उज्जैन महाकाल मंदिर के दर्शन

  1. उज्‍जैन महाकाल: क्या है भस्मार्ती का रहस्य और क्यों है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जहां है भस्म आरती की मान्यता
  2. Mahakal Mandir: उज्जैन महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 3 से 10 अप्रेल तक नहीं मिलेगा प्रवेश, जानें क्या है वजह?
  3. अब महाकाल के दर्शन के लिए चुकाने होंगे 250 रुपए, ऐसे मिलेगा ऑनलाइन टिकट
  4. Ujjain Mahakal: उज्जैन का महाकाल मंदिर जहा दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति
  5. उज्जैन महाकाल मंदिर के दर्शन
  6. उज्जैन: दर्शन के लिए महाकाल मंदिर पहुंचे VIP, भगदड़ में बेरिकेड तोड़ एक
  7. उज्जैन महाकाल मंदिर के दर्शन
  8. अब महाकाल के दर्शन के लिए चुकाने होंगे 250 रुपए, ऐसे मिलेगा ऑनलाइन टिकट
  9. उज्‍जैन महाकाल: क्या है भस्मार्ती का रहस्य और क्यों है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जहां है भस्म आरती की मान्यता
  10. Mahakal Mandir: उज्जैन महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 3 से 10 अप्रेल तक नहीं मिलेगा प्रवेश, जानें क्या है वजह?


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उज्‍जैन महाकाल: क्या है भस्मार्ती का रहस्य और क्यों है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जहां है भस्म आरती की मान्यता

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिलिंग धार्मिक नगरी जिसे हर कोई अलग अलग नामों से भी जानता है अवंतिका, अवंतिकापुरी, कनकश्रन्गा, उज्जैनी जैसे और भी कई नाम पुराणों में दिए गए है. देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ की इस नगरी का अपना एक अलग महत्व है, क्योकि यहां बाबा महाकाल को तांत्रिक क्रिया अनुसार, दक्षिण मुखी पूजा प्राप्त है और विश्व भर में बाबा ही दक्षिण मुख में विराजमान है. महाकाल के इस मंदिर का अधिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां ही तड़के 4 बजे भस्म आरती करने का विधान है. भस्मार्ती को मंगला आरती नाम भी दिया गया है. यह प्रचलित मान्यता थी कि श्मशान कि ताजी चिता की भस्म से ही भस्म आरती की जाती थी. , वर्तमान में गाय के गोबर से बने गए कंडो की भस्म से भस्म आरती की जाती है. एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि भगवान शिव को भस्म धारण करते हुए केवल पुरुष ही देखते है. महिलाओं को उस वक्त घुंघट लेना अनिवार्य है, जिन पुरुषों ने बिना सीला हुआ सोला पहना हो वही भस्म आरती से पहले भगवन शिव को को जल चढ़ाकर छूकर दर्शन कर सकते है. कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, साथ ही प्रत्येक वर्ष के हर एक त्योहार बाबा के प्रांगण में ही सर्वप्रथम मनाने की परंपरा है. ‘आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तुते’ इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है, महाकाल मंदिर की अनादी काल से ही उत्तपत्ति मानी गई है. मान्यता है की महाकाल मंदिर में शिव लिंग स्वयं भू है, विश्व भर में कालगणना की नगरी कहे जाने वाली उज्जैन में मान्यता है की भगवन महाकाल ही समय को लागातर चलाते है...

Mahakal Mandir: उज्जैन महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 3 से 10 अप्रेल तक नहीं मिलेगा प्रवेश, जानें क्या है वजह?

