Upma alankar ke udaharan

  1. उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
  2. पुनरुक्ति अलंकार : परिभाषा, पहचान और उदाहरण
  3. उपमा अलंकार के उदाहरण संस्कृत
  4. Upma Alankar
  5. उपमा अलंकार (Upma Alankar ke Udaharan) की संपूर्ण जानकारी » Nolejtak.com
  6. Alankar अलंकार परिभाषा , भेद और उदाहरण
  7. उपमा अलंकार का 10 उदाहरण


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उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

इस लेख में उपमा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित समस्त जानकारी का विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे। इसमें टेबल के माध्यम से अलंकार को समझने में सरल बनाया गया है। इस लेख का अध्ययन कर आप विद्यालय,विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर सकते हैं। उपमा अलंकार की परिभाषा परिभाषा :- किसी विख्यात वस्तु की समानता के सादृश्य जब किसी वस्तु या प्राणी के रूप ,गुण, धर्म का वर्णन करते हैं तो वहां उपमा अलंकार होता है। यह सादृश्य मुल्क अर्थालंकार है। उपमा अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। अर्थालंकार में मुख्य रूप से छः अलंकारों को समाहित किया गया है जिसमें से उपमा अलंकार एक है। अलंकार का मुख्य गुण काव्य सौंदर्य वृद्धि करना तथा रोचकता उत्पन्न करना है। अर्थात अलंकार काव्य के सौंदर्य की वृद्धि करते हैं। इसके अनेकों उदाहरण और व्याख्या लेखकों ने अपने मतानुसार दिए हैं। उपमा अलंकार के भेद उपमा अलंकार के चार अंग माने गए हैं – 1 उपमेय 2 उपमान 3 साधारण धर्म 4 वाचक शब्द। 1 उपमेय – वह प्राणी या वस्तु जिसका ‘सादृश्य’ रूप से वर्णन किया जाता है। इसे ‘प्रस्तुत’ भी कहा जाता है। जैसे – उसका मुख चंद्रमा के समान है ‘मुख’ सादृश्य या प्रस्तुत है अतः यह उपमेय है। 2 उपमान – जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति के साथ उपमेय की समानता व्यक्त की जाती है उसे उपमान या ‘अप्रस्तुत’ भी कहा जाता है। जैसे – उसका मुख चंद्रमा के समान है ‘चंद्रमा’ अप्रस्तुत है अर्थात यह उपमान है। 3 साधारण धर्म – उपमेय तथा उपमान के बीच समानता गुण, धर्म आदि को मिलाता है उसे साधारण धर्म कहते हैं। जैसे – उसका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है ‘सुंदर’ शब्द साधारण धर्म है। 4 वाचक शब्द – जिन शब्दों से उपमेय तथा उपमान के बीच समानता प्रकट की ज...

पुनरुक्ति अलंकार : परिभाषा, पहचान और उदाहरण

पुनरुक्ति अलंकार का साधारण सा अर्थ है जहां बार-बार शब्दों की आवृत्ति हो। इस लेख में आप पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण का विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। यह विद्यार्थियों के कठिनाई के स्तर को पहचान करते हुए लिखा गया है। इस लेख का अध्ययन विद्यालय , विश्वविद्यालय तथा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किया जा सकता है। विशेषकर छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए हमने विद्यालय स्तर से प्रतियोगी परीक्षा तक के सफर को आसान बनाने का प्रयत्न किया है। Table of Contents • • • • पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा परिभाषा : पुनरुक्ति दो शब्दों के योग से बना है पुन्र+उक्ति , अतः वह उक्ति जो बार-बार प्रकट हो। जिस वाक्य में शब्दों की पुनरावृति होती है वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है। जिस काव्य में क्रमशः शब्दों की आवृत्ति एक समान होती है , किंतु अर्थ की भिन्नता नहीं होती वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है। (ध्यान दें यमक अलंकार में शब्दों के अर्थ भिन्न होते हैं , जबकि इस अलंकार के अंतर्गत अर्थ एक समान रहता है , केवल शब्दों की वृद्धि होती है) जैसे – मधुर वचन कहि-कहि परितोषीं। उपर्युक्त पंक्ति में कहि शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हुआ है इसके कारण काव्य में सुंदरी की वृद्धि हुई है अतः यहां पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार माना जाएगा। अलंकार के अन्य लेख पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण (punrukti alankar ke udaharan) • लिखन बैठि जाकी सबी , गहि-गहि गरब गरूर। • आदरु दै-दै बोलियत , बयासु बलि की बेर • झूम झूम मृदु गरज गरज घनघोर। • डाल-डाल अली-पिक के गायन का समां बंधा। • सूरज है जग का बुझा-बुझा • खड़-खड़ करताल बजा। • जी में उठती रह-रह हूक। • खा-खाकर कुछ पायेगा नहीं। • मीठा-मीठा रस टपकता। • थल-थल में बसता है शिव ...

