वैभव लक्ष्मी व्रत कथा और आरती

  1. श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा
  2. वैभव लक्ष्मी व्रत कथा
  3. Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi
  4. वैभव लक्ष्मी व्रत कथा व विधि
  5. वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें
  6. Vaibhav Lakshmi Vrat Shukrawar Vrat Puja Vidhi For Blessings Of Maa Lakshmi
  7. Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat: वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से दूर होती है सभी समस्याएं, ये है कथा और इससे जुड़े नियम
  8. Vaibhav Lakshmi Udyapan Vidhi: ऐसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का उद्यापन


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श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा

श्री वैभव लक्ष्मी व्रत की कथा (ShriVaibhav Lakshmi Vrat Katha) किसी शहर में अनेक लोग रहते थे. सभी अपने-अपने कामों में लगे रहते थे। किसी को किसी की परवाह नहीं थी. भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव, दया-माया, परोपकार जैसे संस्कार कम हो गए। शहर में बुराइयां बढ़ गयी थी। शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती वगरैह बहुत से गुनाह शहर में होते थे। इनके बावजूद शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे। ऐसे ही लोगो में शीला और उनके पति की ग्रहस्थी मानी जाती थी। शीला धार्मिक प्रकृति की और संतोषी स्वभाव वाली थी। उनका पति भी विवेकी और सुशील था। शीला और उसका पति कभी किसी की बुराई नहीं करते थे और प्रभु भजन तरह समय व्यतीत कर रहे थे। शहर के लोग उनकी ग्रहस्थी की सराहना करते थे। Shri Vaibhav Lakshmi देखते ही देखते समय बदल गया। शीला का पति बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा। अब वह जल्द से जल्द करोड़पति बनने के ख्वाब देखने लगा। इसलिए वह गलत रास्ते पर चल पड़ा फलस्वरूप वह रोडपति बन गया। यानी रास्ते पर भटकते भिखारी जैसी उसकी हालत हो गयी थी। शराब, जुआ, रेस, चरस-गांजा वगरैह बुरी आदतों में शीला का पति भी फँस गया। दोस्तों के साथ उसे भी शराब की आदत हो गयी। इस प्रकार उसने अपना सब कुछ रेस-जुए में सब कुछ गँवा दिया। शीला को पति के बर्ताव से बहुत दुःख हुआ, किन्तु वह भगवान पर भरोसा कर सबकुछ सहने लगी। वह अपना अधिंकाश समय प्रभु भक्ति में बिताने लगी। अचानक एक दिन दोपहर को उनके द्वार पर किसी ने दस्तक दी। शीला ने द्वार खोला तो देखा की एक माँजी खड़ी थी। उसके चेहरे पर अलौकिक तेज निखर रहा था। उनकी आँखों में से मानो अमृत बह रहा था। उसका भव्य चेहरा करुणा और प्यार से छलक रहा था। उसको देखते ही शीला के मन में अपार शांति छा गई। शीला के रोम-रोम में आनंद...

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा

Vaibhav Lakshmi Vrat Katha in Hindi Shukravar Vrat Katha in Hindi वैभव लक्ष्मी व्रत कथा एक समय की बात है कि एक शहर में एक शीला नाम की स्त्री अपने पति के साथ रहती थी. शीला स्वभाव से धार्मिक प्रवृ्ति की थी. और भगवान की कृ्पा से उसे जो भी प्राप्त हुआ था, वह उसी में संतोष करती थी. शहरी जीवन वह जरूर व्यतीत कर रही थी, परन्तु शहर के जीवन का रंग उसपर नहीं चढा था. भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव और परोपकार का भाव उसमें अभी भी था. वह अपने पति और अपनी ग्रहस्थी में प्रसन्न थी. आस-पडौस के लोग भी उसकी सराहना किया करते थें. देखते ही देखते समय बदला और उसका पति कुसंगति का शिकार हो गया. वह शीघ्र अमीर होने का ख्वाब देखने लगा. अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लालच में वह गलत मार्ग पर चल पडा, जीवन में रास्ते से भटकने के कारण उसकी स्थिति भिखारी जैसी हो गई. बुरे मित्रों के साथ रहने के कारण उसमें शराब, जुआ, रेस और नशीले पदार्थों का सेवन करने की आदत उसे पड गई. इन गंदी आदतों में उसने अपना सब धन गंवा दिया. अपने घर और अपने पति की यह स्थिति देख कर शीला बहुत दु:खी रहने लगी. परन्तु वह भगवान पर आस्था रखने वाली स्त्री थी. उसे अपने देव पर पूरा विश्वास था. एक दिन दोपहर के समय उसके घर के दरवाजे पर किसी ने आवाज दी. दरवाजा खोलने पर सामने पडौस की माता जी खडी थी. माता के चेहरे पर एक विशेष तेज था. वह करूणा और स्नेह कि देवी नजर आ रही थ. शीला उस मांजी को घर के अन्दर ले आई. घर में बैठने के लिये कुछ खास व्यवस्था नहीं थी. शीला ने एक फटी हुई चादर पर उसे बिठाया. माँजी बोलीं- क्यों शीला! मुझे पहचाना नहीं? हर शुक्रवार को लक्ष्मीजी के मंदिर में भजन-कीर्तन के समय मैं भी वहाँ आती हूँ.’ इसके बावजूद शीला कुछ समझ नहीं पा रही थी, फिर माँजी...

Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi

• by • Posted On December 31, 2021 वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) एक बहुत ही लोकप्रिय व्रत है जो महिलाओं द्वारा 7 , 11 या 21 शुक्रवार का मनाया जाता है। इस दिन वे दिन में सिर्फ एक बार उचित भोजन करते हैं। आइये सखियों जानते हैं व्रत के बारे में। जीवन अप्रत्याशित चीजों और कठिन चुनौतियों से भरा है। महिलाएं आमतौर पर जीवन और परिवार की छोटी और बड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों को दूर करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) रखती हैं और उसका पालन करती हैं। इस व्रत को करने के चमत्कारों और लाभों की कई कहानियां सुनी गई हैं और लोगों का मानना है कि जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं और दिशा-निर्देशों के अनुसार पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती हैं। वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन करने के लाभ वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) शुक्रवार को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस व्रत को विश्वास और ईमानदारी से करते हैं, वे अपने जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं उसे प्राप्त करना निश्चित है। पुरुष और महिला दोनों वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन कर सकते हैं। वे पूरा दिन उपवास रखते हैं और देवी को अर्पित किए जाने वाले मीठे ‘प्रसाद’ के साथ भोजन करते हैं। यदि कोई किसी भी शुक्रवार को व्रत और पूजा की पूरी प्रक्रिया को करने में असमर्थ है, तो वह अगले शुक्रवार को इसे पूरा कर सकता है। केवल एक चीज जो ध्यान में रखनी है वह यह है कि उसे घर पर देवी लक्ष्मी का व्रत और पूजा करनी है। वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) की खास बातें वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) की कुछ ख़ास बातें। • आमतौर पर विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं। कोई कठोर नियम नहीं है और अविवाहित महिलाए...

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा व विधि

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा (Vaibhav Lakshmi Vrat Katha) का पाठ शीघ्र फलदायी है। किन्तु फल न दे तो तीन माह के बाद फिर से यह व्रत शुरू करना चाहिये और जब तक मनवांछित फल न मिले तब तक यह व्रत तीन-तीन महीने पर करते रहना चाहिये। कभी भी इसका फल अवश्य मिलता ही है। पढ़ें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा तथा शास्त्रीय विधि हिंदी में- यह भी पढ़ें – वैभव लक्ष्मी व्रत की शास्त्रीय विधि मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से करने पर निश्चित रूप से सभी कामनाएँ पूरी हो जाती हैं। पढ़ें इसकी संपूर्ण विधि (Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi) विस्तार से- • सर्वप्रथम ‘श्री यंत्र’ को हाथ जोड़कर कर श्रद्धा पूर्वक नमस्कार करें। • तत्पश्चात वैभवदात्री श्री महालक्ष्मी का मंत्र पढ़ कर प्रयान करें। जिन्हें संस्कृत में मन्त्र पढ़ने में कठिनाई हो, वे ध्यान का हिन्दी भावार्थ पढ़े। यहाँ दिये गये महालक्ष्मी के आठों स्वरूपों को नमस्कार करें। श्री लक्ष्मी जी के आठ स्वरूप इस प्रकार हैं- • श्री वैभव लक्ष्मी जी माँ • श्री धान्य लक्ष्मी माँ • श्री अधिलक्ष्मी माँ • श्री संतान लक्ष्मी माँ • श्री वीर लक्ष्मी माँ • श्री विजया लक्ष्मी माँ • श्री गजलक्ष्मी माँ • श्री गजलक्ष्मी माँ • इसके पश्चात श्री महालक्ष्मी की स्तुति करें। • सोने चांदी के आभूषण अथवा एक रुपये के सिक्के की धूप-दीप नैवेद्य आदि चढ़ाकर पूजा करें। • इसके बाद दोनों हाथों से प्रसाद अर्पण करें। • स्तुति और महिमा गाकर • तत्पश्चात हाथ जोड़कर श्री वैभव लक्ष्मी माँ से अपनी मनोकामना कहकर उसे शीघ्र पूरी करने की विनती करें। • अंत में माँ का प्रसाद सभी उपस्थित जनों में बाँट दें और थोड़ा सा अपने लिये रखें। • पूजा के लिए रखा लोटे का पानी तुलसी के पौधे पर चढ़ाएँ। तुलसी पौधा घर में न हो तो ग...

वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें

विषय में अंकित • • • • • • • • वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम ? चलिए जानते है क्या है वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम! इस व्रत पालन के लिए शुक्रवार के दिन प्रातः काल में जल्दी उठकर स्नान आदि के निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए, जिस स्थान में आपको पूजन करना है उसको साफ़ सुथरा करके आसन लगा लें और मा लक्ष्मी का ध्यान करें, वैभव लक्ष्मी बीज मंत्र है :- या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥ इस मंत्र का जाप करने के बाद पूजा प्रारंभ करें वैभव लक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री ? वैसे तो सभी व्रतों में सामग्री का प्रायः एक सामान ही होती है बस कुछ विशेष होती है तो यहाँ हम आपको वैभवलक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री से अवगत करते है सबसे पहले मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, फूल, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी, एक बड़ा कलश, चंदन, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कपूर, घंटी और प्रसाद। इन्ही सब सामग्री के साथ आप वैभव लक्ष्मी पूजन का शुभारंभ कर पूजन कर सकते है और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा आरती यहाँ पढ़ सकते है | वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें | FAQ ? प्रायः माता लक्ष्मी के व्रत में एक ही बार भोजन ग्रहण किया जाता है और भोजन में सात्विक भोजन के साथ ही खीर जरुर खाए। सात्विक भोजन में साबूदाने की खिचड़ी एवं पुलाव, कुटू के पराठे, कच्चे केले की टिकी, सिंघाड़े की नमकीन बर्फी, आलू, खीरे और मूंगफली का सलाद आदि को शामिल किया जा सकता है जो की सात्विक भोजन कहलाता है स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है, बुजुर्ग इसलिए...

Vaibhav Lakshmi Vrat Shukrawar Vrat Puja Vidhi For Blessings Of Maa Lakshmi

Vaibhav Lakshmi Puja: व्रतों में उत्तम है मां लक्ष्मी का यह व्रत, विधि पूर्वक पूजन करने से मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद Vaibhav Lakshmi Puja: शुक्रवार को मां वैभव लक्ष्मी के निमित्त व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं. आइए जानते हैं कि वभैव लक्ष्मी पूजा विधि के बारे में. Vaibhav Lakshmi Vrat, Shukrawar: हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन-वैभव की देवी के रूप में स्वीकार किया गया है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही जीवन में सुख और वैभव बना रहता है. धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी का वास जिस घर में होता है वहां कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है. यही वजह है कि हर व्यक्ति मां लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत को फलदायी माना गया है. वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजन से मां लक्ष्मी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं. आइए जानते हैं वैभव लक्ष्मी व्रत और पूजा के बारे में. शास्त्रों में शुक्रवार के दिन मां वैभव लक्ष्मी की पूजा और उसके विधान के बारे में बताया गया है. शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है. लक्ष्मी जी के कई रूपों में एक है मां वैभव लक्ष्मी. जिस घर में शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी की पूजा होती है वहां सुख-संपत्ति का वास होता है और घर धन-धान्य से भर जाता है. घर से दरिद्रता दूर करने और सुख, संपत्ति, वैभव के आगमन के लिए शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी की पूजा कैसे करनी चाहिए आगे जानिए. वैभव लक्ष्मी पूजा विधि | Vaibhav Lakshmi Puja Vidhi शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें. फिर पूजा-घर के मंदिर में द...

Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat: वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से दूर होती है सभी समस्याएं, ये है कथा और इससे जुड़े नियम

• • Faith Hindi • Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat: वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से दूर होती है सभी समस्याएं, ये है कथा और इससे जुड़े नियम Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat: वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से दूर होती है सभी समस्याएं, ये है कथा और इससे जुड़े नियम Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat:मान्यता है कि अगर व्यक्ति को लंबे से परेशान है और उसके काम नहीं बन पा रहे हैं तो वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है. maTa laxami Shukravar Vaibhav Laxmi Vrat: हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी (Mata Laxami) का एक खास स्थान है. लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि की देवी माना जाता है. कोई इन्हें धन लक्ष्मी तो कोई वैभव लक्ष्मी के रूप में इन्हें पूजता है. वैभव लक्ष्मी का व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat) शुक्रवार के दिन रखा जाता है. मान्यता है कि अगर व्यक्ति को लंबे से परेशान है और उसके काम नहीं बन पा रहे हैं तो वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है. शुक्रवार को वैभव लक्ष्‍मी का व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat Upay) करने से व्यक्ति को सफलता प्राप्‍त होती है. किसी शहर में लाखों लोग रहते थे. सभी अपने-अपने कामों में रत रहते थे. किसी को किसी की परवाह नहीं थी. भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव, दया-माया, परोपकार जैसे संस्कार कम हो गए. शहर में बुराइयाँ बढ़ गई थीं. शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती वगैरह बहुत से गुनाह शहर में होते थे. इनके बावजूद शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे. ऐसे ही लोगों में शीला और उनके पति की गृहस्थी मानी जाती थी. शीला धार्मिक प्रकृति की और संतोषी स्वभाव वाली थी. उनका पति भी विवेकी और सुशील था. शीला और उसका पति कभी किसी की बुराई नहीं करते थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय ...

Vaibhav Lakshmi Udyapan Vidhi: ऐसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा का उद्यापन

हिंदू धर्म में हर दिन अलग अलग देवी देवताओं को समर्पित है। ऐसे में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। बहुत से स्त्री और पुरुष अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी का व्रत रखते हैं। शाम के समय माता लक्ष्मी की पूजा कर कथा पढ़ी जाती है फिर आरती कर प्रसाद ग्रहण की जाती है। मान्यता है कि माता लक्ष्मी को मीठे का भोग लगाना चाहिए आपकी सामर्थ्य है तो आप खीर, हलवा या मिठाई का भोग जरूर लगाएं। माता लक्ष्मी को खीर का भोग बहुत पसंद है इसलिए खीर का भोग जरूर चढ़ाएं। स्त्री एवं पुरुष अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रखते हैं। इस व्रत को सात, ग्यारह और इक्कीस शुक्रवार तक रखते हैं। गिनती पूरी होने तक प्रत्येक शुक्रवार को व्रत करना चाहिए साथ ही वैभव लक्ष्मी कथा पुस्तक में बताए हुए विधि के अनुसार नियम का पालन करते हुए व्रत रखना चाहिए। व्रत के दौरान मनुष्य को खान-पान और पूजा पाठ पर विशेष ध्यान देना चाहिए। व्रत वाले दिन वैभव लक्ष्मी की पूजन और कथा करनी चाहिए। व्रत की गिनती पूरी होने के बाद उन्हें शास्त्रीय विधि के अनुसार ही उद्यापन करना चाहिए। यदि आप पहली बार वैभव लक्ष्मी व्रत कर रहे हैं और आपको उद्यापन करने की विधि नहीं पता होती है। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको वैभव लक्ष्मी व्रत उद्यापन के विधि के बारे में बताएंगे। इसे जरूर पढ़ें: ऐसे करें उद्यापन आखिरी शुक्रवार को प्रसाद के लिए खीर और पुड़ी जरूर बनाएं। हर शुक्रवार को जैसे वैभव लक्ष्मी का पूजन करते हैं उसी विधान से पूजन करें। पूजन के बाद यदि आप कुंवारी हैं तो कुंवारी लड़कियों को और विवाहित हैं तो व...