Tulsidas ji ki mrityu kab hui thi

  1. Goswami Tulsidas Kaun Hai, gosawmi Tulsidas ji ka Jivan Parichay.
  2. तुलसीदास की मृत्यु कब हुई थी?
  3. जानिए: आखिर भगवान् श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? Lord Krishna Death Story in Hindi
  4. Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua Tha
  5. कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं
  6. अकबर की मृत्यु कब कैसे और कहां हुई ?


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Goswami Tulsidas Kaun Hai, gosawmi Tulsidas ji ka Jivan Parichay.

Goswami Tulsidas Kaun Hai, gosawmi Tulsidas ji ka Jivan Parichay. Dosto Aaj Ke artical Main aapko Tulsidas ji ke bare mein. Puri Jankari padhne ko milegi. Is article mein aapko Goswami Tulsidas ji ke bare mein sari Jankari Milegi. Jaise ki Tulsidas ji ka Jivan Parichay kya hai. Tulsidas ji ka Janm Kab Hua. Tulsidas ji ka Janm kaha hua tha. Aur Tulsidas ji ka nidhan Kab Hua. Tulsidas ji ki rachnae kya hai. Aur iske sath mein Ham yah bhi padenge. Tulsidas ke Pita ka naam kya hai. Aur Tulsidas ki Mata ka naam kya hai. Iske sath mein Tulsidas ki patni ka naam aur Patni Kaun Thi yah bhi janenge. Aur uske sath mein Tulsidas ki kavyagat visheshtae bhi padenge. Etc Jankari aapko is article mein milegi. Dosto mein ummid karta hu aapko yah artical Kafi Pasand aaega. Yah article Agar aapko Achcha Laga. To is artical ko Apne dosto, aur apne Parivar mein aur friend ko share Jarur Kare. Aur iske sath mein comment box Mein Jarur comment Kare. Is article Mein Koi Bhi Kami Ho Koi Bhi, Agar Humse Galti Ho To usko aap comment mein Jarur bataay. To Chaliye aapka time Barbaad na karte hue padhna start Karte Hai. 1. Mahakavi Goswami TulsidasJi ka Jeevan Parichay. 2. Tulsidas ji ka nidhan Kab Hua. 3. Tulsidas ji ki rachnaey kya – kya hai. 4. Tulsidas ji ki patni ka naam. Table of Contents Table of Contents • • • • • • • • Goswami Tulsidas ji ka Jivan Parichay Dosto ab Ham Goswami Tulsidas ji ka Jeevan Parichay padenge. Hindi sahitya ke Mahan Kavi Goswami Tulsidas ji ka Janm 1532 main hua tha. In...

तुलसीदास की मृत्यु कब हुई थी?

एक ब्लॉग जो की हिंदी साहित्य से जुड़ी जानकारियाँ आपके साथ शेयर करता है जो की आपके प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते हैं, इस ब्लॉग पर एम्. ए. हिंदी साहित्य का पूरा कोर्स लॉन्च करने का प्लान है. अगर आपका सहयोग अच्छा रहा हमारे ब्लॉग में पूरा कोर्स उपलब्ध करा दिया जाएगा. इसमें जो प्रश्न लिखे जा रहे हैं वह न केवल एम्. ए. के लिए उपयोगी है बल्कि यह विभिन्न प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी हिंदी साहित्य के प्रश्न विभिन्न फोर्मेट में हमारा ब्लॉग आपके लिए कंटेंट बनाते रहेगा अपना सहयोग बनाये रखें.

