उष्ट्रासन

  1. उष्ट्रासन (Camel Pose): लाभ विधि और सावधानी
  2. Yoga Mantra: योगासनांनी मिळेल ग्लोइंग स्किन, रोज करा 'ही' आसनं
  3. उष्ट्रासन के लाभ
  4. उष्ट्रासन ❤️ स्वामी योगा
  5. Ushtrasana, Ushtra
  6. जानिए, उष्ट्रासन (Ustrasana) करने का सही तरीका और इसके फायदे
  7. ऊष्ट्रासन


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Ushtrasana

Starting Position: Vajrasana Concentration: on the extension of the spine and the hips Breath: coordinated with movement, normal breathing in the position Repetitions: practice each variation once Practice: Sit in Vajrasana. The back is straight and the hands rest on the knees. Variation A: >Inhaling straighten the arms to the front and come up onto the knees. >Exhaling bend backwards, hold the left heel with the left hand and straighten the right arm upwards. Look towards the right hand. Ensure the hips remain straight. >Breathing normally remain in this position as long as you feel comfortable. >Inhaling come back up onto the knees with arms to the front. >Exhaling return to the starting position. Repeat the exercise on the other side. Variation B: >Inhaling straighten the arms to the front and come up onto the knees. >Exhaling bend backwards, hold the right heel with the left hand and straighten the right arm upwards. Look towards the right hand. >Breathing normally remain in this position as long as you feel comfortable. >Inhaling come back up onto the knees with arms to the front. >Exhaling return to the starting position. Repeat the exercise on the other side. Variation C: >In this variation the legs are slightly further apart. >Inhaling straighten the arms to the front and come up onto the knees. >Exhaling bend backwards and hold the heels with the hands. The arms are straight. Allow the head to hang back. >Breathing normally remain in this position as long as you f...

उष्ट्रासन (Camel Pose): लाभ विधि और सावधानी

Contents • 1 उष्ट्रासन करने की विधि (How to Do Ustrasana) • 2 उष्ट्रासन करने के फायदें (Benefits of Camel Pose) • 3 अर्ध-उष्ट्रासन करने की विधि (How to Do Ardha Ustrasana) • 4 उष्ट्रासन के दौरान सावधानी (Ustrasana / Camel Pose Precautions) उष्ट्रासन करने की विधि (How to Do Ustrasana) Step 1: इस आसन के लिए Step 2: इसके बाद घुटने के बल खड़े होकर श्वास अंदर लेते हुए कमर, छाती व सिर पीछे की ओर झुकाएँ। ध्यान रहे पीछे झुकते समय जंघा सीधी रखें। Step 3: दोनों हाथों से पैरों के टखनों को पकड़े और इस अवस्था मे सांस रोककर यथाशक्ति (5-15 सेकिंड) रुकने का प्रयास करें। फिर श्वास छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में आएँ। विशेष: जोर से या झटके से इस आसन को न करें। यथाशक्ति रुकने के पश्चात् हाथों को छोड़कर गरदन, कमर और पीठ सीधा करेंगे। और पढ़ें: उष्ट्रासन करने के फायदें (Benefits of Camel Pose) उष्ट्रासन गर्दन छाती, लंग्स, रीढ़, पेट, लिवर, किडनी, ब्लेडर, आंत और घुटने को एक साथ प्रभावित करत है, जिससे इनका निरोगीपन बना रहता है। • यह आसन से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती हैं। पेट और नितंबों की फालतू चर्बी दूर होती है। • उष्ट्रासन को रोजाना करने से भोजन पचाने की क्रिया तेज़ होती है, गैस • गले संबंधी रोगों में भी यह आसन लाभदायक है। • इस आसन को करने से मधुमेह रोग में भी बहुत लाभ होता है। और पढ़ें: अर्ध-उष्ट्रासन करने की विधि (How to Do Ardha Ustrasana) यह उष्ट्रासन की अर्ध प्रक्रिया है इसलिए इसका नाम ‘अर्ध उष्ट्रासन‘ पड़ा। इसे अंग्रेज़ी में Half Camel Pose कहते हैं। Step 1: एक स्थान पर Step 2: अब हाथों को कमर के पीछे कूल्हों पर रखते हुए हाथों की अँगुलियों को नीचे की तरफ रखकर घुटनों के बल खड़े हो जाएँ। Step 3: श्वाँस ...

Yoga Mantra: योगासनांनी मिळेल ग्लोइंग स्किन, रोज करा 'ही' आसनं

Yoga Asanas for Glowing Skin: सुंदर चमकणारी त्वचा हे प्रत्येकाचे स्वप्न असते. हे स्वप्न पूर्ण करण्यासाठी लोक बाजारात उपलब्ध अनेक ब्युटी प्रोडक्ट्स आणि ट्रीटमेंट्स वापरतात. त्यामुळे अनेक वेळा चेहऱ्यावर दुष्परिणामही दिसून येतात. तुमच्यासोबतही असेच काही घडले असेल तर चेहऱ्यावर नैसर्गिक चमक आणण्यासाठी ब्युटी प्रोडक्ट्स सोडा आणि या योगासनांची मदत घ्या. या योगासनांमुळे तुमचे शरीर आतून आणि बाहेरून तंदुरुस्त आणि आकर्षक तर होईलच, पण तुमच्या चेहऱ्यावर गुलाबी चमकही येईल.

