उज्जैन से ओंकारेश्वर कितने किलोमीटर है

  1. श्री ओम्कारेश्वर यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
  2. Unique devotion of Shiva devotee of Bihar, doing a dandavat journey from Omkareshwar to Ujjain बिहार के शिव भक्त की अनूठी भक्ति, ओंकारेश्वर से उज्जैन तक कर रहा दंडवत यात्रा
  3. ओंकारेश्वर
  4. Chartered bus service started from Mahakal temple of Ujjain to Omkareshwar know complete details from timing to fare
  5. ओंकारेश्वर
  6. श्री ओम्कारेश्वर यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी
  7. Chartered bus service started from Mahakal temple of Ujjain to Omkareshwar know complete details from timing to fare
  8. Unique devotion of Shiva devotee of Bihar, doing a dandavat journey from Omkareshwar to Ujjain बिहार के शिव भक्त की अनूठी भक्ति, ओंकारेश्वर से उज्जैन तक कर रहा दंडवत यात्रा


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श्री ओम्कारेश्वर यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी

श्री ओम्कारेश्वर यात्रा पर आधारित इस लेख में आज हम ये जानेंगे की ओंकारेश्वर किस जिले में है। उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी कितनी है। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी तथा जाने का रास्ता तथा खंडवा से ओंकारेश्वर कितने किलोमीटर है।तथा भारत के मुख्य शहरो दिल्ली मुंबई हैदराबाद पुणे इत्यादि से ओंकारेश्वर की दूरी कितनी है तथा यहां कैसे जाए।ओंकारेश्वर पहुंचने पर दर्शन कैसे करे |ओंकारेश्वर में धर्मशाला और ठहरने के स्थान इत्यादि का विस्तृत वर्णन इस लेख के माध्यम से जानेंगे Table of Contents • • • • • • ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर नाम के शहर स्थित है उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी (Distance between Ujjain to Omkareshwar) श्री ओम्कारेश्वर यात्रा के लिए हर साधन आसानी से उपलब्ध है। उज्जैन से ओंकारेश्वर जाने के लिए रेलवे मार्ग , सड़क मार्ग सेवाएं तथा फ्लाइट मार्ग सेवाएं तीनों ही उपलब्ध है । यात्री अपने सुविधा अनुसार किसी भी मार्ग का चयन कर सकते है। रोड मार्ग द्वारा उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी 139 किलोमीटर है। जिसमे लगभग सवा तीन से साढ़े तीन घंटे का समय लगता हैं। हवाई मार्ग से श्री ओम्कारेश्वर यात्रा नजदीकी एयरपोर्ट प्रमुख नगरों सेओंकारेश्वर की दूरी श्री ओम्कारेश्वर यात्रा के दौरान इसकी मुख्य शहरों से दुरी का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है। श्री ओङ्कारेश्वर की दूरी दिल्ली से 915 किलोमीटर , मुंबई से 576 किलोमीटर , हैदराबाद से 772 किलोमीटर और पुणे से 615 किलोमीटर है खंडवा से ओंकारेश्वर की दूरी पश्चिम रेलवे की रतलाम खंडवा लाइन पर श्री ओङ्कारेश्वर रोड स्टेशन है ।श्री ओङ्कारेश्वर रोड स्टेशन से ओङकारेश्वर की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है । मध्य रेलवे से भी ख...

Unique devotion of Shiva devotee of Bihar, doing a dandavat journey from Omkareshwar to Ujjain बिहार के शिव भक्त की अनूठी भक्ति, ओंकारेश्वर से उज्जैन तक कर रहा दंडवत यात्रा

सावन में बड़ी संख्या में शिव भक्त अपने आराध्य भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए अनेक तरीके अपनाते दिखाई देते हैं. ऐसा ही एक अंदाज बिहार के भक्त ने दिखाया है. वह ओंकारेश्वर से उज्जैन तक दंडवत यात्रा करते हुए आ रहे हैं और महाकाल को प्रणाम कर अपना संकल्प पूरा करेंगे. बिहार बेगूसराय में रहने वाले महादेव नाम के भक्तों ने सावन के पवित्र महीने में यह तय किया कि मध्य प्रदेश के इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की दूरी वह दंडवत प्रणाम करते हुए पूरी करेंगे. बिहार से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचे. वहां से दर्शन करने के बाद उज्जैन तक की दंडवत यात्रा शुरू की. सड़क मार्ग से यह दूरी सड़क मार्ग से लगभग 150 किलोमीटर है और वह लगातार 25 दिनों से महाकाल को प्रणाम करते हुए इंदौर तक पहुंच गए हैं. अपनी यात्रा को जारी रखते हुए यह शख्स अब उज्जैन रोड पहुंच चुका है और सावन पूर्णिमा के पूर्व महाकाल दर्शन का संकल्प पूरा करेगा. जब शिव के इस भक्त से यह पूछा गया कि आपकी दंडवत यात्रा के पीछे क्या कोई मनोकामना है, तो उन्होंने कहा कि मैं शिव का हूं और शिव मुझ में समाए हुए हैं. मैं उन्हें इस तरह दंडवत यात्रा के माध्यम से सिर्फ प्रणाम कर रहा हूं. महाकाल पहुंचकर जलाभिषेक कर अपनी यात्रा को पूरा करूंगा. शिव के इस पवित्र महीने में शिव भक्त की ये आस्था एक अनूठा उदाहरण है.

