उज्जैन का पुराना नाम

  1. Ujjain me Ghumne ki Jagah
  2. उज्जैन के हर नाम में एक कथा छुपी है... जरूर पढ़ें
  3. Old
  4. उज्जैन का पुराना नाम क्या है
  5. मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन का इतिहास, जानकारी
  6. Ujjain me Ghumne ki Jagah
  7. Old
  8. उज्जैन के हर नाम में एक कथा छुपी है... जरूर पढ़ें
  9. मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन का इतिहास, जानकारी
  10. उज्जैन का पुराना नाम क्या है


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Ujjain me Ghumne ki Jagah

Ujjain me Ghumne ki Jagah : शिप्रा नदी के तट पर स्तिथ उज्जैन मध्य प्रदेश का एक पवित्र और महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर मध्य प्रदेश का सबसे आबादी बाला शहर के रूप में जाना जाता है। यह वह जगह है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों से एक महाकालेश्वर मंदिर है और इसलिए इस शहर को भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक के रूप में जाना जाता है। यह शहर अपनी प्राचीन सुंदरता, खूबसूरत मंदिरों, ऐतिहासिक स्मारकों, शानदार झरनों और कई दिलचस्प आकर्षणों के साथ भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वास्तुकला, धार्मिक महत्व और संस्कृति मामले में उज्जैन अविश्वसनीय रूप से समृद्ध है। इसलिए मध्य प्रदेश का यह पवित्र शहर पुरे साल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से भरा रहता है और देश के सभी हिस्सों से लाखों लोगों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश में सबसे सुंदर और लोकप्रिय पर्यटन केंद्र में से एक होने के नाते वातावरण पर्यटकों को आधयात्मिक भावनाओं में बह ले जाता है। भारत का सबसे प्राचीन शहर होने के साथ साथ यह देश के सबसे अधिक देखे जाने वाले जगहों में से एक है। इसके अलावा उज्जैन उन चार स्थानों में से एक है जहाँ हिन्दुओं के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्यहार कुंभ मेला का आयोजित करता है जो हर 12 साल में होता है। हालाँकि शहर का आकर्षण सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सिमित नहीं है। यह शहर लोकप्रिय संग्रहालय, महलों, पार्कों, वन्यजीव उद्यानों और अन्य कई आकर्षणों से युक्त है जो इसे सभी उम्र के लोगों के लिए आदर्श पर्यटन स्थल बनता है। Table Contents • • • • • • • • • • • • • • • • उज्जैन का इतिहास – History of Ujjain in Hindi भारत के मध्य प्रदेश जिले में स्तिथ उज्जैन एक प्राचीन शहर है जो मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के पूर्व तट पर स्तिथ है। ...

उज्जैन के हर नाम में एक कथा छुपी है... जरूर पढ़ें

प्राचीन भारत के प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक केंद्रों में उज्जयिनी का विशिष्ट स्थान था। इसी कारण इस नगरी ने विभिन्न कालों में विभिन्न नामों को धारण किया। प्राय: प्राचीन संस्कृति के केंद्रभूत नगरों के 2 से अधिक नाम नहीं मिलते, परंतु महाकाल की पुण्यभूमि उज्जयिनी अपने विभिन्न नामों के कारण एक अनूठी विशेषता रखती है। उज्जयिनी के विभिन्न नामों में प्रमुख नाम ये हैं- कनकश्रृंगा, कुशस्‍थली, अवन्तिका, पद्मावती, कुमुद्वती, प्रतिकल्पा, अमरावती और विशाला। कहीं-कहीं अम्बिका, हिरण्यवती और भोगवती ये नाम भी मिलते हैं। स्कन्दपुराण के अवन्ति खंड में इन नामों के कारणों का उल्लेख कथाओं द्वारा किया गया है। कनकश्रृंगा- स्कन्द पुराण अवन्ति खंड के अध्याय 40 में कनकश्रृंगा नाम से संबंधित कथा है, जो इस प्रकार है- 'सुवर्णमय शिखरों वाली इस नगरी में अधिष्ठित जगतसृष्टा विष्णु को शिव तथा ब्रह्मा ने प्रणाम किया। उन्होंने विष्णु से इस नगरी में निवास करने के लिए स्‍थान की प्रार्थना की। विष्णु ने इस नगरी के उत्तर में ब्रह्मा को तथा दक्षिण में शिव को अधिष्ठित होने के लिए स्‍थान दिया और इस प्रकार यह नगरी ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों देवताओं का केंद्र स्‍थान बन गई। ब्रह्मा ने इस नगरी को कनकवर्ण के श्रृंगों वाली कहा था अतएव इसका नाम कनकश्रृंगा हो गया। इस नाम का यथार्थ कारण संभवत: यहां के उत्तुंग प्रासाद रहे होंगे। कनकश्रृंगा का शब्दश: अर्थ है- 'सुवर्णमय शिखरों वाली'। ब्रह्म पुराण और स्कन्द पुराण में यहां के भवनों का भव्य वर्णन है। वे प्रासाद उत्तुंग थे और मूल्यवान रत्नों, मुक्ता ‍मणियों तथा तोरण द्वारों से सुशोभित थे। उनके शिखरों पर स्वर्णमय कलश थे। कालांतर में कालिदास और बाणभट्ट ने भी अपने काव्यों में यहां के...

