उज्जैन का इतिहास

  1. Ujjain me Ghumne ki Jagah
  2. उज्जैन
  3. उज्जैन का संपूर्ण पौराणिक इतिहास और वर्तमान
  4. उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास


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Ujjain me Ghumne ki Jagah

Ujjain me Ghumne ki Jagah : शिप्रा नदी के तट पर स्तिथ उज्जैन मध्य प्रदेश का एक पवित्र और महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर मध्य प्रदेश का सबसे आबादी बाला शहर के रूप में जाना जाता है। यह वह जगह है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों से एक महाकालेश्वर मंदिर है और इसलिए इस शहर को भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक के रूप में जाना जाता है। यह शहर अपनी प्राचीन सुंदरता, खूबसूरत मंदिरों, ऐतिहासिक स्मारकों, शानदार झरनों और कई दिलचस्प आकर्षणों के साथ भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वास्तुकला, धार्मिक महत्व और संस्कृति मामले में उज्जैन अविश्वसनीय रूप से समृद्ध है। इसलिए मध्य प्रदेश का यह पवित्र शहर पुरे साल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से भरा रहता है और देश के सभी हिस्सों से लाखों लोगों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश में सबसे सुंदर और लोकप्रिय पर्यटन केंद्र में से एक होने के नाते वातावरण पर्यटकों को आधयात्मिक भावनाओं में बह ले जाता है। भारत का सबसे प्राचीन शहर होने के साथ साथ यह देश के सबसे अधिक देखे जाने वाले जगहों में से एक है। इसके अलावा उज्जैन उन चार स्थानों में से एक है जहाँ हिन्दुओं के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्यहार कुंभ मेला का आयोजित करता है जो हर 12 साल में होता है। हालाँकि शहर का आकर्षण सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सिमित नहीं है। यह शहर लोकप्रिय संग्रहालय, महलों, पार्कों, वन्यजीव उद्यानों और अन्य कई आकर्षणों से युक्त है जो इसे सभी उम्र के लोगों के लिए आदर्श पर्यटन स्थल बनता है। Table Contents • • • • • • • • • • • • • • • • उज्जैन का इतिहास – History of Ujjain in Hindi भारत के मध्य प्रदेश जिले में स्तिथ उज्जैन एक प्राचीन शहर है जो मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के पूर्व तट पर स्तिथ है। ...

उज्जैन

उज्जैन (मध्य प्रदेश) मानचित्र दिखाएँ मध्य प्रदेश निर्देशांक: 23°10′N 75°47′E / 23.17°N 75.79°E / 23.17; 75.79 23°10′N 75°47′E / 23.17°N 75.79°E / 23.17; 75.79 देश शासन •सभा उज्जैन नगर निगम • मुकेश टटवाल ( क्षेत्रफल •कुल 157किमी 2 (61वर्गमील) जनसंख्या (2011) •कुल 5,15,215 •घनत्व 3,300किमी 2 (8,500वर्गमील) भाषा •आधिकारिक •अन्य 456001 to 456010 टेलीफोन कोड 0734 MP-13 ( 900 मिलीमीटर (35इंच) औसत वार्षिक ताप 24.0°से. (75.2°फ़ै) औसत ग्रीष्मकालीन ताप 31°से. (88°फ़ै) औसत शीतकालीन तापमान 17°से. (63°फ़ै) वेबसाइट .nic .in अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 राजा खदिरसार भील • 1.2 राजा गंधर्वसेन(गर्द भिल्ल) • 1.3 सम्राट विक्रमादित्य(विक्रम सेन) • 1.4 महान कवि कालिदास • 1.5 प्रमाणिक इतिहास • 1.6 मौर्य साम्राज्य • 1.7 मौर्य साम्राज्य का पतन • 1.8 गुप्त साम्राज्य • 1.9 दिल्ली सल्तनत • 1.10 मराठों का अधिकार • 2 आज का उज्जैन • 3 उज्जयिनी नगरी • 4 पर्यटन • 4.1 महाकालेश्वर मंदिर • 4.2 श्री बडे गणेश मंदिर • 4.3 मंगलनाथ मंदिर • 4.4 हरसिद्धि • 4.5 क्षिप्रा घाट • 4.6 गोपाल मंदिर • 4.7 गढकालिका देवी • 4.8 भर्तृहरि गुफा • 4.9 काल भैरव - • 5 सिंहस्थ कुम्भ • 6 स्वादिष्ट भोज पेय • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] मुख्य लेख: राजनैतिक इतिहास उज्जैन का काफी लम्बा रहा है। उज्जैन के गढ़ क्षेत्र से हुयी खुदाई में आद्यैतिहासिक (protohistoric) एवं प्रारंभिक लोहयुगीन सामग्री प्रचुर मात्रा में प्राप्त हुई है। पुराणों व महाभारत में उल्लेख आता है कि वृष्णि-वीर कृष्ण व बलराम यहाँ गुरु सांदीपनी के आश्रम में विद्याप्राप्त करने हेतु आये थे। कृष्ण की एक पत्नी मित्रवृन्दा उज्जैन की ही राजकुमारी थी। उसके ...

