उदारवादी राष्ट्रवाद से क्या अभिप्राय है

  1. संविधानवाद
  2. उदारवादी राष्ट्रवाद का युग 1885
  3. भारत में राष्ट्रवाद का उदय के 12 कारण
  4. तथथ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले गई। प्रश्न 6. उदारवादी राष्ट्रव..
  5. 19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद से आपका क्या अभिप्राय है? – ElegantAnswer.com
  6. क्या यूरोप में नव राष्ट्रवाद का उदय हो रहा है?
  7. भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10 की सम्पूर्ण जानकारी


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संविधानवाद

संविधानवाद (Constitutionalism) का सामान्य अर्थ यह विचार है कि सरकार की सत्ता संविधानवाद सरकार के उस स्वरूप को कहते हैं जिसमें ऐतिहासिक प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप ही संविधानिक राज्यों का जन्म हुआ। मनुष्य द्वारा राजसत्ता के अत्याचार व दुरूपयोग के बचने के प्रयास के परिणाम स्वरूप संविधानवाद का जन्म हुआ। आधुनिक संविधानवाद के विस्तृत आधार हैं, किन्तु इसका मूल आधार ‘‘ परिचय [ ] संविधानवाद दरअसल, युरोप की उपनिवेशवादी ताकतों का साम्राज्यवादी दर्शन एक सा नहीं था। इसी के परिणामस्वरूप उपनिवेशीकरण और अ-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया के प्रति वे अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाते थे। दिलचस्प बात यह है कि ब्रिटिश उपनिवेशवादी भी समकालीन युरोपीय उपनिवेशवादियों से कम नस्लवादी और दमनकारी नहीं थे। पर, उन्होंने ब्रिटिश राजनीतिज्ञ दरअसल, उपनिवेशों को अपने हाथ में रखना उत्तरोत्तर मुश्किल होता जा रहा था। इसलिए ब्रिटेन ने लचीला और परिणामवादी रवैया अख्तियार करते हुए अपनी सत्ता और प्रभाव को सुरक्षित करने के लिए संवैधानिक सुधारों का रास्ता अपनाया। संविधानवाद की नीति इस मान्यता पर आधारित थी कि किसी साम्राज्य को कायम रखने के लिए फ़ौजी दमन और जबरिया कब्ज़ा करने की नीति अब प्रभावी नहीं रह गयी है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद तो यह हकीकत और भी साफ़ हो गयी। ब्रिटिश नीति-निर्माताओं को यकीन हो गया कि अ-उपनिवेशीकरण की चाल को केवल संवैधानिक सुधारों के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकता है। केवल इसी तरह से ब्रिटिश सरकार नये बनने वाले स्वतंत्र और सम्प्रभु राष्ट्रों के साथ घनिष्ठ आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक रिश्ते बनाये रख सकता था। उपनिवेशवादियों की कोशिश रहती थी कि वे उपनिवेशित जनता को केंद्रीकृत और एकीकृत प्रशासन के तहत लाएँ ताक...

