र निकाला। • 1932 ई. – साप्ताहिक पत्र। प्रेमचंद से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य • प्रेमचंद को ’प्रेमचंद’ नाम ’जमाना’ के संपादक ’दयानारायण...

कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं

जब भी हम दोहों और पदों के बारे में बात करते हैं तो सबसे पहले कबीरदास का नाम ही हमारे मुख में आता है। कबीरदास ने अपने दोहों और पदों से समाज को एक नई दिशा दी है। हिंदी साहित्य के महान कवि होने के साथ ही कबीर दास विद्दंत विचारक, भक्तिकाल के प्रमुख कवि और अच्छे समाज सुधारक थे। कबीर दास की सधुक्कड़ी मुख्य भाषा थी। लेकिन हमें इनके पदों और दोहों में हिंदी भाषा की एक अलग ही झलक दिखाई देती है। कबीर दास की मुख्य रचनाओं में हमें पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली आदि देखने को मिलती है। इन्होंने अपनी सकारात्मक विचारों और कल्पना शक्ति से कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी। kabir das ka parichay कबीर दास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए अपना अहम योगदान दिया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को बहुत अच्छे तरीके से वर्णित किया है, जिसमें हमें उसका महत्व समझने को मिलता है। इन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। कबीर दास भक्तिकाल की निर्गुण भक्ति धारा से बहुत प्रभावित थे। कबीर दास का प्रभाव हमें सिख, हिन्दू, मुस्लिम आदि धर्मों में देखने को मिलता है। इन्होंने अपने जीवन में समाज में व्याप्त ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव आदि जैसी भयंकर बुराईयों दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कबीर दास के दोहों, पदों और उनकी रचनाओं को पढ़कर कोई भी अपने जीवन को सफल बना सकता है और अपने जीवन को एक नई दिशा में अग्रेसित कर सकता है। यहां पर हम कबीर दास की जीवनी (Kabir Das ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने वाले है, जिसमें कबीर की शिक्षा कहां तक हुई थी, कबीरदास जी के गुरू कौन थे, उनकी पत्नी का नाम...

त्रिकोणमिति

अनुक्रम • 1 त्रिकोणमितीय अनुपात • 2 त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय • 3 कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान • 4 प्रमुख त्रिकोणमितीय सूत्र • 5 त्रिभुज की भुजाओं एवं कोणों में सम्बन्ध • 5.1 साइन सूत्र • 5.2 कोसाइन सूत्र • 5.3 टैन सूत्र • 6 त्रिकोणमिति के उपयोग • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें त्रिकोणमितीय अनुपात [ ] ज्या sine कोज्या (कोज) cosine स्पर्शज्या (स्पर) tan व्युज्या (व्युज) cosec व्युकोज्या (व्युक) sec व्युस्पर्शज्या (व्युस) cot एक समकोण त्रिभुज की तीनों भुजाओं (कर्ण, लम्ब व आधार) की लम्बाई के आपस में अनुपातों को त्रिकोणमितीय अनुपात कहा जाता है। तीन प्रमुख त्रिकोणमितीय अनुपात हैं: ज्या (स) = लम्ब/कर्ण कोज (स)= आधार/कर्ण स्पर (स)= लम्ब/आधार बाकी तीन अनुपात ऊपर के अनुपातों का व्युत्क्रम होते हैं: व्युज (स) = कर्ण/लम्ब व्युक (स)= कर्ण/आधार व्युस (स)= आधार/लम्ब कोण स आधार और कर्ण के बीच के कोण का मान है। त्रिकोणमिति की लगभग सभी गणनाओं में त्रिकोणमितीय अनुपातों का प्रयोग किया जाता है। स्पर (स) = ज्या (स) / कोज (स) व्युस (स) = कोज (स) / ज्या (स) दूसरा तरीका: त्रिकोणमित्तीय फलनों की परिभाषा कोण के 'सामने की भुजा', 'संलग्न भुजा' एवं कर्ण के अनुपातों के रूप में याद करने से कभी 'लम्ब' या 'आधार' का भ्रम नहीं रहता। नीचे opp = सामने की भुजा; adj = संलग्न भुजा तथा hyp = कर्ण sin ⁡ A = opp hyp = a c cos ⁡ A = adj hyp = b c tan ⁡ A = opp adj = a b त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय [ ] बौधायन प्रमेय के अनुसार: कर्ण २ = लम्ब २ + आधार २ इस प्रकार किसी भी कोण स के लिये: ज्या २(स) + कोज २(स) = १ कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान [ ] टिप्पणी: भारत के महान गणितज्ञ निम्नलिखित तालिका कुछ प्र...