उपमा अलंकार के उदाहरण संस्कृत

एकस्मिन् वाक्‍ये एव उपमानउपमेययो: वैधर्म्यरहितं सादृश्‍यम् उपमाअलंकार: कथ्‍यते । साम्‍यं वाच्‍यमवैधर्म्‍यं वाक्‍यैक्‍य उपमा द्वयो: उपमाया: चत्‍वारि अंगानि भवन्ति - 1. उपमेयम् - (उपमातुं योग्‍यम् उपमेयम्) - य: उपमाया: योग्‍यं भवेत् अथवा यस्‍य तुलना क्रियते । यथा - 'चन्‍द्र: इव मुखरम्‍यम्' वाक्‍ये मुखम् उपमेयमस्ति । 2. उपमानम् - (उपमीयते अनेनेति उपमानम्) यस्‍य उपमा दीयते । यथा - 'चन्‍द्र: इव मुखरम्‍यम्' वाक्‍ये चन्‍द्र: उपमानम् अस्ति । 3. साधारणधर्म: - (उपमाने उपमेये च संगतोधर्म: साधारणो धर्म:) - उपमानोपमेययो: य: धर्म: समानतां वहति स: साधारणधर्म: । यथा - 'चन्‍द्र: इव मुखरम्‍यम्' वाक्‍ये 'रम्‍यम्' साधारणधर्म: अस्ति । 4. उपमावाचक शब्‍द: - (वाचक सादृश्‍यार्थक इवादिशब्‍द:) - येन औपम्‍यं प्रकट्यते । यथा - 'चन्‍द्र: इव मुखरम्‍यम्' वाक्‍ये 'इव' शब्‍द: उपमां प्रकटयति । उपर्युक्तानुसारम् उपमाया: द्वौ भेदौ स्‍त: - 1. पूर्णोपमा - यस्‍याम् उपर्युक्‍तानि चत्‍वारि समग्रलक्षणानि भवन्ति सा पूर्णोपमा भवति । 2. लुप्‍तोपमा - य‍स्‍याम् उपर्युक्‍तेषु एकमपि लुप्‍तं भवति सा लुप्‍तोपमा इति कथ्‍यते । उदाहरणम् - मधुर: सुधावदधर: पल्‍लवतुल्‍योतिपेलव: पाणि: । चकितमृगलोचनाभ्‍यां सदृशी चपले च लोचने तस्‍या: ।। अत्र 'अधर, पाणि एवं च लोचनं' एतानि त्रीणि उपमेयानि, 'सुधा, पल्‍लवं, चकितमृगलोचनम्' एतानि त्रीणि उपमानानि, 'मधुर:, अतिपेलव:, चपल:' च एते त्रय: साधारणधर्म: एवं च 'वत्, तुल्‍य, सदृश' आदय: उपमावाचकशब्‍दा: सन्ति ।

