ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा भोजन

  1. Ayurvedic Treatment of Diabetes
  2. ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा भोजन कौनसा है
  3. Beyond Cholesterol 14 Ways to Lower Triglycerides in Hindi
  4. फैटी लिवर डाइट
  5. ट्राईग्लीसराइड लेवल कम करें (Kaise Triglyceride Levels, Dil Ki Bimari Kam Karen)
  6. जानिए डायबिटीज में छाछ के लाभ , कब और कैसे करना है सेवन
  7. शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करें (Lower Triglycerides)
  8. कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लीसीराइड को कम करने के उपाय
  9. आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना क्या है मुमकिन?


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Ayurvedic Treatment of Diabetes

​पुनर्नवा विशेषज्ञ बताती हैं कि पुनर्नवा एक तरह की जड़ी-बूटी है जो मूत्रवर्धक के रूप में काम करती है। इसके सेवन से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल आसानी से कम किया जा सकता है। यह लीवर, किडनी और आंखों के लिए भी अच्छा है (डायबिटिक रेटिनोपैथी, नेफ्रोपैथी को रोकने में उपयोगी)। इसके साथ ही यह मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करता है।ऐसे करें इस्तेमालरोजाना खाली पेट 2-5 ग्राम तक इस जड़ी-बूटी का सेवन फायदेमंद होता है। ​काली मिर्च हर किचन में आसानी से मिल जाने वाला यह मसाला इंसुलिन संवेदनशीलता, पाचन में सुधार करने, गंदे कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करता है। इससे आपको विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों में दिल के दौरे को रोकने में मदद मिलती है।ऐसे करें इस्तेमालरोजाना सुबह 1 काली मिर्च का सेवन है सेहतमंद। ​इलायची इलायची अपने स्वाद और सुगंध के साथ दिल की सेहत और मीठे खाद्य पदार्थों के लिए क्रेविंग को कम करके शुगर लेवल को बेहतर बनाने के लिए जानी जाती है। इसके साथ ही बार-बार प्यास लगने जैसे डायबिटीज के लक्षण से भी छुटकारा दिलाने का काम करती है।ऐसे करें इस्तेमालइसे चाय के रूप में लिया जा सकता है या 1 इलायची के पाउडर को भोजन के 1 घंटे बाद गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है। ​अर्जुन छाल हार्ट डिजीज से बचाव के साथ-साथ उसकी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए अर्जुन-छाल सबसे अच्छी जड़ी-बूटी है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल से लेकर टैचीकार्डिया तक हर तरह की दिल की समस्या दूर रहती है।ऐसे करें इस्तेमालनियमित रूप से सोने से पहले इसके चाय का सेवन किया जा सकता है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्याद...

ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा भोजन कौनसा है

ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा भोजन कौनसा है –ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाता हैं. जो एक प्रकार का वसा होता हैं. ऐसा माना जाता है की अगर हमारे शरीर ट्राइग्लिसराइड्स स्तर बढ़ जाता हैं. तो यह हमारे शरीर और ह्रदय के लिए काफी खतरनाक माना जाता हैं. यह हमे ह्रदय संबंधित काफी बीमारी दे सकता हैं. ट्राइग्लिसराइड्स बढने के काफी सारे कारण होते हैं. जिसमें से अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से भी इसकी मात्रा हमारे शरीर में बढ़ जाती हैं. ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर हमारे शरीर में बढ़ जाने पर डॉक्टर की राय जरुर लेनी चाहिए. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए सबसे अच्छा भोजन कौनसा है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. • ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए आपको सफ़ेद चावल की जगह ब्राउन चावल का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा आपको ओटमील और आटे से बनी ब्रेड का सेवन करना चाहिए. • ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए आपको फलों का सेवन अधिकतर करना चाहिए. आप मीठे फलों का सेवन कर सकते हैं. • ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ जाने पर आप दूध का सेवन कर सकते हैं. लेकिन दूध का सेवन कम मात्रा में करे. • ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए आप मुंग, लाल राजमा, बीन्स, सोया बीन्स, दाल आदि का सेवन कर सकते हैं. ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए यह सभी वस्तु काफी अच्छी मानी जाती हैं. इन सभी में प्रोटीन और फायबर काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं. इसलिए इनके सेवन से आपको फायदा होगा. • ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए ओमेगा...

