ट्रांसफार्मर pdf

  1. ट्रांसफॉर्मर का कार्य सिद्धान्त?
  2. Transformer क्या है: ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है: ट्रांसफार्मर के प्रकार
  3. ट्राँसफार्मर
  4. ट्रांसफार्मर क्या है और ट्रांसफार्मर में कौन
  5. ट्रांसफार्मर Archives
  6. अर्धचालक क्या है?
  7. ट्रांसफार्मर के प्रकार
  8. ट्रांसफार्मर क्या है, सूत्र, रचना, कार्य विधि सिद्धांत, उपयोग
  9. ट्रांसफार्मर Archives
  10. ट्राँसफार्मर


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ट्रांसफॉर्मर का कार्य सिद्धान्त?

जबकि दोनों वाइन्डिंगों के मध्य किसी प्रकार का इसकी लेमीनेटेड कोर सिलिकॉन स्टील की बनी होती है। इसमें प्रतिशत सिलिकॉन व 97 प्रतिशत लोहा होता है। सिलिकॉन की मात्रा हिस्ट्रेसिस हानि को कम करती है। 50Hz आवृत्ति के लिए प्राय: 2.5 से 0.27 mm मोटाई की कोर बनाई जाती है। प्रत्येक लेमीनेटेड कोर वार्निश से इन्सुलेटेड रहती है। ट्रांसफॉर्मर की संरचना कैसी होती है ट्रांसफॉर्मर के भाग एक ट्रांसफार्मर में, एक प्रत्यावर्ती धारा ( प्राथमिक वाइंडिंग में घुमावों की संख्या का अनुपात द्वितीयक वाइंडिंग में घुमावों की संख्या से ट्रांसफार्मर के वोल्टेज परिवर्तन अनुपात को निर्धारित करता है। यदि प्राथमिक वाइंडिंग में द्वितीयक वाइंडिंग की तुलना में अधिक मोड़ हैं, तो ट्रांसफार्मर को “स्टेप-डाउन” ट्रांसफार्मर कहा जाता है, क्योंकि यह वोल्टेज को कम करता है। यदि प्राथमिक वाइंडिंग में द्वितीयक वाइंडिंग की तुलना में कम मोड़ हैं, तो ट्रांसफार्मर को “स्टेप-अप” ट्रांसफार्मर कहा जाता है, क्योंकि यह वोल्टेज को बढ़ाता है। ट्रांसफार्मर विद्युत ऊर्जा को दो वाइंडिंग के बीच किसी भी भौतिक संबंध के बिना प्राथमिक वाइंडिंग से द्वितीयक वाइंडिंग में स्थानांतरित करने में सक्षम है, इस तथ्य के कारण कि वे ट्रांसफार्मर कोर के माध्यम से चुंबकीय रूप से युग्मित हैं। यह ट्रांसफॉर्मर को कम से कम नुकसान के साथ लंबी दूरी पर विद्युत शक्ति संचारित करने के लिए उपयोग करने की अनुमति देता है। “ट्रांसफॉर्मर का सिद्धांत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि जब एक कॉइल (या वाइंडिंग) के माध्यम से प्रवाहित धारा बदलती है, तो यह उसके पास मौजूद किसी अन्य कॉइल में वोल्टेज को प्रेरित करेगी। यह एक विद्युत प्रवाह का ...

