उज्जैन से भोपाल की दूरी

  1. क्या आप उज्जैन से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं ?
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  3. भोपाल, इंदौर और उज्जैन से बाहर जाने के लिए ई
  4. उज्जैन महाकालेश्‍वर ज्‍योर्तिलिंग ही नहीं, MP के इन 5 धार्मिक जगहों की भी करें यात्रा, तीर्थ का मिलता है लाभ
  5. वेधशाला
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  7. क्या आप उज्जैन से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं ?
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क्या आप उज्जैन से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं ?

भारत का ह्रदय स्थल मध्य प्रदेश देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो विश्व भर में अपने वृहद इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्यता और कला-संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह एक विशाल राज्य है जो उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के साथ अपनी सीमा साझा करता है। यह देश के सबसे तेजी से विकसित होते राज्यों में से एक है। कृषि, खनिज और जैव विविधता का मामले में भी यह एक समृद्ध भू-भाग है। भोपाल, उज्जैन, इंदौर, खजुराहो, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, पंचमढ़ी आदि स्थल इस राज्य को खास बनाने का काम करते हैं। पर्यटन से लिहाज से यह राज्य काफी ज्यादा मायने रखता है, जहां वर्षभर पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। इस लेख के माध्यम से आज हम आपके सामने मध्य प्रदेश के खजाने में से एक उज्जैन शहर से जुड़े उन रोचक तथ्यों को सामने रखेंगे, जिनसे अधिकांश पर्यटक अंजान हैं। इन रोचक बातों को जानने का बाद आपका उज्जैन भ्रमण का मन जरूर करेगा। एक प्राचीन नगर PC- उज्जैन एक प्राचीन शहर है, जिसका इतिहास कई सौ साल पुराना है। क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित यह शहर कभी विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। प्राचीन काल में इसे अवन्तिका, उज्जयनी कनकश्रन्गा के नाम से संबोधित किया जाता था। मध्य प्रांत की कई बड़ी ऐतिहासिक घटनाएं इस स्थल के आसपास घटित हुई हैं। कालीदास की नगरी PC- उज्जैन को कालीदास की नगरी भी कहा जाता है। प्रसिद्ध महाकवि कालीदास सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में सबसे खास थे। उनका उज्जैन के साथ गहरा लगाव था। उन्होंने अपने जीवन एक बड़ा समय इस स्थल पर बिताया और उज्जैन के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बनें। कालीदास ने अपनी कई रचनाओं में उज्जैन का उल्लेख किया है। एक पौराणिक स्थल PC- इस स्थल का उल्ल...

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भोपाल, इंदौर और उज्जैन से बाहर जाने के लिए ई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बताया कि प्रदेश में कोरोना रिकवरी रेट बढ़कर 51 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इंदौर, भोपाल और उज्जैन के लिए ई-पास की जरुरत होगी। ये तीनों जिले रेड जोन में शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टर्स को लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाने और गाइडलाइन अनुसार अपने जिलों में छूट देने को कहा है। पहले मध्य प्रदेश का रिकवरी रेट 50 फीसदी से नीचे चल रहा था। इंदौर, भोपाल, उज्जैन से निकलने के लिए ई-पास जरूरी प्रदेश में ग्रीन जोन से ग्रीन जोन में जाने के लिए ई-पास समाप्त कर दिया गया है, परंतु भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन से बाहर निकलने के लिए ई-पास की जरूरत होगी। वहीं दूसरे राज्यों में आने-जाने के लिए भी ई-पास की अनिवार्यता रहेगी। उज्जैन में 6 लाख 34 हजार लोगों की स्क्रीनिंग उज्जैन में 6 लाख 34 हजार लोगों का स्वास्थ्य सर्वे किया गया है। जिले का नागदा क्षेत्र संक्रमण मुक्त हो गया है। आगामी दो-तीन दिन में ट्रॉमा सेंटर कोविड अस्पताल के रूप में कार्य करना चालू कर देगा। उज्जैन कलेक्टर को 10 और एम्बुलेंस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में डिस्चार्ज का नया क्राइटेरिया एसीएस हेल्थ मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि नए डिस्चार्ज क्राइटेरिया के अनुसार, कोरोना मरीजों को, जिनका स्वास्थ्य सही हो, कोरोना के लक्षण न हों और तीन दिन से बुखार न आ रहा हो तो उन्हें 10 दिन में डिस्चार्ज किया जा सकेगा। इसके पश्चात उन्हें 07 दिन होम आइसोलेशन में रहना होगा। 5 लाख 14 हजार मजदूर मप्र वापस लौटे अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी ने बताया कि प्रदेश में अभी तक 122 ट्रेनों एवं हजारों बसों से कुल 5 लाख 14 हजार प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश वापस आ चुके हैं। इनमें से 01 लाख 54...

