तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे

  1. तुंगनाथ मंदिर
  2. Tungnath Temple Opening Date 2023
  3. तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड, इतिहास, जानकारी
  4. रुद्रनाथ मंदिर
  5. तुंगनाथ मंदिर चोपता उत्तराखंड
  6. तुंगनाथ tungnath
  7. Shiva Famous Tungnath Temple History In Hindi
  8. तुंगनाथ
  9. Tungnath Temple तुंगनाथ मंदिर


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तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर है, जो उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में टोंगनाथ पर्वत पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक भव्य मंदिर है, जो कि समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है। मान्यता अनुसार यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना माना जाता है।टोंगनाथ अर्थात जिसे चोटियों का स्वामी भी कहा जाता है, इसमें अलकनंदा और मंदाकिनी नदी घाटियों का निर्माण होता है। जनवरी फरवरी के महीनों में बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है। इन महीनों में यहाँ मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव को पंचकेदार के रूप में पूजा जाता है, पंचकेदार के क्रममें तुंगनाथ मंदिर का दूसरा स्थान है। यह मंदिर केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के लगभग बीच में स्थित है। यह गढ़वाल के सुन्दर इलाकों में से एक है। तुंगनाथ मंदिर पंचकेदार के नाम से क्यों प्रचलित है एक कहानी के मुताबिक कहा जाता है कि जब महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के दौरान पाण्डव अपनों को मारने के कारण व्याकुलता थे, इस व्यकुलता को दूर करने के लिए पांचों भाई पांडव महर्षि व्यास के पास गए । महर्षि वेद व्यास ने पांचों भाई पांडवों को सलाह दी कि, अपने भाइयों, गुरुओं ओर पुत्रों को मारने के बावजूद वे सभी ब्रम्हत्या के प्रकोप में आ चुके हैं और उन्हें इस प्रकोप से केवल महादेव शिव ही बचा सकते हैं। महर्षि वेद व्यास की सलाह लेने पर पांचों भाई पाण्डव महादेव शिव के दर्शनों के लिए हिमालय पहुंचे परन्तु अपने कुल के नाश करने की वजह से महादेव शिव पांडवों से खफा थे और वे पांडवो से मिलना नहींचाहते थे जिसके कारण म...

Tungnath Temple Opening Date 2023

चार धाम यात्रा शुरू होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं और अब तक चार धाम यात्रा के लिए 15 लाख से भी अधिक चार धाम यात्रा के बाद अब तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि(Tungnath Temple Opening Date 2023) तय हो चुकी है। Tungnath Temple के कपाट 26 अप्रैल 2023 को खोले जायेंगे। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और उत्तराखंड में स्थित पंचकेदारों में से तृतीय केदार है, ये पंचकेदार केदारनाथ रुद्रनाथ, तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर पूरी दुनिया में भगवान शिव के सभी मंदिरों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • तुंगनाथ मंदिर का इतिहास(Tungnath Temple History) तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह चौखंबा शिखर पर स्थित है, जिसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिखर माना जाता है। मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब पांडवों ने कुरुक्षेत्र में कौरवों को हरा कर महाभारत का युद्ध जीता तो उन्हें अपने ही द्वारा अपने प्रियजनों का वध करने पर बड़ी पीड़ा पहुंची, इसलिए वो इस समस्या का समाधान पाने के लिए शिव की शरण में जाना चाहते थे लेकिन भोलेनाथ, पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे। पांडवो से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव केदारनाथ आ गए लेकिन पांडव भी उनके पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे। तब भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया अन्य बैलों के झुंड में घुस गए ताकि पांडव उन्हें पहचान न सकें लेकिन पांडवों ने इस बात को भांप लिया और महाबली भीम ने शिव को पकड़ने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश में भगवान शिव नीचे गिर गए और भीम के हाथ में बैल का कूबड़ आया और बाकी हिस्से गढ़वाल क्षेत्र के विभिन्न हि...

तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड, इतिहास, जानकारी

Tungnath Temple / तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड के गढ़वाल के चमोली ज़िले में स्थित है। यह मन्दिर भगवान् शिव को समर्पित है और तुंगनाथ पर्वत पर अवस्थित है। हिमालय की ख़ूबसूरत प्राकृतिक सुन्दरता के बीच बना यह मन्दिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मुख्य रूप से चारधाम की यात्रा के लिए आने वाले यात्रियों के लिए यह मन्दिर बहुत महत्त्वपूर्ण है। तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर है, इस मंदिर को 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। Contents • • • • तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड, इतिहास – Tungnath Temple History in Hindi तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। मन्दिर स्वयं में कई कथाओं को अपने में समेटे हुए है। कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि जब व्यास ऋषि ने पांडवों को सलाह दी थी कि महाभारत युद्ध के दौरान जब पांडवों ने अपने चचेरे भाई की हत्या की थी, तो उनका यह कार्य केवल लेकिन बाद में इस मन्दिर को 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है। यहाँ भगवान शिव के ‘पंचकेदार’ रूप में से एक की पूजा की जाती है। ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित इस भव्य मन्दिर को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में हज़ारों तीर्थयात्री और पर्यटक यहाँ आते हैं। पौराणिक कथा में यह भी कहा गया है कि रामायण महाकाव्य के मुख्य प्रतीक भगवान राम, चंद्रशेला शिखर पर ध्यान लगाते हैं, जो तुंगनाथ के करीब है। यह भी कहा जाता है कि रावण ने यहां भगवान् शिव की तपस्या की थी। इस मंदिर में पुजारी मक्कामाथ गांव के एक स्थानीय ब्राह्मण हैं। यह भी कहा जाता है कि मैथानी ब्राह्मण इस मंदिर में पुजारी के तौर पर काम करते हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान, मंदिर बंद हो जाता है। कब जाये तुंगनाथ मन्दि...

रुद्रनाथ मंदिर

रुद्रनाथ मंदिर की पूजा पंचकेदार के चतुर्थ केदार के रूप में की जाती है, जिसमें भगवान शिव के एकानन यानी मुख की पूजा होती है। इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की मूर्ति का गर्दन थोड़ा टेढ़ा है, जिसके बारे में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव की यह प्रतिमा स्वयंभू यानी खुद से प्रकट हुई है, जिसे दुर्लभ पाषाण की मूर्ति बताया जाता है। रुद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से 3600 मीटर (11811 फूट) की ऊंचाई पर स्थित है, जहां जाने के लिए एक तरफ से लगभग 22-24 किमी. की ट्रेक करनी पड़ती है और यह चढ़ाई गोपेश्वर शहर से 3 किमी. की दूरी पर स्थित सगर गांव से शुरू होती है। विषय - सूची • • • • • • • • • • • रुद्रनाथ मंदिर कहां स्थित है ? पंच केदार में से चतुर्थ केदार के रूप में पूजे जाने वाला यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें भगवान शिव के एकानन यानी मुख की पूजा होती है। रुद्रनाथ मंदिर के आस पास की मूर्तियां – यहां पर आपको रुद्रनाथ के मुख्य मंदिर में स्थापित भगवान शिव की मूर्ति के अलावा इस मंदिर के बाहर बाईं ओर पांचों पांडवों (युधिस्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव), उनकी माता कुन्ती, पत्नी द्रौपदी, वन देवता और वन देवियों (इन्हें हिमालय की पारियां भी कहा जाता है) के साथ-साथ कई छोटी-छोटी मूर्तियां भी स्थापित हैं। मुख्य मंदिर के दाईं ओर यक्ष देवता का मंदिर स्थापित है, जिन्हें स्थानीय लोग जाख देवता के नाम से जानते हैं। रुद्रनाथ मंदिर का कपाट कब खुलता और बंद होता है ? इस मंदिर का कपाट भी केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के साथ ही खोला जाता है, जो मई के अक्षय तृतीया के दिन खुलता है और नवंबर के महीने में दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज को बंद हो जाता है। रुद्रन...

तुंगनाथ मंदिर चोपता उत्तराखंड

तुंगनाथ मंदिर चोपता उत्तराखण्ड के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित पंचकेदार का एक हिस्सा है। तुंगनाथ मंदिर दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है, जहां पर भगवान शिव के हृदय और भुजाओं की पूजा होती है। तो चलिए आज के इस ब्लॉग में हमलोग तुंगनाथ महादेव मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी को पूरे बेहतर तरीके से जानने और समझने की कोशिश करते हैं। विषय - सूची • • • • • • • • • • • तुंगनाथ महादेव मंदिर कहां स्थित है ? तुंगनाथ पर्वत पर भोलेनाथ को समर्पित यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो चोपता, जिसे मिनी स्वीटजरलैंड के नाम से जाना जाता है, से 3.5 किमी. की दूरी पर तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। तुंगनाथ महादेव मंदिर की स्थापना कब और किसने करवाया था ? तुंगनाथ महादेव मंदिर का इतिहास आज से करीब 1000 वर्षों से भी पुराना माना जाता है, जिसका निर्माण पांडवों ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने हाथों से हुए अपने ही कुल के लोगों के नरसंहार के पाप से बचने के लिए करवाया था। इस युद्ध में पांडवों के द्वारा हुए नरसंहार से भगवान शिव उनसे बहुत नाराज थे, जिन्हें खुश करने और अपने ऊपर के पाप से बचने के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। तुंगनाथ महादेव मंदिर के कपाट कब खुलते और बंद होते हैं ? मंदिर के कपाट मई के महीने में खुलते हैं और नवंबर में दीपावली के समय बंद कर दिए जाते हैं। अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों, तो मैं आपको बता दूं कि नवंबर-फरवरी और कभी-कभी मार्च तक इस मंदिर सहित अन्य क्षेत्रों में काफी मात्रा में बर्फबारी जारी रहता है, जिसकी वजह से नवंबर में दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज को मंदिर के कपाट बंद कर दिए जात...