Beyond Cholesterol 14 Ways to Lower Triglycerides in Hindi

ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ना 1/11 ट्राइग्लिसराइड्स फैट की तीन श्रृंखलाओं से मिलकर बना पदार्थ है। यह शरीर में फैट को पहुंचने और इकट्ठा करने का काम करता है। हमारे रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर रक्त वाहिकाओं और अग्न्याशय (पैंक्रियास) को नुकसान पहुंचता है। और उच्‍च कोलेस्‍ट्रॉल के साथ इसकी उपस्थिति, जो आमतौर पर होती है, अवरुद्ध धमनियों, दिल के दौरे या स्‍ट्रोक और एक्‍यूट पैंक्रियाटिस होने के खतरे को बढ़ा देता है। इसलिए आपको शरीर में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के तरीके पता होने चाहिए। image courtesy : getty images मोटापा सबसे बड़ा दोषी 2/11 ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर मेटाबोलिक सिंड्रोम का कारण बनता है, जिससे शरीर में हृदय रोग और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर मोटे लोग मेटाबोलिक संबंधी विकार से पी‍ड़‍ित होते हैं। अगर आप जानना चाहते हो कि आप इस जोखिम पर हो या नहीं तो अपनी कमर की निचली पसलियों और कूल्हे की हड्डी के बीच मध्य बिंदु को नाप लें, यह आपकी कमर का सही आकार है। पुरुष की कमर का आकार 37 से अधिक और महिलाओं का 31.5 से अधिक होने पर वह इसके जोखिम पर होते हैं। अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्‍त व्‍यक्ति में ट्राइग्लिसराइड का उच्‍च स्तर होने की अधिक संभावना होती है। image courtesy : getty images कैलोरी को कम करें 3/11 भोजन में अतिरिक्त कैलोरी ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित हो जाती है। शुगर और फैट से भरपूर फूड्स और शराब उच्‍च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ हैं और यह उच्च ट्राइग्लिसराइड्स के लिए जिम्मेदार होते हैं। ट्राइग्लिसराइड्स और अतिरिक्त वजन को कम करने के लिए इन सभी खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। image courtesy : ge...

फैटी लिवर डाइट

बिगड़ती दिनचर्या और असंतुलित खान-पान कई गंभीर रोगों को बुलावा दे सकते हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है फैटी लिवर, जो असमय और उल्टे-सीधे भोजन के कारण हो सकती है। बता दें कि लिवर का खराब होना पूरे शरीर की क्रियाशीलता और गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, इस बीमारी से जुड़ी जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इसके जोखिम को कम किया जा सके। वहीं, इससे बचे रहने के लिए खानपान में थोड़ा बदलाव किया जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आपको फैटी लिवर डाइट से जुड़ी जरूरी जानकारी मिलेगी और साथ ही हमने यहां फैटी लिवर डाइट चार्ट भी साझा किया है, जिसका पालन आप डॉक्टरी परामर्श पर कर सकते हैं। • नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज ( NAFLD) : असंतुलित आहार इसका मुख्य कारण हो सकता है। यह अल्कोहल से जुड़ा नहीं होता है। यह दो प्रकार का हो सकता है, पहला जिसमें लिवर में सिर्फ फैट जमा होता है और लिवर में सूजन और लिवर कोशिकाओं की क्षति न के बराबर होती है। वहीं, दूसरे प्रकार में लिवर में फैट जमने के साथ लिवर में सूजन और लिवर कोशिकाओं में क्षति की स्थिति बन सकती है। इसे नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस के नाम से जाना जाता है। नॉनअल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस गंभीर लिवर की क्षति और लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। • अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज ( NAFLD): अधिक शराब का सेवन इस समस्या का मुख्य कारण होता है। इससे लिवर में सूजन और लिवर कोशिकाओं की क्षति ज्यादा बढ़ जाती है। व्यक्ति जितना अधिक शराब का सेवन करेगा, लिवर की क्षति उतनी बढ़ सकती है। अगर इस स्थिति को नियंत्रित न किया गया है, तो गंभीर लिवर से जुड़ी बीमारी जन्म ले सकती है, जैसे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस (लिवर में गंभीर सूजन) और सिरोसिस (लिवर में घाव)। ...

ट्राईग्लीसराइड लेवल कम करें (Kaise Triglyceride Levels, Dil Ki Bimari Kam Karen)