उष्ट्रासन के लाभ

उष्ट्रासन या कैमल पोज़ व्यायाम घुटनों के बल झुकने वाला योगासन है। यह नाम संस्कृत शब्दों से लिए गए है। उष्ट्र जिसका अर्थ "ऊंट" और आसन जिसका का अर्थ योग मुद्रा से है। उष्ट्रासन को शरीर को मजबूत बनाने, शरीर में लचीलापन और पाचन में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह आसन छाती, पेट और जांघों सहित कई अंगों को उत्तेजित और टोन करता है। उष्ट्रासन के फायदे | Ustrasana ke fayde उष्ट्रासन के कई फायदे है जिसे में शारीरिक फिटनेस से ले कर, मन की शांति और उपचार शामिल है। • प्रतिदिन अभ्यास करने से जांघों पर वसा कम होता है। • इसे करने से आंतरिक अंगों की मालिश होती है, जिस से पाचन में सुधार होता है। • कंधों और पीठ को स्ट्रेच करता है। खासकर रीढ़ में, लचीलेपन में सुधार होता है। • पीठ के निचले हिस्से में दर्द से राहत दिलाता है। • चक्रों को ठीक करने और संतुलित करने में मदद करता है। • जांघों और भुजाओं को मजबूत बनाता है। • इसे करने से पूरे शरीर में फेफड़ों की क्षमता और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। उष्ट्रासन करने की विधि | Ustrasana karne ki vidhi credit :https://www.freepik.com/free-photo/young-woman-ustrasana-pose-grey-studio-background_1281542.htm • फर्श या योगा मैट पर घुटने के बल बैठकर ही उष्ट्रासन शुरू करें। यदि आपके घुटने संवेदनशील हैं, तो अतिरिक्त गद्दी पर घुटने रखें। • पैरों के तलवों को ऊपर की ओर, उंगलियों को फर्श से छूना चाहिए। • घुटने के बीच में कुछ दुरी रखे। • गहरी साँस लें और दाहिने हाथ को ऊपर की ओर ले जाते हुए दाहिने पांव को पकड़े और यह पक्रिया बाएं हाथ के साथ भी करे। • आसन में रहते हुए साँस साधारण तरह से लेते रहे। • साँस छोड़ते हुए घुटनो पर वापिस आये। • ध्यान दें मांसपेशियों में दर्द...

उष्ट्रासन ❤️ स्वामी योगा

उष्ट्रासन की अंतिम अवस्था में पहुंचने के बाद हमारे शरीर की आकृति कुछ-कुछ ऊंट के समान प्रतीत होती है, इसी कारण इसे उष्ट्रासन कहते हैं। यह आसन वज्रासन में बैठकर किया जाता है। उष्ट्रासन शरीर के अलगे भाग को लचीला और मजबूत बनाता है। इस आसन से छाती फैलती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है। मेरुदंड एवं पीठ को मजबूत और सुदृड़ बनाने के लिए भी इस आसन का अभ्यास किया जाता है। गले संबंधी रोग में भी यह आसन लाभदायक है। उदर संबंधी रोग, जैसे कांस्टीपेशन, इनडाइजेशन, एसिडिटी रोग निवारण में इस आसन से सहायता मिलती है। गले संबंधी रोगों में भी यह आसन लाभदायक है। उष्ट्रासन करने की विधि : वज्रासन में बैठ जाएँ ( टाँगें मोड़कर एड़ियों के ऊपर बैठा जाता है) अब घुटनों के बल खड़े हो जाएँगे, दोनों घुटनों में फासला रखें, अब दोनों हाथों को कंधों के उपर उठायें पीछे की तरफ ले जाएँ,पीछे की तरफ झुकते हुए दोनों हाथों को पेरों के तलवों पर रखें, सीना ,गर्दन ,सिर पीछे की तरफ मुड़ा हुआ होना चाहिए, अब कुछ देर इसी स्थिति में रहें, अब साँस लेते हुए वापिस आ जायें, साँस छोड़ते हुए वज्रासन में बैठ जाएँगे। उष्ट्रासन करने की सावधानी : • घुटनों में दर्द में यह आसन न करें। • जोर से या झटके से इस आसन को न करें। • पीछे झुकते समय जंघा सीधी रखें। • अंतिम स्थिति में गर्दन से लेकर घुटने तक का भाग सीधा रहेगा। • वापस आते समय झटका देकर न आएं। • जिन लोगों को हर्निया की शिकायत हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। उष्ट्रासन करने की लाभ : • इस आसन से पाचन क्रिया ठीक रहती है । • जांघों की मासपेशियों में रक्त संचार ठीक करता है । • महिलाओं के रोगों में लाभप्रद है। • मेरुदण्ड लचीली बनती है। शुगर नियंत्रित रहती है। • नाभि ठीक जगह पर ...