Old

उज्जैन ने वैभव और पतन दोनों देखे हैं. सदियों का गौरव छिपा है इस नगरी में उज्जैन को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है, बार बार उन्होंने किया इसका जिक्र भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस शहर में, 12 साल पर सिंहस्थ महाकुंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 नवंबर को उज्जैन में महाकाल मंदिर में कॉरीडोर का उद्घाटन करेंगे. महाकाल मतलब शिव की नगरी. उज्जैन प्राचीन नगरी है पवित्र नगरी है. कालीदास की नगरी है. इस नगर पर हमेशा शिव का आर्शीवाद रहा है. इसलिए सदियों से इसका महत्व रहा है और आगे भी रहेगा. ये ऐसा शहर है, जिसने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है. आज भी करती है. ये नगरी ऐसी नगरी है, जो एक नहीं दो दो ज्योर्तिलिंग के महत्व से सज्जित है. पहले तो इस शहर के इतिहास के बारे में जानते हैं. फिर इससे जुड़ी हुई दूसरी बातें जानेंगे. देश में 07 शहर बहुत पवित्र माने जाते हैं, उसमें ये एक है. यहां कई राजवंशों ने शासन किया. ये भी कह सकते हैं कि ये नगरी कभी किसी एक की नहीं रही. प्रद्योत और नंद, मौर्य और शुंग, मालवा और शक, वाकाटक, परमार राजकुलों ने समय समय पर इस पर राज किया. उज्जैन का इतिहास करीब 2500 साल पहले बुद्ध के समय शुरू होता है. जिस ग्रीक की कहानी में ट्राई का घोड़ा जैसी कहानी का जिक्र आता है, उसी तरह उज्जैन में एक हाथी का जिक्र आता है, तब जब इस पर प्रद्योत का शासन था. राजा प्रद्योत से शुरू होती है कहानी प्रद्योत ने धीरे धीरे अपना राज्य खूब बढ़ा लिया. दूसरे राजा उसके विस्तार से डरने लगे. लेकिन प्रद्योत की नजर पड़ोस के कौशांबी राज्य पर थी. जिसका राजा उदयन जितना विलासी था उतना ही वीर भी. उसके बारे में कहा जाता था कि वह वीणा बजाने और हाथी के शिकार में बहुत कुशल था. वीणा बज...

उज्जैन का पुराना नाम क्या है

इस लेख में आप जानेंगे कि उज्जैन का पुराना नाम क्या है (Ujjain Ka Prachin Naam Kya Hai) उज्जैन का पुराना नाम क्या है – Ujjain Ka Prachin Naam Kya Hai उज्जैन के कई प्राचीन नाम है जैसे अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि। उज्जैन शहर मध्यप्रदेश में स्थित है यह इन्दौर से मात्र 45 किलोमीटर दूर है। 12 ज्योतिर्लिंगों मेंसे एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में ही स्थित है इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकाल ज्योतिर्लिंग है। यह नगर मंदिरों के लिए तथा शिप्रा नदी के लिए प्रसिद्ध है। यहा चिन्तामन गणेश, संदीपनी आश्रम, विक्रांत भैरव काफी प्रसिद्ध जगहे हैं। यह राजा विक्रमादित्य की नगरी है, जहा कृष्ण ने संदीपनी आश्रम में विद्या ग्रहण की थी तथा महा कवि कालिदास भी उज्जैन के इतिहास में खास स्थान रखते हैं। उज्जैन का कुल क्षेत्रफल 157 किमी 2 है तथा यहाँ की जनसंख्या 5,15,215 है (2011 के अनुसार)। यह मध्य प्रदेश का पाँचवा सबसे बड़ा शहर है। हिन्दू धर्म में यह नगर बहुत ही महत्व रखता है यहाँ कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। FAQs

मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन का इतिहास, जानकारी

Contents • • • • • मंगलनाथ मंदिर की जानकारी – Mangalnath Mandir Ujjain in Hindi मंगल दोष एक ऐसी स्थिति है, जो जिस किसी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए ‘मंगलनाथ मंदिर’ में पूजा-पाठ करवाने आते हैं। मान्यता है कि मंगल ग्रह की शांति के लिए दुनिया में ‘मंगलनाथ मंदिर’ से बढ़कर कोई स्थान नहीं है। कर्क रेखा पर स्थित इस मंदिर को देश का नाभि स्थल माना जाता है। मंगल को भगवान शिव और पृथ्वी का पुत्र कहा कहा गया है।। इस कारण इस मंदिर में मंगल की उपासना शिव रूप में भी की जाती है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में लोगों का ताँता लगा रहता है, लेकिन मार्च की अंगारक चतुर्थी के दिन का नजारा बेहद भव्य होता है। आप अपनी सुविधा अनुसार इस मंदिर में कभी भी आ सकते हैं। यहाँ हर मंगलवार को विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलता रहता है। मंदिर का इतिहास – Mangal Nath Temple History in Hindi हालाँकि मंगल भगवान का स्थान नवग्रहों में आता है। यह ‘अंगारका’ और ‘खुज’ नाम से भी जाना जाता है। वैदिक पौराणिक कथाओं के अनुसार मंगल ग्रह शक्ति, वीरता और साहस के परिचायक है तथा धर्म के रक्षक माने जाते हैं। मंगल देव को चार हाथ वाले त्रिशूल और गदा धारण किए दर्शाया गया है। मंगल देवता की पूजा से मंगल ग्रह से शांति प्राप्त होती है तथा कर्ज से मुक्ति और धन लाभ प्राप्त होता है। मंगल के रत्न रूप में मूंगा धारण किया जाता है। मंगल दक्षिण दिशा के संरक्षक माने जाते हैं। पौराणिक कथा – Mangal Nath Temple Story in Hindi ‘स्कन्दपुराण’ के ‘अंवतिकाखंड’ में इस मंदिर के जन्म से जुड़ी कथा है। कथा के अनुसार अंधाकास...

Ujjain me Ghumne ki Jagah

Ujjain me Ghumne ki Jagah : शिप्रा नदी के तट पर स्तिथ उज्जैन मध्य प्रदेश का एक पवित्र और महत्वपूर्ण शहर है। यह शहर मध्य प्रदेश का सबसे आबादी बाला शहर के रूप में जाना जाता है। यह वह जगह है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों से एक महाकालेश्वर मंदिर है और इसलिए इस शहर को भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक के रूप में जाना जाता है। यह शहर अपनी प्राचीन सुंदरता, खूबसूरत मंदिरों, ऐतिहासिक स्मारकों, शानदार झरनों और कई दिलचस्प आकर्षणों के साथ भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वास्तुकला, धार्मिक महत्व और संस्कृति मामले में उज्जैन अविश्वसनीय रूप से समृद्ध है। इसलिए मध्य प्रदेश का यह पवित्र शहर पुरे साल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से भरा रहता है और देश के सभी हिस्सों से लाखों लोगों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश में सबसे सुंदर और लोकप्रिय पर्यटन केंद्र में से एक होने के नाते वातावरण पर्यटकों को आधयात्मिक भावनाओं में बह ले जाता है। भारत का सबसे प्राचीन शहर होने के साथ साथ यह देश के सबसे अधिक देखे जाने वाले जगहों में से एक है। इसके अलावा उज्जैन उन चार स्थानों में से एक है जहाँ हिन्दुओं के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र त्यहार कुंभ मेला का आयोजित करता है जो हर 12 साल में होता है। हालाँकि शहर का आकर्षण सिर्फ धार्मिक स्थलों तक सिमित नहीं है। यह शहर लोकप्रिय संग्रहालय, महलों, पार्कों, वन्यजीव उद्यानों और अन्य कई आकर्षणों से युक्त है जो इसे सभी उम्र के लोगों के लिए आदर्श पर्यटन स्थल बनता है। Table Contents • • • • • • • • • • • • • • • • उज्जैन का इतिहास – History of Ujjain in Hindi भारत के मध्य प्रदेश जिले में स्तिथ उज्जैन एक प्राचीन शहर है जो मालवा क्षेत्र में शिप्रा नदी के पूर्व तट पर स्तिथ है। ...

