ट्रांसफार्मर का चित्र सहित वर्णन

  1. पाचन तन्त्र के अंगों का चित्र सहित वर्णन कीजिए। छोटी आँत में भोजन किस प्रकार पचता है?
  2. फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम
  3. ट्रांसफॉर्मर के सिद्धान्त, बनावट तथा कार्य प्रणाली का सचित्र वर्णन कीज
  4. Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 3
  5. मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए चित्र सहित
  6. 18 ट्रांसफार्मर का वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत कीजिए
  7. मुण्डक (Head or capitulum) पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजि
  8. ट्रांसफॉर्मर का नामांकित चित्र तथा इसके परिणमन अनुपात का सूत्र
  9. पाचन तन्त्र के अंगों का चित्र सहित वर्णन कीजिए। छोटी आँत में भोजन किस प्रकार पचता है?
  10. मुण्डक (Head or capitulum) पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजि


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पाचन तन्त्र के अंगों का चित्र सहित वर्णन कीजिए। छोटी आँत में भोजन किस प्रकार पचता है?

आहारनाल एवं पाचन तन्त्र भोजन एवं पेय पदार्थों का हमारे शरीर में प्रवेश मुख द्वारा होता है तथा पाचन क्रिया के पश्चात् इनके अवशिष्ट पदार्थों का निकास मल द्वार द्वारा होता है। मुख एवं मल द्वार को परस्पर सम्बन्धित करने वाली नली को पाचन नली अथवा आहारनाल कहते हैं। आहारनाल के विभिन्न भाग हैं, जिनका आकार तथा कार्य भिन्न-भिन्न होता है। आहारनाल के सभी भाग मुख्य रूप से ग्रहण किए गए आहार के पाचन का कार्य करते हैं। आहारनाल के अतिरिक्त अर्थात् इसके बाहर भी कुछ ऐसे अंग हैं जो आहार के पाचन में विशेष सहायता एवं योगदान प्रदान करते हैं। इन अंगों को आहार के पाचन में सहायक अंग माना जाता है। यकृत, अग्न्याशय तथा पित्ताशय इसी वर्ग के अंग हैं। आहारनाल तथा इससे सम्बन्धित पाचन क्रिया में सहायक अंग सम्मिलित रूप से पाचन तन्त्र अथवा पाचन संस्थान का निर्माण करते हैंअर्थात् आहार के पाचन एवं शोषण में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने वाले तथा अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करने वाले सभी अंगों को सम्मिलित रूप से पाचन तन्त्र कहा जा सकता है। इस प्रकार हमारे पाचन तन्त्र के दो भाग होते हैं (1) आहारनाल तथा (2) पाचन क्रिया में सहायक अंग। (i) आहारनाल यह पाचन तन्त्र को मुख्य भाग है। यह लगभग 9 मीटर लम्बी होती है। समान व्यास की न होकर यह ‘भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आकार के अंगों का निर्माण करती है। आहारनाल के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं • मुख तथा मुखगुहा • ग्रसनी • ग्रासनली • आमाशय • पक्वाशय • छोटी आँत • बड़ी आँत। (i) मुख तथा मुखगुहा : दो ओष्ठों से घिरा आहारनाल का प्रवेश द्वार मुख कहलाता है, जो कि अन्दर की ओर मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा आगे की ओर ऊपर-नीचे जबड़ों तथा पीछे की ओर गालों से घिरी होती है। मुखगुहा की छत ता...

फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम

वैज्ञानिक माइकल फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर अनेकों प्रयोग किए। और इन प्रयोगों से प्राप्त परिणामों को दो नियमों के आधार पर विभाजित किया। इन नियमों को फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम कहते हैं। फैराडे का प्रथम नियम जब किसी परिपथ से बद्ध माना ∆t समय अंतराल में किसी परिपथ से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन ∆Φ B होता है तो परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल \footnotesize \boxed वोल्ट यदि परिपथ एक कुंडली के रूप में है और जिसमें तार के फेरों की संख्या N है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल e = \large -N \frac वोल्ट जहां NΦ B को चुंबकीय फ्लक्स ग्रंथिका की संख्या कहते हैं। एवं इसका मात्रक वेबर-टर्न होता है। फैराडे के प्रथम नियम को न्यूमैन का नियम भी कहते हैं। पढ़ें… फैराडे के प्रथम नियम की व्याख्या इसके लिए एक चुंबक व एक कुंडली लेते हैं। जब हम कुंडली को चुंबक से दूर रखते हैं तो कुंडली में से चुंबक की फ्लक्स रेखाओं की कुछ ही संख्या गुजरती है। यदि हम कुंडली या चुंबक में से किसी एक की स्थिति में परिवर्तन कर दें, तो फ्लक्स रेखाओं की संख्या बढ़ जाएगी। अर्थात् चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने लगता है। फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम जैसा चित्र से स्पष्ट किया गया है। कि कुंडली को चुंबक से दूर ले जाने पर फ्लक्स रेखाओं की संख्या घटती है तथा कुंडली को चुंबक के नजदीक जाने पर फ्लक्स रेखाओं की संख्या बढ़ती है। इन दोनों ही दशाओं में कुंडली में विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है। चुंबक को जितनी तेजी से आगे-पीछे चलाया जाता है फ्लक्स परिवर्तन की दर उतनी ही अधिक होती है। जिसके कारण प्रेरित विद्युत वाहक बल भी उतना ही अधिक उत्पन्न होता है। यह भी पढ़ें.. फैराडे का द्वितीय नियम

ट्रांसफॉर्मर के सिद्धान्त, बनावट तथा कार्य प्रणाली का सचित्र वर्णन कीज

Solution ट्रांसफॉर्मर- ट्रांसफार्मर एक ऐसी विद्युत यूक्ति है जिसकी सहायता से उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती वोल्टता को निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता में तथा निम्न धारा की उच्च प्रत्यावर्ती वोल्टता को उच्च धारा की निम्न प्रत्यावर्ती वोल्टता में परिवर्तित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में ट्राँसफॉर्मर वोल्टता को बढ़ाने अथवा घटाने में प्रयुक्त की जाने वाली युक्ति है। ये दो प्रकार के होते हैं- (i) उच्चायी ट्रांसफॉर्मर- इसमें द्वितीय कुण्डली में लपेटे हुए घेरों की संख्या प्राथमिक कुण्डली से अधिक होती है। अर्थात् N S > N P (ii) अपचायी ट्रांसफॉर्मर- इसमें द्वितीय कुण्डली में लपेटे हुए घेरों की संख्या प्राथमिक कुण्डली से कम होती है। अर्थात् N S < N P किसी ट्रांसफार्मर में, V S V P = N S N P सिद्धान्त- ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित युक्ति है। जब किसी कुण्डली में धारा परिवर्तित होती है, तो इसके निकट स्थित कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। बनावट- ट्रांसफोंर्मर में दो कुण्डलियाँ होती हैं, जो एक-दूसरे से विद्युतरुद्ध होती हैं । वे एक कोमल लौह-क्रोड पर लिपटी होती हैं । लपेटने की विधि या तो चित्र (a) की भाँति होती है, जिसमें एक कुण्डली दूसरी के ऊपर लिपटी होती है या फिर चित्र (b) की भाँति जिसमें दोनों कुण्डलियाँ क्रोड की अलग अलग भुजाओं पर लिपटी होती हैं। एक कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली कहते हैं, इसमें N. लपेटे होते हैं। दूसरे कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं । इसमें N लपेटे होते हैं। प्रायः प्राथमिक कुण्डली निवेशी कुण्डली होती है एवं द्वितीयक कुण्डली ट्रासफार्मर की निगत कुण्डली होती है एव द्वितीय कुंडली ट्रांसफॉर्मर की निर्गत कुंडली होती है व...

Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 3

• NCERT Solutions • NCERT Library • RD Sharma • RD Sharma Class 12 Solutions • RD Sharma Class 11 Solutions Free PDF Download • RD Sharma Class 10 Solutions • RD Sharma Class 9 Solutions • RD Sharma Class 8 Solutions • RD Sharma Class 7 Solutions • RD Sharma Class 6 Solutions • Class 12 • Class 12 Science • NCERT Solutions for Class 12 Maths • NCERT Solutions for Class 12 Physics • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry • NCERT Solutions for Class 12 Biology • NCERT Solutions for Class 12 Economics • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (Python) • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (C++) • NCERT Solutions for Class 12 English • NCERT Solutions for Class 12 Hindi • Class 12 Commerce • NCERT Solutions for Class 12 Maths • NCERT Solutions for Class 12 Business Studies • NCERT Solutions for Class 12 Accountancy • NCERT Solutions for Class 12 Micro Economics • NCERT Solutions for Class 12 Macro Economics • NCERT Solutions for Class 12 Entrepreneurship • Class 12 Humanities • NCERT Solutions for Class 12 History • NCERT Solutions for Class 12 Political Science • NCERT Solutions for Class 12 Economics • NCERT Solutions for Class 12 Sociology • NCERT Solutions for Class 12 Psychology • Class 11 • Class 11 Science • NCERT Solutions for Class 11 Maths • NCERT Solutions for Class 11 Physics • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry • NCERT Solutions for Class 11 Biology • NCERT Solutions for Class 11 Economics • NCERT Solutions for Class 11 Computer Science (Python...

मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए चित्र सहित

Manav Netra Kise Kahate Hain, Manav Netra ka sachitra varnan Karen, Manav Netra Ka Chitra sahit varnan Karen, Manav Netra Kise Kahate Hain sachitra varnan Karen, Manav Netra kya hai, human eyes in Hindi, Manav Netra ke karya, the human eye and its part, human eyes in Hindi, structure of human eyes in Hindi, what is the human eyes अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्स क्राइब नहीं किया है तो नीचे आपको लिंक दी जा रही है। और साथ में टेलीग्राम ग्रुप की भी लिंक जॉइन कर लीजिएगा। 👉 Joined Telegram Group 👈 👉 Visit our YouTube Channel👈 मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए किसी वस्तु का मानव नेत्र से प्रतिबिंब बनना किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए। ( Very Important Que.) इसके प्रमुख अवयव निम्नलिखित हैं- दृढ़ पटल तथा रक्तक पटल (Sclerotic and choroid)- नेत्र गोलक की बाहरी अपारदर्शी कठोर परत को दृढ़ पटल कहते हैं। यह श्वेत होता है। दृढ़ पटल नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा करता है। इसके भीतरी पृष्ठ से लगी काले रंग की झिल्ली होती है, जिसे रक्तक पटल कहते हैं। कॉर्निया (cornea)- नेत्र गोलक के सामने का भाग कुछ उभरा हुआ तथा पारदर्शी होता है। इसे कॉर्निया कहते हैं। प्रकाश इसी भाग से नेत्र में प्रवेश करता है। प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अंतर वास्तविक और आभासी प्रतिबिंब में अंतर आइरिस (iris)- कॉर्निया के पीछे की ओर रंगीन (काली, भूरी अथवा नीली) अपारदर्शी झिल्ली का एक पर्दा होता है, जिसे आइरिस कहते हैं। इसके बीच में एक छिद्र होता है, जिसे पुतली ( pupil ) कहते हैं। आइरिस का कार्य नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करना है। अधिक प्रकाश में यह संकुचित होकर पुतली को छोटा कर देती है तथ...

18 ट्रांसफार्मर का वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत कीजिए

Views: 5,141 l and area of section A carrying current I placed in a magnetic field at an angle θ as shown. If number density of electrons in the condurtor is n, then total no. of electrons in the conductor is: Aln. As the force acting one electron is f = e V α ​ B sin θ where V d ​ is the drift velocity of electrons. So the total force acting on the conductor is = A ln f = A ln ( e v d ​ B sin θ ) = ( A n e V α ​ ) lB sin θ C direction can be determined by fleming's left hand rule.