उदारवादी राष्ट्रवाद का युग 1885

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • उदारवादी राष्ट्रीयता का युग (1885-1905) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में उसके पहले बीस वर्षों की राजनीति को मोटे तौर पर ‘ ‘तीन दिनों के तमाशे’ के दौरान बहसें करती, प्रस्ताव पारित करती और फिर बिखर जाती। गोपालकृष्ण गोखले भारत में अंग्रेजी राज ‘ईश्वर की अनन्य कृपा’ है और अंग्रेजी साहित्य, शिक्षा-पद्धति, यातायात एवं संचार के साधनों का विकास, न्याय-प्रणाली, स्थानीय स्वशासन आदि ब्रिटेन की देन हैं, जिनका उद्देश्य भारत का आधुनिकीकरण करना है। उनका विश्वास था कि भारत अपनी एकता ब्रिटिश शासन में ही बनाये रख सकता है तथा उसका विकास भी ब्रिटिश शासन के अंतर्गत ही संभव है। कांग्रेस के छठवें अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए फीरोजशाह मेहता ने कहा था: ‘‘इंग्लैंड और भारत का संबंध इन दोनों देशों और समस्त विश्व की अपनेवाली पीढि़यों के लिए वरदान होगा।’’ उदारवादी यह विश्वास करते थे कि भारत की उन्नति केवल अंग्रेजी देखरेख में ही संभव है, इसलिए ये लोग क्राउन के प्रति राजभक्त थे। सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति राजभक्ति प्रकट करते हुए कहा था: ‘‘ब्रिटिश सरकार के साथ संबंध बनाये रखने के लिए हमें अनन्य राजभक्ति के साथ कार्य करना चाहिए। हम ब्रिटिश सरकार के साथ संबंध-विच्छेदन करने की बात नहीं सोच रहे हैं, हम उसके साथ स्थायी संबंध बनाये रखना चाहते हैं, जिसने शेष संसार के सामने स्वतंत्र संस्थाओं का आदर्श प्रस्तुत किया है।’’ उदारवादियों के सिद्धांत एवं उद्देश्य उदारवादी कांग्रेसियों को अंग्रेजों की न्यायप्रियता पर पूरा विश्वास था। उनका मानना था कि स्वयं अंग्रेज स्वतंत्रता-प्रेमी हैं और यह विश्वास होने पर कि भारतीय लोग स्वशासन के योग्य हो गये हैं, ...

भारत में राष्ट्रवाद का उदय के 12 कारण

कांग्रेस की स्थापना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी और न ही इसके जन्म का कोई एक विशेष कारण था। कांग्रेस की स्थापना के लिए वे सब कारण उत्तरदायी हैं जिनके कारण भारत में राष्ट्रीय चेतना का उदय हुआ। यदि कांग्रेस न बनी होती तो कोई और ऐसी संस्था कांग्रेस का स्थान लेती, क्योंकि इसके लिए अनेक कारण उत्पन्न हो चुके थे। इनमें प्रमुख थे (ii) आर्य समाज- ' आर्य समाज' की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1875 ई. में की थी। उन्होंने भी सामाजिक एवं धार्मिक कुरीतियों को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किए। दयानन्द पहले भारतीय थे जिन्होंने यह नारा लगाया कि' भारत भारतीयों के लिए' है। निःसन्देह आर्य समाज एक राष्ट्रीय नवजागरण था, जिसे ब्रिटिश सरकार बुरी दृष्टि से देखती थी। (iii) रामकृष्ण मिशन - इस मिशन (संस्था) की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में की थी। रामकृष्ण परमहंस के सिद्धान्तों के अनुसार सभी धर्म सच्चे हैं। इसीलिए उन्होंने विभिन्न धर्मों में समन्वय स्थापित करने के लिए कार्य किया। स्वामी विवेकानन्द ने उनके इस कार्य को आगे बढ़ाया।1893 ई. में उन्होंने शिकागो में हुए सर्वधर्म सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान विश्व के लोगों को यह अनुभव करा दिया कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता श्रेष्ठ व अनुकरणीय है, पाश्चात्य सभ्यता मात्र भौतिकता प्रधान है। स्वामीजी ने भारतीयों में आत्म-विश्वास, स्वाभिमान और देशभक्ति की भावना का संचार किया। (2) पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव - देश में राजनीतिक जागृति उत्पन्न करने में अंग्रेजी शिक्षा ने भी योगदान दिया। देश में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं के फलस्वरूप राजनीतिक जागृति उत्पन्न नहीं हो रही थी। अंग्रेजी भाषा ने इस कार्य को पूरा किया। इस भाषा ...

तथथ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले गई। प्रश्न 6. उदारवादी राष्ट्रव..