ओंकारेश्वर

विषय सूची • 1 मान्धाता पर्वत • 2 शिव पुराण की कथा • 3 ओंकारेश्वर का वास्तुशिल्प • 4 प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव • 5 धर्म के साथ कुप्रथा भी • 6 मंदिर और नर्मदा • 7 प्रतिमा का नौकाविहार • 8 ओंकारेश्वर कैसे पहुँचें • 9 मंदिरों के दर्शन • 10 धार्मिक दृष्टि से परिक्रमा • 11 अन्य मंदिरों के दर्शन • 12 दूसरे दिन के दर्शन • 13 विष्णुपुरी और ब्रह्मपुरी • 14 चौबीस अवतार और पशुपतिनाथ • 15 सीता वाटिका • 16 कैसे पहुँचे • 17 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 18 संबंधित लेख नर्मदा नदी के दो धाराओं के बंटने से एक टापू का निर्माण हो गया है, इसे शिवपुरी भी कहा जाता है। नर्मदा की विभक्त धारा दक्षिण की ओर जाती है। दक्षिण की ओर बहने वाली धारा ही प्रधान मानी जाती है, जिसे नाव (नौका) के द्वारा पार किया जाता है। नर्मदा के इस किनारे पर पक्के घाटों का निर्माण कराया गया है। इसी मान्धाता नामक पर्वत पर भगवान ओंकारेश्वर-महादेव विराजमान हैं। इतिहास प्रसिद्ध भगवान के महान् भक्त अम्बरीष और मुचुकुन्द के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस स्थान पर कठोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्रसन्न किया था। वे एक महान् तपस्वी और विशाल महायज्ञों के कर्त्ता थे। उस महान् पुरुष मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत हो गया। यहाँ के ज़्यादातर मन्दिरों का निर्माण पेशवा राजाओं द्वारा ही कराया गया था। ऐसा बताया जाता है कि भगवान ओंकारेश्वर का मन्दिर भी उन्हीं शिव पुराण की कथा इस ओंकारतीर्थ के ज्योतिर्लिंग को नारद जी ने विन्ध्याचल को बताया कि तुम्हारे पास सब कुछ है, किन्तु वह शम्भू की आराधना-पूजा के बाद निरन्तर उनके ध्यान में तल्लीन हो गया और अपने स्थान से इधर-उधर नहीं हुआ। उसकी कठोर तपस्या को देखकर पार्वतीपति भगवान शिव उस पर ...

Chartered bus service started from Mahakal temple of Ujjain to Omkareshwar know complete details from timing to fare

उज्जैन के महाकाल मंदिर से ओंकारेश्वर के लिए शुरू हुई चार्टेड बस सेवा, जानें टाइमिंग से लेकर खर्च तक की पूरी डिटेल श्रद्धालु श्रीओंकारेश्वर दर्शन कर उसी दिन रात तक उज्जैन वापस भी आ सकेंगे और अल सुबह होने वाली भस्मारती में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को श्री ओंकारेश्वर लिए 248 रुपये किराया देना होगा। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से श्रीओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए महाकाल मंदिर समिति ने चार्टर्ड बस शुरू की है। महाकालेश्वर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को अब तक टैक्सी के द्वारा ही श्रीओंकारेश्वर जाना पड़ता था, जिससे श्रद्धालुओं का काफी समय और पैसा खर्च होता था। श्री महाकालेश्वर और श्री ओंकारेश्वर जाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा सीधी बस सेवाओं की मांग की जा रही थी। उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार को श्री महाकालेश्वर से ओंकारेश्वर के लिए चार्टर्ड बस सेवा शुरू की गई। महाकालेश्वर दर्शन के बाद श्री ओंकारेश्वर दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एआईसीटीएसएल की अमृत योजना के अंतर्गत चार्टर्ड बस सेवा प्रारंभ की गई है। यह बस श्री महाकाल मंदिर के पास सुबह 7:30 और 9:00 बजे श्रीओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहेगी। बस के द्वारा श्रद्धालु श्रीओंकारेश्वर दर्शन कर उसी दिन रात तक उज्जैन वापस भी आ सकेंगे और अल सुबह होने वाली भस्मारती में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को उज्जैन से श्री ओंकारेश्वर लिए 248 रुपये किराया देना होगा। दोनों ज्योतिर्लिंग के बीच नहीं थी कोई भी सीधी बस सेवा श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से श्री ओंकारेश्वर ज्योति...