Upma Alankar

Learn उपमा अलंकार ‘उप’ का अर्थ है–’समीप से’ और ‘मा’ का तौलना या देखना। ‘उपमा’ का अर्थ है–एक वस्तु दूसरी वस्तु को रखकर समानता दिखाना ! अतः; जब दो भिन्न वस्तुओं में समान धर्म के कारण समानता दिखाई जाती है, तब वहाँ उपमा साधारणतया, उपमा के चार अंग होते हैं’- (a) उपमेय : जिसकी उपमा दी जाय, अर्थात् जिसकी समता किसी दूसरे पदार्थ से दिखलाई जाय। जैसे- कर कमल-सा कोमल है। इस उदाहरण में ‘कर’ उपमेय है। (b) उपमान : जिससे उपमा दी जाय, अर्थात् उपमेय को जिसके समान बताया जाय। उक्त उदाहरण में ‘कमल’ उपमान है। (c) साधारण धर्म : ‘धर्म’ का अर्थ है ‘प्रकृति’ या ‘गुण’। उपमेय और उपमान में विद्यमान समान गुण को ही साधारण धर्म कहा जाता है। उक्त उदाहरण में ‘कमल’ और ‘कर’ दोनों के समान धर्म हैं–कोमलता। (d) वाचक : उपमेय और उपमान के बीच की समानता बताने के लिए जिन वाचक शब्दों का प्रयोग होता है, उन्हें ही वाचक कहा जाता है। उपर्युक्त उदाहरण में ‘सा’ वाचक है। नोट : जहाँ उपमा के चारों अंग उपस्थित हों वहाँ ‘पूर्णोपमा’ और जहाँ एक या एकाधिक अंग लुप्त हों वहाँ लुप्तोपमा होती है। पूर्णोपमा का उदाहरण : पीपर पात सरिस मन डोला। • यहाँ, मन – उपमेय • पीपर पात – उपमान • सरिस – वाचक • डोला – साधारण धर्म लुप्तोपमा का उदाहरण : यह देखिए, अरविन्द-से शिशु वृन्द कैसे सो रहे। • यहाँ शिशुवृन्द उपमेय • अरविन्द – उपमान • से – वाचक • समान धर्म – लुप्त है कुछ अन्य उदाहरण : • नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा। • मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ। • मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला। • तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा। • कोटि-कुलिस-सम वचन तुम्हारा। • सिंधु-सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह। • तारा-सी तरुनि तामें ठाढ़ी झिलमिल होति।...

उपमा अलंकार (Upma Alankar ke Udaharan) की संपूर्ण जानकारी » Nolejtak.com

upma alankar ke udaharan : अलंकार शब्द की रचना दो शब्दों के मेल से हुई है- ‘ अलं‘ तथा ‘ कार‘ । ‘ अल ‘ का अर्थ है- ‘ शोभा या सौंदर्य। कार ‘ शब्द ‘ कर ‘ से बना है , जिसका अर्थ है –‘ करनेवाला’ इस तरह अलंकार शब्द का अर्थ हुआ- ‘ शोभा करनेवाले ‘ । अर्थात वे उपादान जो हमारे वाक्य में ‘शोभा’ उत्पन्न कर देते हैं । भाषा में दो चीज़ें मुख्य होती हैं – हमारे वाक्य का क्या अर्थ है तथा उन वाक्यों को कहने की अभिवक्ति। अभिवक्ति को सही प्रकार से प्रदर्शित करने केलिए अलंकारों का इस्तेमाल किया जाता है अलंकार हमारे शब्दों को सुंदर भी बनाते है तथा सामने वाले के वाक्य का अर्थ और अभियक्ति दोनों प्रगट करते है, अलंकार को काव्य की आत्मा कहते है अलंकार शब्दों को मतलब देने में तथा उनको समझने में भी सहायता करते है • आज के लेख में हम उपमा अलंकार किसे कहते है, उपमा अलंकार की परिभाषा सहित Upma Alankar ke Udaharan के बारे में विस्तार में जानने की कोशिश करेंगे इस लेख में हम ने अलंकार क्या होता है उनके मुख्य रूप, प्रकार के बारे में भी उदहारण सहित जानकारी प्रदान करने की कोशिश की है यदि आप भी इस व्याकरण के इस भाग को विस्तार में जानना चाहते है तो इस लेख को शुरवात से अंत तक जरूर पढ़े अलंकार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है • शब्दालंकार • अर्थालंकार शब्दालंकार किसे कहते हैं शब्दालंकार काव्यों में कुछ विशेष शब्दों में चमत्कार उत्पन्न करते है अर्थात यह शब्दों के उद्देश्य तथा वह जिस विशेषता पर केन्द्रित है उसे प्रमुखता में दिखाने में सहायता करता है उदहारण से समझे यदि किसी शब्द विशेष के स्थान पर किसी समानार्थी शब्द का प्रयोग किया जाने से उस शब्द की शोभा अर्थात चमत्कार ख़त्म हो जाता है वर के इलावा तुम कोई भी वर मांग लो...

