वैदिक गणित के 16 सूत्र

  1. क्या होता है वैदिक गणित?
  2. Vedic Maths: क्या कठिन गणनाएं जल्दी कर लेना ही 'वैदिक गणित' है?
  3. [PDF] वैदिक गणित
  4. वैदिक गणित के 16 सूत्र और 13 उपसूत्र की दी जानकारी
  5. भारतीय प्राचीन ग्रंथों में मौजूद वैज्ञानिक तथ्य
  6. गणित के सभी सूत्र (All Mathematics Formulas In Hindi)
  7. भारतीय प्राचीन ग्रंथों में मौजूद वैज्ञानिक तथ्य
  8. गणित के सभी सूत्र (All Mathematics Formulas In Hindi)
  9. [PDF] वैदिक गणित
  10. क्या होता है वैदिक गणित?


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क्या होता है वैदिक गणित?

आजके आधुनिक समय मे प्रत्येक क्षेत्र मे गतिशीलता दिखाई पडती है, जहाँ पर अचूकता के साथ कार्य की गती को भी अधिक महत्व दिया जाता है, वैदिक गणित सही मायने मे इसी हेतू आपके लिये मददगार साबित होता है। आपको कम समय मे वैदिक सूत्र से ना केवल सही परिणाम प्राप्त होते है, बल्की इसकी विधी समझने मे और लागू करने काफी आसान होती है। चाहे आप प्रतियोगीता परीक्षा मे सफलता हेतू प्रयासरत छात्र हो, या फिर शिक्षा क्षेत्र से क्या होता है वैदिक गणित? संपूर्ण महत्वपूर्ण विश्लेषण – Vedic Maths in Hindi वैदिक गणित क्या होता है? – What is a Vedic Maths जैसा के हमने शुरू मे कहाँ के वेद को अपौरुषेय माना जाता है जिसके अंतर्गत गणित से जुडे कुछ ऐसे सूत्र मौजूद है जिनके उपर शुरुवात से अध्ययन और विचार हुआ। उस समयकाल मे अंकगणना और गणितीय क्रिया को करने हेतू आजके जमाने मे उपलब्ध आधुनिक उपकरण जैसे आपको बता दे आज मौजूद वैदिक गणित के सभी सूत्र वेद से लिये गये है, जिनका संकलन और नये से रूपांतरण जगद्गुरू श्री. भारती कृष्ण तीर्थ जी ने साल १९११ से साल १९१८ के बिच किया था। मुख्य रूप से १६ सूत्र और १३ उप सूत्र का संग्रह भारती तीर्थजी ने किया था, जिसके मदद से अंकगणित, बीजगणित, ज्यामित, गणना, आदि से संबंधित प्रश्न कम से कम समय मे आसानी से हल कर सकते है। ये सभी सूत्र मुख्यतः संस्कृत भाषा मे मौजूद है, जिनके द्वारा कठीण प्रश्नो को भी सूत्र और कुछ क्रमगत नियमो(चरणो) द्वारा हल किया जाता है। साल १९६५ मे भारती कृष्ण तीर्थजी द्वारा संग्रहित किये गये सुत्रो के आधार पर ‘वैदिक मैथमेटिक्स’ नाम की किताब भी प्रकशित की गई थी, वैसे इस संग्रहित जानकारी के संदर्भ पर और भी किताबे आजकल मौजूद है। इस विषय पर अन्य महत्वपूर्ण पह्लूओ पर आगे आपको ज...

Vedic Maths: क्या कठिन गणनाएं जल्दी कर लेना ही 'वैदिक गणित' है?

