उत्तरकांड चौपाई अर्थ सहित

  1. सुन्दरकाण्ड अर्थ सहित
  2. रामायण चौपाई
  3. Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड दोहे
  4. रामायण की 99+ प्रसिध्द चौपाई और अर्थ
  5. रामचरितमानस रामायण चौपाई अर्थ सहित सम्पूर्ण, RamCharitManas Full in Hindi
  6. Uttar Kand रामचरितमानस उत्तरकाण्ड चौपाईयां व्याख्या


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सुन्दरकाण्ड अर्थ सहित

इस पोस्ट से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण बात इस लेख में सुंदरकांड की सभी चौपाइयां अर्थ सहित दी गयी हैं। सुंदरकांड सिर्फ हिन्दी में सम्पूर्ण सुंदरकांड सिर्फ हिंदी में पढ़ने के लिए, अर्थात सभी चौपाइयां हाईड (hide) करने के लिए क्लिक करें – सिर्फ हिंदी में (Hide Chaupai) चौपाइयां अर्थ सहित सुंदरकांड की सभी चौपाइयां अर्थ सहित पढ़ने के लिए (यानी की सभी चौपाइयां unhide या show करने के लिए) क्लिक करें– सभी चौपाइयां देखें (Show Chaupai) साथ ही साथ हर चौपाई के स्थान पर एक छोटा सा arrow है, जिसे क्लिक करने पर, वह चौपाई दिखाई देगी। और सभी चौपाइयां हाईड और शो (दिखाने) के लिए भी लिंक दी गयी है। विभीषण की भगवान् रामसे प्रार्थना चौपाई सुनु लंकेस सकल गुन तोरें। तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें॥ राम बचन सुनि बानर जूथा। सकल कहहिं जय कृपा बरूथा॥ हे लंकेश (लंकापति)! सुनो, आपमें सब गुण है और इसीसे आप मुझको अत्यंत ही प्रिय हो॥ रामचन्द्रजीके ये वचन सुनकर तमाम वानरोंके झुंड कहने लगे कि हे कृपाके पुंज! आपकी जय हो, कृपा के समूह, श्री राम जी की जय हो ॥ सुनहु देव सचराचर स्वामी। प्रनतपाल उर अंतरजामी॥ उर कछु प्रथम बासना रही। प्रभु पद प्रीति सरित सो बही॥ विभीषणजी ने कहा – हे देव! चराचरसहित संसारके स्वामी (चराचर जगतके स्वामी)! हे शरणागतोंके पालक (शरणागत के रक्षक)! हे हृदयके अंतर्यामी (सबके हृदय के भीतर की जानने वाले)! सुनिए॥ पहले मेरे जो कुछ वासना थी वह भी आपके चरणकमलकी प्रीतिरूप नदीसे बह गई॥ रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड। जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेउ राजु अखंड ॥49(क)॥ जो संपति सिव रावनहि दीन्हि दिएँ दस माथ। सोइ संपदा बिभीषनहि सकुचि दीन्हि रघुनाथ ॥49(ख)॥ रावणका क्रोध तो अग्निके समान है और उसका श्वास प्रचंड पवनक...

रामायण चौपाई

जाने रामचरितमानस चौपाई के बारे में: रामायण का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. रामायण की किताब लगभग हर हिंदू घर में मिलती है. रामायण में हर एक किरदारों का अपना एक अलग महत्व है. रामायण के बारे में ज़्यादातर लोगों को टीवी, सीरियल या राम-लीला देखकर ही जानकारी मिली है. बहुत लोग किताब पढ़कर भी रामायण में निपुण हुए हैं. तुलसीदास महाराज ने रामायण लिखकर मनुष्य का जीवन सफल कर दिया है. रामचरितमानस अवधी भाषा में तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है. रामायण में आपको रामायण चौपाई को यदि मनुष्य पढ़ ले और उसका अर्थ समझ ले तो जान लीजिये उसका जीवन सफल है. इन चौपाइयों का विधिपूर्वक जाप करने पर जीवन की विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इसलिए आज हम आपके लिए रामचरितमानस की कुछ मुख्य चौपाइयां लेकर आये हैं. तो ये रहीं कुछ प्रसिद्ध रामायण चौपाई. रामायण चौपाई अर्थ सहित परीक्षा में सफलता के लिए रामायण चौपाई जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी। कवि उर अजिर नचावहिं बानी।। मोरि सुधारहिं सो सब भांती। जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई जिमि सरिता सागर मंहु जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।। तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं। धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।। रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के लिये रामायण चौपाई साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।। प्रेम वृद्धि के लिए रामायण चौपाई सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीती।। धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिंII सुख प्राप्ति के लिए रामायण चौपाई सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई। लहहि भगति गति संपति नई।। विद्या प्राप्ति के लिए रामचरितमानस चौपाई गुरु ग्...

Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड दोहे

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड दोहे – भाग 3 Uttar Kand Dohe Vyakhya in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! जैसाकि हम तुलसीदास गोस्वामी रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” का अध्ययन कर रहे है। आज हम उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों एवं चौपाइयों को समझाने का प्रयास कर रहे है तो चलिये शुरू करते है : आप गोस्वामी तुलसीदास कृत “श्री रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड” का विस्तृत अध्ययन करने के लिए नीचे दी गयी पुस्तकों को खरीद सकते है। ये आपके लिए उपयोगी पुस्तके है। तो अभी Shop Now कीजिये : Uttar Kand in Hindi रामचरितमानस उत्तरकांड व्याख्या Ramcharitmanas Uttar Kand in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों की विस्तृत व्याख्या एवं भावार्थ निम्नप्रकार से है : छंद : Uttar Kand Dohe Arth in Hindi निज दास ज्यों रघुबंसभूषन कबहुँ मम सुमिरन कर्‌यो। सुनि भरत बचन बिनीत अति कपि पुलकि तन चरनन्हि पर्‌यो।। रघुबीर निज मुख जासु गुन गन कहत अग जग नाथ जो। काहे न होइ बिनीत परम पुनीत सदगुन सिंधु सो।। व्याख्या : भरत जी हनुमान जी से पूछते हैं कि रघुकुल के भूषण श्री राम जी क्या कभी अपने दास की भांति मेरा स्मरण करते रहे हैं ? दोस्तों ! भरत जी के अत्यंत नम्र वचन सुनकर हनुमान जी पुलकित शरीर होकर उनके चरणों पर गिर पड़े। हनुमान जी ने सोचा कि जो चर और अचर जगत के स्वामी हैं, वे रामचंद्र जी अपने मुख से, जिनके गुणों का वर्णन करते हैं, वे भरत ऐसे विनम्र, परम पवित्र और सद्गुणों के समुद्र क्यों ना हो। दोहा : Uttar Kand Dohe Vyakhya Meaning in Hindi राम प्रान प्रिय नाथ तुम्ह सत्य बचन मम तात। पुनि पुनि मिलत भरत सुनि हरष न हृदयँ समात।।2 क।। व्याख्या : हनुमान जी ने कहा ...

रामायण की 99+ प्रसिध्द चौपाई और अर्थ

रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई॥ रामायण चौपाई हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥ ramayan chaupai श्री गुर पद नख मनि गन जोती। सुमिरत दिब्य दृष्टि हियँ होती॥ दलन मोह तम सो सप्रकासू। बड़े भाग उर आवइ जासू॥ रामायण चौपाई Ramayan Chaupai मृदुल मनोहर सुंदर गाता। सहत दुसह बन आतप बाता॥ की तुम्ह तीनि देव महँ कोऊ। नर नारायन की तुम्ह दोऊ॥ रामायण चौपाई आस्था लेख संग्रह मन क्रम बचन सो जतन बिचारेहु। रामचंद्र कर काजु सँवारेहु॥ भानु पीठि सेइअ उर आगी। स्वामिहि सर्ब भाव छल त्यागी॥ ramayan chaupai रामायण की चौपाई और अर्थ – Ramayan ki Chaupai हो, जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥ भावार्थ:- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।॥ बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥ अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥ रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का भावार्थ:- मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि (सुंदर स्वाद), सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है। वह अमर मूल (संजीवनी जड़ी) का सुंदर चूर्ण है, जो सम्पूर्ण भव रोगों के परिवार को नाश करने वाला है॥ Ramayan Chaupai गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन। नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥ तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन। बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥ भावार्थ:- श्री गुरु महाराज के चरणों की रज कोमल और सुंदर नयनामृत अंजन है, जो नेत्रों के दोषों का नाश करने वाला है। उस अंजन से विवेक रूपी नेत्रों को निर्मल करके मैं संसाररूपी बंधन से छुड़ाने वाले श्री रामचरित्र का वर्णन करता हूँ॥ सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी॥ सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं त...

