वैदिक विवाह पद्धति pdf

  1. Sri Vaidik Vishwakarma Pooja with Hindi Vidhi PDF
  2. अथ विवाह पद्धति : पं० ज्ञानचंद्र द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक
  3. [PDF] विवाह पद्धति:
  4. Vedik Sookta Sangrah Gita Press ( वैदिक सूक्त संग्रह गीता प्रेस) PDF
  5. वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक
  6. वैदिक विवाह पद्धति
  7. विवाह संस्कार करें सिर्फ वैदिक रीति से, आखिर क्यों? जानिए...
  8. Vedik Sookta Sangrah Gita Press ( वैदिक सूक्त संग्रह गीता प्रेस) PDF
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Sri Vaidik Vishwakarma Pooja with Hindi Vidhi PDF

संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

अथ विवाह पद्धति : पं० ज्ञानचंद्र द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक

सभी Hindi Pdf Book यहाँ देखें सभी Audiobooks in Hindi यहाँ सुनें अथ विवाह पद्धति का संछिप्त विवरण : विवाह के दिन नित्य क्रियां (सन्ध्या और अपने इष्टदेव का पूजन) करके दामाद के पिता को सबसे पहले गौर्यादि षोडश मातृकाओं के पूजन के बाद नान्दीमुख श्राद्ध करना चाहिये। कन्या का पिता शौचादि से पवित्र हो स्नान कर, शुद्ध वस्त्रों को धारण कर सन्ध्योपासन आदि नित्य कर्मों को करके षोडश मातृपूजा के बाद नान्दीमुख श्राद्ध करे………. Atha Vivah Paddhati PDF Pustak Ka Sankshipt Vivaran : Vivah ke din dainik karmakand (Sandhya aur apne ichchhit devata ki pooja) karane ke bad, damad ke Pita ko pahale Gauri jaise solah matrkaon ki pooja karne ke bad Nandeemukh Shraddh karna chahiye. Dulhan ke Pita ko prasadhanon se shuddh karna chahiye, snan karna chahiye, saph kapde pahanana chahiye, Sandhyapasana jaise dainik anushthan karna chahiye aur solah matra-pooja ke bad Nandimukh shraddh karna chahiye. Short Description of Atha Vivah Paddhati PDF Book : On the day of marriage, after performing daily rituals (evening and worshiping his presiding deity), the son-in-law’s father should first perform Nandimukh Shradh after worshiping the Gauryadi shodash matrikas. The father of the girl should be pure from toilets, take bath, wear pure clothes, do sandhyapasan, etc., do the daily rituals and perform Nandimukh Shradh after the shodash matri pooja…….. 44Books का एंड्रोइड एप डाउनलोड करें “कर्म सही या गलत नहीं होता है। लेकिन जब कर्म आंशिक, अधूरा होता है, सही या गलत की बात तब सामने आती है।” – ब्रूस ली “Action is n...

[PDF] विवाह पद्धति:

Book Title विवाह पद्धति: | Vivah Paddhati | गुरु प्रसाद शर्मा - Guru Prasad Sharma Upload by free hindi books Category File Type PDF - ZIP Material Type Book,eBook,pdf Book,ePub Availability OnlineOnly Supported Device Mobile, Desktop, Tablet Downloadable Yes Total files 1 files Copyright © (CC0 1.0) Public Domain Dedication Download Link Available ✔ Scan Quality Best No watermark Keywords दार्शनिक / Philosophical ,विवाह पद्धति: | Vivah Paddhati

Vedik Sookta Sangrah Gita Press ( वैदिक सूक्त संग्रह गीता प्रेस) PDF

• Buy Now • संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक

वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vedic Pravachan Hindi Book इस पुस्तक का नाम है :वैदिक प्रवचन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : सुरेश चंद्र वेदालंकर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : आर्य प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 145 MB है | इस पुस्तक में कुल 310 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वैदिक प्रवचन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं. Name of the book is : Vedic Pravachan | This book is written/edited by : Suresh Chandra Vedalankar | This book is published by : Arya Prakashan, Delhi | PDF file of this book is of size 145 MB approximately. This book has a total of 310 pages. Download link of the book "Vedic Pravachan" has been given further on this page from where you can download it for free. पुस्तक के लेखक पुस्तक की श्रेणी पुस्तक का साइज कुल पृष्ठ सुरेश चंद्र वेदालंकार धार्मिक 145 MB 310 पुस्तक से : यह बेहद आश्चर्य की बात थी कि वहाँ के बच्चे जहाँ गायत्रीमन्त्र और वेदादि के बारेमें जान गये थे तथा अशिक्षित महिलाएँ भी शादी विवाह में गाली आदि के स्थान पर आर्यसमाज के भजन गाती थीं। प्रभात वन्दन के समय वेदमन्त्र गाये जाते थे। साप्ताहिक यज्ञमें भी लोग भाग लेने लगे थे। इस ग्रन्थ का मुद्रण आरम्भ होने से पहले ही लेखक दिवंगत हो गये। उनकी सारी पाण्डुलिपि का संशोधन तथा परिवर्धनका कार्य उनकी इच्छानुसार से मैंने ही किया है। अपनी ओर से पुस्तक की भाषाको निखारा है। वेदालंकारजी अपनी इस कृति को देखते तो निश्चय ही उनको प्रसन्नता होती। मैं जिनके बारे में लिख रहा हूँ उन्होंने अपने पूरे जीवन में आ...