मैनपुरी में 8 साल का बच्चा नानी को बता रहा पत्नी, पूर्वजन्म का किया जा रहा दावा © Times Now Navbharat द्वारा प्रदत्त entry will not be available in sanctum sanctorum of ujjain mahakal temple from 3 to 10 april, know what is the reason Ujjain Mahakal Sanctorum Darshan: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर ahakaleshwar Temple Ujjain) में दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को तीन अप्रैल से 10 अप्रैल के बीच गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिल पाएगा, इस दौरान ना तो श्रद्धालु गर्भग्रह में पहुंचेंगे और ना ही बाबा महाकाल का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर उन्हें स्पर्श कर पाएंगे। बताया जा रहा है कि यह बड़ा बदलाव पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को लेकर किया गया है जिसको लेकर 3 से लेकर 10 अप्रैल तक गर्भ गृह में प्रवेश बंद कर दिया गया है गौर हो कि बड़नगर रोड के मुरलीपुरा में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन इस दौरान होना है जिसमें भारी भीड़ जुटेगी। कथा में शामिल होने लाखों श्रद्धालु शहर आएंगे। महाकालेश्वर मन्दिर में सुगम दर्शन व्यवस्था के लिए कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शुक्रवार को अधिकारियों की बैठक लेकर दिशा-निर्देश दिए। पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा होनी है उज्जैन में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की 4 से 10 अप्रेल तक शिव महापुराण कथा होगी इसके चलते 3 से 10 अप्रेल तक महाकाल मंदिर के गर्भगृह में दर्शनार्थियों को प्रवेश नहीं मिलेगा। जिला कलेक्टर ने 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक मंदिर में दर्शन व्यवस्था में बदलाव करते हुए बताया कि दर्शन व्यवस्था जिस तरह से महाशिवरात्रि के दौरान की गई थी, उसी के अनुरूप होगी. जिसकी पार्किंग भील धर्मशाला एवं कर्कराज पर पूर्वानुसार ही रहेगी। आठ लाइन...

अब महाकाल के दर्शन के लिए चुकाने होंगे 250 रुपए, ऐसे मिलेगा ऑनलाइन टिकट

उज्जैन. उज्जैन में महाकाल के मंदिर में दर्शन के लिए नई व्यवस्था लागू हो गयी है. जिन लोगों को शीघ्र दर्शन करने हैं, उन्हें 250 रुपए का ऑनलाइन टिकट बुक करना होगा. इसके तहत कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़कर शीघ्र दर्शन करने वालों के लिए भस्म आरती की तर्ज पर 250 रुपए का शीघ्र दर्शन टिकट ऑनलाइन कर दिया गया है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अतिविशिष्ट यानी वीआईपी जिन्हें जिला प्रशासन से प्रोटोकॉल सुविधा मिलती है, उन्हें छोड़कर अन्य श्रद्धालुओं को 250 रुपए का टिकट लेना होगा. इसके बाद ही महाकाल मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. महाकाल मंदिर समिति की नई व्यवस्था भस्म आरती की तर्ज पर 250 रु का शीघ्र दर्शन टिकट ऑनलाइन कर दिया गया है. श्रद्धालु इसे मंदिर की वेबसाइट पर जाकर बुक कर सकते हैं. इन लोगों को मिलेगी निःशुक्ल दर्शन की सुविधा उज्जैन महाकाल प्रबंध समिति ने 1 फरवरी से दर्शन की नई व्यवस्था लागू की है.प्रोटोकॉल के माध्यम से साधु, संत, प्रेस क्लब के सदस्य, अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार, सत्कार व्यवस्था के अंतर्गत इन लोगों को निःशुल्क शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ मिलेगा. इसके जरिए ये लोग निःशुल्क मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. इसके लिए भी उन्हें पहले प्रोटोकॉल के लिए पॉइंट डालना होगा. इसके बाद उन्हें एक टोकन नंबर जारी किया जाएगा. वह टोकन नंबर दिखाकर प्रोटोकॉल ऑफिस से रसीद बनवानी होगी. इसके बाद दर्शन कर सकते हैं. इसके अलावा अतिविशिष्ट अतिथि शासन के प्रोटोकॉल की श्रेणी में आते हैं. उनको भी निःशुल्क महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाएगा. इन लोगों के साथ आने वाले साथियों को दर्शन के लिए 250 रुपए प्रति व्यक्ति रसीद लेना होगा. ऑनलाइन मिल सकेगा शीघ्र दर्शन का टिकट महाकालेश्वर मंदिर में ...

Ujjain Mahakal: उज्जैन का महाकाल मंदिर जहा दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति

Ujjain Mahakal: उज्जैन का महाकाल मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है ।यह एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी और स्वयंभू है । ये मंदिर अपने रहस्यों को लेकर काफी चर्चा मे बना रहता है । ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है । इस मंदिर की प्रशंसा महाकवि कालिदास जी ने मेघदूत मे की थी। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है। उज्जैन पांच हजार साल पुराना नगर माना जाता है। इसे अवंती, अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, नंदिनी, अमरावती, पद्मावती, प्रतिकल्पा, कुशस्थली जैसे नामों से जाना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर की भस्म-आरती भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसमें ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर के शिलालेख और गणेश, कार्तिकेय और पार्वती के चित्र भी हैं।इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर के शिखर से कर्क रेखा भिन्न है। महाकालेश्वर स्वयंभू होने की कथा: उज्जैन का महाकाल Ujjain Mahakal: माना जाता है कि भगवान शिव को उज्जैन नगरी बेहद प्रिय है । उज्जैन मे भगवान शिव के काफी भक्त निवास करते थे,वही इसी नगरी मे दूषण नामक दैत्य ने बहुत आतंक मचा रखा था। उसके आतंक से बचने के लिये भक्तों ने भगवान शिव की अराधना करने लगे। भक्तों की पूजा और तपस्या से प्रसन्न हो कर महाकाल स्वयं वहा प्रकट हुए और राक्षस का वध किया। इसके बाद भक्तों ने भगवान शिव से हमेशा के लिए उज्जैन में निवास करने की प्रार्थना की और तभी भगवान शिव वहाँ महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। महाकाल मंदिर के सामने से कोई बारात नहीं निकलती क्योंकि बाबा के सामने कोई घोड़े पर सवारी नहीं कर सकता । बाबा की सुबह होने वाली भस्म आरती शमशान कि चिता की राख से की जाती। महाकाले...

उज्जैन महाकाल मंदिर के दर्शन

महाकालेश्वर की अनोखी है महिमा, जानिए महाकाल के बारे में सभी कुछ हिन्दू धर्म में बहुत सारे प्राचीन मंदिर और तीर्थ स्थान है। इन तीर्थ स्थानों में भोलेनाथ के शिवालयों की महिमा अपरम्पार है। देश भर में भोलेनाथ के मंदिरों और शिवालयों की संख्या लाखों में है। इन्हीं शिवालयों में भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग भी आते है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अनेक राज्यों में स्थापित है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों का अपना-अपना महत्व है। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में विद्यमान है। इन्हीं ज्योतिर्लिगों में से एक है भोलेनाथ का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) । महाकाल का ज्योतिर्लिंग एक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है अर्थात यह शिवलिंग स्वयं उत्पन्न हुआ है। आज के लेख में हम भोलेनाथ के इसी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की महिमा, इसका इतिहास, दर्शन के नियम आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। महाकाल मंदिर कहां है | Mahakal Mandir Kaha Sthit Hai मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसकी इंदौर से दूरी 50 किमी और भोपाल से लगभग 300 किमी है। इस मंदिर की भस्म आरती समस्त विश्व में विख्यात है। इस मंदिर में रोजाना देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को आते है। कहा जाता है कि काल उसका क्या करें जो भक्त हो महाकाल का। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज होते है। ऐसे में दक्षिण मुखी होने के चलते देवों के देव महाकाल के दर्शन मात्र से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। Read Also : महाकाल मंदिर का इतिहास | Mahakal Mandir History | महाकाल...

उज्जैन: दर्शन के लिए महाकाल मंदिर पहुंचे VIP, भगदड़ में बेरिकेड तोड़ एक

उज्जैन, 27 जुलाई: खबर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले से है। यहां सावन के पहले सोमवार को विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भगदड़ जैसे हालात देखने को मिले। दरअसल, सोमवार 26 जुलाई को भगवान शिव के दर्शन के लिए अंदर जाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मच गई और भगदड़ जैसे हालात होने के चलते कई महिलाएं व बच्चे घायल हो गए। मंदिर के अंदर मौजूद लोगों के मुताबिक, मंदिर में दर्शन करने के लिए आए वीआईपी लोगों के साथ मंदिर में भीड़ उमड़ पड़ी, जिसके चलते स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। खबर के मुताबिक, महाकालेश्वर मंदिर के गेट नंबर चार पर प्रवेश के दौरान भारी धक्का-मुक्की हुई और उस आपाधापी में बैरिकेड गिर गए। बेरिकेड गिरते ही कई बच्चे और महिलाएं गिर पड़े। घटना का जो वीडियो सामने आया है उसमें दिख रहा है कि भक्तों की भारी भीड़ थी। इसमें बच्चों और महिलाओं की संख्या भी काफी थी। भीड़ बढ़ने के कारण धक्का मुक्की होने लगी। इसमें न तो सोशल डिस्टेंस कहीं दिखा न कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो होते दिखाई दिया। लोगों की भीड़ में मंदिर में प्रवेश के लिए लगा बेरिकेड टूट गया और भीड़ में खड़ी महिलाएं और बच्चे नीचे गिर पड़े। उनके ऊपर लोग चढ़ने लगे, लेकिन मंदिर और प्रवेश द्वार पर तैनात सतर्क गार्ड्स ने फौरन व्यवस्था संभाल ली और कोई अनहोनी होने से बच गई। वीडियो में नजर आ रहा है कि स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए तैनात पुलिस के साथ भी धक्का मुक्की की जा रही है। बता दें कि उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पिछले महीने उन लोगों के लिए खोला गया जिन्हें कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा ली है या फिर जिनकी 48 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव है।

