उज्जैन का किंग कौन है

  1. उज्जैन कौन से जिले में है
  2. जिले के बारे में
  3. संस्कृति और विरासत
  4. वेधशाला
  5. उज्जैन, मध्य प्रदेश के लिए चौघड़िया
  6. Sadhe Teen Kal in Ujjain
  7. Ujjain Ka King Kaun Hai


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उज्जैन कौन से जिले में है

पुराणों में उल्लेख है कि भारत की पवित्रतम सप्तपुरियों में अवन्तिका अर्थात उज्जैन भी एक है। इसी आधार पर उज्जैन का धार्मिक महत्व अतिविशिष्ट है। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर का यहां स्‍थित होना। उपरोक्त दोनों तथ्‍य उज्जैन की प्रतिष्ठा एवं महत्व को और भी अधिक बढ़ाने में सहायक होते हैं। यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ एवं वन- ये 5 विशेष संयोग एक ही स्थल पर उपलब्ध हैं। यह संयोग उज्जैन की महिमा को और भी अधिक गरिमामय बनाता है। Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठं तु वनमेव च, पंचैकत्र न लभ्यते महाकाल पुरदृते। (अवन्तिका क्षेत्र माहात्म्य 1-42) उक्त दृष्टिकोण से मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर‍ स्‍थित उज्जैन प्राचीनकाल से ही धर्म, दर्शन, संस्कृति, विद्या एवं आस्था का केंद्र रहा है। इसी आधार पर यहां कई धार्मिक स्थलों का निर्माण स्वाभाविक रूप से हुआ। हिन्दू धर्म और संस्कृति के पोषक अनेक राजाओं, धर्मगुरुओं एवं महंतों ने जनसहयोग से इस महातीर्थ को सुंदर एवं आकर्षक मंदिरों, आराधना स्थलों आदि से श्रृंगारित किया। उज्जैन के प्राचीन मंदिर एवं पूजा स्थल जहां एक ओर पुरातत्व शास्त्र की बहुमूल्य धरोहर हैं, वहीं दूसरी ओर ये हमारी आस्‍था एवं विश्वास के आदर्श केंद भी हैं। नागदा • • • कॉपी लिंक शेयर ऐप खोलें • पढ़ें • देखें • खोजें वीडियो और देखें • Advertise with Us | • Terms & Conditions and Grievance Redressal Policy | • Contact Us | • RSS | • Cookie Policy | • Privacy Policy Our Divisions • DainikBhaskar.com • DivyaBhaskar.com • DivyaMarathi.com • MoneyBhaskar.com • HomeOnline.com • BhaskarAd.com C...

जिले के बारे में

उज्जैन के बारे में उज्जैन एक टियर 2 शहर है, जो भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का बड़ा शहर है। यह उज्जैन जिले और उज्जैन डिवीजन दोनों का मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। उज्जैन एक केंद्रीय बिजली शहर, वाणिज्य, वित्त, मीडिया, कला, फैशन, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और इसे राज्य की वाणिज्यिक राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है।उज्जैन शहर मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित है एवं राजधानी भोपाल से 190 किमी पश्चिम में स्थित है। जलवायु उज्जैन का स्थान मध्य भारत में होने के तथा समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ की जलवायु मध्यम चरम जलवायु है| शीतकाल : सर्दियों में (नवंबर से फरवरी)रात का तापमान 10oC के आसपास होता है |अत्यधिक सर्दी में तापमान 2 से 3oC तक पहुंच जाता है | ग्रीष्म काल : ग्रीष्मकाल (अप्रैल-जून) के दौरान तापमान 35-40oC तक होता है | अत्यधिक गर्मी में तापमान 45oC तक पहुंच जाता है हालांकि, मध्य भारत में अन्य जगहों के विपरीत,उज्जैन में गर्मी की रात कुछ खास है। मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर अपने स्थान के कारण, दिन में यहाँ गर्मी हो सकती है परन्तु देर शाम में ठंडी हवा शुरू होती है जो शाम को काफी सुखद बनाती है, जिसे शब-ए-मालवा कहा जाता है। वर्षा काल :उज्जैन में सामान्य वर्षा 30-35 इंच माह जुलाई से सितम्बर के मध्य दक्षिण-पूर्वी मानसून के कारन होती है | सामान्य सीमाएं उज्जैन जिले की सीमा उत्तर में आगर मालवा , पूर्व में शाजापुर, दक्षिण में इंदौर और पश्चिम में रतलाम जिलों की सीमा से संलग्न है । स्थलाकृति उज्जैन जिले में 11 तहसील उज्जैन शहर, उज्‍जैन ग्रामीण, उज्‍जैन कोठी महल, घटिया , तराना,माकडोन , महिंदपुर, झार्डा, बड़नगर, खाचरोद औ...