तुंगनाथ tungnath

देव भूमि उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य मे अनेक तीर्थ स्‍थल स्थित है जिनमे से एक जनपद रूद्रप्रयाग मे स्थित तुंगनाथ मंदिर एक प्रमुख देवस्‍थान है तुंगनाथ में भगवान शिव के बाहु रूप का दर्शन किया जाता है यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई स्थित इस मंदिर की पवित्रता अपार है । तुंगना‍थ से अधिक उंचाई पर कोई हिन्‍दु मंदिर नही है । यहां खंडित मूर्तियां बतलाती है कि य‍ह प्राचिन स्‍थान है मंदिर में शिवलिंग है जिसके पीछे पद्धमामनस कुंडलधारी भक्‍त मूर्ति है । तुंगनाथ हिमालय के गर्भ में है इसके उपर चारों और हिम शिखरों की पंक्तियां चली गर्इ है और नीचे हजारों पहाड मानों हिम शिखरों की ओर ध्‍यान लगाए एक टक देख रहे हैं । यह मंदिर उखीमठ – गोपेश्‍वर मार्ग पर 30 किमी की दूरी पर चद्रशिला पर्वत के शिखर पर स्थित है । शिव के इस मंदिर में गुम्‍बज के सम्‍पूर्ण विस्‍तार में 16 द्धार है । यहां आदि गुरू शंकराचार्य की एक 2.5 फुट लम्‍बी मूर्ति स्थित है । यहां भगवान शिव के हाथ की पूजा होती है । पंचकेदार में इन्‍हे तृतीय केदार कहां जाता है । शीतकाल में तुंगनाथ की पूजा मक्‍कूठ में होती है । इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर रावण शिला है । chandrashila तुंगनाथ महादेव के कपाट भी बैशाख अक्षय तृतीय अपैल – मई में उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट के साथ खोल दिए जाते है और शीत काल मे चारों तरफ बर्फ की चादर से यह स्‍थान पुरी तरह से ढक जाने के कारण यहां के कपाट बंद कर दिए जाते हैं । शीतकाल में बाबा तुंगनाथ के दर्शन उखीमठ में किए जातें हैं । तुंगनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य :- तुंगनाथ उत्‍तराखण्‍ड के गढवाल क्षेत्र में चोपता से 3 किमी की दूरी पर है गढवाल क्षेत्र अपने हरे-भरे घास के सुन्‍दर एवं रमणीयता के लिए प्रसिद है । इन घास के मैदा...

Shiva Famous Tungnath Temple History In Hindi

दरअसल ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव एक बैल के रूप में अंतर्धयान हुए तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ और अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है.। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेर में और जटा कल्पेर में प्रकट हुई इसलिए इन चारों स्थानों सहित केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है, यहां शिव के भव्य मंदिर बने हुए हैं। तो चलिए चलते हैं शिव के उस मंदिर के बारे में जानने के लिए जहां उनकी भूजाओं की पूजा की जाती है मतलब कि तुंगनाथ मंदिर। केदारनाथ कमेटी के सदस्य जनक राज बंसल की आपको बताएंगे कि आखिरकार क्यों तुंगनाथ वर्ल्ड फेमस है और क्या है उसके पीछे की कहानी। तुंगनाथ जहां होती है शिव के हृदय और बाहों की पूजा उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है। यह केदारनाथ और बद्रीनाथ के करीब-करीब बीच में है। हिमालय के दामन में स्थित तुंगनाथ मंदिर भक्तों के लिए आकषर्ण का केंद्र है। इस जगह की खासियत यह है कि यहां आकर हर एक इंसान तनाव को भूल, यहां कि शांति को महसूस करने लगता है। यहां के शांत माहौल का लोगों पर इतना प्रभाव पड़ता है कि जीवन के प्रति उनका नजरिया ही बदल जाता है। तुंगनाथ मंदिर, यहां की सुन्दरता आप कभी भूल नहीं पाएंगी। Read more: तुंगनाथ मंदिर अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी फेमस है। यहां पहुंचने के दौरान प्रकृति का सानिध्य अलग ही अहसास कराता है। यहां की यात्रा कुछ दुर्गम जरूर लगती है परंतु इसका अनुभव पर्यटकों को रोमांचित कर देता है। यहां रास्ते में गणोशजी का एक छोटा सा मंदिर भी पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से आगे की यात्रा बिना किसी विघ्न के पूरी होती है। ठंडी और ताजा हवाएं भ...