रामचरितमानस रामायण चौपाई अर्थ सहित सम्पूर्ण, RamCharitManas Full in Hindi

॥गोस्वामीतुलसीदासजीकृतश्रीरामचरितमानससम्पूर्ण॥ श्रीरामचरितमानसकाभक्तिधारामेंअद्वितीयएवंसर्वोच्चस्थानहै।वेबसाइट RamCharit.in परआपको (रामचरितमानसगीताप्रेसगोरखपुरकोमानकमानकर) सर्वाधिकशुद्धएवंत्रुटिहीनसंस्करणदेनेकाप्रयासकियागयाहै।यहाँआपकोमूलपाठ, अर्थसहितपाठ, नवाह्नपारायण, मासपारायणएवंकथारूपमेंश्रीरामचरितमानसपढ़नेकीसुविधादीगईहैजिसेआपअपनीसुविधासेप्रयोगकरसकतेहैं। RamCharit.in परआपकेआध्यात्मिकभावकोमहत्त्वदेकरकार्यकियागयाहै। पाठकेपूर्वअवश्यपढ़ें: श्रीरामचरितमानसपारायणविधिकैसेकरें | अखंडरामायणपूजनविधि ॥रामचरितमानसबालका ण्डचौपाईयां पाठ | Bal Kand in Hindi ॥ ॥रामचरितमानसबालकाण्डअर्थसहित | Bal Kand with Hindi Meaning ॥ ॥ श्रीरामचरितमानसअयोध्याकाण्डचौपाईयांपाठ | Ayodhya Kand in Hindi ॥ ॥ रामचरितमानसअयोध्याकाण्डअर्थसहित | Ayodhya Kand with Hindi Meaning ॥ ॥रामचरितमानसअरण्यकाण्डचौपाईयांपाठ | Aranya Kand Chaupai in Hindi॥ ॥रामचरितमानसकिष्किन्धाकाण्डचौपाईयांपाठ | Kishkindha Kand in Hindi॥ ॥रामचरितमानससुंदरकाण्डचौपाईयांपाठ | SundarKand in Hindi ॥ ॥रामचरितमानसलंकाकाण्डअर्थसहित | Lanka Kandwith Hindi Meaning॥ ॥रामचरितमानसउत्तरकाण्डचौपाईयांपाठ | UttarKand in Hindi॥ ॥रामचरितमानसउत्तरकाण्डअर्थसहित | Uttar Kandwith Hindi Meaning॥ ॥आरतीश्रीरामायणजीकी॥ ॥श्रीहनुमानचालीसाअर्थसहित॥ RamCharitManas in Hindi, tulsidas ramcharitmanas, रामचरितमानसअर्थसहित Ram Charit Manas

Uttar Kand रामचरितमानस उत्तरकाण्ड चौपाईयां व्याख्या

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Uttar Kand रामचरितमानस उत्तरकाण्ड चौपाईयां व्याख्या – भाग 14 Ramcharitmanas Uttar Kand Chaupai Path in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज के लेख में हम तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस के “उत्तरकाण्ड” के अगले दोहों और चौपाईयों की विस्तृत व्याख्या पढ़ने वाले है। तो चलिये समझते है : आप गोस्वामी तुलसीदास कृत “श्री रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड” का विस्तृत अध्ययन करने के लिए नीचे दी गयी पुस्तकों को खरीद सकते है। ये आपके लिए उपयोगी पुस्तके है। तो अभी Shop Now कीजिये : Uttar Kand रामचरितमानस उत्तरकांड दोहे एवं चौपाईयां Tulsidas Krit Ramcharitmanas Uttar Kand Chopaiyan Part 14 in Hindi : दोस्तों ! उत्तरकाण्ड के आगामी दोहों एवं चौपाइयों की विस्तृत व्याख्या इस तरह से समझिये : वानरों और निषाद की विदाई दोहा : Tulsidas Rachit Uttar Kand Dohe Path in Hindi अंगद बचन बिनीत सुनि रघुपति करुना सींव। प्रभु उठाइ उर लायउ सजल नयन राजीव।।18 क।। व्याख्या : अंगद के नम्र वचन सुनकर करुणा की सीमा प्रभु श्रीरामचंद्र जी ने उन्हें उठाकर छाती से लगा लिया। श्रीराम जी के कमल के समान नेत्रों में जल भर आया। दोहा : Tulsidas Rachit Uttar Kand Chopai Path in Hindi निज उर माल बसन मनि बालितनय पहिराइ। बिदा कीन्हि भगवान तब बहु प्रकार समुझाइ।।18 ख।। व्याख्या : तब भगवान ने अपने गले की माला, वस्त्र और मणि बाली पुत्र अंगद को पहनाकर बहुत प्रकार से समझा-बुझाकर उनकी विदाई की। चौपाई : Uttar Kand Vanro Aur Nishad Ki Vidai Chaupai Path in Hindi भरत अनुज सौमित्रि समेता। पठवन चले भगत कृत चेता।। अंगद हृदयँ प्रेम नहिं थोरा। फिरि फिरि चितव राम कीं ओरा...