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने अगले शैक्षणिक सत्र से छठी से दसवीं कक्षा तक के छात्रों को वैदिक गणित पढ़ाने का फैसला लिया है. हिमाचल शिक्षा बोर्ड के इस फैसले को कुछ लोग हमारी संस्कृति और हमारे समृद्ध अतीत से नई पीढ़ी को जोड़ने के पहल के तौर पर देख रहे हैं. इससे ठीक पहले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भी वैदिक गणित को देश भर के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव दे चुका है. वैदिक गणित, दर्शन और प्राचीन भारतीय परंपरा से जुड़े विषयों को महत्व देने के संबंध में नई शिक्षा नीति – 2020 में भी कहा गया है कि ‘इनको तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर जाँचने के बाद जहाँ प्रासंगिक होगा, वहाँ पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.’ यहां पर ये सवाल उठने लाज़िमी हैं कि आखिर ये ‘वैदिक गणित’ क्या है? इसकी विषय वस्तु क्या है? क्या यह वेदों से लिया गया है? क्या यह स्कूली छात्रों के लिए उपयोगी है? क्या यह आधुनिक गणित के मानकों पर खरा उतरता है? आइए, इन सवालों के संभावित जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं. वैदिक गणित क्या है? ‘वैदिक गणित’ शब्द का सामान्य अर्थ निकलता है – ‘वेदों से प्राप्त गणित’. यानी ऐसा गणित या गणितीय विधि जिनके बारे में वैदिक काल के ऋषियों को पता था. लेकिन वर्तमान में इस वैदिक गणित का मूल आधार जगद्गुरु स्वामी श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज द्वारा लिखित ‘वैदिक मैथेमेटिक्स’ नामक किताब है, जो पहली बार 1965 में लेखक की मृत्यु के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्रकाशित हुई थी. स्वामीजी ने अपनी इस किताब की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्होंने चौथे वेद यानि ‘अथर्ववेद’ के परिशिष्ट से 16 सरल गणितीय सूत्र प्राप्त किए हैं. इसलिए स्वामीजी को लुप्त हो चुके वैदिक गणित को पुनर्ज...

[PDF] वैदिक गणित

प्राचीन वैदिक गणित वेद शब्द की व्युत्पति ‘विद्’ धातु मे हुई है, जिसका मर्थ होता है ‘ज्ञान’ (विद् ज्ञानेन्) । प्रतः शब्द ध्युस्पति के भाघार पर वेद’ का अर्थ होगा ‘ज्ञान सग्रह ‘ ! लेटिन भाषा की एक धातु है, ‘विडर’ ( vider ), जिससे प्रांग्ल भाषा का शब्द “विजन” (Vision) बना है । “विजन” का अर्य है “दर्शन” । प्राग्ल भाषा-भापी इसी शब्द को वेदों हेतु प्रयुक्त करते है 1 इन दोनों शब्दों के घ्राधार पर यदि हम वेदो की परिभापा करें, तो कहेगे कि ” वेद साक्षात्कार किए हुए जान का मंत्रह है ।” परिभाषा के दो शब्द ज्ञान व साक्षात्कार विशेष महत्व के हैं । पहला शब्द है ‘ज्ञान’ ! प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि ज्ञान क्या है ? कैसे व कहा से प्राप्त होता है ? क्या मानव ही ज्ञान का सृजक है ? प्रश्नों का सामान्य उत्तर यही है फि ज्ञान मानवीय सृष्टि को भौतिक व प्राध्यादिमेंक जानकारी को कहते है । इसका निर्माता मानव नही व न ही पुस्तकें ज्ञान की प्राप्ति का मूल स्थान है । हां मानव पुस्तक लिखता है, उसे पढ़कर हम ज्ञान प्राप्त करते है, लेकिन स्वयं पुस्तक के लेखक ने भी अपने पूर्ववर्ती प्राचार्यों से ज्ञान प्राप्त किया है । इस प्रकार यदि हम इस ज्ञान की परम्परा का मूल ढू ढने का प्रयास करे तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व वाल की प्रोर बढ़ना होगा।हूँ ढने का प्रयास करें तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व काल की शोर बढ़ना होगा। अन्ततोगत्वा हम मानवी सृष्टि के प्रादि तक पहुँच जाते है प्रथात् आंदि मानव तक पहुँच जाते हैं। लेकिन क्या वह प्रादि मानव ही ज्ञान का सृष्टा था। नही ! य दि वह सृष्टा होता तो निश्चित रूप से परवर्ती मानव भी ज्ञान का सृष्टा होता। तब प्रश्न यह उठता है कि जब प्रादि मानव भी ज्ञान का सृप्टा नही भ, तो उसे ज्ञान ...