क्योंकि बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड (triglyceride) की वजह से हार्ट डिसीज (दिल से जुड़ी बीमारी) और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है, इसी वजह से ये काफी खतरनाक होता हैं। अगर आप आपके ट्राईग्लिसराइड को जल्द से जल्द कम करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपनी डाइट में मीठा (स्वीट) लेना कम करना होगा और अपने फाइबर-रिच प्लांट्स के इनटेक को बढ़ाने जैसे कुछ बदलाव करने होंगे, साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में ज्यादा से ज्यादा एक्सर्साइज़ करने और स्मोकिंग छोड़ने जैसे काम भी करने होंगे। कुछ मामलों में, फाइब्रेट्स (fibrates), स्टैटिन्स (statins) और दूसरी दवाइयाँ भी मदद कर देती हैं। आपकी जरूरत के हिसाब से ट्राईग्लिसराइडड कम करने के प्लान को पाने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। अपनी डाइट में मीठे की कमी करें: X रिसर्च सोर्स • अपनी एडेड शुगर को आपकी कैलोरी के 5 से 10 परसेंट से भी कम ही रहने दें। महिलाओं के लिए, इसका मतलब की शुगर से रोजाना कुछ 100 से 200 कैलोरी तक ली जा सकती है। पुरुषों के लिए, इसका मतलब की शुगर से रोजाना 150 से 250 तक कैलोरी तक ली जा सकती है। • स्वीट डेजर्ट्स और कॉन्सन्ट्रैटेड फ्रूट जूस (बाजार में मिलने वाले जूस पैकेट) बगैरह लेने से बचें। आपके रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स को कम कर दें: व्हाइट राइस (सफेद चावल) और सफेद आटे या सेमोलिना (semolina) से बनी बेक्ड चीज़ें, कुछ लोगों में ट्राईग्लिसराइड्स को बढ़ा देती हैं। अगर आपके डॉक्टर को इसके बढ़ने के पीछे की वजह होने का शक है, तो कार्बोहाइड्रेट्स को कम करने से आपके ट्राईग्लिसराइड्स पर भी काफी अच्छा असर देखा जा सकता है। • रिफाइंड व्हाइट फ्लोर (मैदा) से बनी हुई खाने की चीज़ें खरीदने के बजाय, होल ग्रेन्स से बने हुए ब्रेड और पास्ता को चुनें। • अपने क...

जानिए डायबिटीज में छाछ के लाभ , कब और कैसे करना है सेवन

गर्मियों के मौसम में अगर छाछ को अमृत कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा। भारत के हर घर में छाछ या मठ्ठा के स्वास्थ्य लाभ और स्वाद के कारण इसे खाने के साथ शामिल करना आम बात है। छाछ में कई पोषक तत्व होते हैं जो आपके शरीर के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होते हैं। ऐसे में कई लोगों का सवाल होता है की क्या डायबिटीज़ में छाछ या मट्ठा पी सकते हैं। आइए इस सवाल का जवाब इस ब्लॉग में जानते हैं। भारत में लोग अनेक स्वास्थ्य लाभों के कारण हज़ारों वर्षों से छाछ को अपनी हेल्दी डाइट में शामिल करते आ रहे हैं। यह एक लो फैट पेय है जो फर्मेन्टड दूध से बने मक्खन को स्किम करने के बाद प्राप्त होता है। तासीर में ठंडी छाछ पेट की कई समस्याओं में राहत देती है। कैल्शियम, आयरन, विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर छाछ रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी मदद करती है और आंत के स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। छाछ की सबसे अच्छी बात इसका लो-फैट या कम वसा होना है जो वज़न कम करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए एक बेस्ट ड्रिंक ऑप्शन है। छाछ दही को पानी में घोलकर मथने से बनती है। दही का प्रकार, पानी की मात्रा और उसमें मक्खन का अनुपात उसके स्वाद और गुणों को बदल सकता है। इस वजह से छाछ या मठ्ठा कई रूपों में प्राप्त होती है: फुल क्रीम छाछ: इस तरह की छाछ फुल क्रीम दही से निकाली जाती है जिसे बिना पानी के मथा जाता है। नो क्रीम छाछ: इसके लिए स्किम्ड मिल्क दही का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे बिना पानी मिला कर मथा जाता है। छाछ: इस प्रकार की छाछ दही को पानी से 100:25 के अनुपात में मथ कर प्राप्त की जाती है और यह सबसे आम छाछ बनाने की विधि है। आधा पानी छाछ: जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसे मथने की प्रक्रिया के लिए 100 मि...

शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करें (Lower Triglycerides)

ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) एक तरह के फैट (या लिपिड) हैं, जो खून में मौजूद होते हैं और आपको शरीर के लिए एनर्जी प्रोवाइड करते हैं। आप जब कुछ खाते हैं, आपका शरीर उन सभी कैलोरी को ट्राइग्लिसराइड्स में कन्वर्ट कर देता है, जिसकी उसे जरूरत नहीं है और उसे बाद में इस्तेमाल करने के लिए आपके फैट सेल्स में स्टोर कर देता है। X Mayo Clinic X रिसर्च सोर्स H Humor, W Borena,K Rapp et al, Serum Triglyceride Concentration and Cancer risk in a Large Cohort in Austria, British Journal of Cancer 2009,101, 1202-1206 आपके फिजीशियन के द्वारा आपको दवाइयाँ भी प्रिस्क्राइब की जा सकती हैं, लेकिन आपकी लाइफ़स्टाइल में कुछ सिम्पल से बदलाव भी आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे आप हृदय संबंधी बीमारियों, हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स के आपके रिस्क को कम कर सकें। चीनी का सेवन कम कर दें: सिम्पल कार्बोहाइड्रेट्स, जैसे कि चीनी और सफेद आटे से बने फूड्स ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर अगर ये सफेद है, तो उससे दूर रहे हैं। कुकीज़, केक, मफिन, व्हाइट पास्ता, व्हाइट ब्रेड, कैंडी बगैरह से दूर ही रहें। • बात जब ट्राइग्लिसराइड्स की आए, तब स्टडीज़ के मुताबिक हाइ-फ्रक्टोज़ कॉर्न सिरप (High-fructose corn syrup) इसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार होता है। फ्रक्टोज की ज्यादा मात्रा आपके सिस्टम के लिए बेकार हो सकती है, इसलिए जब भी संभव हो इससे बचें। आप जिस फूड को खाने वाले हैं, उसमें ये शुगर है या नहीं, इसे जानने के लिए उसके फूड लेबल को पढ़ लें। • चीनी वाली चीज खाने की इच्छा में, एक पीस किसी मीठे फल का खाएं। फलों में भी चीनी ज्यादा रहती है, लेकिन ये प्रोसेस्ड, शुगर की बजा...

कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लीसीराइड को कम करने के उपाय

ट्राइग्लिसराइड्स प्राकृतिक वसा और तेल के मुख्य घटक हैं। वे शरीर में ऊतकों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं। अगर एलडीएल LDL और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर बढ़ जाते हैं तब शरीर में रोग होने के जोखिम भी बढ़ जाते है। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स, लिपिड या वसा होते हैं और शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक हैं। कोलेस्ट्रोल एक नरम, चिकना, सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ है। यह खून एवं पशुओं के ऊतकों और विभिन्न खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल कोशिका की झिल्लियों, अंगों के कामकाज, और स्टेरॉयड हार्मोन बनने के लिए महत्वपूर्ण है। यह सामान्य रूप से जिगर द्वारा संश्लेषित है और रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में ले जाया जाता है। इसके मुख्य दो प्रकार हैं एचडीएल HDL और एलडीएल LDL LDL इन दोनों को नियमित रूप से रक्त परीक्षणों में नापा जाता है। ट्राइग्लिसराइड्स प्राकृतिक वसा और तेल के मुख्य घटक हैं। वे शरीर में ऊतकों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं। अगर एलडीएल LDL और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर बढ़ जाते हैं तब शरीर में रोग होने के जोखिम भी बढ़ जाते है। दोनों प्रकार के वसा, यानी की कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स, का मुख्य स्रोत हमारे आहार है। पशु खाद्य, शर्करा, डेयरी उत्पादों, घी तेल, चिकनाई, दूध उत्पाद के अधिक सेवन से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि हो जाती है। इसलिए ये ज़रूरी है की खाद्य पदार्थों को बुद्धिमानी से चुनें। कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने का पहला कदम रसोई से ही शुरू होता है। हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता क्यों है? • कोलेस्ट्रॉल शरीर में हर कोशिका का एक अनिवार्य हिस्सा है। • नई कोशिकाओं के निर्माण, पुरानी कोशिका...

आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना क्या है मुमकिन?

ह्रदय स्वास्थ्य हर व्यक्ति के लिए एक सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। यदि आपका ह्रदय स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो आपको ना सिर्फ दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, बल्कि इससे जुड़े कॉम्प्लिकेशन भी आपको परेशान कर सकते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी ही समस्या की, जो आमतौर पर रक्त में वसा के बढ़ने के कारण होती है। वसा बढ़ने से हमारे दिल को बेहद नुकसान पहुंचता है। वसा का एक प्रकार है ट्राइग्लिसराइड, जिसके बढ़ने से ह्रदय संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। बात करें इसके उपचार की, तो आयुर्वेद एक प्राचीन उपचार पद्धति मानी जाती है। आयुर्वेद के जरिए हृदय से संबंधित समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना मुमकिन है। आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन माना जाता है, क्योंकि इस उपचार पद्धति के अंतर्गत कई तरह की दवाइयां आपकी मदद कर सकती हैं। आइए जानते हैं किस तरह आप आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड की समस्या को ठीक कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले जानते हैं ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) से जुड़ी जरूरी बातें। जैसा कि हमने पहले पढ़ा, आयुर्वेद से ट्राइग्लिसराइड कम होना (How to reduce triglycerides with ayurveda) मुमकिन है, लेकिन ट्राइग्लिसराइड बढ़ने के कारणों को जानना भी आपके लिए जरूरी है। ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल बढ़ने के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं। इसमें से कुछ कारण आपकी सेहत से जुड़े हुए हैं, वहीं कुछ कारण आपके मोटापा : जब व्यक्ति संतुलित आहार ना लेकर जरूरत से ज्यादा खाने लगता है, तो उसका मोटापा बढ़ जाता है। मोटापा बढ़ने से ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides) का लेवल बढ़ने लगता है और...