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उज्जैन ने वैभव और पतन दोनों देखे हैं. सदियों का गौरव छिपा है इस नगरी में उज्जैन को कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है, बार बार उन्होंने किया इसका जिक्र भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस शहर में, 12 साल पर सिंहस्थ महाकुंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 नवंबर को उज्जैन में महाकाल मंदिर में कॉरीडोर का उद्घाटन करेंगे. महाकाल मतलब शिव की नगरी. उज्जैन प्राचीन नगरी है पवित्र नगरी है. कालीदास की नगरी है. इस नगर पर हमेशा शिव का आर्शीवाद रहा है. इसलिए सदियों से इसका महत्व रहा है और आगे भी रहेगा. ये ऐसा शहर है, जिसने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है. आज भी करती है. ये नगरी ऐसी नगरी है, जो एक नहीं दो दो ज्योर्तिलिंग के महत्व से सज्जित है. पहले तो इस शहर के इतिहास के बारे में जानते हैं. फिर इससे जुड़ी हुई दूसरी बातें जानेंगे. देश में 07 शहर बहुत पवित्र माने जाते हैं, उसमें ये एक है. यहां कई राजवंशों ने शासन किया. ये भी कह सकते हैं कि ये नगरी कभी किसी एक की नहीं रही. प्रद्योत और नंद, मौर्य और शुंग, मालवा और शक, वाकाटक, परमार राजकुलों ने समय समय पर इस पर राज किया. उज्जैन का इतिहास करीब 2500 साल पहले बुद्ध के समय शुरू होता है. जिस ग्रीक की कहानी में ट्राई का घोड़ा जैसी कहानी का जिक्र आता है, उसी तरह उज्जैन में एक हाथी का जिक्र आता है, तब जब इस पर प्रद्योत का शासन था. राजा प्रद्योत से शुरू होती है कहानी प्रद्योत ने धीरे धीरे अपना राज्य खूब बढ़ा लिया. दूसरे राजा उसके विस्तार से डरने लगे. लेकिन प्रद्योत की नजर पड़ोस के कौशांबी राज्य पर थी. जिसका राजा उदयन जितना विलासी था उतना ही वीर भी. उसके बारे में कहा जाता था कि वह वीणा बजाने और हाथी के शिकार में बहुत कुशल था. वीणा बज...

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प्राचीन भारत के प्रमुख राजनीतिक और धार्मिक केंद्रों में उज्जयिनी का विशिष्ट स्थान था। इसी कारण इस नगरी ने विभिन्न कालों में विभिन्न नामों को धारण किया। प्राय: प्राचीन संस्कृति के केंद्रभूत नगरों के 2 से अधिक नाम नहीं मिलते, परंतु महाकाल की पुण्यभूमि उज्जयिनी अपने विभिन्न नामों के कारण एक अनूठी विशेषता रखती है। उज्जयिनी के विभिन्न नामों में प्रमुख नाम ये हैं- कनकश्रृंगा, कुशस्‍थली, अवन्तिका, पद्मावती, कुमुद्वती, प्रतिकल्पा, अमरावती और विशाला। कहीं-कहीं अम्बिका, हिरण्यवती और भोगवती ये नाम भी मिलते हैं। स्कन्दपुराण के अवन्ति खंड में इन नामों के कारणों का उल्लेख कथाओं द्वारा किया गया है। कनकश्रृंगा- स्कन्द पुराण अवन्ति खंड के अध्याय 40 में कनकश्रृंगा नाम से संबंधित कथा है, जो इस प्रकार है- 'सुवर्णमय शिखरों वाली इस नगरी में अधिष्ठित जगतसृष्टा विष्णु को शिव तथा ब्रह्मा ने प्रणाम किया। उन्होंने विष्णु से इस नगरी में निवास करने के लिए स्‍थान की प्रार्थना की। विष्णु ने इस नगरी के उत्तर में ब्रह्मा को तथा दक्षिण में शिव को अधिष्ठित होने के लिए स्‍थान दिया और इस प्रकार यह नगरी ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीनों देवताओं का केंद्र स्‍थान बन गई। ब्रह्मा ने इस नगरी को कनकवर्ण के श्रृंगों वाली कहा था अतएव इसका नाम कनकश्रृंगा हो गया। इस नाम का यथार्थ कारण संभवत: यहां के उत्तुंग प्रासाद रहे होंगे। कनकश्रृंगा का शब्दश: अर्थ है- 'सुवर्णमय शिखरों वाली'। ब्रह्म पुराण और स्कन्द पुराण में यहां के भवनों का भव्य वर्णन है। वे प्रासाद उत्तुंग थे और मूल्यवान रत्नों, मुक्ता ‍मणियों तथा तोरण द्वारों से सुशोभित थे। उनके शिखरों पर स्वर्णमय कलश थे। कालांतर में कालिदास और बाणभट्ट ने भी अपने काव्यों में यहां के...

मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन का इतिहास, जानकारी

Contents • • • • • मंगलनाथ मंदिर की जानकारी – Mangalnath Mandir Ujjain in Hindi मंगल दोष एक ऐसी स्थिति है, जो जिस किसी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए ‘मंगलनाथ मंदिर’ में पूजा-पाठ करवाने आते हैं। मान्यता है कि मंगल ग्रह की शांति के लिए दुनिया में ‘मंगलनाथ मंदिर’ से बढ़कर कोई स्थान नहीं है। कर्क रेखा पर स्थित इस मंदिर को देश का नाभि स्थल माना जाता है। मंगल को भगवान शिव और पृथ्वी का पुत्र कहा कहा गया है।। इस कारण इस मंदिर में मंगल की उपासना शिव रूप में भी की जाती है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में लोगों का ताँता लगा रहता है, लेकिन मार्च की अंगारक चतुर्थी के दिन का नजारा बेहद भव्य होता है। आप अपनी सुविधा अनुसार इस मंदिर में कभी भी आ सकते हैं। यहाँ हर मंगलवार को विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलता रहता है। मंदिर का इतिहास – Mangal Nath Temple History in Hindi हालाँकि मंगल भगवान का स्थान नवग्रहों में आता है। यह ‘अंगारका’ और ‘खुज’ नाम से भी जाना जाता है। वैदिक पौराणिक कथाओं के अनुसार मंगल ग्रह शक्ति, वीरता और साहस के परिचायक है तथा धर्म के रक्षक माने जाते हैं। मंगल देव को चार हाथ वाले त्रिशूल और गदा धारण किए दर्शाया गया है। मंगल देवता की पूजा से मंगल ग्रह से शांति प्राप्त होती है तथा कर्ज से मुक्ति और धन लाभ प्राप्त होता है। मंगल के रत्न रूप में मूंगा धारण किया जाता है। मंगल दक्षिण दिशा के संरक्षक माने जाते हैं। पौराणिक कथा – Mangal Nath Temple Story in Hindi ‘स्कन्दपुराण’ के ‘अंवतिकाखंड’ में इस मंदिर के जन्म से जुड़ी कथा है। कथा के अनुसार अंधाकास...

उज्जैन का पुराना नाम क्या है

इस लेख में आप जानेंगे कि उज्जैन का पुराना नाम क्या है (Ujjain Ka Prachin Naam Kya Hai) उज्जैन का पुराना नाम क्या है – Ujjain Ka Prachin Naam Kya Hai उज्जैन के कई प्राचीन नाम है जैसे अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि। उज्जैन शहर मध्यप्रदेश में स्थित है यह इन्दौर से मात्र 45 किलोमीटर दूर है। 12 ज्योतिर्लिंगों मेंसे एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में ही स्थित है इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकाल ज्योतिर्लिंग है। यह नगर मंदिरों के लिए तथा शिप्रा नदी के लिए प्रसिद्ध है। यहा चिन्तामन गणेश, संदीपनी आश्रम, विक्रांत भैरव काफी प्रसिद्ध जगहे हैं। यह राजा विक्रमादित्य की नगरी है, जहा कृष्ण ने संदीपनी आश्रम में विद्या ग्रहण की थी तथा महा कवि कालिदास भी उज्जैन के इतिहास में खास स्थान रखते हैं। उज्जैन का कुल क्षेत्रफल 157 किमी 2 है तथा यहाँ की जनसंख्या 5,15,215 है (2011 के अनुसार)। यह मध्य प्रदेश का पाँचवा सबसे बड़ा शहर है। हिन्दू धर्म में यह नगर बहुत ही महत्व रखता है यहाँ कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। FAQs