वैदिक गणित के 16 सूत्र और 13 उपसूत्र की दी जानकारी

शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय वैदिक गणित शिविर बुधवार को संपन्न हुआ। इस शिविर में गणित विषय के प्राध्यापकों को वैदिक तरीके से गणित पढ़ाने का तरीका सिखाया गया। इस शिविर के समापन अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी बिजेंद्र सिंह नरवाल ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। इसके साथ ही शिविर में वैदिक गणित के 16 सूत्र और 13 उपसूत्र की जानकारी दी। जबकि शिविर में चार मास्टर ट्रेनरों ने प्राध्यापकों को प्रशिक्षण दिया। शिविर में जिलेभर से गणित विषय के 70 प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। शिविर का संचालन जिला गणित विशेषज्ञ जितेंद्र सिंह ने किया। मास्टर ट्रेनर सुशील कुमार ने बताया कि वैदिक गणित के तीन दिवसीय शिविर में प्राध्यापकों को प्राचीन गणित की विस्तार से जानकारी दी गई। सुशील ने कहा कि शिविर में बताया गया कि किस प्रकार से हमारे देश में प्राचीन काल में गणित का अविष्कार हुआ और यह वैदिक रूप से कितना अधिक समृद्ध और उन्नत होता था। इसी शैली को लेकर प्राध्यापकों को तीन दिन तक गणित विषय की जानकारी दी गई है। इसमें यह भी बताया कि हम किस प्रकार से गणित को बेहद ही आसान तरीके से विद्यार्थियों को इसकी जानकारी दे सकते हैं।

भारतीय प्राचीन ग्रंथों में मौजूद वैज्ञानिक तथ्य

गणित शास्त्र की परम्परा भारत में बहुत प्राचीन काल से ही रही है। गणित के महत्व को प्रतिपादित करने वाला एक श्लोक प्राचीन काल से प्रचलित है। यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्‌।। (याजुष ज्योतिषम) अर्थात्‌ जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि सबसे ऊपर रहती है, उसी प्रकार वेदांग और शास्त्रों में गणित सर्वोच्च स्थान पर स्थित है। ईशावास्योपनिषद् के शांति मंत्र में कहा गया है- ॐपूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।। यह मंत्र मात्र आध्यात्मिक वर्णन नहीं है, अपितु इसमें अत्यंत महत्वपूर्ण गणितीय संकेत छिपा है, जो समग्र गणित शास्त्र का आधार बना। मंत्र कहता है, यह भी पूर्ण है, वह भी पूर्ण है, पूर्ण से पूर्ण की उत्पत्ति होती है, तो भी वह पूर्ण है और अंत में पूर्ण में लीन होने पर भी अवशिष्ट पूर्ण ही रहता है। जो वैशिष्ट्य पूर्ण के वर्णन में है वही वैशिष्ट्य शून्य व अनंत में है। शून्य में शून्य जोड़ने या घटाने पर शून्य ही रहता है। यही बात अनन्त की भी है। हमारे यहां जगत के संदर्भ में विचार करते समय दो प्रकार के चिंतक हुए। एक इति और दूसरा नेति। इति यानी पूर्णता के बारे में कहने वाले। नेति यानी शून्यता के बारे में कहने वाले। यह शून्य का आविष्कार गणना की दृष्टि से, गणित के विकास की दृष्टि से अप्रतिम रहा है। भारत गणित शास्त्र का जन्मदाता रहा है, यह दुनिया भी मानने लगी है। यूरोप की सबसे पुरानी गणित की पुस्तक "कोडेक्स विजिलेन्स" है। यह पुस्तक स्पेन की राजधानी मेड्रिड के संग्राहलय में रखी है। इसमें लिखा है- "गणना के चिन्हों से (अंकों से) हमें यह अनुभव होता है कि प्राचीन हिन्दुआें की बुद्धि बड़ी पैनी थी तथा अ...