तुंगनाथ

तुंगनाथ के बारे में एक संक्षिप्त विवरण Tungnath ke bare me kuch vishesh baate तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण है। भारत के उत्तराखंड जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित, तुंगनाथ मुख्य रूप से 'शिखरों के भगवान' को संदर्भित करता है जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदी घाटियों में प्रकट होता है। तुंगनाथ को पवित्र पंच केदारों में से एक माना जाता है। तुंगनाथ का पवित्र मंदिरलगभग 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और लगभग 1,000 वर्ष पुराना है। यहां का मंदिर तुंगनाथ पर्वत श्रृंखला में स्थित पांच पंच केदार मंदिरों में सबसे अधिक है। इसके अलावा, तुंगनाथ में भगवान शिव मंदिर को दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक माना जाता है। तुंगनाथ यहां से आप तुंगनाथ के पास स्थित आकाश गंगा जलप्रपात भी देख सकते हैं, जिसमें नंदा देवी को समर्पित एक मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर में संत आदि शंकराचार्य की मूर्ति है और तुंगनाथ मंदिर से आसानी से पहुंचा जा सकता है। तुंगनाथ पर्वत तीन जल धाराओं का प्रमुख स्रोत है, जो अंततः आकाशकामिनी नदी का निर्माण करती है। तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और देवी पार्वती और अन्य भगवानों के कुछ देवताओं को आसपास में देखा जा सकता है। तुंगनाथ पौराणिक कथा और पौराणिक महत्व Tungnath mandir ka mahatv ऐसा माना जाता है कि तुंगनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था। व्यास ऋषि ने उन्हें सलाह दी कि वे युद्ध में अपने ही चचेरे भाइयों की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं और उनके पाप तभी धुलेंगे जब भगवान शिव उन्हें माफ कर देंगे। पांडवों ने हिमालय पर्वतमाला में भगवान शिव की तलाश शुरू कर दी और भगवान शिव उनसे बचते रहे क्योंकि वे दो...

Tungnath Temple तुंगनाथ मंदिर

Table of Contents • • • • तुंगनाथ मंदिर Tungnath Temple हमारे भारत देश में बहुत सारे शिव मंदिर हैं लेकिन ये सबसे बड़ा और अदभुत ऐसा शिव मंदिर हैं। जो की समुन्द्र तट से १२००० फिट की ऊंचाई पे हैं। यह Tungnath Temple उत्तराखंड राज्य के चोपता से ३. ५ किमी की दूरीपर हैं । और ये मंदिर सर्दियों में बंद रेहता हैं इस मंदिर में पुजारी मक्कामाथ गांव के स्थानीय ब्राह्मण हैं। और यहाँ के दर्शन करने के बाद मानव के सभी मनोकामना पूरी होती हैं ऐसा कहा जाता है। इस मंदिर में शिवजी के भुजाओं की पूजा की जाती हैं और वो भी पूरी लगन सच्चे मनोभाव से। शिव की भुजाएं Tungnath Temple में ,मुख रुद्रनाथ में ,नाभि मध्यमाहेश्वर में और जठा कल्पेश्वर में प्रकट हुवी। इसलिए इन चारो स्थानों सहित केदारनाथ को पंचकेदार कहां जाता हैं यहाँ शिव के भव्य मंदिर बने हुवे हैं। यहां Tungnath Temple बद्रीनाथ और केदारनाथ के बिच में हैं। जनवरी से फ़रवरी तक तुंगनाथ मंदिर पूरा बर्फ से ढका रहता हैं तुंगनाथ मंदिर की आकर्षण की वजहा हिमालय के दामन में स्तिथ ये तुंगनाथ मंदिर भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हैं। इस जगह की ये खासियत हैं की यहाँ के वातावरण में आकर मानव अपना पूरा तनाव दुखदर्द को भूल जाता हैं। और यहाँ की शांतिको महसूस करता हैं। यहाँ के शांत माहोल का लोगों पर इतना प्रभाव पड़ता हैं की लोगों का जीवन के प्रती देखने का उनका नजरिया ही बदल जाता हैं। जोकी पूरा भक्तिमय हो जाता हैं तुंगनाथ मंदिर के आसपास के बर्फीले पहाड़ को आप कभी भूल नहीं पाओगे। तुंगनाथ मंदिर के धार्मिक वातावरण के साथसाथ प्राकर्तिक सुंदरता के लिए भी काफी फेमस मंदिर हैं। इसी वजेसे इस मंदिर की तरफ लोगोंका आकर्षण बढ़ने लगा हैं। यहाँ पहुंचने के बाद प्रकर्ति के सानिध्य म...