जानिए: आखिर भगवान् श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? Lord Krishna Death Story in Hindi

श्री कष्ण हिंदू धर्म के संपूर्ण अवतार कहे जाते हैं। उन्हें एक बेहतरीन राजनेता और 64 कलाओं का स्वामी भी माना गया है। वे भगवान् विष्णु के अवतार थे। जन्माष्टमी श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि Shri krishna ki mrityu kaisi hui? कैसे उनके यदुवंश का नाश हुआ? आइए आपको बताते हैं श्री कृष्ण की मृत्यु् और यदुवंश के विनाश के कारण। भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु कैसे हुई – Bhagwan Krishna ki Mrityu Kaise hui महाभारत के युद्ध के बाद, जब दुर्याोधन का अंत हो गया, तो उसकी माता गांधारी बहुत दुःखी हो गई थी। वह अपने बेटे के शव पर शोक व्यक्त करने के लिए रणभूमि में गई थी। भगवान कृष्ण और पांडव भी उसके साथ गए थे। गांधारी अपने बेटों की मृत्यु से इतनी दुःखाी हुई कि उसने भगवान कृष्ण को 36 वर्षों के बाद मृत्यु का शाप दे दिया। उन्होंने कहा जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा। भगवान कृष्ण मुस्कुराए और स्वयं पर लगा अभिशाप स्वीकार कर लिया। और ठीक इसके 36 वर्षों के बाद उनका अंत एक शिकारी के हाथों हुआ। महाभारत, कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का वो रूप है जिसने कुरुक्षेत्र की मिट्टी तक लाल कर दी थी। कहा जाता है इस भयंकर युद्ध में इतने लोगों ने अपनी जान गंवाई थीं कि आज भी उनके लहू से कुरुक्षेत्र (जहां महाभारत का युद्ध लड़ा गया था) की मिट्टी का रंग लाल ही है। ईर्ष्या, लालच और घमंड, ये तीनों ही कारण चचेरे भाइयों के बीच संग्राम के कारण बने। एक तरफ 100 कौरव भाई और दूसरी तरफ 5 पांडव। कृष्ण से लेकर भीष्म पितामह, द्रोण, शिखंडी आदि सभी बड़े-बड़े धुरंधरों ने इस युद्ध में भाग लिया। महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की कहानी को 18 खण्डों में संकलि...

Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua Tha

Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua Tha 2 October 1869 महात्मा गाँधी का जन्म कब हुआ था 2 अक्टूबर 1869 महात्मा गाँधी जी का जन्म कहा हुआ था गुजरात के पोरबंदर में महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी महात्मा गाँधी जी की मृत्यु कब हुए थी 30 जनवरी 1948 Mahatma Gandhi जिन्हे सत्य और अहिंसा के मिसाल के रूप में जाना जाता है। महात्मा गाँधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे। आज भले ही गाँधी जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके विचार और उनके काम हमें हमेसा प्रेणना देती रहती है। महात्मा गाँधी जी एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने अनेक कठिनाई आने के बावजूद अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़े और हमेसा सत्य और अहिंसा के मार्ग में ही चल के अपना सभी कार्य किया। Gandhi Ji किसी को कोई सलाह देने से पहले उसका प्रयोग स्वयं पर करते थे। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत में चलने वाले इन्सान थे और लोगो को भी इसी सिद्धांत में चलने की सलाह देते थे। वो खादी वस्त्र के समर्थक थे और हमेसा खादी वस्त्र ही पहनते थे। इन सभी विचारो और सिद्धांतों के कारण सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें 1944 में राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था। Mahatma Gandhi Ji को सभी बापू के नाम से भी जानते है। वो हमेसा यही प्रयास करते थे की सभी स्वतंत्रता संग्राम में अपने साथ सभी जाति, धर्म और समुदाय को लेकर और बाँध कर ही चलते थे और सभी को सलाह देते थे की कभी भी जाति और धर्म के नाम पर ना बाटे और हमेसा एक रहे क्युकी एकता में ही अनेकता है। अगर हम एक रहेंगे तो कोई हमें हरा नहीं पायेगा और अलग-अलग टुकड़ो में रहे तो कोई भी हरा के चला जाएगा। हम आज भी अपने कठिनाइयों के समय इनके इन सभी विचारो को याद करते है और इनके बताये गए राह पर चल के कठिनाइयों से निकलन...