उज्जैन महाकाल मंदिर के दर्शन

महाकालेश्वर की अनोखी है महिमा, जानिए महाकाल के बारे में सभी कुछ हिन्दू धर्म में बहुत सारे प्राचीन मंदिर और तीर्थ स्थान है। इन तीर्थ स्थानों में भोलेनाथ के शिवालयों की महिमा अपरम्पार है। देश भर में भोलेनाथ के मंदिरों और शिवालयों की संख्या लाखों में है। इन्हीं शिवालयों में भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग भी आते है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अनेक राज्यों में स्थापित है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों का अपना-अपना महत्व है। मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में विद्यमान है। इन्हीं ज्योतिर्लिगों में से एक है भोलेनाथ का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) । महाकाल का ज्योतिर्लिंग एक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है अर्थात यह शिवलिंग स्वयं उत्पन्न हुआ है। आज के लेख में हम भोलेनाथ के इसी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की महिमा, इसका इतिहास, दर्शन के नियम आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। महाकाल मंदिर कहां है | Mahakal Mandir Kaha Sthit Hai मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसकी इंदौर से दूरी 50 किमी और भोपाल से लगभग 300 किमी है। इस मंदिर की भस्म आरती समस्त विश्व में विख्यात है। इस मंदिर में रोजाना देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को आते है। कहा जाता है कि काल उसका क्या करें जो भक्त हो महाकाल का। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज होते है। ऐसे में दक्षिण मुखी होने के चलते देवों के देव महाकाल के दर्शन मात्र से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। Read Also : महाकाल मंदिर का इतिहास | Mahakal Mandir History | महाकाल...

अब महाकाल के दर्शन के लिए चुकाने होंगे 250 रुपए, ऐसे मिलेगा ऑनलाइन टिकट

उज्जैन. उज्जैन में महाकाल के मंदिर में दर्शन के लिए नई व्यवस्था लागू हो गयी है. जिन लोगों को शीघ्र दर्शन करने हैं, उन्हें 250 रुपए का ऑनलाइन टिकट बुक करना होगा. इसके तहत कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़कर शीघ्र दर्शन करने वालों के लिए भस्म आरती की तर्ज पर 250 रुपए का शीघ्र दर्शन टिकट ऑनलाइन कर दिया गया है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अतिविशिष्ट यानी वीआईपी जिन्हें जिला प्रशासन से प्रोटोकॉल सुविधा मिलती है, उन्हें छोड़कर अन्य श्रद्धालुओं को 250 रुपए का टिकट लेना होगा. इसके बाद ही महाकाल मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. महाकाल मंदिर समिति की नई व्यवस्था भस्म आरती की तर्ज पर 250 रु का शीघ्र दर्शन टिकट ऑनलाइन कर दिया गया है. श्रद्धालु इसे मंदिर की वेबसाइट पर जाकर बुक कर सकते हैं. इन लोगों को मिलेगी निःशुक्ल दर्शन की सुविधा उज्जैन महाकाल प्रबंध समिति ने 1 फरवरी से दर्शन की नई व्यवस्था लागू की है.प्रोटोकॉल के माध्यम से साधु, संत, प्रेस क्लब के सदस्य, अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार, सत्कार व्यवस्था के अंतर्गत इन लोगों को निःशुल्क शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ मिलेगा. इसके जरिए ये लोग निःशुल्क मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. इसके लिए भी उन्हें पहले प्रोटोकॉल के लिए पॉइंट डालना होगा. इसके बाद उन्हें एक टोकन नंबर जारी किया जाएगा. वह टोकन नंबर दिखाकर प्रोटोकॉल ऑफिस से रसीद बनवानी होगी. इसके बाद दर्शन कर सकते हैं. इसके अलावा अतिविशिष्ट अतिथि शासन के प्रोटोकॉल की श्रेणी में आते हैं. उनको भी निःशुल्क महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाएगा. इन लोगों के साथ आने वाले साथियों को दर्शन के लिए 250 रुपए प्रति व्यक्ति रसीद लेना होगा. ऑनलाइन मिल सकेगा शीघ्र दर्शन का टिकट महाकालेश्वर मंदिर में ...

