वाहे गुरु दा खालसा वाहेगुरु दी फतेह का अर्थ

  1. Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh
  2. Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh
  3. अरदास
  4. गुरु गोबिंद सिंह जी
  5. Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh
  6. अरदास
  7. गुरु गोबिंद सिंह जी
  8. Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh
  9. Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh
  10. Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh


Download: वाहे गुरु दा खालसा वाहेगुरु दी फतेह का अर्थ
Size: 46.38 MB

Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh

जुटे सिख श्रद्धालुओं ने गुरु नानक देव के 551वें प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में मत्था टेका। सोमवार को गुरुद्वारा में विशेष प्रार्थना सभा हुई। गुरुद्वारा सुबह से ही सिख श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहा। कोई सेवा में तल्लीन दिखा तो कोई अरदास में रमा रहा। दरभंगा के कई से आए सिख श्रद्धालुओं की मंडली सबद कीर्तन में मग्न रही। गुरुद्वारा के ग्रंथी सुंदर सिंह ने बताया कि 28 नवंबर से आरंभ हुए अखंड पाठ साहिब का समापन सोमवार को हुआ। सुंबह 8:00 बजे शलोक महला, 8:45 बजे विशेष कीर्तन व दीवान ,11:30 बजे तक लंगर का आयोजन हुआ। बारी बारी से भक्तों की ओर से भी गुरु नानक देव को नमन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सरदार मुनेश्वर सिंह अध्यक्ष, गुरमीत सिंह सचिव, सुंदर सिंह ज्ञानी जी, इकबाल कौर, बलजीत कौर, गोपाल सिंह, अमरजीत सिंह राजू सहित कई लोग सक्रिय रहे।

Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh

सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व सोमवार को कोयलांचल भुरकुंडा में विधि-विधान से मनाया गया। कोरोना के मद्देनजर जारी सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए सिख धर्मावलंबियों ने पर्व की खुशियां साझा की। भुरकुंडा, रिवर साइड और सेंट्रल सौंदा स्थित गुरुसिंह सभा गुरुद्वारे में धार्मिक दीवान सजाए गया था। इससे पूर्व यहां निशान साहेब की सेवा हुई। इस दौरान महिला श्रद्धालुओं ने शबद-कीर्तन से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ था। गुरु पर्व के अवसर पर एक ओर जहां भुरकुंडा गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन हुआ। वहीं रिवर साइड गुरुद्वारे का मुख्य आकर्षण विद्युत सज्जा थी। यहां श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण हुआ। मौके पर प्रधान भूपेंद्र उर्फ जिबू सिंह सैनी ने कहा कि पूरे आयोजन में सरकारी गाइड लाइन का अक्षरश: पालन किया गया है। इसे सफल बनाने में अवतार सिंह, गुरुदीप सिंह, निर्मल सिंह सैनी, प्रवीण शर्मा, हरविंदर सिंह सैनी, गुरमित सिंह, हरविंदर सिंह, बिकर सिंह, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह धामी और भुरकुंडा गुरुद्वारे में आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान रिंकू सिंह, जगतार सिंह, परमजीतउर्फ गोल्डी सिंह, नरेंद्र सिंह रेखी, अमर सिंह, शालू सिंह, निशान सिंह, डब्लू सिंह, जसपाल सिंह, भजन सिंह, गुरुशरण कौर, बीबी जोगिंद्र कौर, परमजीत कौर, राज कौर, राजरानी कौर, संजीता कौर आदि ने योगदान दिया।