Transformer क्या है: ट्रांसफार्मर कैसे काम करता है: ट्रांसफार्मर के प्रकार

Transformer क्या है:- Transformer एक स्थिर (static) यंत्र हैं जों पॉवर सप्लाई को एक circuit से दूसरे circuit तक पहुंचने का काम करता है। इसमें दो वाइंडिंग लगे होते है। प्राइमरी और सेकंडरी वाइंडिंग जो कि ये दोनों वाइंडिंग एक कोर पर लपेटे रहते है। ट्रांसफार्मर AC सप्लाई के frequncy के बदले बिना ही पॉवर को ट्रांसफर करते हैं। ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है (working principle of transformer):- ट्रांसफार्मर फराडे के mutual indcutance सिद्धांत पर कार्य करता है। फ़ैराडे का mutual induction सिद्धांत (farade’s law of mutual inductance) :- यदि कोई दो कायल (coil) जों किसी आयरन कोर पर लपेटा गया है । उसमे से किसी एक कायल पर AC सप्लाई दिया जाए तो उस कायल में एक emf पैदा होता है। जिसके कारण आयरन कोर में एक मूविंग flux φ उत्पन्न होता है। चुकी उसी कोर में सेकंडरी winding भी लपेटी रहती है। जिससे सेकंडरी कायल में भी एक emf पैदा होता है। ये उत्पन्न emf लेंज लॉ के अनुसार उसी कारण का विरोध करेगी जिसके कारण यह उत्पन्न हुई है। या “एक कायल में धारा परिवर्तन के कारण उसी कायल से युग्मित (coupled) दूसरे कायल में उत्पन्न emf ही mutual induction theory कहलाता है। और इस दूसरी कायल में उत्पन्न emf और धारा की दिशा पहली कायल के दिशा के विपरीत होती है।” Transformer कैसे काम काम करता है (how to work transformer):- जब ट्रांसफार्मर के प्राइमरी ने AC supply दिया जाता है तो चुकी सप्लाई alternating current है और वाइंडिंग, कोर पर लपेटी गई है। तो AC सप्लाई कोर के चारों तरफ circulate करती है। जिससे कोर में flux φ पैदा होती है। और सच की कोर के दूसरी तरफ सेकंडरी वाइंडिंग भी लपेटी रहती है तो वह flux φ उस सेकं...

ट्राँसफार्मर

यह लेख विद्युत उपकरण के बारे में है। काल्पनिक साहित्य के लिए, ट्राँसफार्मर या परिणामित्र एक किसी ट्राँसफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: V S V P = N S N P इस सूत्र से स्पष्ट है कि प्राइमरी वोल्टता के दिये हुए मान के लिये प्राइमरी एवं सेकेणडरी वाइण्डिंग के फेरों की संख्या का उचित चयन करके हम द्वितीयक वाइंडिंग में इच्छित विभवान्तर प्राप्त कर सकते हैं। जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से अधिक होता है तो ऐसे ट्राँसफार्मर को उच्चायी परिणामित्र (स्टेप-अप ट्राँसफार्मर) कहते हैं। इसके विपरीत जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से कम होता है तो ऐसे परिणामित्र को अपचायी परिणामित्र (स्टेप-डाउन ट्राँसफार्मर) कहते हैं। अनुक्रम • 1 उपयोग • 2 परिणामित्र के प्रतीक • 3 परिचय • 4 परिणामित्र की दक्षता • 5 ट्रांसफॉर्मर के भाग • 6 विविध • 7 ट्रांसफॉर्मर का तुल्य परिपथ • 8 ट्रान्सफॉर्मर के प्रकार तथा विविध उपयोग • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ उपयोग [ ] ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है । ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है। ध्यातव्य है कि आदर्श ट्रान्सफार्मर ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है (जहाँ, जैसी आवश्यकता हो)। ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपय...

ट्रांसफार्मर क्या है और ट्रांसफार्मर में कौन

Transformer In Hindi हेल्लो फ्रेंड्स यदि आप भी इलेक्ट्रिकल के किसी फील्ड से जुड़े हे या इलेक्ट्रिकल से जुडी कोई पढाई कर रहे हे जैसे – इलेक्ट्रीशियन ,वायरमैन ,एलेक्ट्रोप्लाटर ,इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तो आपने ट्रांसफार्मर के बारे में जरुर पढ़ा होगा .यदि आप ट्रांसफार्मर से जुड़े नॉलेज को और अधिक बढ़ाना चाहते हे तो यह पोस्ट आपके लिए मदगार हो सकती हे | इस आर्टिकल में आप जान सकते हे ट्रांसफार्मर क्या हे तथा ट्रांसफार्मर में कौन – कौन से भाग होते है– ट्रांसफार्मर के द्वारा वोल्टेज या करंटको आवश्यकता के अनुसारकम या अधिककरके एक सर्किट से दुसरे सर्किट में भेजा जा सकता है लेकिन इस स्थित में पहले सर्किट में जितनी सप्लाई फ्रीक्वेंसी होती हे उतनी ही फ्रीक्वेंसी स्थान्तरित किये जाने वाले दुसरे सर्किट में भी होती है | दोनों सर्किट में वोल्टेज और विद्युत धारा का मान अलग – अलग हो सकता है लेकिनफ्रीक्वेंसी का मान एक हीहोता है | हमारे देश भारत में सप्लाई फ्रीक्वेंसी का मान 50 हर्ट्ज़ हे | और इस फ्रीक्वेंसी मान के अनुसार भारत की सभी इलेक्ट्रिकल मशीन एवं उपकरण बनाये जाते है | ट्रांसफार्मर केवल ए.सी. सप्लाई पर ही कार्य करता हैयदि ट्रांसफार्मर कोडी.सी. सप्लाई सेजोड़ दिया जाये तो ट्रांसफार्मर कीवाइंडिंग जल जाती है| Parts of Transformer | ट्रांसफार्मर के भाग एक छोटे ट्रांसफार्मर में तो मुख्य रूप से तीन ही भाग होते हे – 1. प्राइमरी वाइंडिंग 2. सेकेंडरी वाइंडिंग 3. कोर लेकिन बड़े ट्रांसफार्मर में कई ज्यादा भाग होते हे क्युकी जब ट्रांसफार्मर को सप्लाई से जोड़ते हे तो वह विद्युत धारा के कारण गर्म भी होता है , धुप ,बारिश ,ठण्ड जैसे मौसम में भी खुला ही रहता , कभी लोड ज्यादा तो कभी लोड कम ह...

