वाल्मीकि रामायण संस्कृत हिन्दी

  1. सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण
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  4. वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग48 हिंदी अर्थ सहित valmiki ramayan balakanda48


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सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण

रामायण के 24,000 श्लोक को भारत के एक महान दिव्यमान पुरुष जिनको हम सभी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के नाम से जानते ओर उनकी पूजा करते है, के जीवन पर वर्णित है। यूं तो valmiki ramayan pdf को संस्कृत भाषा मे लिखा गया है लेकिन वाल्मीकि रामायण हिंदी में पढ़ने के लिए आपको रामायण श्लोकों के नीचे ही उनका हिंदी अनुवाद भी लिखा मिलेगा, जिससे आप संपूर्ण वाल्मीकि रामायण PDF को आसानी से समझ सके। वाल्मीकि रामायण गीता प्रेस गोरखपुर PDF को आप BestSeller Hindi Books की वेबसाइट की मदद से free डाउनलोड कर सकते है। आप Valmiki Ramayan Book Pdf in Hindi के अलग अलग खंडों को भी नीचे दी गई लिंक से आसानी से डाउनलोड कर सकते है। संपूर्ण रामायण Book | Valmiki Ramayan Book Pdf in Hindi संपूर्ण रामचरितमानस बुक पीडीएफ | Ramcharitmanas in Hindi Pdf Download Best Seller Free Hindi Books PDF 500+ Free Hindi Books Pdf 1 To 12 Free NCERT Books in Hindi Pdf Best Gk Books For Competitive Exams Free Download Best Math Books For Competitive Exams UP Deled(Known as BTC) Books Pdf IAS Previous Year Question Paper in Hindi Free Download Best Books For Entrepreneurs in Hindi Best Spirituality Books in Hindi Free Download Best Personal Development Books in Hindi Free Download Best Biography Books in Hindi Free Download अगर आपको Valmiki Ramayan Book Pdf in Hindi free download करने में कोई भी समस्या आ रही हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अवगत करा सकते है, जिससे हमारी टीम उस समस्या को जल्द दूर कर सकें|

रामायण

रामायण रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। • ↑ राम नवमी — bbc.co.uk. ... रामायण संज्ञा पुं० [सं०]वह ग्रंथ जिसमें रामचरित वर्णित हो ।रामचंद्र के चरित्र से संबंध रखनेवाला ग्रंथ ।विशष—संस्कृत में रामायण नाम के बहुत ग्रंथ हैं, जिनमें सेवाल्मीकि कृत रामायण सबसे प्राचीन और अधिक प्रसिद्ध है ।यह आदिकाव्य है और इसके रचयिता वाल्मीकि आदिकविहैं । वाल्मिकी ऋषि रामचंद्र के समकालीन थे; अतः उनकाग्रंथ रामायण सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है । इसमेंसात कांड हैं जिनमें से प्रत्येक कांड अनेक सर्गों में विभक्त है ।साधारणतः भारत में तीन प्रकार के वाल्मीकीय रामायण पाएजाते हैं—औदीच्य, दाक्षिणात्य और गौड़ीय । इन तीनों रामायणों के सर्गों की संख्या और पाठ आदि में बहुत कुछ अंतर हैं ।इतने प्राचीन काव्य की भिन्न भिन्न प्रतियों में इतना अधिकअंतर होना स्वाभाविक भी है । बहुत कुछ इसी रामायण केआधार पर और स्थान स्थान पर अन्यान्य रामायणों कीसहायता लेकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने 'रामचरितमानस'नामक जो प्रसिद्ध भाषाकाव्य लिखा है उसका बोध भी इस'रामायश' शब्द से होता है । वाल्मीकि कृत रामायण केअतिरिक्त अध्यात्म रामायण आदि जो कई रामायण है,वे सांप्रदायिक हैं ।

रामायण

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वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग48 हिंदी अर्थ सहित valmiki ramayan balakanda48

॥श्रीसीतारामचन्द्राभ्यांनमः॥ श्रीमद्वाल्मीकीयरामायण बालकाण्डम् अष्टचत्वारिंशःसर्गः (सर्ग 48) (मुनियोंसहितश्रीरामकामिथिलापुरीमेंपहुँचना, विश्वामित्रजीकाउनसेअहल्याकोशापप्राप्तहोनेकीकथासुनाना) पृष्ट्वातुकुशलंतत्रपरस्परसमागमे। कथान्तेसुमतिर्वाक्यंव्याजहारमहामुनिम्॥१॥ वहाँपरस्परसमागमकेसमयएक-दूसरेकाकुशल-मंगलपूछकरबातचीतकेअन्तमेंराजासुमतिनेमहामुनिविश्वामित्रसेकहा- ॥१॥ इमौकुमारौभद्रंतेदेवतुल्यपराक्रमौ। गजसिंहगतीवीरौशार्दूलवृषभोपमौ॥२॥ ‘ब्रह्मन्! आपकाकल्याणहोयेदोनोंकुमारदेवताओंकेतुल्यपराक्रमीजानपड़तेहैं।इनकीचाल-ढालहाथीऔरसिंहकीगतिकेसमानहै।येदोनोंवीरसिंहऔरसाँड़केसमानप्रतीतहोतेहैं।२॥ पद्मपत्रविशालाक्षौखड्गतूणधनुर्धरौ। अश्विनाविवरूपेणसमुपस्थितयौवनौ॥३॥ इनकेबड़े-बड़ेनेत्रविकसितकमलदलकेसमानशोभापातेहैं।येदोनोंतलवार, तरकसऔरधनुषधारणकियेहुएहैं।अपनेसुन्दररूपकेद्वारादोनोंअश्विनीकुमारोंकोलज्जितकरतेहैंतथायुवावस्थाकेनिकटआपहुँचेहैं॥ यदृच्छयैवगांप्राप्तौदेवलोकादिवामरौ। कथंपद्भ्यामिहप्राप्तौकिमर्थंकस्यवामुने॥४॥ ‘इन्हेंदेखकरऐसाजानपड़ताहै, मानोदोदेवकुमारदैवेच्छावशदेवलोकसेपृथ्वीपरआगयेहों।मुने! येदोनोंकिसकेपुत्रहैंऔरकैसे, किसलियेयहाँपैदलहीआयेहैं ? ॥४॥ भूषयन्ताविमंदेशंचन्द्रसूर्याविवाम्बरम्। परस्परेणसदृशौप्रमाणेङ्गितचेष्टितैः॥५॥ ‘जैसेचन्द्रमाऔरसूर्यआकाशकीशोभाबढ़ाते।हैं, उसीप्रकारयेदोनोंकुमारइसदेशकोसुशोभितकररहेहैं।शरीरकीऊँचाई, मनोभावसूचकसंकेततथाचेष्टा (बोलचाल) मेंयेदोनोंएक-दूसरेकेसमानहैं॥५॥ किमर्थंचनरश्रेष्ठौसम्प्राप्तौदुर्गमेपथि। वरायुधधरौवीरौश्रोतुमिच्छामितत्त्वतः॥६॥ ‘श्रेष्ठआयुधधारणकरनेवालेयेदोनोंनरश्रेष्ठवीरइसदुर्गममार्गमेंकिसलियेआयेहैं? यहमैंयथार्थरूपसेसुननाचाहताहूँ’॥६॥ तस्यतद्वचनंश्रुत्वायथावृत्तंन्यवेद...