संस्कृति और विरासत

उज्जैन उज्जैन प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है जो 5000 साल पुराना है। यह आदि ब्रह्म पुराण में सबसे अच्छा शहर के रूप में वर्णित है और इसे अग्निपुराण और गरुड़ पुराण में मोक्षदा और भक्ति-मुक्ति कहा जाता है। एक समय था जब यह शहर एक बड़े साम्राज्य की राजधानी रहा था। इस शहर का एक शानदार इतिहास रहा है। धार्मिक पुस्तकों के अनुसार इस शहर ने विनाश के देवता के लिए विनाश को कभी नहीं देखा है, महाकाल स्वयं यहां निवास करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार सात शहर जो मोक्ष प्रदान कर सकते हैं और उनमें से अवंतिका शहर सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि उज्जैन का महत्व अन्य शहरों की तुलना में थोड़ा अधिक है। अयोध्या मथुरा, माया, काशी कान्ची अवन्तिका। पुरी द्वारावतीचैव सप्तैता: मोक्षदायिका:।। इस शहर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, सात मुक्ति प्रदान करने वाले शहरों में से एक शहर, गढ़कालिका और हरसिद्धि, दो शक्ति पीठ, और पवित्र कुंभ जो भारत के चार शहरों में होता है। राजा भर्तरी की गुफा यहां पाई जाती है और माना जाता है कि उज्जैन में भगवान विष्णु के चरण चिन्ह हैं। “विष्णौ: पादमवन्तिका” भगवान राम ने स्वयं उज्जैन में अपनी मृत्यु के बाद अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था और इसलिए वह स्थान जहां अनुष्ठान हुआ, जिसे ‘रामघाट’ कहा गया। सिंहस्थ शाही स्नान स्थल इस रामघाट पर होता है। पुराणों के अनुसार, उज्जैन के कई नाम हैं 1. उज्जैनी, 2. प्रतिपाल, 3. पद्मावती, 4. अवंतिका, 5. भोगवती, 6. अमरावती, 7. कुमुदवती, 8. विशाला, 9 कुशस्थति आदि। एक समय था जब यह समय था। शहर अवंती जनपद की राजधानी बन गया और इसलिए इसे अवंतिकापुरी के नाम से जाना जाता है। कालिदास, वराहमिहिर, बाणभट्ट, राजशेखर, पुष्पदंत, शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, ...