मुण्डक (Head or capitulum) पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजि

Solution इस प्रकार के पुष्पक्रम में मुख्य अक्ष चपटा होकर उन्नतोदर (Convex) हो जाता है जिसे रिसेप्टेकिल (Receptacle) कहते हैं। इस पर अनेक अवृन्ती पुष्प जिन्हें पुष्पक (florets) कहते हैं, इस प्रकार लगे होते हैं कि पूरा पुष्पक्रम एक ही पुष्प दिखाई देता है। ये पुष्पक दो प्रकार के होते हैं- (1) रश्मि पुष्पक (Ray florets) ये पुष्प परिधि पर उत्पन्न होते हैं और स्त्रीकेसरी (Pistillate) या नपुंसक जिहीय (Ligulate) होते है (2) बिम्ब पुष्पक होते हैं, नलिकावार एवं उभयलिंगी होते हैं। इस प्रकार पुष्पक्रम कम्पोजिसी कुल की विशेषता है, जेसे - गैंदा, सेवन्ती, सूरजमुखी आदि। हेलो फ्रेंड प्रश्न है मुंडक पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए तो यहां पर में बताना है मुंडक मुंडक प्रकार का पुष्पक्रम प्रकार का पुष्पक्रम इस तरीके का दिखाई देता क्या होता है तो पुष्पक्रम जिसमें कि पशुओं की व्यवस्था दर्शाते हैं ठीक है और हमारा मुंडक प्रकार का जो पुष्पक्रम है उसमें जो पुष्पक्रम यानी पुष्पों का मुख्य लक्ष्य है वह कैसा हो रहा है वह हो जाता है चपटा और इसके चपटे होने के कारण यहां पर इसे नाम दिया जाता है रिसेप्टेकल रिसेप्टेकल इसे नाम दिया जाता है प्रैक्टिकल होता है इस रिसेप्टेकल पर क्या लगते हैं इस पर अनेक आवृत्ति यानी जिनमें व्रत नहीं पाए जाते हैं ऐसे पुष्पा यहां पर लगते हैं इन्हें आवृत्ति पुष्प कहा जाता है वह कहां लगेंगे रिसेप्ट के ऊपर रखते हैं और इस प्रकार का पुष्पक्रम जो हमें देखने को मिलेगा वह होता है मुंडक ठीक है यानी एक रिसेप्टेकल और उस पर आवृत्ति पुष्पद यह मुंडा पुष्पक्रम होता है उसका चित्र हम देखते हैं तो दोस्तों यह जो चित्र है यह मुंडा मुंडा पुष्पक्रम का है यहां पर इसे आप देख सकते हैं इसे रिस...

ट्रांसफॉर्मर का नामांकित चित्र तथा इसके परिणमन अनुपात का सूत्र

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पाचन तन्त्र के अंगों का चित्र सहित वर्णन कीजिए। छोटी आँत में भोजन किस प्रकार पचता है?