ट्रांसफार्मर Archives

Download Numerical Question of Electrical Theory in hindi – आईटीआई इलेक्ट्रीशियन , इलेक्ट्रोप्लेटर , वायरमैन या इलेक्ट्रिकल से जुडी अन्य परीक्षाओ में इलेक्ट्रिकल नुमेरिकल से कुछ सवाल पूछे जाते है | आज के इस पोस्ट में हम इलेक्ट्रिकल के कुछ महत्वपूर्ण न्यूमेरिकल के प्रश्न को पढ़ने वाले है | क्वेश्चन को आप पीडीऍफ़ में डाउनलोड… ट्रांसफार्मर सरंचना , उपयोग एवं आवश्यकता के अनुसार अलग – अलग प्रकार के बनाये जाते है | इस आर्टिकल Current Transformer and Potential Transformer in Hindi में हम आपको करंट और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर के बारे में बताने वाले है | यदि आप जानना चाहते है की करंट ट्रांसफार्मर एवं पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या है एवं इनका… difference between step up and step down transformer in hindi स्टेप अप और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर क्या है | difference between step up and step down transformer in hindi जब भी ट्रांसफार्मर के द्वारा विद्युत को स्थान्तरित करने की बात आये तो वोल्टेज की आवश्यकता के अनुसार Step Up एवं Step Down ट्रांसफार्मर को… Working Principle of Transformer फ्रेंड्स पिछले आर्टिकल में आप पढ़ चुके है की ट्रांसफार्मर क्या है ? और इसमे कौन – कौन से भागतेहो है | और अब इस आर्टिकलमें आप पढने वाले हैWorking Principle of Transformer ट्रांसफार्मर के कार्य सिध्दांत के बारे में यहाँ आपTransformerके कार्य करने का पूरा तरीका सरल भाषा में पढ़…

अर्धचालक क्या है?

x • अर्धचालकों की चालक क्षमता को कम या अधिक किया जा सकता है। • जब Temperature बढ़ाया जाता है तब अर्धचालकों कि चालक क्षमता भी बढ़ जाती है। • इसमें current flow दोनों दिशा में आसानी से हो जाती है। • Dopping करके इससे Electrical Components जैसे कि डायोड, ट्रांजिस्टर आदि बनाए जा सकते हैं। • इसकी चालकता 10 -7 से 10 2 ओम/मीटर के बीच होती है। • अर्धचालकों की प्रतिरोधकता 10 -2 से 10 -7 ओम-मीटर के बीच होती है अर्धचालक के प्रकार इसको 1.नाइक्रोम नाइक्रोम एक मिश्र धातु है। यह 80% निकेल व 20% क्रोमियम को मिलाकर बनाया जाता है। इसका गलनांक उच्च होने के कारण, इसका उपयोग विद्युत भट्ठी में, हीटर में, गीजर में, प्रेस में, टोस्टर में, विद्युत केतली के हीटिंग एलिमेंट बनाने में किया जाता है। 2.कैंथल कैंथल भी एक मिश्र धातु है। यह लोहा, निकेल व क्रोमियम को मिलाकर बनाया जाता है। कैंथल का 3.मैंगनिन मैंगनिन 84% तांबा, 14% यंत्रों व प्रमाणित प्रतिरोधों को बनाने में किया जाता है। 4.कार्बन कार्बन का प्रतिरोध कम होता है और विशिष्ट प्रतिरोध अधिक होता है। इसका अधिकतर यूज इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में किया जाता है। 5.यूरेका इसका 60% तांबा व 40% निकेल को मिलाकर बनाया जाता है। इसका यूज थर्मोकपल स्टार्टरों के प्रतिरोध व रेगुलेटर, प्रतिरोध बॉक्स बनाने में किया जाता है। 6.प्लेटिनोइड प्लेटिनोइड एक मिश्र धातु होती है। यह 64% तांबा, 15% निकेल, 20% जस्ता, 1% टंग्स्टन को मिलाकर बनाई जाती है। इसके Certified Instrument बनाने में किया जाता है। 7.जर्मन सिल्वर यह 60% तांबा, 15% निकेल व 25% जिंक को मिलाकर बनाया जाता है। यह एक soft धातु है। इसका use रजिस्टेंस तार व अच्छे वाल्व बनाने में किया जाता है। इन्हें भी पढ़ें

