टीबी के इलाज के बाद सावधानियां

  1. मातृत्व के सुख में बाधा बन सकती है टीबी
  2. टीबी के लिए डाइट चार्ट
  3. लिवर टीबी के इलाज के लिए अच्छे हॉस्पिटल।
  4. टीबी (क्षय रोग, तपेदिक) का आयुर्वेदिक इलाज, उपचार और दवा
  5. टीबी के कारण, लक्षण, निदान, जाँच, इलाज एवं बचाव
  6. ट्यूबरक्यूलॉसिस से कैसे बचेंः जानिए, टीबी को दोबारा होने से कैसे रोका जा सकता है?
  7. भारत में टीबी का इलाज कैसे सम्भव है, जानिए।
  8. टीबी (क्षय रोग, तपेदिक) के लक्षण, प्रकार, कारण, इलाज, दवा, उपचार
  9. ब्रेन टीबी (Brain TB) का इलाज कैसे होता है जानिए इसके लक्षण क्या हैं?


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मातृत्व के सुख में बाधा बन सकती है टीबी

भारत की अग्रणी हिंदी महिला वेबसाइट Femina.in/hindi को सब्स्क्राइब करें. फ़ेमिना भारतीय महिलाओं के मन को समझने का काम कर रही है और इन्हीं महिलाओं के साथ-साथ बदलती रही है, ताकि वे पूरी दुनिया को ख़ुद जान सकें, समझ सकें. और यहां यह मौक़ा है आपके लिए कि आप सितारों से लेकर फ़ैशन तक, सौंदर्य से लेकर सेहत तक और लाइफ़स्टाइल से लेकर रिश्तों तक सभी के बारे में ताज़ातरीन जानकारियां सीधे अपने इनबॉक्स में पा सकें. इसके अलावा आप पाएंगे विशेषज्ञों की सलाह, सर्वे, प्रतियोगिताएं, इन्टरैक्टिव आर्टिकल्स और भी बहुत कुछ! साइलेंट किलर के तौर पर पैर पसार रही टीबी के प्रति जागरूकता संबंधी अपने लेखों की श्रृंखला में वरिष्ठ पत्रकार सर्जना चतुर्वेदी आज बात करने जा रही हैं एक तरह की एक्स्ट्रा पलम्युनरी टीबी पेल्विक टीबी की, जिसके चलते कई महिलाएं मां बनने से वंचित रह जाती हैं. क्या है पेल्विक टीबी? आमतौर पर टीबी की पहचान का पहला और आम प्रचलित तरीक़ा है, मरीज़ को पंद्रह दिन से अधिक समय तक खांसी आना. पर टीबी सिर्फ़ खांसने से पहचानी जा सके यह भी संभव नहीं है, क्योंकि 20 से 25 फ़ीसदी लोगों को एक्स्ट्रा पलम्युनरी टीबी होती है, इन्हीं में से एक होती है पेल्विक टीबी. टीबी का यह प्रकार आसानी से पकड़ में नहीं आता है और इसकी वजह से कई बार महिलाओं को मां बनने के सुख से भी वंचित होना पड़ता है. इसलिए इसके बारे में जानकर और समय पर सतर्क होकर सही उपचार से ही इससे निजात पायी जा सकती है. शादी के पांच साल बाद जब कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद बच्चे न हो पाने की कोई खास वजह पता नहीं चल पायी और जांच में भी कोई खास कारण सामने न आने पर एक गायनिकोलॉजिस्ट ने रूही* (परिवर्तित नाम) को कुछ समय के लिए ट्रायल के तौर पर टीबी की दवा दे...

टीबी के लिए डाइट चार्ट

खाद्य पदार्थों में मौजूद पोषक तत्व कई बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव कर सकते हैं। इसके लिए जरूर होता है एक बेहतर डाइट प्लान। एक अच्छी डाइट रोगी को जरूरी पोषक तत्व देकर स्वास्थ्य संबंधी समस्या से लड़ने और उसके लक्षण कम करने में मदद कर सकती है। फिर चाहे वह टीबी की समस्या ही क्यों न हो। टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस की समस्या में अच्छी डाइट से क्या-क्या फायदे मिल सकता है स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में जानिए। यहां हम टीबी के लिए डाइट चार्ट यानी टीबी में क्या खाएं यह बताएंगे। साथ ही टीबी में क्या नहीं खाना चाहिए, इसकी भी जानकारी देंगे। विषय सूची • • • • • • • • • टीबी क्या है – What is Tuberculosis टीबी एक बीमारी है, जिसका पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है। इसे हिंदी में क्षय रोग कहा जाता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। आमतौर पर इस बैक्टीरिया का असर फेफड़ों पर होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। इस बीमारी में 3 हफ्ते या पढ़ना जारी रखें अब हम एक नमूना टीबी डाइट चार्ट दे रहे हैं, जिसकी मदद से इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। टीबी डाइट चार्ट – Sample Diet Plan for Tuberculosis (TB) prevention in Hindi क्षय रोग में आहार फायदेमंद होता है, यह हम आपको ऊपर बता ही चुके हैं। इसी वजह से हम नीचे पोषक तत्वों से भरपूर ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी डाइट चार्ट दे रहे हैं। यह एक नमूना डाइट चार्ट है। इसमें मौजूद खाद्य पदार्थों से अगर एलर्जी हो, तो उसके विकल्प का सेवन कर सकते हैं Meals क्या खाएं/What To Eat नाश्ता/Breakfast (सुबह 6 से 7 बजे के बीच) दूध के साथ बटर टोस्ट, आधा उबला हुआ या फिर पका हुआ अंडा, दलिया व ओटमील इनमें से किस...