वेधशाला

उज्जैन ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में काफी महत्व का स्थान प्राप्त किया है, सूर्य सिद्धान्त और पंच सिद्धान्त जैसे महान कार्य उज्जैन में लिखे गए हैं। भारतीय खगोलविदों के अनुसार, कर्क रेखा को उज्जैन से गुजरना चाहिए, यह हिंदू भूगोलवेत्ताओं के देशांतर का पहला मध्याह्न काल भी है। लगभग चौथी शताब्दी ई.पू. उज्जैन ने भारत के ग्रीनविच होने की प्रतिष्ठा का आनंद लिया। वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई राजा जयसिंह ने 1719 में किया था जब वे दिल्ली के राजा मुहम्मद शाह के शासनकाल में मालवा के राज्यपाल के रूप में उज्जैन में थे। एक बहादुर सेनानी और एक राजनीतिज्ञ होने के अलावा, राजा जयसिंह असाधारण रूप से एक विद्वान थे। उन्होंने उस समय फारसी और अरबी भाषाओं में उपलब्ध एस्टर-गणित पर पुस्तकों का अध्ययन किया। उन्होंने खुद खगोल विज्ञान पर किताबें लिखीं। मिरज़ा उदैग बेग, तैमूरलंग के पोते और खगोल विज्ञान के विशेषज्ञ समरकंद में एक वेधशाला का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने राजा मुहम्मद शाह की अनुमति से भारत में उज्जैन, जयपुर, दिल्ली, मथुरा और वाराणसी में वेधशालाओं का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने अपने कौशल को नियोजित करने वाली इन वेधशालाओं में नए यंत्र स्थापित किए। उन्होंने उज्जैन में आठ वर्षों तक स्वयं ग्रहों की गतिविधियों का अवलोकन करके कई मुख्य खगोल-गणितीय उपकरणों में परिवर्तन किया। तत्पश्चात वेधशाला दो दशकों तक बिना रुके चलती रही। फिर सिद्धान्तवागीश (स्वर्गीय) श्री नारायणजी व्यास, गणक चूरामणि और (स्वर्गीय) श्री जी.एस. आप्टे के अनुसार, वेधशाला के प्रथम अधीक्षक, (स्वर्गीय) महाराज माधव राव सिंधिया ने वेधशाला का जीर्णोद्धार किया और इसे सक्रिय उपयोग के लिए वित्त पोषित किया। तब से यह लगातार कार्य कर ...

उज्जैन, मध्य प्रदेश के लिए चौघड़िया

आज दिन का चौघड़िया मुहूर्त क्या है? चर 05:40 AM - 07:21 AM लाभ 07:21 AM - 09:02 AM अमृत 09:02 AM - 10:43 AM काल 10:43 AM - 12:24 PM शुभ 12:24 PM - 14:05 PM रोग 14:05 PM - 15:46 PM उद्वेग 15:46 PM - 17:27 PM चर 17:27 PM - 19:14 PM आज रात का चौघड़िया मुहूर्त क्या है? रोग 19:14 PM - 07:21 PM काल 20:32 PM - 21:50 PM लाभ 21:50 PM - 23:08 PM उद्वेग 23:08 PM - 00:26 AM शुभ 00:26 AM - 01:44 AM अमृत 01:44 AM - 03:02 AM चर 03:02 AM - 04:20 AM रोग 04:20 AM - 05:40 AM चौघड़िया मुहूर्त का अपना विशेष महत्व होता है। हिन्दू सस्कृति में प्रत्येक कार्य करना के लिए शुभ मुहूर्त व शुभ समय करने के लिए कहा गया है। वह शुभ समय हम चौघड़िया मुहर्त से पता चलता है। चौघड़िया मुहर्त के अनुसार दिन के कार्य करने से लाभ की संभावना बड़ जाती है और हानि की संभावान कम हो जाती है। चौघड़िया मुहर्त दिन और रात का अलग-अलग होता है। चौघड़िया मुहर्त सूर्योदर्य और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है। चौघड़िया मुहूर्त के स्वामी- उद्वेग के रवि, चर के शुक्र, लाभ के बुध, अमृत के चन्द्र, काल के शनि, शुभ के गुरु और रोग के स्वामी मंगल हैं। श्रेष्ठ समय शुभ, चर, अमृत और लाभ के चौघड़िया का होता है। उद्वेग, रोग और के चौघड़िया मुहूर्तों का यत्नपूर्वक त्याग कर देना चाहिए। चौघड़िया मुहूर्त दो शब्दों से बना है चै अर्थ चार और घड़ी अर्थात् समय। हिन्दू शास्त्र के अनुसार प्रत्येक घड़ी में 24 मिनट होते है। सूर्योदय से सूर्यास्त तक 30 घड़ी होती हैं जिन्हें 8 से विभाजित किया गया है। इसलिए, दिन में 8 चौघड़िया मुहूर्त और 8 रात्रि चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक चौघड़िया 4 घड़ी 1 घण्टा 30 मिनट के बराबर होता है।