अरदास

अरदास का सामान्य अर्थ परमशक्ति के आगे विनती करने से है। सिख धर्म की प्रथाओं (रहत मर्यादा) में अरदास का एक मानक रूप है, जो कि गुरुद्वारों में प्रतिदिन की जाती है। अरदास का यह मानक रूप इस प्रकार है - पंजाबी में पाठ हिंदी पाठ अनुवाद ਸ੍ਰੀ ਭਗੌਤੀ ਜੀ ਸਹਾਇ॥ ਵਾਰ ਸ੍ਰੀ ਭਗੌਤੀ ਜੀ ਕੀ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ 10॥ ਪ੍ਰਿਥਮ ਭਗੌਤੀ ਸਿਮਰਿ ਕੈ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਲਈਂ ਧਿਆਇ॥ ਫਿਰ ਅੰਗਦ ਗੁਰ ਤੇ ਅਮਰਦਾਸੁ ਰਾਮਦਾਸੈ ਹੋਈਂ ਸਹਾਇ॥ ਅਰਜਨ ਹਰਗੋਬਿੰਦ ਨੋ ਸਿਮਰੌ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਰਾਇ॥ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਧਿਆਇਐ ਜਿਸ ਡਿਠੈ ਸਭਿ ਦੁਖ ਜਾਇ॥ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਿਮਰਿਐ ਘਰ ਨਉ ਨਿਧਿ ਆਵੈ ਧਾਇ॥ ਸਭ ਥਾਂਈ ਹੋਇ ਸਹਾਇ॥ ਦਸਵਾਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ ਜੀ! ਸਭ ਥਾਂਈ ਹੋਇ ਸਹਾਇ॥ ਦਸਾਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀਆਂ ਦੀ ਜੋਤ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਪਾਠ ਦੀਦਾਰ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪੰਜਾਂ ਪਿਆਰਿਆਂ,ਚੌਹਾਂ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ, ਚਾਲ੍ਹੀਆਂ ਮੁਕਤਿਆਂ, ਹਠੀਆਂ ਜਪੀਆਂ, ਤਪੀਆਂ, ਜਿਹਨਾਂ ਨਾਮ ਜਪਿਆ, ਵੰਡ ਛਕਿਆ, ਦੇਗ ਚਲਾਈ, ਤੇਗ ਵਾਹੀ, ਦੇਖ ਕੇ ਅਣਡਿੱਠ ਕੀਤਾ, ਤਿਨ੍ਹਾਂ ਪਿਆਰਿਆਂ, ਸਚਿਆਰਿਆਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ, ਖਾਲਸਾ ਜੀ! ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸਿੰਘਾਂ ਸਿੰਘਣੀਆਂ ਨੇ ਧਰਮ ਹੇਤ ਸੀਸ ਦਿੱਤੇ, ਬੰਦ ਬੰਦ ਕਟਾਏ, ਖੋਪਰੀਆਂ ਲੁਹਾਈਆਂ, ਚਰਖੀਆਂ ਤੇ ਚੜੇ, ਆਰਿਆਂ ਨਾਲ ਚਿਰਾਏ ਗਏ, ਗੁਰਦਵਾਰਿਆਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ, ਧਰਮ ਨਹੀਂ ਹਾਰਿਆ, ਸਿੱਖੀ ਕੇਸਾਂ ਸੁਆਸਾਂ ਨਾਲ ਨਿਬਾਹੀ, ਤਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਖਾਲਸਾ ਜੀ! ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪੰਜਾਂ ਤਖਤਾਂ, ਸਰਬੱਤ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪ੍ਰਿਥਮੇ ਸਰਬੱਤ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਕੀ ਅਰਦਾਸ ਹੈ ਜੀ, ਸਰਬੱਤ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਕੋ ਵਾਹਿਗੁਰੂ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਚਿਤ ਆਵੇ, ਚਿੱਤ ਆਵਨ ਕਾ ਸਦਕਾ ਸਰਬ ਸੁਖ ਹੋਵੇ। ਜਹਾਂ ਜਹਾਂ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਸਾਹਿਬ, ਤਹਾਂ ਤਹਾਂ ਰਛਿਆ ਰਿਆਇਤ, ਦੇਗ ਤੇਗ ਫ਼ਤਹ, ਬਿਰਦ ਕੀ ਪੈਜ, ਪੰਥ ਕੀ ਜੀਤ, ਸ੍ਰੀ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਸਹਾਇ, ਖਾਲਸੇ ਜੀ ਕੇ ਬੋਲ ਬਾਲੇ, ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖੀ ਦਾਨ, ਕੇਸ ਦਾਨ...