लिवर टीबी के इलाज के लिए अच्छे हॉस्पिटल।

टीबी या ट्यूबरकुलोसिस एक बहुत गंभीर बीमारी मानी जाती हैं यह एक फैलने वाली बीमारी हैं जो शरीर के फेफड़ो या अन्य ऊतकों में संक्रमण का कारण बन सकता हैं। यदि टीबी की बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाये तो यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फ़ैल सकती हैं। यह हवा के माध्यम से फैलने वाली बीमारी हैं जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति छींकता या फिर खांसता हैं तो हवा के माध्यम से यह बीमारी दुसरो को भी अपना शिकार बना लेती हैं। यदि किसी मनुष्य का लिवर टीबी के दो प्रकार होते हैं। • लेटेंट टीबी– इस स्थिति में रोगाणु आपके शरीर में होते हैं, लेकिन इम्यून सिस्टम उन्हें फैलने नहीं देता है...

टीबी (क्षय रोग, तपेदिक) का आयुर्वेदिक इलाज, उपचार और दवा

टीबी को क्षयरोग या राजयक्ष्मा के नाम से भी जाना जाता है। टीबी की बीमारी में टीबी के हालांकि, ये चिकित्‍साएं सिर्फ उन मरीज़ों में प्रभावित होती हैं जिनमें दोष खराब या असंतुलित हुए हैं और जिनमें इन्‍हें सहन करने की क्षमता तथा ताकत हो। कमजोर व्‍यक्‍ति पर शोधन कर्म (शुद्धिकरण चिकित्‍सा) का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए और टीबी से ग्रस्‍त मजबूत व्‍यक्‍ति पर भी हल्‍के शोधन का इस्‍तेमाल करना चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है क्‍योंकि टीबी को नियंत्रित करने के लिए इस्‍तेमाल होने वाली • • • • • • • आयुर्वेद के अनुसार टीबी की बीमारी इस तरह बढ़ती है: • धातुक्षय ऊतकों के नुकसान से राजयक्ष्मा। • इसमें शरीर का चयापचय निष्क्रिय होने लगता है जिसके कारण मेद (वसा वाले ऊतक), रस (तरल ऊतक, रक्‍त (खून), मम्‍सा (मांसपेशियों) और शुक्र (जनन ऊतक) धातु को नुकसान पहुंचता है। • इसके कारण ओजक्षय (इम्‍युनिटी को हानि) होता है जिससे रोगजनक सूक्ष्मजीवों द्वारा myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं। • स्‍नेहन कर्म • इस चिकित्‍सा में जड़ी बूटियों को गर्म औषधीय तेल में मिलाकर • ये शरीर की छोटी नाडियों में भी मौजूद अमा को पतला कर करने में मदद करता है। • स्‍वेदन कर्म • स्‍वेदन में विभिन्‍न तरीकों से शरीर पर पसीना लाया जाता है। ये अमा को साफ करने और दोष को संतुलित करने में मदद करता है। (और पढ़ें - • स्‍वेदन के निम्‍न प्रकार हैं: • तप (सिकाई): इसमें धातु की वस्‍तु, गर्म कपड़े या गर...