आहारनाल एवं पाचन तन्त्र भोजन एवं पेय पदार्थों का हमारे शरीर में प्रवेश मुख द्वारा होता है तथा पाचन क्रिया के पश्चात् इनके अवशिष्ट पदार्थों का निकास मल द्वार द्वारा होता है। मुख एवं मल द्वार को परस्पर सम्बन्धित करने वाली नली को पाचन नली अथवा आहारनाल कहते हैं। आहारनाल के विभिन्न भाग हैं, जिनका आकार तथा कार्य भिन्न-भिन्न होता है। आहारनाल के सभी भाग मुख्य रूप से ग्रहण किए गए आहार के पाचन का कार्य करते हैं। आहारनाल के अतिरिक्त अर्थात् इसके बाहर भी कुछ ऐसे अंग हैं जो आहार के पाचन में विशेष सहायता एवं योगदान प्रदान करते हैं। इन अंगों को आहार के पाचन में सहायक अंग माना जाता है। यकृत, अग्न्याशय तथा पित्ताशय इसी वर्ग के अंग हैं। आहारनाल तथा इससे सम्बन्धित पाचन क्रिया में सहायक अंग सम्मिलित रूप से पाचन तन्त्र अथवा पाचन संस्थान का निर्माण करते हैंअर्थात् आहार के पाचन एवं शोषण में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने वाले तथा अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करने वाले सभी अंगों को सम्मिलित रूप से पाचन तन्त्र कहा जा सकता है। इस प्रकार हमारे पाचन तन्त्र के दो भाग होते हैं (1) आहारनाल तथा (2) पाचन क्रिया में सहायक अंग। (i) आहारनाल यह पाचन तन्त्र को मुख्य भाग है। यह लगभग 9 मीटर लम्बी होती है। समान व्यास की न होकर यह ‘भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आकार के अंगों का निर्माण करती है। आहारनाल के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं • मुख तथा मुखगुहा • ग्रसनी • ग्रासनली • आमाशय • पक्वाशय • छोटी आँत • बड़ी आँत। (i) मुख तथा मुखगुहा : दो ओष्ठों से घिरा आहारनाल का प्रवेश द्वार मुख कहलाता है, जो कि अन्दर की ओर मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा आगे की ओर ऊपर-नीचे जबड़ों तथा पीछे की ओर गालों से घिरी होती है। मुखगुहा की छत ता...

मुण्डक (Head or capitulum) पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजि

• Course • NCERT • Class 12 • Class 11 • Class 10 • Class 9 • Class 8 • Class 7 • Class 6 • IIT JEE • Exam • JEE MAINS • JEE ADVANCED • X BOARDS • XII BOARDS • NEET • Neet Previous Year (Year Wise) • Physics Previous Year • Chemistry Previous Year • Biology Previous Year • Neet All Sample Papers • Sample Papers Biology • Sample Papers Physics • Sample Papers Chemistry • Download PDF's • Class 12 • Class 11 • Class 10 • Class 9 • Class 8 • Class 7 • Class 6 • Exam Corner • Online Class • Quiz • Ask Doubt on Whatsapp • Search Doubtnut • English Dictionary • Toppers Talk • Blog • Download • Get App Solution इस प्रकार के पुष्पक्रम में मुख्य अक्ष चपटा होकर उन्नतोदर (Convex) हो जाता है जिसे रिसेप्टेकिल (Receptacle) कहते हैं। इस पर अनेक अवृन्ती पुष्प जिन्हें पुष्पक (florets) कहते हैं, इस प्रकार लगे होते हैं कि पूरा पुष्पक्रम एक ही पुष्प दिखाई देता है। ये पुष्पक दो प्रकार के होते हैं- (1) रश्मि पुष्पक (Ray florets) ये पुष्प परिधि पर उत्पन्न होते हैं और स्त्रीकेसरी (Pistillate) या नपुंसक जिहीय (Ligulate) होते है (2) बिम्ब पुष्पक होते हैं, नलिकावार एवं उभयलिंगी होते हैं। इस प्रकार पुष्पक्रम कम्पोजिसी कुल की विशेषता है, जेसे - गैंदा, सेवन्ती, सूरजमुखी आदि। हेलो फ्रेंड प्रश्न है मुंडक पुष्पक्रम का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए तो यहां पर में बताना है मुंडक मुंडक प्रकार का पुष्पक्रम प्रकार का पुष्पक्रम इस तरीके का दिखाई देता क्या होता है तो पुष्पक्रम जिसमें कि पशुओं की व्यवस्था दर्शाते हैं ठीक है और हमारा मुंडक प्रकार का जो पुष्पक्रम है उसमें जो पुष्पक्रम यानी पुष्पों का मुख्य लक्ष्य...