गुरु गोबिंद सिंह जी

नमस्कार और जय श्री कृष्ण और साथ ही साथ वाहे गुरुजी दा खालसा वाहे गुरुजी दी फतेह । आज हम बात करेंगे सीखो के सम्राट भगवान समान ऐसे दशवे सिख गुरु गोबिंद सिंह जी साहेब के बारे मे । उनकी महिमा, बुद्धि चातुर्य, बहादुरी, निर्णय शक्ति और ऐसे कई गुण उस हद तक के थे जो उनको इंसानों से अलग बनाते थे । गुरु गोबिंद साहेब में सीखने लायक इतनी बाते थी जो हमें जीवन में बहुत बेहतरीन और सबसे अलग बना देगी और आप भी यह चाहते होंगे की आप अपने जीवन में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त करे। में लेखक वरुण एस पटेल। में गुजरात का रहने वाला हु और गुजराती कम्युनिटी का सभ्य हु। मेने जब गुरु गोबिंद साहेब के बारे मे जाना तो मुझे थोड़ा दुख हुआ दुख इसलिए हुआ की ऐसी महान शख्सियत के बारे में जानने, पढ़ने और उनमें से कुछ सीखने में इतनी देर क्यों कर दी और साथ ही साथ हमे यह भी दुख हुआ की हमने जितना महाराणा प्रताप और शिवाजी के बारे में सुना है और पढ़ा है उतना गुरु गोबिंद जी साहेब के बारे मे क्यों नही सुना है । हमने क्यों गुरु गोबिंद साहेब को सिख समाज तक ही सीमित रखा है । मेरे कहने का मतलब यह नहीं है की सीखो के अलावा कोई गुरु गोबिंद साहेब को पहेचानता या मानता नही है मेरे कहने का साफ मतलब यह है की जितने जल्दी चर्चे और बाते शिवाजी और महाराणा प्रताप की लोगो तक पहुंचाई जाती है उतनी रफ्तार से गुरु गोबिंद की बाते क्यों नही पहुचपाती । मुझे दुसरो का पता नही लेकीन हमरी website ने अब यह जिम्मा लिया है की जिन जिन महान आत्माओं ने हमारे लिए बलिदान दिए हैं हम उन सब की महान गाथाएं लोगो तक अवश्य पहुचायेगे जिसमे श्री श्री शिवाजी महाराज, श्री श्री महाराणा प्रताप हो या सरदार साहेब हो हम सबकी महिमा लोगो तक पहुंचाने का कार्य करेंगे जिसकी शुरुआत ...

Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh

जुटे सिख श्रद्धालुओं ने गुरु नानक देव के 551वें प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में मत्था टेका। सोमवार को गुरुद्वारा में विशेष प्रार्थना सभा हुई। गुरुद्वारा सुबह से ही सिख श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहा। कोई सेवा में तल्लीन दिखा तो कोई अरदास में रमा रहा। दरभंगा के कई से आए सिख श्रद्धालुओं की मंडली सबद कीर्तन में मग्न रही। गुरुद्वारा के ग्रंथी सुंदर सिंह ने बताया कि 28 नवंबर से आरंभ हुए अखंड पाठ साहिब का समापन सोमवार को हुआ। सुंबह 8:00 बजे शलोक महला, 8:45 बजे विशेष कीर्तन व दीवान ,11:30 बजे तक लंगर का आयोजन हुआ। बारी बारी से भक्तों की ओर से भी गुरु नानक देव को नमन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सरदार मुनेश्वर सिंह अध्यक्ष, गुरमीत सिंह सचिव, सुंदर सिंह ज्ञानी जी, इकबाल कौर, बलजीत कौर, गोपाल सिंह, अमरजीत सिंह राजू सहित कई लोग सक्रिय रहे।