टीबी के कारण, लक्षण, निदान, जाँच, इलाज एवं बचाव

What is Tuberculosis in Hindi ट्यूबरक्लोसिस या टीबी (TB) एक संक्रामक रोग है जो रॉड के आकार के माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। टीबी को तपेदिक, क्षय रोग, यक्ष्मा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। प्रति वर्ष लाखों लोग इस ट्यूबरक्लोसिस (tuberculosis) जैसी बीमारी की चपेट में आने से मर जाते हैं। टीबी के जीवाणु से संक्रमित होने के बाद भी कुछ व्यक्तियों के शरीर में इस बीमारी के सक्रिय होने के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, तो उसे असक्रिय या इनएक्टिव टीबी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको टीबी होने के कारण, लक्षण, निदान, इलाज, बचाव के बारे में बताएंगे। टीबी के प्रकार – Types of Tuberculosis in Hindi टीबी संक्रमण से संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति बीमार नहीं रहता है। यह रोग दो रूप में पाया जाता है: गुप्त टीबी (Latent TB) – गुप्त टीबी की स्थिति में बैक्टीरिया शरीर में मौजूद होते हैं, लेकिन शरीर की सक्रिय टीबी (Active TB) – इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया कई गुना बढ़ जाते हैं और लक्षणों को उत्पन्न कर देते हैं। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति दूसरों को बीमारी फैला सकता है। टीबी होने के कारण – Causes of Tuberculosis in Hindi क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो जिन देशों में टीबी अधिक फैली हो वहां यात्रा करने पर दूसरे व्यक्ति को टीबी होने का खतरा रहता है। इसके अलावा जो लोग अस्पताल में एक्टिव टीबी के मरीजों की देखभाल करते हैं उनमें भी यह टीबी का बैक्टीरिया प्रवेश कर सकता है। और टीबी होने का कारण बन सकता है। (और पढ़ें – एक स्वस्थ इम्यून सिस्टम टीबी के बैक्टीरिया से लड़ता है जिसके कारण यह इनएक्टिव रूप में होती हैं, लेकिन इनएक...

ट्यूबरक्यूलॉसिस से कैसे बचेंः जानिए, टीबी को दोबारा होने से कैसे रोका जा सकता है?

अगर हां, तो आपको सतर्क रहने की विशेष आवश्यकता है! क्योंकि ये दोबारा भी हो सकता है। ट्यूबरक्यूलॉसिस यानि क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस ( Mycobacterium Tuberculosis) की वजह से होता है। किसी भी प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से ट्यूबरक्यूलॉसिस हो सकता है। टीबी दो प्रकार के होते हैं : • छुपा हुआ टीबी (Latent Tuberculosis) • सक्रिय टीबी (Active Tuberculosis ) और पढ़ें : टीबी के दोबारा होने के क्या कारण हो सकते हैं? शोध और कई मामलों को देखने के बाद भी डॉक्टर्स टीबी के दोबारा होने की वजह शरीर में पहले से रह जाने वाले माइकोबैक्टेरियम के स्ट्रेन ही हैं इसका पता नहीं लग पाएं हैं। कई डॉक्टर्स यह भी मानते हैं कि टीबी किसी बाहरी माइकोबैक्टेरियम स्ट्रेन की वजह से भी दोबारा हो सकता है। अगर आपको पहले कभी टीबी हुआ है और अगर आपका इलाज सही ढंग से नहीं हुआ है या फिर आपने इलाज पूरा नहीं करवाया है उस स्थिति में क्षय रोग होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इस स्थिति में टीबी फैलाने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम शरीर में असक्रिय रूप से रह जाते हैं और आगे चलकर संक्रमण पैदा करते हैं। इसके अलावा अगर आप और पढ़ें : निम्नलिखित कारणों की वजह से ट्यूबरक्यूलॉसिस होने की संभावना बढ़ जाती है • सही समय पर या फिर सही इलाज न मिलना। • ट्यूबरक्यूलॉसिस के साथ ही या फिर पहली बार संक्रमण ठीक होने के बाद (HIV) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वाइरस का संक्रमण होना • शरीर में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस का दवाओं के प्रति • सिलिका (Silica) के प्रभाव में आने पर भी ट्यूबरक्यूलॉसिस का खतरा बढ़ता है । विश्वसनीय सूत्रों की रिपोर्ट के आधार पर प्रति वर्ष टीबी के मामलों में गिरावट इस में देखी जा सकती है। ग्राफ की ...