उज्जैन महाकालेश्‍वर ज्‍योर्तिलिंग ही नहीं, MP के इन 5 धार्मिक जगहों की भी करें यात्रा, तीर्थ का मिलता है लाभ

उज्‍जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश के सबसे प्रचलित धार्मिक स्‍थलों में से एक है. अमरकंटक में कई मन्दिर व मूर्तियां हैं जिनका सम्बन्ध महाभारत के पाण्डवों से बताया जाता है. Religious Places Of Madhya Pradesh: मध्‍य प्रदेश यानी कि देश का दिल. पर्यटन के क्षेत्र में यह प्रदेश काफी समृद्ध माना जाता है. आदिम युग की ऐतिहासिक इमारतें, हरे भरे घने जंगल, दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं इस जगह की पहचान रही है. लेकिन जब बात धार्मिक आस्‍था रखने वाले लाखों करोड़ों सैलानियों की आती है तो बता दें कि यह उन राज्‍यों की लिस्‍ट में भी शामिल है जहां हर साल दर्शन करने वालों की संख्‍या अनगिनत रहती है. तो आइए आज हम बताते हैं कि अगर आप मध्‍य प्रदेश आएं तो यहां के किन प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में जरूर जाएं. मध्‍य प्रदेश के 5 धार्मिक स्‍थल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्‍जैन शहर स्थित भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) मध्यप्रदेश के सबसे प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में से एक है. उज्जैन के नाम का उल्‍लेख पुराणों और प्राचीन धर्म ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ और ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेखित है. माना जाता है कि मंगल ग्रह का जन्म स्‍थल मंगलश्वेर भी यहीं पर स्थित है. इसके अलावा, भर्तृहरि की गुफा, महर्षि सान्दीपनि जी का आश्रम भी यहीं मौजूद है. बता दें कि यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम शिक्षा प्राप्त करने आए थे. यहां हर 12 साल में एक बार सिहंस्थ महाकुम्भ का विशेष मेला लगता है. अगर आप यहां पहुंचना चाहते है तो वायु मार्ग के लिए आप इंदौर एयरपोर्ट पहुंचें जो यहां से करीब 58 किलोमीटर दूरी पर है. जबकि रेलमार्ग से यह लगभग सभी बड़े राज्‍यों से जुड़ा है. इसके अलावा, आप नेशनल हाइवे 48 और नैशनल हाइव...

वेधशाला

उज्जैन ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में काफी महत्व का स्थान प्राप्त किया है, सूर्य सिद्धान्त और पंच सिद्धान्त जैसे महान कार्य उज्जैन में लिखे गए हैं। भारतीय खगोलविदों के अनुसार, कर्क रेखा को उज्जैन से गुजरना चाहिए, यह हिंदू भूगोलवेत्ताओं के देशांतर का पहला मध्याह्न काल भी है। लगभग चौथी शताब्दी ई.पू. उज्जैन ने भारत के ग्रीनविच होने की प्रतिष्ठा का आनंद लिया। वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई राजा जयसिंह ने 1719 में किया था जब वे दिल्ली के राजा मुहम्मद शाह के शासनकाल में मालवा के राज्यपाल के रूप में उज्जैन में थे। एक बहादुर सेनानी और एक राजनीतिज्ञ होने के अलावा, राजा जयसिंह असाधारण रूप से एक विद्वान थे। उन्होंने उस समय फारसी और अरबी भाषाओं में उपलब्ध एस्टर-गणित पर पुस्तकों का अध्ययन किया। उन्होंने खुद खगोल विज्ञान पर किताबें लिखीं। मिरज़ा उदैग बेग, तैमूरलंग के पोते और खगोल विज्ञान के विशेषज्ञ समरकंद में एक वेधशाला का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने राजा मुहम्मद शाह की अनुमति से भारत में उज्जैन, जयपुर, दिल्ली, मथुरा और वाराणसी में वेधशालाओं का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने अपने कौशल को नियोजित करने वाली इन वेधशालाओं में नए यंत्र स्थापित किए। उन्होंने उज्जैन में आठ वर्षों तक स्वयं ग्रहों की गतिविधियों का अवलोकन करके कई मुख्य खगोल-गणितीय उपकरणों में परिवर्तन किया। तत्पश्चात वेधशाला दो दशकों तक बिना रुके चलती रही। फिर सिद्धान्तवागीश (स्वर्गीय) श्री नारायणजी व्यास, गणक चूरामणि और (स्वर्गीय) श्री जी.एस. आप्टे के अनुसार, वेधशाला के प्रथम अधीक्षक, (स्वर्गीय) महाराज माधव राव सिंधिया ने वेधशाला का जीर्णोद्धार किया और इसे सक्रिय उपयोग के लिए वित्त पोषित किया। तब से यह लगातार कार्य कर ...