ट्रांसफार्मर के प्रकार

कौन सा टॉपिक पढेगे उस पर क्लिक करें - • • Types of Transformer in Hindi विद्युत के उत्पादन के बाद जब विद्युत को ट्रांसमिट करने यानि की एक जगह से दूसरी जगह पहुचाने की बात आये या डिस्ट्रीब्यूट यानि की विद्युत को उपभोक्ता तक पहुचाने की बात आये .. तो ट्रांसफार्मर का ही उपयोग किया जाता है | यदि आप जानना चाहते हे की ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हे तथा उनका उपयोग कहाँ – कहाँ किया जाता है तो यह आर्टिकल आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है | • यह भी पढ़िए – • ट्रांसफार्मर के प्रकार |Types of Transformer in Hindi वैद्युतिक कार्य के अनुसार तथा अलग – अलग जगह उपयोग के लिए अलग – अलग ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती है | जिसके कारण ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण कई प्रकार से किया जा सकता है जो की निम्न प्रकार के हे – फेज की संख्या के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार | Types of transformer based on number of phases फेज की संख्या के आधार पर ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते है • सिंगल फेज ट्रांसफार्मर ( Single phase Transformer ) • थ्री फेज ट्रांसफार्मर ( Three phase Transformer ) कोर की सरंचना के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार | Types of Transformer based on Core’s Construction कोर की सरंचना के आधार पर ट्रांसफार्मर तीन प्रकार के होते है • क्रोड़ प्रकार का ट्रांसफार्मर ( Core Type Transformer ) • शैल प्रकार का ट्रांसफार्मर ( Shell Type Transformer ) • बैरी प्रकार का ट्रांसफार्मर ( Berry Type Transformer ) आउटपुट कैपेसिटी के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार | Types of Transformer based on Output Capacity आउटपुट कैपेसिटी के आधार पर ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते है • ऑटो ट्रांसफार्मर ( Auto Transformer ) • इ...

ट्रांसफार्मर क्या है, सूत्र, रचना, कार्य विधि सिद्धांत, उपयोग

विषय सूची • • • • • ट्रांसफार्मर क्या है अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसी युक्ति, जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती वोल्टता अथवा धारा के मान में परिवर्तन अर्थात वृद्धि या कमी की जा सकती है। इस प्रकार की युक्ति को ट्रांसफार्मर (Transformer in Hindi) कहते हैं। ट्रांसफार्मर विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिघटना पर आधारित होते हैं। क्योंकि यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करते हैं। इसलिए ही इनका उपयोग केवल प्रत्यावर्ती धारा में ही किया जाता है। दिष्ट धारा में इनका उपयोग नहीं किया जाता है। ट्रांसफार्मर के प्रकार ट्रांसफार्मर प्रत्यावर्ती धारा के विभव को परिवर्तित करने में प्रयुक्त किए जाते हैं। इसी के आधार पर ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते हैं। 1. अपचायी ट्रांसफार्मर (step down transformer) 2. उच्चायी ट्रांसफार्मर (step up transformer) 1. अपचायी ट्रांसफार्मर इस प्रकार के ट्रांसफार्मर उच्च विभव वाली निर्बल प्रत्यावर्ती धारा को निम्न विभव वाली प्रबल विद्युत धारा में परिवर्तित करता हैं। इन ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक कुंडली की तुलना में द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या कम होती है। पढ़ें… पढ़ें… 2. उच्चायी ट्रांसफार्मर इस प्रकार के ट्रांसफार्मर निम्न विभव वाली प्रबल प्रत्यावर्ती धारा को उच्च विभव वाली निर्बल विद्युत धारा में परिवर्तित करता हैं। इन ट्रांसफॉर्मर में प्राथमिक कुंडली की तुलना में द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या अधिक होती है। ट्रांसफार्मर की रचना ट्रांसफार्मर में दो कुंडलियां होती है जो एक दूसरे से विद्युत रोधी होती हैं। यह एक नर्म लोहे की क्रोड पर लिपटी होती हैं। जिसमें एक कुंडली दूसरी कुंडली के ऊपर लिपटी होती है। अथवा दोनों कुंडलियां लोहे की क्रोड की अलग-अ...