अरदास

अरदास का सामान्य अर्थ परमशक्ति के आगे विनती करने से है। सिख धर्म की प्रथाओं (रहत मर्यादा) में अरदास का एक मानक रूप है, जो कि गुरुद्वारों में प्रतिदिन की जाती है। अरदास का यह मानक रूप इस प्रकार है - पंजाबी में पाठ हिंदी पाठ अनुवाद ਸ੍ਰੀ ਭਗੌਤੀ ਜੀ ਸਹਾਇ॥ ਵਾਰ ਸ੍ਰੀ ਭਗੌਤੀ ਜੀ ਕੀ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ 10॥ ਪ੍ਰਿਥਮ ਭਗੌਤੀ ਸਿਮਰਿ ਕੈ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਲਈਂ ਧਿਆਇ॥ ਫਿਰ ਅੰਗਦ ਗੁਰ ਤੇ ਅਮਰਦਾਸੁ ਰਾਮਦਾਸੈ ਹੋਈਂ ਸਹਾਇ॥ ਅਰਜਨ ਹਰਗੋਬਿੰਦ ਨੋ ਸਿਮਰੌ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਰਾਇ॥ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਧਿਆਇਐ ਜਿਸ ਡਿਠੈ ਸਭਿ ਦੁਖ ਜਾਇ॥ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਿਮਰਿਐ ਘਰ ਨਉ ਨਿਧਿ ਆਵੈ ਧਾਇ॥ ਸਭ ਥਾਂਈ ਹੋਇ ਸਹਾਇ॥ ਦਸਵਾਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ ਜੀ! ਸਭ ਥਾਂਈ ਹੋਇ ਸਹਾਇ॥ ਦਸਾਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀਆਂ ਦੀ ਜੋਤ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਪਾਠ ਦੀਦਾਰ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪੰਜਾਂ ਪਿਆਰਿਆਂ,ਚੌਹਾਂ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ, ਚਾਲ੍ਹੀਆਂ ਮੁਕਤਿਆਂ, ਹਠੀਆਂ ਜਪੀਆਂ, ਤਪੀਆਂ, ਜਿਹਨਾਂ ਨਾਮ ਜਪਿਆ, ਵੰਡ ਛਕਿਆ, ਦੇਗ ਚਲਾਈ, ਤੇਗ ਵਾਹੀ, ਦੇਖ ਕੇ ਅਣਡਿੱਠ ਕੀਤਾ, ਤਿਨ੍ਹਾਂ ਪਿਆਰਿਆਂ, ਸਚਿਆਰਿਆਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ, ਖਾਲਸਾ ਜੀ! ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸਿੰਘਾਂ ਸਿੰਘਣੀਆਂ ਨੇ ਧਰਮ ਹੇਤ ਸੀਸ ਦਿੱਤੇ, ਬੰਦ ਬੰਦ ਕਟਾਏ, ਖੋਪਰੀਆਂ ਲੁਹਾਈਆਂ, ਚਰਖੀਆਂ ਤੇ ਚੜੇ, ਆਰਿਆਂ ਨਾਲ ਚਿਰਾਏ ਗਏ, ਗੁਰਦਵਾਰਿਆਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ, ਧਰਮ ਨਹੀਂ ਹਾਰਿਆ, ਸਿੱਖੀ ਕੇਸਾਂ ਸੁਆਸਾਂ ਨਾਲ ਨਿਬਾਹੀ, ਤਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਖਾਲਸਾ ਜੀ! ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪੰਜਾਂ ਤਖਤਾਂ, ਸਰਬੱਤ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਰ ਕੇ ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਪ੍ਰਿਥਮੇ ਸਰਬੱਤ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਕੀ ਅਰਦਾਸ ਹੈ ਜੀ, ਸਰਬੱਤ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਕੋ ਵਾਹਿਗੁਰੂ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਚਿਤ ਆਵੇ, ਚਿੱਤ ਆਵਨ ਕਾ ਸਦਕਾ ਸਰਬ ਸੁਖ ਹੋਵੇ। ਜਹਾਂ ਜਹਾਂ ਖਾਲਸਾ ਜੀ ਸਾਹਿਬ, ਤਹਾਂ ਤਹਾਂ ਰਛਿਆ ਰਿਆਇਤ, ਦੇਗ ਤੇਗ ਫ਼ਤਹ, ਬਿਰਦ ਕੀ ਪੈਜ, ਪੰਥ ਕੀ ਜੀਤ, ਸ੍ਰੀ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਸਹਾਇ, ਖਾਲਸੇ ਜੀ ਕੇ ਬੋਲ ਬਾਲੇ, ਬੋਲੋ ਜੀ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖੀ ਦਾਨ, ਕੇਸ ਦਾਨ...