भोपाल, इंदौर और उज्जैन से बाहर जाने के लिए ई

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बताया कि प्रदेश में कोरोना रिकवरी रेट बढ़कर 51 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इंदौर, भोपाल और उज्जैन के लिए ई-पास की जरुरत होगी। ये तीनों जिले रेड जोन में शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टर्स को लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाने और गाइडलाइन अनुसार अपने जिलों में छूट देने को कहा है। पहले मध्य प्रदेश का रिकवरी रेट 50 फीसदी से नीचे चल रहा था। इंदौर, भोपाल, उज्जैन से निकलने के लिए ई-पास जरूरी प्रदेश में ग्रीन जोन से ग्रीन जोन में जाने के लिए ई-पास समाप्त कर दिया गया है, परंतु भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन से बाहर निकलने के लिए ई-पास की जरूरत होगी। वहीं दूसरे राज्यों में आने-जाने के लिए भी ई-पास की अनिवार्यता रहेगी। उज्जैन में 6 लाख 34 हजार लोगों की स्क्रीनिंग उज्जैन में 6 लाख 34 हजार लोगों का स्वास्थ्य सर्वे किया गया है। जिले का नागदा क्षेत्र संक्रमण मुक्त हो गया है। आगामी दो-तीन दिन में ट्रॉमा सेंटर कोविड अस्पताल के रूप में कार्य करना चालू कर देगा। उज्जैन कलेक्टर को 10 और एम्बुलेंस की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में डिस्चार्ज का नया क्राइटेरिया एसीएस हेल्थ मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि नए डिस्चार्ज क्राइटेरिया के अनुसार, कोरोना मरीजों को, जिनका स्वास्थ्य सही हो, कोरोना के लक्षण न हों और तीन दिन से बुखार न आ रहा हो तो उन्हें 10 दिन में डिस्चार्ज किया जा सकेगा। इसके पश्चात उन्हें 07 दिन होम आइसोलेशन में रहना होगा। 5 लाख 14 हजार मजदूर मप्र वापस लौटे अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी ने बताया कि प्रदेश में अभी तक 122 ट्रेनों एवं हजारों बसों से कुल 5 लाख 14 हजार प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश वापस आ चुके हैं। इनमें से 01 लाख 54...

क्या आप उज्जैन से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं ?

भारत का ह्रदय स्थल मध्य प्रदेश देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो विश्व भर में अपने वृहद इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्यता और कला-संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह एक विशाल राज्य है जो उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के साथ अपनी सीमा साझा करता है। यह देश के सबसे तेजी से विकसित होते राज्यों में से एक है। कृषि, खनिज और जैव विविधता का मामले में भी यह एक समृद्ध भू-भाग है। भोपाल, उज्जैन, इंदौर, खजुराहो, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, पंचमढ़ी आदि स्थल इस राज्य को खास बनाने का काम करते हैं। पर्यटन से लिहाज से यह राज्य काफी ज्यादा मायने रखता है, जहां वर्षभर पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। इस लेख के माध्यम से आज हम आपके सामने मध्य प्रदेश के खजाने में से एक उज्जैन शहर से जुड़े उन रोचक तथ्यों को सामने रखेंगे, जिनसे अधिकांश पर्यटक अंजान हैं। इन रोचक बातों को जानने का बाद आपका उज्जैन भ्रमण का मन जरूर करेगा। एक प्राचीन नगर PC- उज्जैन एक प्राचीन शहर है, जिसका इतिहास कई सौ साल पुराना है। क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित यह शहर कभी विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। प्राचीन काल में इसे अवन्तिका, उज्जयनी कनकश्रन्गा के नाम से संबोधित किया जाता था। मध्य प्रांत की कई बड़ी ऐतिहासिक घटनाएं इस स्थल के आसपास घटित हुई हैं। कालीदास की नगरी PC- उज्जैन को कालीदास की नगरी भी कहा जाता है। प्रसिद्ध महाकवि कालीदास सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में सबसे खास थे। उनका उज्जैन के साथ गहरा लगाव था। उन्होंने अपने जीवन एक बड़ा समय इस स्थल पर बिताया और उज्जैन के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बनें। कालीदास ने अपनी कई रचनाओं में उज्जैन का उल्लेख किया है। एक पौराणिक स्थल PC- इस स्थल का उल्ल...