Views: 5,461 1 : 4 सेमी है। इसकी तिर्यक ऊँचाई 3. (b) ​ 3. (d) ​ 4. (c) ​ 5. (b) ​ 6. (c) ​ (d) 20 सेमी 7. 9240 सेमी 3 8. 204 7 2 ​ सेमी 2 9. 301.71 सेमी 3 , 301.71 सेमी 2 10. 1232 सेमी 3 11. 12 मी 12.12 सेमी 13. 381.15 सेमी 2 ​ 14. 42.67 मी 15. 190.93 सेमी 3 ​ 16. 67.2 π सेमी 2 d) 15 π सेमी 3 19.3 गोला (Sphere) पिछले अध्यायों मे हम पढ़ चुके हैं कि एक स्थिर बिन्दु से अचर दूरी पर स्थित समस्त 154 सेमी 2 बिन्दखों का समन्त्नय एक वत्त होता है। किसी वृत्त को उसके व्यास के चारों ओर घमाने से तथथ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में ले गई। प्रश्न 6. उदारवादी राष्ट्रवाद से क्या अभिप्राय है? उत्तर-उदारवादी राष्ट्रवाद का अभिप्राय था-व्यक्ति के लिए स्वत Updated On Feb 19, 2023 Topic All topics Subject Mathematics Class Class 12 Passed Answer Type Video solution: 1 Upvotes 63 Avg. Video Duration 7 min

19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद से आपका क्या अभिप्राय है? – ElegantAnswer.com

19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद से आपका क्या अभिप्राय है? इसे सुनेंरोकें19 वीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में राष्ट्रवाद (nationalism) की एक लहर चली जिसने यूरोपीय देशों का कायाकल्प कर दिया। जर्मनी, इटली, रोमानिया आदि नवनिर्मित देश कई क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बने जिनकी राष्ट्रीय पहचान ‘समान’ थी। यूनान, पोलैण्ड, बल्गारिया आदि स्वतन्त्र होकर राष्ट्र बन गये। 19वीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के लिए यूरोप में कौन कौन से कारण उत्तरदाई थे? यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय • जनता पर अत्याचार • निरंकुश शासन व्यवस्था • उदारवादी विचारों का प्रसार • सवतंत्रता, समानता तथा वंधुत्व का नारा • शिक्षित मध्य वर्ग की भूमिका यूरोप के राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका क्या थी? इसे सुनेंरोकेंउन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता, संगठन बनाने जैसे सिद्धांतों का समर्थन किया। (ii) सामाजिक विचार- उदारवादियों ने नारीवाद के विचार को, महिलाओं के अधिकारों और हितों को तथा स्त्री पुरुष की सामाजिक समानता के विचार को बढ़ावा दिया। उदारवादी राष्ट्रवाद से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंउदारवाद एक राजनीतिक और नैतिक दर्शन है जो स्वतंत्रता, शासित की सहमति और कानून के समक्ष समानता पर आधारित है। उदारवाद आमतौर पर सीमित सरकार, व्यक्तिगत अधिकारों (नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों सहित), पूंजीवाद (मुक्त बाज़ार ), लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, लिंग समानता, नस्लीय समानता और अंतर्राष्ट्रीयता का समर्थन करता है। कैसे यूरोप के बाकी हिस्सों के विपरीत ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के इतिहास था? इसे सुनेंरोकेंब्रिटेन में राष्ट्रवाद का निर्माण एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया के फलस्वरूप हुआ था। ब्रिटिश द्वीप समूह पर एक साझी नस्ल के ...

क्या यूरोप में नव राष्ट्रवाद का उदय हो रहा है?