गणित के सभी सूत्र (All Mathematics Formulas In Hindi)

❊ PDF Details PDF Name - All Mathematics Formulas In Hindi Language - Hindi Number of Pages - 67 Writer - Ankit Yadav Published By - Knowledge Hub ISBN - #NA Copyright Date - 02-02-2022 Copyrighted By - Knowledge Hub Adult content - No Categories - Math, Mathematics, Maths Formula, Description - Download Complete pdf of Tags - maths formulas for class 9 pdf, maths formulas for class 10 pdf, math ka formula, 7th class maths formulas, mathematics sutra class 10, all maths formulas, maths formulas for class 12 pdf free download, math ka sutra, maths class 8 all formulas, maths formulas for class 6 to 8,

भारतीय प्राचीन ग्रंथों में मौजूद वैज्ञानिक तथ्य

गणित शास्त्र की परम्परा भारत में बहुत प्राचीन काल से ही रही है। गणित के महत्व को प्रतिपादित करने वाला एक श्लोक प्राचीन काल से प्रचलित है। यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा। तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्‌।। (याजुष ज्योतिषम) अर्थात्‌ जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि सबसे ऊपर रहती है, उसी प्रकार वेदांग और शास्त्रों में गणित सर्वोच्च स्थान पर स्थित है। ईशावास्योपनिषद् के शांति मंत्र में कहा गया है- ॐपूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।। यह मंत्र मात्र आध्यात्मिक वर्णन नहीं है, अपितु इसमें अत्यंत महत्वपूर्ण गणितीय संकेत छिपा है, जो समग्र गणित शास्त्र का आधार बना। मंत्र कहता है, यह भी पूर्ण है, वह भी पूर्ण है, पूर्ण से पूर्ण की उत्पत्ति होती है, तो भी वह पूर्ण है और अंत में पूर्ण में लीन होने पर भी अवशिष्ट पूर्ण ही रहता है। जो वैशिष्ट्य पूर्ण के वर्णन में है वही वैशिष्ट्य शून्य व अनंत में है। शून्य में शून्य जोड़ने या घटाने पर शून्य ही रहता है। यही बात अनन्त की भी है। हमारे यहां जगत के संदर्भ में विचार करते समय दो प्रकार के चिंतक हुए। एक इति और दूसरा नेति। इति यानी पूर्णता के बारे में कहने वाले। नेति यानी शून्यता के बारे में कहने वाले। यह शून्य का आविष्कार गणना की दृष्टि से, गणित के विकास की दृष्टि से अप्रतिम रहा है। भारत गणित शास्त्र का जन्मदाता रहा है, यह दुनिया भी मानने लगी है। यूरोप की सबसे पुरानी गणित की पुस्तक "कोडेक्स विजिलेन्स" है। यह पुस्तक स्पेन की राजधानी मेड्रिड के संग्राहलय में रखी है। इसमें लिखा है- "गणना के चिन्हों से (अंकों से) हमें यह अनुभव होता है कि प्राचीन हिन्दुआें की बुद्धि बड़ी पैनी थी तथा अ...

गणित के सभी सूत्र (All Mathematics Formulas In Hindi)

❊ PDF Details PDF Name - All Mathematics Formulas In Hindi Language - Hindi Number of Pages - 67 Writer - Ankit Yadav Published By - Knowledge Hub ISBN - #NA Copyright Date - 02-02-2022 Copyrighted By - Knowledge Hub Adult content - No Categories - Math, Mathematics, Maths Formula, Description - Download Complete pdf of Tags - maths formulas for class 9 pdf, maths formulas for class 10 pdf, math ka formula, 7th class maths formulas, mathematics sutra class 10, all maths formulas, maths formulas for class 12 pdf free download, math ka sutra, maths class 8 all formulas, maths formulas for class 6 to 8,