Sadhe Teen Kal in Ujjain

विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी के पास बसी सप्तपुरियों में से एक भगवान श्रीकृष्‍ण की शिक्षा स्थली अवं‍तिका अर्थात उज्जैन को राजा महाकाल और विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। यहां तीन गणेशजी विराजमान हैं चिंतामन, मंछामन और इच्छामन। यहां पर ज्योतिर्लिंग के साथ दो शक्तिपीठ हरसिद्धि और गढ़कालिका है और 84 महादेव के साथ ही यहां पर देश का एक मात्र अष्ट चिरंजीवियों का मंदिर है। यह मंगलदेव की उत्पत्ति का स्थान भी है और यहां पर नौ नारायण और सात सागर है। यहां के शमशान को तीर्थ माना जाता है जिसे चक्र तीर्थ कहते हैं। यहां पर माता पार्वती द्वारा लगाया गया सिद्धवट है। श्रीराम और हनुमान ने उज्जैन की यात्रा की थी। यहां के कुंभ पर्व को सिंहस्थ कहते हैं। राजा विक्रमादित्य ने ही यहीं से विक्रमादित्य के कैलेंडर का प्रारंभ किया था और उन्होंने ही इस देश को सर्वप्रथम बार सोने की चिढ़िया कहकर यहां से सोने के सिक्के का प्रचलन किया था। महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है। 4. भारतीय मान्यता के अनुसार जब उत्तर ध्रुव की स्थिति 21 मार्च से प्राय: 6 मास का दिन होने लगता है तब 6 मास के तीन माह व्यतीत होने पर सूर्य दक्षिण क्षितिज से बहुत दूर हो जाता है। उस दिन सूर्य ठीक उज्जैन के उपर होता है। उज्जैन का अक्षांश और सूर्य की परम कांति दोनों ही 240 अक्षांस पर मानी गई हैं। यह स्थिति पूरी धरती पर और कहीं निर्मित नहीं होती है।

Ujjain Ka King Kaun Hai

ujjain ka king kaun hai – जाने किसके नाम से कापता है उज्जैन – दोस्तों आज हम उज्जैन के किंग के बारे में बात करने वाले हैं.हर एक शहर में कोई ना कोई किंग तो होता हैं. लेकिन आज हम आपको उज्जैन के एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले हैं. जो उज्जैन का किंग माना जाता हैं. उसके ऊपर आज की तारीख में काफी सारे मुकदमे दर्ज हैं. महज 16 साल की उम्र में इस शख्स ने लोगो के मन में उसके नाम का खौफ बैठा दिया हैं. अगर आप भी इस शख्स के बारे में जानना चाहते हैं. तो हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. अनुक्रम • • ujjain ka king kaun hai दुर्लभ कश्यप नाम के शख्स को उज्जैन का किंग माना जाता हैं. वैसे तो यह शख्स आज की तारीख में मौजूद नहीं हैं. महज 20 वर्ष की आयु में दुर्लभ कश्यप की मृत्यु हो गई थी. वह महज 20 वर्ष की आयु में अपराध की दुनिया का बहुत बड़ा चेहरा बन गया था. इसके दुश्मन काफी बढ़ जाने की वजह से उन्होंने ही उसे मौत के मुंह में धकेल दिया था. भले ही आज के समय में दुर्लभ कश्यप जीवित नहीं हैं. लेकिन आज भी दुर्लभ के नाम की गैंग उज्जैन में चल रही हैं. महज 16 वर्ष की आयु में दुर्लभ ने अपराध की दुनिया में अपने कदम रखे थे. और 20 साल की उम्र तक तो उज्जैन का किंग और अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था. इसने उज्जैन में अपने नाम का ऐसा खौफ फैलाया था. की लोग दुर्लभ के नाम से डरने लगे थे. 20 वर्ष की आयु में लोग अपने जीवन को लेकर चिंतित रहते हैं. वही दुर्लभ सिर्फ 20 वर्ष की आयु में एक सक्रिय गैंग चलाने लगा था. आज भी दुर्लभ के नाम पर आधा दर्जन से अधिक मुकदमे पोलिस स्टेशन में दर्ज हैं. कोर्ट मैरिज करने पर कितने रुपए मिलते हैं – सम्पूर्ण जानकारी दुर्लभ का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन में ही सन 2000 की साल में ह...