ट्रम्प हंगरी के राष्ट्रवादी नेता विक्टर ओर्बन को यूरोप का स्टार बता चुके हैं तो पोलैंड के राष्ट्रवादी राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा भी ट्रम्प के समर्थक हैं। इस दौरान यूरोप में राष्ट्रवादी पार्टियों का वोट प्रतिशत लगभग 55 फीसद बढ़ चुका है। यूरोप युद्ध प्रभावित व आतंरिक समस्याओं का सामना कर रहे मुस्लिम देशों के मुस्लिमों को शरण देने की अपनी उदारवादी छवि के दौर से निकल कर अब प्रतिकार करने लगा है। इतिहास भी यूरोप का इस्लाम से विरोधाभास का जटिल सा रिश्ता दिखाता है जिसकी पुष्टि ऑटोमन साम्राज्य के दौर से होती है। हाल ही में इटली में हुए आम चुनावों में दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स आफ इटली पार्टी की नेता जियोर्जिया मिलोनी प्रधानमंत्री का चुनाव जीत गयी हैं। मिलोनी इटली के फासीवादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की विचारधारा को मानने वाली नेता हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला अवसर है जब इटली जैसे ईसाई देश की सत्ता पर दक्षिणपंथी पार्टी का कब्ज़ा हुआ है और एक महिला जियोर्जिया मिलोनी प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। भारत के परिपेक्ष्य में बात करें तो जियोर्जिया मिलोनी के भाषण यहाँ खूब सुने जा रहे हैं जिनमें इस्लाम और अप्रवासी शरणार्थियों को लेकर कटु बातें कही गई हैं। हंगरी, स्वीडन, ऑस्ट्रिया, फ्रांस जैसे राष्ट्र मुस्लिम अप्रवासी समस्या से इतने त्रस्त हो चुके हैं कि वे अब इस्लाम और उसकी मान्यताओं को अपने देशों में कुंद करके ईसाईयत को बढ़ावा दे रहे हैं। इन सभी राष्ट्रों के नायक भी द्वितीय विश्व युद्ध के वे किरदार हैं जिन्हें पश्चिम ने षड़यंत्र करके खलनायक बना दिया। जिन राष्ट्रों में अभी राष्ट्रवादी सरकारें नहीं हैं और वे अमेरिका में पूंजीवादी प्रभाव में हैं, वहां भी जनता अब 'राष्ट्र प्रथम' की अवधारणा को ...

भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10 की सम्पूर्ण जानकारी

भारत में राष्ट्रवाद का उदय यूरोपियन राष्ट्रवाद के साथ हुआ है। राष्ट्रवाद एकता की भावना जो ऐतिहासिक, धार्मिक, संस्कृति पर आधारित होती है। इस भावना से जो प्रेरणा लेता है वो जरूर अपनी एक अलग पहचान बनाता है। भारत में राष्ट्रवाद में हमें बहुत सारी बातों के बारे में पता चलता है, जैसे: पहले विश्व युद्ध, सत्याग्रह का विचार, रॉलट एक्ट, असहयोग आन्दोलन आदि। इसके साथ भारत में राष्ट्रवाद से बहुत सारी चीजें जुड़ी हैं। तो आइए जानते हैं भारत में राष्ट्रवाद Class 10 के बारे में। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ज़रूर पढ़ें: राष्ट्रवाद क्या है? राष्ट्रवाद एक विचारधारा है जो उन लोगों द्वारा व्यक्त की जाती है जो यह मानते हैं कि उनका राष्ट्र अन्य सभी से श्रेष्ठ है। श्रेष्ठता की ये भावनाएँ अक्सर समान जातीयता, भाषा, धर्म, संस्कृति या सामाजिक मूल्यों पर आधारित होती हैं। राष्ट्रवाद कई प्रकार का होता है, जैसे – • जातीय राष्ट्रवाद • विस्तारवादी राष्ट्रवाद • रोमांटिक राष्ट्रवाद • सांस्कृतिक राष्ट्रवाद • भाषा राष्ट्रवाद • धार्मिक राष्ट्रवाद • उत्तर-औपनिवेशिक राष्ट्रवाद • नागरिक राष्ट्रवाद • उदार राष्ट्रवाद • वैचारिक राष्ट्रवाद • क्रांतिकारी राष्ट्रवाद • राष्ट्रीय रूढ़िवाद • मुक्ति राष्ट्रवाद • वामपंथी राष्ट्रवाद भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत कैसे हुई? भारत में कई वर्षों से असंतोष चलते आ रहा था। प्राचीन काल से ही राष्ट्रवाद जीवित रहा है। अर्थ वेद में कहां है “वरुण राष्ट्र हो अविचल करें बृहस्पति राष्ट्र को स्थिर करें इंद्र राष्ट्र को शुरू करें अग्रिम देवराष्ट्र को निश्चित रूप से धारण करें” राष्ट्रवाद एकता की भावना जागृत करता है। भारत में राष्ट्रवाद की शुरुआत 19वीं शताब्दी से श...