ओंकारेश्वर

विषय सूची • 1 मान्धाता पर्वत • 2 शिव पुराण की कथा • 3 ओंकारेश्वर का वास्तुशिल्प • 4 प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव • 5 धर्म के साथ कुप्रथा भी • 6 मंदिर और नर्मदा • 7 प्रतिमा का नौकाविहार • 8 ओंकारेश्वर कैसे पहुँचें • 9 मंदिरों के दर्शन • 10 धार्मिक दृष्टि से परिक्रमा • 11 अन्य मंदिरों के दर्शन • 12 दूसरे दिन के दर्शन • 13 विष्णुपुरी और ब्रह्मपुरी • 14 चौबीस अवतार और पशुपतिनाथ • 15 सीता वाटिका • 16 कैसे पहुँचे • 17 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 18 संबंधित लेख नर्मदा नदी के दो धाराओं के बंटने से एक टापू का निर्माण हो गया है, इसे शिवपुरी भी कहा जाता है। नर्मदा की विभक्त धारा दक्षिण की ओर जाती है। दक्षिण की ओर बहने वाली धारा ही प्रधान मानी जाती है, जिसे नाव (नौका) के द्वारा पार किया जाता है। नर्मदा के इस किनारे पर पक्के घाटों का निर्माण कराया गया है। इसी मान्धाता नामक पर्वत पर भगवान ओंकारेश्वर-महादेव विराजमान हैं। इतिहास प्रसिद्ध भगवान के महान् भक्त अम्बरीष और मुचुकुन्द के पिता सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने इस स्थान पर कठोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्रसन्न किया था। वे एक महान् तपस्वी और विशाल महायज्ञों के कर्त्ता थे। उस महान् पुरुष मान्धाता के नाम पर ही इस पर्वत का नाम मान्धाता पर्वत हो गया। यहाँ के ज़्यादातर मन्दिरों का निर्माण पेशवा राजाओं द्वारा ही कराया गया था। ऐसा बताया जाता है कि भगवान ओंकारेश्वर का मन्दिर भी उन्हीं शिव पुराण की कथा इस ओंकारतीर्थ के ज्योतिर्लिंग को नारद जी ने विन्ध्याचल को बताया कि तुम्हारे पास सब कुछ है, किन्तु वह शम्भू की आराधना-पूजा के बाद निरन्तर उनके ध्यान में तल्लीन हो गया और अपने स्थान से इधर-उधर नहीं हुआ। उसकी कठोर तपस्या को देखकर पार्वतीपति भगवान शिव उस पर ...

श्री ओम्कारेश्वर यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी

श्री ओम्कारेश्वर यात्रा पर आधारित इस लेख में आज हम ये जानेंगे की ओंकारेश्वर किस जिले में है। उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी कितनी है। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी तथा जाने का रास्ता तथा खंडवा से ओंकारेश्वर कितने किलोमीटर है।तथा भारत के मुख्य शहरो दिल्ली मुंबई हैदराबाद पुणे इत्यादि से ओंकारेश्वर की दूरी कितनी है तथा यहां कैसे जाए।ओंकारेश्वर पहुंचने पर दर्शन कैसे करे |ओंकारेश्वर में धर्मशाला और ठहरने के स्थान इत्यादि का विस्तृत वर्णन इस लेख के माध्यम से जानेंगे Table of Contents • • • • • • ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग भारत देश के मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर नाम के शहर स्थित है उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी (Distance between Ujjain to Omkareshwar) श्री ओम्कारेश्वर यात्रा के लिए हर साधन आसानी से उपलब्ध है। उज्जैन से ओंकारेश्वर जाने के लिए रेलवे मार्ग , सड़क मार्ग सेवाएं तथा फ्लाइट मार्ग सेवाएं तीनों ही उपलब्ध है । यात्री अपने सुविधा अनुसार किसी भी मार्ग का चयन कर सकते है। रोड मार्ग द्वारा उज्जैन से ओंकारेश्वर की दूरी 139 किलोमीटर है। जिसमे लगभग सवा तीन से साढ़े तीन घंटे का समय लगता हैं। हवाई मार्ग से श्री ओम्कारेश्वर यात्रा नजदीकी एयरपोर्ट प्रमुख नगरों सेओंकारेश्वर की दूरी श्री ओम्कारेश्वर यात्रा के दौरान इसकी मुख्य शहरों से दुरी का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है। श्री ओङ्कारेश्वर की दूरी दिल्ली से 915 किलोमीटर , मुंबई से 576 किलोमीटर , हैदराबाद से 772 किलोमीटर और पुणे से 615 किलोमीटर है खंडवा से ओंकारेश्वर की दूरी पश्चिम रेलवे की रतलाम खंडवा लाइन पर श्री ओङ्कारेश्वर रोड स्टेशन है ।श्री ओङ्कारेश्वर रोड स्टेशन से ओङकारेश्वर की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है । मध्य रेलवे से भी ख...