त्रिकोणमिति

अनुक्रम • 1 त्रिकोणमितीय अनुपात • 2 त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय • 3 कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान • 4 प्रमुख त्रिकोणमितीय सूत्र • 5 त्रिभुज की भुजाओं एवं कोणों में सम्बन्ध • 5.1 साइन सूत्र • 5.2 कोसाइन सूत्र • 5.3 टैन सूत्र • 6 त्रिकोणमिति के उपयोग • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें त्रिकोणमितीय अनुपात [ ] ज्या sine कोज्या (कोज) cosine स्पर्शज्या (स्पर) tan व्युज्या (व्युज) cosec व्युकोज्या (व्युक) sec व्युस्पर्शज्या (व्युस) cot एक समकोण त्रिभुज की तीनों भुजाओं (कर्ण, लम्ब व आधार) की लम्बाई के आपस में अनुपातों को त्रिकोणमितीय अनुपात कहा जाता है। तीन प्रमुख त्रिकोणमितीय अनुपात हैं: ज्या (स) = लम्ब/कर्ण कोज (स)= आधार/कर्ण स्पर (स)= लम्ब/आधार बाकी तीन अनुपात ऊपर के अनुपातों का व्युत्क्रम होते हैं: व्युज (स) = कर्ण/लम्ब व्युक (स)= कर्ण/आधार व्युस (स)= आधार/लम्ब कोण स आधार और कर्ण के बीच के कोण का मान है। त्रिकोणमिति की लगभग सभी गणनाओं में त्रिकोणमितीय अनुपातों का प्रयोग किया जाता है। स्पर (स) = ज्या (स) / कोज (स) व्युस (स) = कोज (स) / ज्या (स) दूसरा तरीका: त्रिकोणमित्तीय फलनों की परिभाषा कोण के 'सामने की भुजा', 'संलग्न भुजा' एवं कर्ण के अनुपातों के रूप में याद करने से कभी 'लम्ब' या 'आधार' का भ्रम नहीं रहता। नीचे opp = सामने की भुजा; adj = संलग्न भुजा तथा hyp = कर्ण sin ⁡ A = opp hyp = a c cos ⁡ A = adj hyp = b c tan ⁡ A = opp adj = a b त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय [ ] बौधायन प्रमेय के अनुसार: कर्ण २ = लम्ब २ + आधार २ इस प्रकार किसी भी कोण स के लिये: ज्या २(स) + कोज २(स) = १ कुछ कोणों का त्रिकोणमितीय मान [ ] टिप्पणी: भारत के महान गणितज्ञ निम्नलिखित तालिका कुछ प्र...

मुंशी प्रेमचंद सम्पूर्ण परिचय

प्रेमचंद की जीवनी जन्म 31 जुलाई, 1880 ई. लमही ग्राम (बनारस) निधन 8 अक्टूबर 1936 ई. (काशी) वास्तविक नाम धनपत राय पिता अजायब लाल मुंशी माता आनंदी देवी व्यवसाय अध्यापक ,लेखक ,पत्रकारिता वास्तविक नाम धनपत राय प्रेमचंद जी उर्दू में ’नवाब राय’ के नाम से लिखते थे तथा हिन्दी में ये ’प्रेमचंद’ नाम से लिखते थे। प्रेमचंद का शुरूआती जीवन इनकी छोटी आयु में उनकी शिक्षा आरम्भ हुई। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा से बीए तक फारसी में अध्ययन किया। लगभग 15 वर्ष की आयु 1895 ई. में इनका विवाह हो गया। ये अपनी पत्नी से खुश नहीं थे इसलिए 1906 ई. में त्याग दिया और दूसरी शादी बाल विधवा शिवरानी देवी से की। 1910 ई. में इण्टर की पढ़ाई की तथा 1919 ई. में बी.ए. की पढ़ाई पूरी की। प्रेमचंद जी ने बचपन में ’तिलिस्म-ई-होश-रूबा’ रचना का अध्ययन किया। प्रेमचंद जब 7 वर्ष के थे, जो उनकी माता का निधन हो गया। उनकी 14 वर्ष की आयु के समय उनके पिता का देहांत हो गया था। 1898 ई. में बनारस के पास चुनार गांव में मास्टर की नौकर मिल गई। जिन दिनों प्रेमचंद जी ने विधवा शिव रानी से विवाह किया उन्हीं दिनों वह अपना छोटा उपन्यास – प्रेमा (उर्दू में ’हम-खुर्माओं हम सबाब’ लिख रहे थे) जिसका एक विधवा लङकी से विवाह कर रहा था। 1906 ई. ’प्रेमा’ का प्रकाशन किया गया। 1921 ई. में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने और गांधी जी के कहने पर अपनी नौकरी छोङ दी। प्रेमचंद के सम्पादन कार्य • 1922 ई. – माधुरी पत्रिका (लखनऊ से प्रकाशित।) • 1920-21 ई. – मर्यादा पत्रिका ’सपूर्णानन्द’ के जेल जाने पर। • 1930 ई. हंस – बनारस से अपना मासिक पत्र निकाला। • 1932 ई. – साप्ताहिक पत्र। प्रेमचंद से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य • प्रेमचंद को ’प्रेमचंद’ नाम ’जमाना’ के संपादक ’दयानारायण...