वैदिक विवाह पद्धति

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विवाह संस्कार करें सिर्फ वैदिक रीति से, आखिर क्यों? जानिए...

हिन्दू शास्त्रों में प्रमुख 16 संस्कारों में विवाह भी है। यदि वह संन्यास नहीं लेता है तो प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करना जरूरी है। विवाह करने के बाद ही पितृऋण चुकाया जा सकता है। वि + वाह = विवाह अर्थात अत: इसका शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। विवाह को पाणिग्रहण कहा जाता है। दरअसल, विवाह संस्कार हिन्दू धर्म संस्कारों में 'त्रयोदश संस्कार' है। निषेध विवाह : विवाह करके एक पत्नी व्रत धारण करना ही सभ्य मानव की निशानी है। बहुत सोच-समझ कर वैदिक ऋषियों ने विवाह के कुछ प्रकार बताएं जिसमें से कुछ तरह के विवाह को समाज में निषेध किया गया। प्रजापत्य विवाह, गंधर्व विवाह, असुर विवाह, राक्षस विवाह, पैशाच विवाह आदि। आधुनिकता के नाम पर 'लिव इन रिलेशनशिप' जैसे निषेध विवाह को बढ़ावा देना देश और धर्म के विरुद्ध ही है। इस तरह के विवाह कुल के नाश और देश के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। प्रत्येक प्रांत में हिन्दुओं ने अपने विवाह के रीति रिवाज को स्थानीयता के आधार पर गढ़ा है। प्राचीन काल में ऐसा नहीं था। सभी वेद सम्मत विवाह ही करते थे। लंबी काल परंपरा और विदेशी धर्म और संस्कृति के मिश्रण के कारण हिन्दू विवाह संस्कार में विकृति आ गई जिसके चलते प्रत्येक समाज, प्रांत और स्थान विशेष के विवाह संस्कार भी भिन्न हो गए जो कि अनुचित है। हिन्दू धर्म का एकमात्र धर्मग्रंथ वेद हैं। वेद अनुसार किए गए विवाह संस्कार ही शास्त्रसम्मत होते हैं। वेदों के अलावा गृहसूत्रों में संस्कारों का उल्लेख मिलता है। विवाह को हिन्दुओं के प्रमुख 16 संस्कारों में से एक माना जाता है जो कि बहुत ही पवित्र कर्म होता है। इसी संस्कार के बाद व्यक्ति गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। यदि यह संस्कार उचित रीत...

Vedik Sookta Sangrah Gita Press ( वैदिक सूक्त संग्रह गीता प्रेस) PDF

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वैदिक विवाह पद्धति

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वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक

वैदिक प्रवचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vedic Pravachan Hindi Book इस पुस्तक का नाम है :वैदिक प्रवचन | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : सुरेश चंद्र वेदालंकर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : आर्य प्रकाशन, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का कुल आकार लगभग 145 MB है | इस पुस्तक में कुल 310 पृष्ठ हैं | आगे इस पेज पर "वैदिक प्रवचन" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं. Name of the book is : Vedic Pravachan | This book is written/edited by : Suresh Chandra Vedalankar | This book is published by : Arya Prakashan, Delhi | PDF file of this book is of size 145 MB approximately. This book has a total of 310 pages. Download link of the book "Vedic Pravachan" has been given further on this page from where you can download it for free. पुस्तक के लेखक पुस्तक की श्रेणी पुस्तक का साइज कुल पृष्ठ सुरेश चंद्र वेदालंकार धार्मिक 145 MB 310 पुस्तक से : यह बेहद आश्चर्य की बात थी कि वहाँ के बच्चे जहाँ गायत्रीमन्त्र और वेदादि के बारेमें जान गये थे तथा अशिक्षित महिलाएँ भी शादी विवाह में गाली आदि के स्थान पर आर्यसमाज के भजन गाती थीं। प्रभात वन्दन के समय वेदमन्त्र गाये जाते थे। साप्ताहिक यज्ञमें भी लोग भाग लेने लगे थे। इस ग्रन्थ का मुद्रण आरम्भ होने से पहले ही लेखक दिवंगत हो गये। उनकी सारी पाण्डुलिपि का संशोधन तथा परिवर्धनका कार्य उनकी इच्छानुसार से मैंने ही किया है। अपनी ओर से पुस्तक की भाषाको निखारा है। वेदालंकारजी अपनी इस कृति को देखते तो निश्चय ही उनको प्रसन्नता होती। मैं जिनके बारे में लिख रहा हूँ उन्होंने अपने पूरे जीवन में आ...