ट्रांसफार्मर Archives

Download Numerical Question of Electrical Theory in hindi – आईटीआई इलेक्ट्रीशियन , इलेक्ट्रोप्लेटर , वायरमैन या इलेक्ट्रिकल से जुडी अन्य परीक्षाओ में इलेक्ट्रिकल नुमेरिकल से कुछ सवाल पूछे जाते है | आज के इस पोस्ट में हम इलेक्ट्रिकल के कुछ महत्वपूर्ण न्यूमेरिकल के प्रश्न को पढ़ने वाले है | क्वेश्चन को आप पीडीऍफ़ में डाउनलोड… ट्रांसफार्मर सरंचना , उपयोग एवं आवश्यकता के अनुसार अलग – अलग प्रकार के बनाये जाते है | इस आर्टिकल Current Transformer and Potential Transformer in Hindi में हम आपको करंट और पोटेंशियल ट्रांसफार्मर के बारे में बताने वाले है | यदि आप जानना चाहते है की करंट ट्रांसफार्मर एवं पोटेंशियल ट्रांसफार्मर क्या है एवं इनका… difference between step up and step down transformer in hindi स्टेप अप और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर क्या है | difference between step up and step down transformer in hindi जब भी ट्रांसफार्मर के द्वारा विद्युत को स्थान्तरित करने की बात आये तो वोल्टेज की आवश्यकता के अनुसार Step Up एवं Step Down ट्रांसफार्मर को… Working Principle of Transformer फ्रेंड्स पिछले आर्टिकल में आप पढ़ चुके है की ट्रांसफार्मर क्या है ? और इसमे कौन – कौन से भागतेहो है | और अब इस आर्टिकलमें आप पढने वाले हैWorking Principle of Transformer ट्रांसफार्मर के कार्य सिध्दांत के बारे में यहाँ आपTransformerके कार्य करने का पूरा तरीका सरल भाषा में पढ़…

ट्राँसफार्मर

यह लेख विद्युत उपकरण के बारे में है। काल्पनिक साहित्य के लिए, ट्राँसफार्मर या परिणामित्र एक किसी ट्राँसफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: V S V P = N S N P इस सूत्र से स्पष्ट है कि प्राइमरी वोल्टता के दिये हुए मान के लिये प्राइमरी एवं सेकेणडरी वाइण्डिंग के फेरों की संख्या का उचित चयन करके हम द्वितीयक वाइंडिंग में इच्छित विभवान्तर प्राप्त कर सकते हैं। जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से अधिक होता है तो ऐसे ट्राँसफार्मर को उच्चायी परिणामित्र (स्टेप-अप ट्राँसफार्मर) कहते हैं। इसके विपरीत जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से कम होता है तो ऐसे परिणामित्र को अपचायी परिणामित्र (स्टेप-डाउन ट्राँसफार्मर) कहते हैं। अनुक्रम • 1 उपयोग • 2 परिणामित्र के प्रतीक • 3 परिचय • 4 परिणामित्र की दक्षता • 5 ट्रांसफॉर्मर के भाग • 6 विविध • 7 ट्रांसफॉर्मर का तुल्य परिपथ • 8 ट्रान्सफॉर्मर के प्रकार तथा विविध उपयोग • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ उपयोग [ ] ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है । ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपयोग में सुविधा और दक्षता आती है। ध्यातव्य है कि आदर्श ट्रान्सफार्मर ट्रान्सफार्मर का मुख्य उपयोग विद्युत शक्ति को अधिक वोल्टता से कम वोल्टता में या कम वोल्टता से अधिक वोल्टता में बदलना है (जहाँ, जैसी आवश्यकता हो)। ऐसा करने से विद्युत उर्जा के उपय...