उज्‍जैन महाकाल: क्या है भस्मार्ती का रहस्य और क्यों है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक जहां है भस्म आरती की मान्यता

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिलिंग धार्मिक नगरी जिसे हर कोई अलग अलग नामों से भी जानता है अवंतिका, अवंतिकापुरी, कनकश्रन्गा, उज्जैनी जैसे और भी कई नाम पुराणों में दिए गए है. देशभर के बारह ज्योतिर्लिंगों में ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ की इस नगरी का अपना एक अलग महत्व है, क्योकि यहां बाबा महाकाल को तांत्रिक क्रिया अनुसार, दक्षिण मुखी पूजा प्राप्त है और विश्व भर में बाबा ही दक्षिण मुख में विराजमान है. महाकाल के इस मंदिर का अधिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां ही तड़के 4 बजे भस्म आरती करने का विधान है. भस्मार्ती को मंगला आरती नाम भी दिया गया है. यह प्रचलित मान्यता थी कि श्मशान कि ताजी चिता की भस्म से ही भस्म आरती की जाती थी. , वर्तमान में गाय के गोबर से बने गए कंडो की भस्म से भस्म आरती की जाती है. एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि भगवान शिव को भस्म धारण करते हुए केवल पुरुष ही देखते है. महिलाओं को उस वक्त घुंघट लेना अनिवार्य है, जिन पुरुषों ने बिना सीला हुआ सोला पहना हो वही भस्म आरती से पहले भगवन शिव को को जल चढ़ाकर छूकर दर्शन कर सकते है. कहा जाता है कि जो महाकाल का भक्त है उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, साथ ही प्रत्येक वर्ष के हर एक त्योहार बाबा के प्रांगण में ही सर्वप्रथम मनाने की परंपरा है. ‘आकाशे तारकं लिंगं पाताले हाटकेश्वरम्। भूलोके च महाकालो लिंड्गत्रय नमोस्तुते’ इसका तात्पर्य यह है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य शिवलिंग है, महाकाल मंदिर की अनादी काल से ही उत्तपत्ति मानी गई है. मान्यता है की महाकाल मंदिर में शिव लिंग स्वयं भू है, विश्व भर में कालगणना की नगरी कहे जाने वाली उज्जैन में मान्यता है की भगवन महाकाल ही समय को लागातर चलाते है...

Mahakal Mandir: उज्जैन महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 3 से 10 अप्रेल तक नहीं मिलेगा प्रवेश, जानें क्या है वजह?

मुजफ्फरनगर: देवर को दिल दिया और पति को मौत...रिश्ते की कत्ल की ये कहानी दहला देगी © Times Now Navbharat द्वारा प्रदत्त entry will not be available in sanctum sanctorum of ujjain mahakal temple from 3 to 10 april, know what is the reason Ujjain Mahakal Sanctorum Darshan: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर ahakaleshwar Temple Ujjain) में दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों को तीन अप्रैल से 10 अप्रैल के बीच गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिल पाएगा, इस दौरान ना तो श्रद्धालु गर्भग्रह में पहुंचेंगे और ना ही बाबा महाकाल का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक कर उन्हें स्पर्श कर पाएंगे। बताया जा रहा है कि यह बड़ा बदलाव पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को लेकर किया गया है जिसको लेकर 3 से लेकर 10 अप्रैल तक गर्भ गृह में प्रवेश बंद कर दिया गया है गौर हो कि बड़नगर रोड के मुरलीपुरा में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आयोजन इस दौरान होना है जिसमें भारी भीड़ जुटेगी। कथा में शामिल होने लाखों श्रद्धालु शहर आएंगे। महाकालेश्वर मन्दिर में सुगम दर्शन व्यवस्था के लिए कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शुक्रवार को अधिकारियों की बैठक लेकर दिशा-निर्देश दिए। पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा होनी है उज्जैन में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की 4 से 10 अप्रेल तक शिव महापुराण कथा होगी इसके चलते 3 से 10 अप्रेल तक महाकाल मंदिर के गर्भगृह में दर्शनार्थियों को प्रवेश नहीं मिलेगा। जिला कलेक्टर ने 3 अप्रैल से 10 अप्रैल तक मंदिर में दर्शन व्यवस्था में बदलाव करते हुए बताया कि दर्शन व्यवस्था जिस तरह से महाशिवरात्रि के दौरान की गई थी, उसी के अनुरूप होगी. जिसकी पार्किंग भील धर्मशाला एवं कर्कराज पर पूर्वानुसार ही रहेगी। आठ ला...