उज्जैन का संपूर्ण पौराणिक इतिहास और वर्तमान

राजशेखर व्यास ऐतिहासिक दृष्टि से उज्जैन के प्राचीन-अतीत वर्णन श्रृंखलाबद्ध नहीं हैं तथापि वैदिक काल में 'अवन्तिका' नाम मिलता है। ब्राह्मण ग्रंथों और उपनिषदों में भी उल्लेख है। महाभारत काल में तो 'विंद' और 'अनुविंद' का राज्य यहां रहा है। इसी प्रकार भागवत आदि 18 पुराणों में उज्जैन की बहुभावपूर्वक, सर्व तीर्थों से श्रेष्ठता और महत्ता तथा अनेक पौराणिक घटनाओं का विस्तारपूर्वक रोचक वर्णन ‍किया हुआ है। पौराणिक भद्रसेन, गंधर्वसेन, रतिदेव, इंद्रघुम्न के नाम को उज्जैन से संबंधित होना कौन नहीं जानता? इसके अनंतर-मगधवंशीय प्रद्योत का राज्य यहां था, वे भगवान बुद्ध के समकालीन थे। उस समय उज्जैन का महत्व बहुत बढ़ा हुआ था। कालिदास ने- ' प्रद्योतस्य प्रियदुतिहरं वत्स-राजो‍त्रजहवें, हैमतालदुमवनभूदत्त तस्यैव राज्ञ'प्रद्योत की लड़की वासवदत्त की वत्सराज उदयन द्वारा अपहरण का वर्णन किया है। इसी समय प्रद्योत का राज-पुरोहित महाकात्यायन बौद्ध धर्म में दीक्षित हुआ और विदेशों में जाकर उसने बौद्ध-धर्म का प्रचार किया। बौद्ध-ग्रंथों में भी उज्जैन का विस्तार-सहित वर्णन है। उस समय उज्जैन एक महाराष्ट्र था और पाली भाषा की उत्पत्ति यहीं से हुई है। प्रद्योत और उदयन के पश्चात 300 वर्ष का इतिहास विश्रृंखलित है, इसका पता नहीं चलता। इसके पश्चात हम अवंति देश को मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत देखते हैं। इस समय सम्राट बिंदुसार का पुत्र अशोक उज्जैन का 'गोप्ता' बनकर आया था। ई.स.पू. 273 में जब अशोक साम्राज्य रूढ़ हो जाता है, तब उसने उज्जैन की अनेक प्रकार से उन्नति की; उनका पुत्र महेन्द्र और कन्या संघमित्रा यहां से लंका में धर्म प्रचारार्थ बौद्ध-धर्म दीक्षित होकर चले गए थे। मौर्य साम्राज्य भी थोड़े समय बाद नष्ट हो गया, तब शुं...

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

Mahakaleshwar Temple भारत में बहुत से अद्भुत मंदिर है जिनकी अपनी – अपनी मान्यताएं और रीति रिवाज है। लेकिन इन सब में सबसे चर्चित मंदिर है मध्य प्रदेश में स्थित उज्जैन का महाकाल मंदिर। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओ के प्रमुख्य शिव मंदिरों में से एक है और शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है, इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है। यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी। उज्जैन का महाकाल मंदिर 6ठी शताब्दी में निर्मित बाबा महाकालेश्वर के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे है जो यहां जाने से पहले उज्जैन के महाकाल के बारे कुछ अहम बातें के बारे में जरुर जान लें। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास – Mahakaleshwar Temple History in Hindi वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी। महाराजा श्रीमंत जयाजिराव साहेब शिंदे आलीजाह बहादुर के समय में 1886 तक, ग्वालियर रियासत के बहुत से कार्यक्रमों को इस मंदिर में ही आयोजित किया जाता था। महाकालेश्वर मंदिर – Mahakaleshwar Jyotirlinga temple महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। शिवेंत्र परंपरा के अनुसार ही 12 ज्योतिर्लिंगों म...