गुरु गोबिंद सिंह जी

नमस्कार और जय श्री कृष्ण और साथ ही साथ वाहे गुरुजी दा खालसा वाहे गुरुजी दी फतेह । आज हम बात करेंगे सीखो के सम्राट भगवान समान ऐसे दशवे सिख गुरु गोबिंद सिंह जी साहेब के बारे मे । उनकी महिमा, बुद्धि चातुर्य, बहादुरी, निर्णय शक्ति और ऐसे कई गुण उस हद तक के थे जो उनको इंसानों से अलग बनाते थे । गुरु गोबिंद साहेब में सीखने लायक इतनी बाते थी जो हमें जीवन में बहुत बेहतरीन और सबसे अलग बना देगी और आप भी यह चाहते होंगे की आप अपने जीवन में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त करे। में लेखक वरुण एस पटेल। में गुजरात का रहने वाला हु और गुजराती कम्युनिटी का सभ्य हु। मेने जब गुरु गोबिंद साहेब के बारे मे जाना तो मुझे थोड़ा दुख हुआ दुख इसलिए हुआ की ऐसी महान शख्सियत के बारे में जानने, पढ़ने और उनमें से कुछ सीखने में इतनी देर क्यों कर दी और साथ ही साथ हमे यह भी दुख हुआ की हमने जितना महाराणा प्रताप और शिवाजी के बारे में सुना है और पढ़ा है उतना गुरु गोबिंद जी साहेब के बारे मे क्यों नही सुना है । हमने क्यों गुरु गोबिंद साहेब को सिख समाज तक ही सीमित रखा है । मेरे कहने का मतलब यह नहीं है की सीखो के अलावा कोई गुरु गोबिंद साहेब को पहेचानता या मानता नही है मेरे कहने का साफ मतलब यह है की जितने जल्दी चर्चे और बाते शिवाजी और महाराणा प्रताप की लोगो तक पहुंचाई जाती है उतनी रफ्तार से गुरु गोबिंद की बाते क्यों नही पहुचपाती । मुझे दुसरो का पता नही लेकीन हमरी website ने अब यह जिम्मा लिया है की जिन जिन महान आत्माओं ने हमारे लिए बलिदान दिए हैं हम उन सब की महान गाथाएं लोगो तक अवश्य पहुचायेगे जिसमे श्री श्री शिवाजी महाराज, श्री श्री महाराणा प्रताप हो या सरदार साहेब हो हम सबकी महिमा लोगो तक पहुंचाने का कार्य करेंगे जिसकी शुरुआत ...

Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh

सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व सोमवार को कोयलांचल भुरकुंडा में विधि-विधान से मनाया गया। कोरोना के मद्देनजर जारी सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए सिख धर्मावलंबियों ने पर्व की खुशियां साझा की। भुरकुंडा, रिवर साइड और सेंट्रल सौंदा स्थित गुरुसिंह सभा गुरुद्वारे में धार्मिक दीवान सजाए गया था। इससे पूर्व यहां निशान साहेब की सेवा हुई। इस दौरान महिला श्रद्धालुओं ने शबद-कीर्तन से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ था। गुरु पर्व के अवसर पर एक ओर जहां भुरकुंडा गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन हुआ। वहीं रिवर साइड गुरुद्वारे का मुख्य आकर्षण विद्युत सज्जा थी। यहां श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण हुआ। मौके पर प्रधान भूपेंद्र उर्फ जिबू सिंह सैनी ने कहा कि पूरे आयोजन में सरकारी गाइड लाइन का अक्षरश: पालन किया गया है। इसे सफल बनाने में अवतार सिंह, गुरुदीप सिंह, निर्मल सिंह सैनी, प्रवीण शर्मा, हरविंदर सिंह सैनी, गुरमित सिंह, हरविंदर सिंह, बिकर सिंह, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह धामी और भुरकुंडा गुरुद्वारे में आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान रिंकू सिंह, जगतार सिंह, परमजीतउर्फ गोल्डी सिंह, नरेंद्र सिंह रेखी, अमर सिंह, शालू सिंह, निशान सिंह, डब्लू सिंह, जसपाल सिंह, भजन सिंह, गुरुशरण कौर, बीबी जोगिंद्र कौर, परमजीत कौर, राज कौर, राजरानी कौर, संजीता कौर आदि ने योगदान दिया।