Ushtrasana, Ushtra

[ Yoga glossary Uṣṭrāsana (उष्ट्रासन, “camel posture”) is a Sanskrit word referring to a type of posture ( āsana) used in Yoga. It is composed of the words uṣṭra (camel) and āsana (posture) archive.org: Yoga Tradition of the Mysore Palace Uṣṭrāsana (उष्ट्रासन) is a type of āsana), according to verse 54 of the uṣṭrāsana, the camel”. The 19th-century Śrītattvanidhi is a sanskrit treatise describing 80 primary āsanas, or ‘posture’ (e.g., uṣṭra-āsana) and several additional ones. This name is found in Iyengar but a different āsana is given under thename. The form of this āsana is not found. archive.org: Gheranda Samhita Uṣṭrāsana (उष्ट्रासन) is one of the thirty-two āsanas (postures) taught in the second chapter of the Gheraṇḍasaṃhitā: “Lie prone with the legs upturned and crossed. Holding the crossed legs with hands, contract forcibly the abdomem and the mouth. This is called Uṣṭrāsana by the sages”. Uṣṭrāsana is one of the selected 32 postures amongs 8,400,000 total mentioned by Śiva, according to Gheraṇḍasaṃhitā 2.1-2, “In all, there are as many Āsanas as species of animals. Eighty-four lacs of them are mentioned by Śiva. Out of them, 84 are regarded as important and among these 84, again 32 are good (enough) in this world of mortal beings”. The 17th-century Gheraṇḍasaṃhitā (mentioning uṣṭra-āsana) is one of the three classic texts of gheraṇḍa-saṃhitā is an encyclopedic Sanskrit treatise describing thirty two such āsanas. context information Yoga is originally considered a ...

जानिए, उष्ट्रासन (Ustrasana) करने का सही तरीका और इसके फायदे

उष्ट्रासन (Ustrasana) या कैमल मुद्रा एक आसन है। उष्ट्रासन शब्द संस्कृत से लिया गया है। यह आसन, जिसे लोकप्रिय रूप से कैमल पोज कहा जाता है। यह शरीर के मध्य भाग को पीछे की तरफ झुकाकर किया जाता है। उस्ट्र का अर्थ है संस्कृत में ऊंट, और यह मुद्रा ऊंट के समान दिखाई देता है। यह हृदय चक्र को खोलने, शक्ति और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह आसन एक बहुत बढ़िया बैक बेंड मुद्रा है। अन्य योग आसनों के साथ सुबह इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए। अगर आप सुबह कसरत के लिए समय निश्चित नहीं कर पाते हैं, तो शाम को योग दिनचर्या भी आपके लिए बेहतर तरीके से काम करेगी। इस आसन का अभ्यास तब करना चाहिए जब आपका पेट और आंत खाली हो। तय करें कि आपने अपने अभ्यास से कम से कम चार से छह घंटे पहले अपना भोजन किया हो। वैसे योग का अभ्यास सामान्य रूप से हम जो सोचते हैं, उससे परे है। दरअसल योग को पूरी तरह से समझ पाना इतना आसान नहीं है। योग मात्र केवल शारीरिक विशेषता के बारे में नहीं है, यह आपके मन, आत्मा और भावनाओं को भी ध्यान में रखता है और इसके बेहतरी पर काम करता है। अपने सभी प्रमुख पहलुओं के साथ, योग का अभ्यास आपके जीवन को बेहतर बनाता है। आपको इसको समझने के लिए आपको इससे जुड़ना होगा। तभी इससे होने वाले तमाम प्रकार के लाभ को और परिभाषा को आप समझ पाएंगे। उष्ट्रासन (Ustrasana) मुद्रा की शुरुआत करने वालों के लिए टिप्स जो लोग उष्ट्रासन करने की शुरूआत करने जा रहे हैं, उनके लिए कुछ फायदेमंद टिप्स है, जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है। जब आप यह करना शुरू कर रहे हैं, तो आपके पैरों के लिए अपने हाथों से पहुंचना मुश्किल हो सकता है, बिना आपकी पीठ या [mc4wp_form id=”183492″] और पढ़ें : उष्ट्रासन (Ustrasana) करने का स्टेप फॉ...

ऊष्ट्रासन

इस आसन की अंतिम अवस्था में पहुँचने के बाद हमारे शरीर की आकृति कुछ-कुछ ऊँट के समान प्रतीत होती है, इसी कारण इसे उष्ट्रासन कहते हैं। सावधानी [ ] जोर से या झटके से इस आसन को न करें। पीछे झुकते समय जंघा सीधी रखें। अंतिम स्थिति में गर्दन से लेकर घुटने तक का भाग सीधा रहेगा। वापस आते समय झटका देकर न आएँ। जिन लोगों को हर्निया की शिकायत हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। लाभ [ ] इस आसन से घुटने, ब्लडर, किडनी, छोटी आँत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे क‍ि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है। श्वास, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कुहनियों और मेरुदंड संबंधी रोग में लाभ मिलता है। उदर संबंधी रोग, जैसे कॉस्ट्रयूपेशन, इनडाइजेशन, एसिडिटी रोग निवारण में इस आसन से सहायता मिलती है। गले संबंधी रोगों में भी यह आसन लाभदायक है।