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वेधशाला

उज्जैन ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में काफी महत्व का स्थान प्राप्त किया है, सूर्य सिद्धान्त और पंच सिद्धान्त जैसे महान कार्य उज्जैन में लिखे गए हैं। भारतीय खगोलविदों के अनुसार, कर्क रेखा को उज्जैन से गुजरना चाहिए, यह हिंदू भूगोलवेत्ताओं के देशांतर का पहला मध्याह्न काल भी है। लगभग चौथी शताब्दी ई.पू. उज्जैन ने भारत के ग्रीनविच होने की प्रतिष्ठा का आनंद लिया। वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई राजा जयसिंह ने 1719 में किया था जब वे दिल्ली के राजा मुहम्मद शाह के शासनकाल में मालवा के राज्यपाल के रूप में उज्जैन में थे। एक बहादुर सेनानी और एक राजनीतिज्ञ होने के अलावा, राजा जयसिंह असाधारण रूप से एक विद्वान थे। उन्होंने उस समय फारसी और अरबी भाषाओं में उपलब्ध एस्टर-गणित पर पुस्तकों का अध्ययन किया। उन्होंने खुद खगोल विज्ञान पर किताबें लिखीं। मिरज़ा उदैग बेग, तैमूरलंग के पोते और खगोल विज्ञान के विशेषज्ञ समरकंद में एक वेधशाला का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने राजा मुहम्मद शाह की अनुमति से भारत में उज्जैन, जयपुर, दिल्ली, मथुरा और वाराणसी में वेधशालाओं का निर्माण किया। राजा जयसिंह ने अपने कौशल को नियोजित करने वाली इन वेधशालाओं में नए यंत्र स्थापित किए। उन्होंने उज्जैन में आठ वर्षों तक स्वयं ग्रहों की गतिविधियों का अवलोकन करके कई मुख्य खगोल-गणितीय उपकरणों में परिवर्तन किया। तत्पश्चात वेधशाला दो दशकों तक बिना रुके चलती रही। फिर सिद्धान्तवागीश (स्वर्गीय) श्री नारायणजी व्यास, गणक चूरामणि और (स्वर्गीय) श्री जी.एस. आप्टे के अनुसार, वेधशाला के प्रथम अधीक्षक, (स्वर्गीय) महाराज माधव राव सिंधिया ने वेधशाला का जीर्णोद्धार किया और इसे सक्रिय उपयोग के लिए वित्त पोषित किया। तब से यह लगातार कार्य कर ...

उज्जैन महाकालेश्‍वर ज्‍योर्तिलिंग ही नहीं, MP के इन 5 धार्मिक जगहों की भी करें यात्रा, तीर्थ का मिलता है लाभ

उज्‍जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश के सबसे प्रचलित धार्मिक स्‍थलों में से एक है. अमरकंटक में कई मन्दिर व मूर्तियां हैं जिनका सम्बन्ध महाभारत के पाण्डवों से बताया जाता है. Religious Places Of Madhya Pradesh: मध्‍य प्रदेश यानी कि देश का दिल. पर्यटन के क्षेत्र में यह प्रदेश काफी समृद्ध माना जाता है. आदिम युग की ऐतिहासिक इमारतें, हरे भरे घने जंगल, दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएं इस जगह की पहचान रही है. लेकिन जब बात धार्मिक आस्‍था रखने वाले लाखों करोड़ों सैलानियों की आती है तो बता दें कि यह उन राज्‍यों की लिस्‍ट में भी शामिल है जहां हर साल दर्शन करने वालों की संख्‍या अनगिनत रहती है. तो आइए आज हम बताते हैं कि अगर आप मध्‍य प्रदेश आएं तो यहां के किन प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में जरूर जाएं. मध्‍य प्रदेश के 5 धार्मिक स्‍थल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्‍जैन शहर स्थित भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) मध्यप्रदेश के सबसे प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में से एक है. उज्जैन के नाम का उल्‍लेख पुराणों और प्राचीन धर्म ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ और ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेखित है. माना जाता है कि मंगल ग्रह का जन्म स्‍थल मंगलश्वेर भी यहीं पर स्थित है. इसके अलावा, भर्तृहरि की गुफा, महर्षि सान्दीपनि जी का आश्रम भी यहीं मौजूद है. बता दें कि यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम शिक्षा प्राप्त करने आए थे. यहां हर 12 साल में एक बार सिहंस्थ महाकुम्भ का विशेष मेला लगता है. अगर आप यहां पहुंचना चाहते है तो वायु मार्ग के लिए आप इंदौर एयरपोर्ट पहुंचें जो यहां से करीब 58 किलोमीटर दूरी पर है. जबकि रेलमार्ग से यह लगभग सभी बड़े राज्‍यों से जुड़ा है. इसके अलावा, आप नेशनल हाइवे 48 और नैशनल हाइव...