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उज्जैन के महाकाल मंदिर से ओंकारेश्वर के लिए शुरू हुई चार्टेड बस सेवा, जानें टाइमिंग से लेकर खर्च तक की पूरी डिटेल श्रद्धालु श्रीओंकारेश्वर दर्शन कर उसी दिन रात तक उज्जैन वापस भी आ सकेंगे और अल सुबह होने वाली भस्मारती में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को श्री ओंकारेश्वर लिए 248 रुपये किराया देना होगा। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध श्रीमहाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से श्रीओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए महाकाल मंदिर समिति ने चार्टर्ड बस शुरू की है। महाकालेश्वर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को अब तक टैक्सी के द्वारा ही श्रीओंकारेश्वर जाना पड़ता था, जिससे श्रद्धालुओं का काफी समय और पैसा खर्च होता था। श्री महाकालेश्वर और श्री ओंकारेश्वर जाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा सीधी बस सेवाओं की मांग की जा रही थी। उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार को श्री महाकालेश्वर से ओंकारेश्वर के लिए चार्टर्ड बस सेवा शुरू की गई। महाकालेश्वर दर्शन के बाद श्री ओंकारेश्वर दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एआईसीटीएसएल की अमृत योजना के अंतर्गत चार्टर्ड बस सेवा प्रारंभ की गई है। यह बस श्री महाकाल मंदिर के पास सुबह 7:30 और 9:00 बजे श्रीओंकारेश्वर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रहेगी। बस के द्वारा श्रद्धालु श्रीओंकारेश्वर दर्शन कर उसी दिन रात तक उज्जैन वापस भी आ सकेंगे और अल सुबह होने वाली भस्मारती में शामिल हो सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को उज्जैन से श्री ओंकारेश्वर लिए 248 रुपये किराया देना होगा। दोनों ज्योतिर्लिंग के बीच नहीं थी कोई भी सीधी बस सेवा श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से श्री ओंकारेश्वर ज्योति...

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सावन में बड़ी संख्या में शिव भक्त अपने आराध्य भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए अनेक तरीके अपनाते दिखाई देते हैं. ऐसा ही एक अंदाज बिहार के भक्त ने दिखाया है. वह ओंकारेश्वर से उज्जैन तक दंडवत यात्रा करते हुए आ रहे हैं और महाकाल को प्रणाम कर अपना संकल्प पूरा करेंगे. बिहार बेगूसराय में रहने वाले महादेव नाम के भक्तों ने सावन के पवित्र महीने में यह तय किया कि मध्य प्रदेश के इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की दूरी वह दंडवत प्रणाम करते हुए पूरी करेंगे. बिहार से ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचे. वहां से दर्शन करने के बाद उज्जैन तक की दंडवत यात्रा शुरू की. सड़क मार्ग से यह दूरी सड़क मार्ग से लगभग 150 किलोमीटर है और वह लगातार 25 दिनों से महाकाल को प्रणाम करते हुए इंदौर तक पहुंच गए हैं. अपनी यात्रा को जारी रखते हुए यह शख्स अब उज्जैन रोड पहुंच चुका है और सावन पूर्णिमा के पूर्व महाकाल दर्शन का संकल्प पूरा करेगा. जब शिव के इस भक्त से यह पूछा गया कि आपकी दंडवत यात्रा के पीछे क्या कोई मनोकामना है, तो उन्होंने कहा कि मैं शिव का हूं और शिव मुझ में समाए हुए हैं. मैं उन्हें इस तरह दंडवत यात्रा के माध्यम से सिर्फ प्रणाम कर रहा हूं. महाकाल पहुंचकर जलाभिषेक कर अपनी यात्रा को पूरा करूंगा. शिव के इस पवित्र महीने में शिव भक्त की ये आस्था एक अनूठा उदाहरण है.