Wahe Guru da Khalsa Wahe Guru Di Fateh

जुटे सिख श्रद्धालुओं ने गुरु नानक देव के 551वें प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में मत्था टेका। सोमवार को गुरुद्वारा में विशेष प्रार्थना सभा हुई। गुरुद्वारा सुबह से ही सिख श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहा। कोई सेवा में तल्लीन दिखा तो कोई अरदास में रमा रहा। दरभंगा के कई से आए सिख श्रद्धालुओं की मंडली सबद कीर्तन में मग्न रही। गुरुद्वारा के ग्रंथी सुंदर सिंह ने बताया कि 28 नवंबर से आरंभ हुए अखंड पाठ साहिब का समापन सोमवार को हुआ। सुंबह 8:00 बजे शलोक महला, 8:45 बजे विशेष कीर्तन व दीवान ,11:30 बजे तक लंगर का आयोजन हुआ। बारी बारी से भक्तों की ओर से भी गुरु नानक देव को नमन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सरदार मुनेश्वर सिंह अध्यक्ष, गुरमीत सिंह सचिव, सुंदर सिंह ज्ञानी जी, इकबाल कौर, बलजीत कौर, गोपाल सिंह, अमरजीत सिंह राजू सहित कई लोग सक्रिय रहे।

Wahe Guru Ji Da Khalsa Vahe Guru Ji Di Fateh

सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व सोमवार को कोयलांचल भुरकुंडा में विधि-विधान से मनाया गया। कोरोना के मद्देनजर जारी सरकारी गाइड लाइन का पालन करते हुए सिख धर्मावलंबियों ने पर्व की खुशियां साझा की। भुरकुंडा, रिवर साइड और सेंट्रल सौंदा स्थित गुरुसिंह सभा गुरुद्वारे में धार्मिक दीवान सजाए गया था। इससे पूर्व यहां निशान साहेब की सेवा हुई। इस दौरान महिला श्रद्धालुओं ने शबद-कीर्तन से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ था। गुरु पर्व के अवसर पर एक ओर जहां भुरकुंडा गुरुद्वारे में लंगर का आयोजन हुआ। वहीं रिवर साइड गुरुद्वारे का मुख्य आकर्षण विद्युत सज्जा थी। यहां श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण हुआ। मौके पर प्रधान भूपेंद्र उर्फ जिबू सिंह सैनी ने कहा कि पूरे आयोजन में सरकारी गाइड लाइन का अक्षरश: पालन किया गया है। इसे सफल बनाने में अवतार सिंह, गुरुदीप सिंह, निर्मल सिंह सैनी, प्रवीण शर्मा, हरविंदर सिंह सैनी, गुरमित सिंह, हरविंदर सिंह, बिकर सिंह, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह धामी और भुरकुंडा गुरुद्वारे में आयोजित कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधान रिंकू सिंह, जगतार सिंह, परमजीतउर्फ गोल्डी सिंह, नरेंद्र सिंह रेखी, अमर सिंह, शालू सिंह, निशान सिंह, डब्लू सिंह, जसपाल सिंह, भजन सिंह, गुरुशरण कौर, बीबी जोगिंद्र कौर, परमजीत कौर, राज कौर, राजरानी कौर, संजीता कौर आदि ने योगदान दिया।