[PDF] वैदिक गणित

प्राचीन वैदिक गणित वेद शब्द की व्युत्पति ‘विद्’ धातु मे हुई है, जिसका मर्थ होता है ‘ज्ञान’ (विद् ज्ञानेन्) । प्रतः शब्द ध्युस्पति के भाघार पर वेद’ का अर्थ होगा ‘ज्ञान सग्रह ‘ ! लेटिन भाषा की एक धातु है, ‘विडर’ ( vider ), जिससे प्रांग्ल भाषा का शब्द “विजन” (Vision) बना है । “विजन” का अर्य है “दर्शन” । प्राग्ल भाषा-भापी इसी शब्द को वेदों हेतु प्रयुक्त करते है 1 इन दोनों शब्दों के घ्राधार पर यदि हम वेदो की परिभापा करें, तो कहेगे कि ” वेद साक्षात्कार किए हुए जान का मंत्रह है ।” परिभाषा के दो शब्द ज्ञान व साक्षात्कार विशेष महत्व के हैं । पहला शब्द है ‘ज्ञान’ ! प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि ज्ञान क्या है ? कैसे व कहा से प्राप्त होता है ? क्या मानव ही ज्ञान का सृजक है ? प्रश्नों का सामान्य उत्तर यही है फि ज्ञान मानवीय सृष्टि को भौतिक व प्राध्यादिमेंक जानकारी को कहते है । इसका निर्माता मानव नही व न ही पुस्तकें ज्ञान की प्राप्ति का मूल स्थान है । हां मानव पुस्तक लिखता है, उसे पढ़कर हम ज्ञान प्राप्त करते है, लेकिन स्वयं पुस्तक के लेखक ने भी अपने पूर्ववर्ती प्राचार्यों से ज्ञान प्राप्त किया है । इस प्रकार यदि हम इस ज्ञान की परम्परा का मूल ढू ढने का प्रयास करे तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व वाल की प्रोर बढ़ना होगा।हूँ ढने का प्रयास करें तो हमे उत्तरोत्तर प्रपने पूर्व काल की शोर बढ़ना होगा। अन्ततोगत्वा हम मानवी सृष्टि के प्रादि तक पहुँच जाते है प्रथात् आंदि मानव तक पहुँच जाते हैं। लेकिन क्या वह प्रादि मानव ही ज्ञान का सृष्टा था। नही ! य दि वह सृष्टा होता तो निश्चित रूप से परवर्ती मानव भी ज्ञान का सृष्टा होता। तब प्रश्न यह उठता है कि जब प्रादि मानव भी ज्ञान का सृप्टा नही भ, तो उसे ज्ञान ...

क्या होता है वैदिक गणित?

आजके आधुनिक समय मे प्रत्येक क्षेत्र मे गतिशीलता दिखाई पडती है, जहाँ पर अचूकता के साथ कार्य की गती को भी अधिक महत्व दिया जाता है, वैदिक गणित सही मायने मे इसी हेतू आपके लिये मददगार साबित होता है। आपको कम समय मे वैदिक सूत्र से ना केवल सही परिणाम प्राप्त होते है, बल्की इसकी विधी समझने मे और लागू करने काफी आसान होती है। चाहे आप प्रतियोगीता परीक्षा मे सफलता हेतू प्रयासरत छात्र हो, या फिर शिक्षा क्षेत्र से क्या होता है वैदिक गणित? संपूर्ण महत्वपूर्ण विश्लेषण – Vedic Maths in Hindi वैदिक गणित क्या होता है? – What is a Vedic Maths जैसा के हमने शुरू मे कहाँ के वेद को अपौरुषेय माना जाता है जिसके अंतर्गत गणित से जुडे कुछ ऐसे सूत्र मौजूद है जिनके उपर शुरुवात से अध्ययन और विचार हुआ। उस समयकाल मे अंकगणना और गणितीय क्रिया को करने हेतू आजके जमाने मे उपलब्ध आधुनिक उपकरण जैसे आपको बता दे आज मौजूद वैदिक गणित के सभी सूत्र वेद से लिये गये है, जिनका संकलन और नये से रूपांतरण जगद्गुरू श्री. भारती कृष्ण तीर्थ जी ने साल १९११ से साल १९१८ के बिच किया था। मुख्य रूप से १६ सूत्र और १३ उप सूत्र का संग्रह भारती तीर्थजी ने किया था, जिसके मदद से अंकगणित, बीजगणित, ज्यामित, गणना, आदि से संबंधित प्रश्न कम से कम समय मे आसानी से हल कर सकते है। ये सभी सूत्र मुख्यतः संस्कृत भाषा मे मौजूद है, जिनके द्वारा कठीण प्रश्नो को भी सूत्र और कुछ क्रमगत नियमो(चरणो) द्वारा हल किया जाता है। साल १९६५ मे भारती कृष्ण तीर्थजी द्वारा संग्रहित किये गये सुत्रो के आधार पर ‘वैदिक मैथमेटिक्स’ नाम की किताब भी प्रकशित की गई थी, वैसे इस संग्रहित जानकारी के संदर्भ पर और भी किताबे आजकल मौजूद है। इस विषय पर अन्य महत्वपूर्ण पह्लूओ पर आगे आपको ज...