Alankar अलंकार परिभाषा , भेद और उदाहरण

Alankar अलंकार –अलंकार की परिभाषा ( Alankar ki Paribhasha ),अलंकार के भेद ( Alankar ke bhed ),अलंकार के उदाहरण ( Alankar ke udaharan ) अलंकार का अर्थ (Alankar ka arth) 🔹 हिंदी साहित्य कोश के अनुसार अलंकार शब्द दो शब्दों के योग से बना है – ‘ अलम् ‘और ‘ कार ‘ । ‘ अलम् ‘का अर्ध है भूषण तथा ‘ कार ‘ का अर्थ है करनेवाला अर्थात जो अलंकृत या भूषित करे , सजाए , सँवारे , वह अलंकार है । 🔹 जिस प्रकार आभूषण धारण करने से स्त्री के सौंदर्य में वृद्धि हो जाती है , उसी प्रकार काव्य में अलंकार का प्रयोग करने से उसकी सुंदरता में चमत्कार उत्पन्न हो जाता है । अलंकार किसे कहते हैं ( alankar kise kahate hain ) अलंकार की परिभाषा ( alankar ki paribhasha ) :- 🔹 काव्य के आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं । यह शब्द में भी हो सकता है और अर्थ में भी । 🔹 काव्य को जिन तत्वों से सजाया जाता है या अलंकृत किया जाता है , उन्हें अलंकार कहते हैं । 🔹 जिस प्रकार शरीर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए मनुष्य ने विभिन्न प्रकार के आभूषणों का प्रयोग किया , उसी प्रकार उसने भाषा को सुंदर बनाने के लिए कुछ तत्वों का प्रयोग किया , जिन्हें अलंकार कहते हैं । अलंकार के उदाहरण :- • तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए । • तीन बेर खाती थी , वह तीन बेर खाती है । • हाय ! फूल – सी कोमल बच्ची हुई राख की थी ढेरी । • हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग । लंका सिगरी जरि गई , गए निशाचर भाग । 🔹 उपर्युक्त सभी वाक्यों को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि अलंकारों के प्रयोग ने साधारण कथन में सौंदर्य व चमत्कार उत्पन्न कर दिया है । हमें यह बात सदा याद रखनी होगी कि जिस प्रकार अनावश्यक और अत्यधिक अलंकारों ( गहनों , आभूषणों के प्रयोग से किसी सु...

उपमा अलंकार का 10 उदाहरण

उपमा अलंकार क्या होता है :- उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। जैसे :- सागर -सा गंभीर ह्रदय हो , गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन। उपमा अलंकार के अंग :- उपमेय उपमान वाचक शब्द साधारण धर्म उदहारण पहचान हाय फूल सी कोमल बच्ची, हुई राख की ढेरी थी। बच्ची की कोमलता फूल के समान बताया है यह देखिये , अरविन्द – शिशु वृन्दकैसे सो रहे। शिशु को फूल के समान माना गया है। मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाला – सा हुआ बोधित। मुख के लाली को सूर्य के समाना बताया है नदियां जिनकी यशधारा सी बहतीहै अब निशि -वासर नदी के धारा को यश बहाने वाला बताया है पीपर पात सरिस मनडोला पीपल के पत्तों के समान मन के डोलने का वर्णन उतर रही है संध्या सुंदरी परी सी संध्या को परी के रूप में चित्रित किया है उपमा अलंकार के उदाहरण – Upma alankar ke udahran – उदहारण पहचान संकेत मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला टीले की तुलना हाथी से की गई है। तब बहता समय शिला साजम जायेगा समय को पत्थर सा जमने के लिए कहा गया है सहसबाहु समरिपु मोरा। शत्रु को सहत्रबाहु के सामान माना है चाँद की सी उजली जाली चांद के समान ऊजली बताया गया है वह दीपशिखा सी शांत भाव में लीन दीप से उठने वाली ज्वाला के समान शांत बताया है कमल सा कोमल गात सुहाना गाल के कोमलता की तुलना कमल पुष्प से की है कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा। एही सम विजय उपजा न दूजा दिवस का समय ,मेघ आसमान से उतर रही है , वह संध्या सुंदरी सी ,धीरे धीरे। संध्या के समय के दृश्य को परी के समान कहा है सिंधु सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह निर्वाचित होने के उत्साह को सिंधु नदी के समान विस्तृत बताया है असंख्य कीर्त...