भारत में टीबी का इलाज कैसे सम्भव है, जानिए।

ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis), जिसे हम टीबी की बीमारी के नाम से भी पहचानते हैं, एक गंभीर समस्या मानी जाती है। ये एक संक्रामक रोग है, जिसे तपेदिक (TB) या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। यदि हम बात करें पहले जमाने की, तो ये रोग लाइलाज था, लेकिन समय के साथ मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब हर साल टीबी का इलाज नए तरीके से होता जा रहा है। इस समस्या में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलॉसिस (Mycobacterium tuberculosis) मूल रूप से लंग्स को प्रभावित करता है, जो पल्मोनरी डिजीज का आम कारण होता है। साथ ही यदि टीबी का इलाज ठीक ढंग से ना किया जाए, तो ये समस्या रोगी को दोबारा अपनी चपेट में ले सकती है। इसलिए जरूरी है कि टीबी के इलाज (TB Treatment) में पूरी तरह से ध्यान दिया जाए और इसे अधूरा ना छोड़ा जाए। आज हम बात करेंगे टीबी के इलाज में हो रहे एडवान्सेस, यानी कि प्रगति के बारे में, जिससे इसके इलाज में जुड़े नए आयामों को बेहतर रूप से समझ सकें। टीबी का इलाज (Treatment of TB) संभव है, लेकिन इससे बचाव भी उतना ही जरूरी है। यदि हम टीबी के प्रति इन बातों को लेकर सजग रहे, तो इसे फैलने से रोक सकते हैं। साथ ही यदि आप टीबी की गिरफ्त में हैं, तो इन बातों का ध्यान रखना आपके लिए और भी जरूरी हो जाता है। • टीबी (TB) से इंफेक्टेड किसी भी व्यक्ति या उससे संबंधित किसी भी सामान को छूने से पहले दस्ताने पहन लें। • टीबी के इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन समय पर करें। • टीबी के इलाज के दौरान दवाइयों (TB Medicines) के कोर्स को बीच में न छोड़े। अगर आप दवाइयां बीच में छोड़ देते हैं तो टीबी दोबारा से सक्रिय हो सकती है। • अगर आप संक्रमित (TB Infection) हैं तो कोशिश करें की • खांसने या छींकने के ...

टीबी (क्षय रोग, तपेदिक) के लक्षण, प्रकार, कारण, इलाज, दवा, उपचार

टीबी (ट्यूबरकुलोसिस, यक्ष्मा, तपेदिक या क्षयरोग) एक संक्रामक रोग होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। किसी एक ही संक्रामक एजेंट के कारण होने वाले अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनियाभर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है। टीबी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के द्वारा फैलता है। आप हवा में सांस लेकर टीबी के बैक्टीरिया को प्राप्त कर सकते हैं और टीबी से ग्रस्त हो सकते हैं। टीबी के बैक्टीरिया हवा में उन व्यक्तियों द्वारा फैलाए जाते हैं, जिनके शरीर में पहले से ही टीबी के बैक्टीरिया हैं। यह एक धीमी-गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता है जो शरीर के उन भागो में बढ़ता है जिनमे खून और ऑक्सीजन होता है इसलिए टीबी ज़्यादातर फेफड़ों में होता है। इसे पल्मोनरी टीबी (Pulmonary TB) कहते हैं। टीबी शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है। इसके लक्षणों में लगातार तीन हफ्ते से ज्यादा निरंतर कफ वाली टीबी कितनी तरह का होता है? टीबी के मुख्यत: दो प्रकार होते हैं • लेटेंट ( Latent) टीबी - इसका अर्थ है कि बैक्टीरिया आपके शरीर में है लेकिन आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उसे सक्रिय नहीं होने दे रही है। आपको टीबी के लक्षणों का अनुभव नहीं होगा और आपके कारण यह बीमारी नहीं फैलेगी। लेकन यदि आपको लेटेंट (Latent) टीबी है तो वह सक्रिय (Active) टीबी बन सकता है। • सक्रिय ( Active) टीबी - इसका अर्थ है कि बैक्टीरिया आपके शरीर में विकसित हो रहा है और आपको इसके लक्षण महसूस होंगे। यदि आपके फेफड़े सक्रिय टीबी से संक्रमित हों तो आपके कारण यह बीमारी दूसरों को फैल सकती है। टीबी को अन्य दो श्रेणियों में भी विभाजित किया जा सकता है, प्लमोनरी और एक्स्ट्रापल्मोनरी • प्लमोनरी टीबी– यह टीबी का प्राथमिक रूप होता है, जो फ...

ब्रेन टीबी (Brain TB) का इलाज कैसे होता है जानिए इसके लक्षण क्या हैं?

डॉक्टरों के मुताबिक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर इस जानलेवा बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह मौत का कारण भी बन सकता है। दरअसल टीबी सिर्फ फेफड़े में ही नहीं दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। आपको बता दें कि इसे मेनिन्जाइटिस ट्यूबरकुलोसिस, मेनिन्जाइटिस या ब्रेन टीबी भी कहा जाता है। ब्रेन टीबी के लक्षण क्या है? (What are the symptoms of brain TB in Hindi) सबसे पहले, ब्रेन टीबी जिसे टीबी मैनिंजाइटिस के नाम से भी जाना जाता है इसके लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। वे हफ्तों की अवधि में और अधिक गंभीर हो जाते हैं। संक्रमण कà¥...