कबीर दास का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं

जब भी हम दोहों और पदों के बारे में बात करते हैं तो सबसे पहले कबीरदास का नाम ही हमारे मुख में आता है। कबीरदास ने अपने दोहों और पदों से समाज को एक नई दिशा दी है। हिंदी साहित्य के महान कवि होने के साथ ही कबीर दास विद्दंत विचारक, भक्तिकाल के प्रमुख कवि और अच्छे समाज सुधारक थे। कबीर दास की सधुक्कड़ी मुख्य भाषा थी। लेकिन हमें इनके पदों और दोहों में हिंदी भाषा की एक अलग ही झलक दिखाई देती है। कबीर दास की मुख्य रचनाओं में हमें पंजाबी, राजस्थान, अवधी, हरियाणवी, ब्रज, खड़ी बोली आदि देखने को मिलती है। इन्होंने अपनी सकारात्मक विचारों और कल्पना शक्ति से कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी। kabir das ka parichay कबीर दास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने के लिए अपना अहम योगदान दिया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में भारतीय संस्कृति को बहुत अच्छे तरीके से वर्णित किया है, जिसमें हमें उसका महत्व समझने को मिलता है। इन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों को सकारात्मक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। कबीर दास भक्तिकाल की निर्गुण भक्ति धारा से बहुत प्रभावित थे। कबीर दास का प्रभाव हमें सिख, हिन्दू, मुस्लिम आदि धर्मों में देखने को मिलता है। इन्होंने अपने जीवन में समाज में व्याप्त ऊंच-नीच, जातिगत भेदभाव आदि जैसी भयंकर बुराईयों दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कबीर दास के दोहों, पदों और उनकी रचनाओं को पढ़कर कोई भी अपने जीवन को सफल बना सकता है और अपने जीवन को एक नई दिशा में अग्रेसित कर सकता है। यहां पर हम कबीर दास की जीवनी (Kabir Das ka Jivan Parichay) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करने वाले है, जिसमें कबीर की शिक्षा कहां तक हुई थी, कबीरदास जी के गुरू कौन थे, उनकी पत्नी का नाम...

अकबर की मृत्यु कब कैसे और कहां हुई ?

अकबर की मृत्यु कब कैसे और कहां हुई ? 1605 में पेचिश के बाद हुई बीमारी से अकबर की मृत्यु हो गई। उसकी कब्र आगरा के सिकंदरा में एक मकबरे पर है। उसने 49 वर्षों तक शासन किया था। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अन्त्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। सितम्बर 1605 में अकबर को पेचिश की बीमारी हुई, जिससे वह बीमार पड़ गया। उसके हकीमों ने हर उपाय की कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। दूसरे दिन सलीम आ गया। इस समय तक अकबर बोलने में असमर्थ था, लेकिन उसने अपने अधिकारियों को सलीम के सिर पर शाही मुकुट पहनने के संकेत दिए और सलीम स्वीकृत उत्तराधिकारी के रूप में कमरे से बाहर चला गया। अंतिम समय में मरते हुए सम्राट अकबर के शयनकक्ष में केवल कुछ मित्रों और परिचारकों को ही अनुमति दी गई थी। उन्होंने अकबर से अल्लाह का नाम लेने का आग्रह किया और वह कोशिश करने लगा, लेकिन एक आवाज नहीं निकाल सका। 25 अक्टूबर 1605 की आधी रात को महान राजा अकबर की मृत्यु हो गई। उन्हें आगरा के बाहर सिकंदरा में अपने द्वारा बनाए गए मकबरे में दफनाया गया था। सलीम बादशाह जहाँगीर के रूप में मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न 10 line essay,281,10 Lines in Gujarati,1,Aapka Bunty,3,Aarti Sangrah,3,Aayog,3,Agyeya,4,Akbar Birbal,1,Antar,26,anuched lekhan,50,article,17,asprishyata,1,Bahu ki Vida,1,Bengali Essays,135,Bengali Letters,20,bengali stories,12,best hindi poem,13,Bhagat ki Gat,2,Bhagwati Charan Varma,3,Bhishma Shahni,6,Bhor ka Tara,1,Biography,140,Biology,2,Boodhi Kaki,1,Bud...