वैश्वीकरण की परिभाषा

  1. Vaishvikaran Kya Hai
  2. वैश्वीकरण (GLOBALISATION): अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ, कारक, लाभ तथा सीमाएँ
  3. वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान
  4. भूमण्डलीकरण की समस्याएँ
  5. Vaishvikaran kya hai
  6. What Is Globalization In Hindi
  7. शोध आलेख : भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण का प्रभाव : एक महत्वपूर्ण समीक्षा / डॉ. जगदीप सिंह एवं डॉ. ममता कुमारी
  8. शोध आलेख : किसानों पर आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण एवं वैश्वीकरण के प्रभावो का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन / सुरेश कुमार भावरियॉ
  9. अब वैश्वीकरण का अर्थ केवल वित्तीय लाभ नहीं


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Vaishvikaran Kya Hai

अगर आपको जानना है की वैश्वीकरण क्या है (Vaishvikaran kya hai), वैश्वीकरण के उद्देश्य क्या हैं, वैश्वीकरण की परिभाषा क्या है, वैश्वीकरण के कारण क्या हैं, वैश्वीकरण के प्रभाव जैसे – वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव, वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव, वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव, वैश्वीकरण की विशेषताएं क्या हैं, वैश्वीकरण के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं, वैश्वीकरण किस तरह दुनिया को प्रभावित करता है जिसमें हम रहते हैं? तो आपके सभी सवालों का जवाब इस Post में दिया गया है। वैश्वीकरण एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग अक्सर अर्थशास्त्र, राजनीति और संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है। इस लेख में, हम वैश्वीकरण की अवधारणा और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में गहराई से जानेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • • वैश्वीकरण क्या है (vaishvikaran kya hai) वैश्वीकरण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं, समाजों और संस्कृतियों के एकीकरण को संदर्भित करता है। वैश्वीकरण ने दुनिया को कई तरह से बदलने का काम किया है। यह कोई नई अवधारणा नहीं है बल्कि सदियों से चली आ रही प्रक्रिया है। हालांकि, हाल के दशकों में प्रौद्योगिकी, परिवहन और संचार में प्रगति के कारण इसमें तेजी आई है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया का मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण की परिभाषा – वैश्वीकरण में व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और राजनीति सहित मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं का एकीकरण शामिल है। वैश्वीकरण ने एक ऐसे वैश्विक अर्थव्यवस्था का उदय किया है, जहाँ वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और उसका व्यापार सीमाओं के दूसरी ओर किया जाता है, तथा एक ऐसी वैश्विक संस्कृति को निरूपित किया है, जहाँ लोग दुनि...

वैश्वीकरण (GLOBALISATION): अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ, कारक, लाभ तथा सीमाएँ

भूमण्डलीकरण/वैश्वीकरण (GLOBALISATION): वैश्वीकरण का अर्थ (Meaning of Globalisation) ‘वैश्वीकरण’ शब्द का अर्थ सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ‘संयोजन’ से है और यह इसी पर बल देता है| ‘वैश्वीकरण’ अंग्रेजी शब्द ग्लोबलाइजेशन (Globalisation) का हिन्दी रूपान्तरण है, जिसका अर्थ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सम्पूर्ण वैश्विक भूखण्ड से है। वैश्वीकरण के विचार को लेकर विद्वानों में अलग-अलग मत हैं। कोई इसे आर्थिक दृष्टि से समझता है तो कोई सामाजिक, राजनीतिक रूप में आंकलन करता है। भारतीय कथन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को ही आज सम्पूर्ण विश्व वैश्वीकरण के माध्यम से चरितार्थ कर रहा है। वैश्वीकरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम एंथनी गिडेंस (Anthony Giddens) ने किया। सामान्य अर्थ में इसका अभिप्राय सम्पूर्ण विश्व एक परिवार के रूप में एकीकृत होकर अपनी भौगोलिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं सामाजिक दूरियों को मिटाकर मानव समाज के एकीकरण की प्रक्रिया को पूर्ण करना है। वैश्वीकरण ने भौगोलिक दूरियों को कम किया है. साथ-साथ प्रादेशिक सीमाओं का महत्त्व भी निरंतर कम होने लगा है। प्रो. टी. के. राघवन के अनुसार,“विश्व की अर्थव्यवस्था का विकास एवं सामाजिक विकास राज्य के नियन्त्रण की सीमितता के अन्तर्गत होता है, तब यह प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है।” वैश्वीकरण एक जटिल आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रक्रिया है। सामाजिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में वैश्वीकरण की प्रक्रिया समय और दूरी का राष्ट्र-राज्य से आगे की प्रक्रिया है। यह पूँजी, श्रम, उत्पाद, प्रौद्योगिकी और सूचना के माध्यम से आधुनिकीकरण, राष्ट्र-निर्माण एवं राष्ट्रों के बीच गठबंधन के साथ ही उत्पन्न हो रही है। इसमें वैश्विक अन्तर्सम्बद्धता का त्वरित विचार, सम्बन्ध और सम्पर्क, चिरस्थाई...

वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान

आप सभी जानते हैं कि आज विदेशी व्यापार की बढ़ती हुई प्रवृति ने पूरे विश्व के वैश्वीकरण (vaishvikaran) के कारण हम आज अपने द्वारा निर्मित वस्तुओं या सेवाओं का प्रचार-प्रसार मिनटों में विश्व के किसी भी देश, महाद्वीप पर एक बटन दबाते ही कर सकते हैं। पलक झपकते ही विश्व में स्थित किसी भी बाज़ार की जानकारी ले सकते हैं। यह वैश्वीकरण का परिणाम ही है। वैश्वीकरण किसे कहते हैं? Vaishvikaran kise kahte hain? सामान्य रूप से वैश्वीकरण का अर्थ समझें तो सम्पूर्ण विश्व को एक सत्ता (Entity) के रूप में मानना ही वैश्वीकरण कहलाता है। वैश्वीकरण के अंतर्गत सभी आर्थिक बाधाओं को हटा दिया जाता है। जिससे कि बाज़ार शक्तियाँ स्वतंत्र रूप से अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर सकें। आज के समय में अनेक कंपनियां ऐसी हैं जो अपने देश के अलावा किसी बाहरी देश यानि कि किसी बाहरी स्रोत (बाह्य प्रापण) से भी नियमित सेवाएँ लेती हैं। जैसे कि क़ानूनी सलाह, चिकित्सा संबंधी परामर्श, कंप्यूटर सेवा, बैंक सेवा, विज्ञापन, सुरक्षा आदि। अब ध्वनि आधारित व्यावसायिक प्रक्रिया, अभिलेखांकन, लेखांकन, संगीत की रिकार्डिंग, फ़िल्म संपादन, पुस्तक शब्दांकन और यहाँ तक कि शिक्षण कार्य भी बाह्य स्रोतों के माध्यम से किया जाने लगा है। शिक्षण कार्य वैश्वीकरण का एक बेहतर उदाहरण है। आज आप बड़ी ही आसानी से घर बैठे देश-विदेश के किसी भी शहर में संचालित संस्था या कोचिंग का लाभ ले सकते हैं। विश्व की किसी भी लेखक की क़िताब का अध्ययन घर बैठे कर सकते हैं। परीक्षा के दिनों में आप ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ लेते हैं। जिन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए आपको, दूरस्थ शहरों तक जाना होता था। समय और पैसा ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता था। अब आप एक निश्चित फ़ीस देकर इन सेवाओं का लाभ आसानी से ल...

भूमण्डलीकरण की समस्याएँ

अनुक्रम (Contents) • • • • • वैश्वीकरण क्या है? ( What is Globalization?) भूमण्डलीकरण की समस्याएँ-वैश्वीकरण एक प्रक्रिया (Process) है, जबकि वैश्विकृत विश्व (Globalized World) लक्ष्य है, जिसे हासिल किया जाना है। साधारणत: यह एक आर्थिक संकल्पना है परंतु इसके राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्रोद्योगिकी आयाम भी हैं। वैश्वीकरण आखिरकार क्या है? इसके प्रमुख घटक क्या है? इसके लिए वैश्वीकरण की कोई सार्वभौमिक एवं निश्चित परिभाषा नहीं है। सामान्य अर्थों में वैश्वीकरण से तात्पर्य भौगोलिक सीमाओं का न होना तथा भौगोलिक दूरियों की समाप्ति को माना जा सकता है। अर्थात् अलग-अलग राष्ट्रों (देशों) एवं व्यक्तियों से संबंधित विचारों, तकनीकों, संस्कृतियों तथा अर्थव्यवस्थाओं के बीच घटती दूरियां तथा अदान-प्रदान है। थॉमस मैथ्यू के अनुसार- “वैश्वीकरण परिवर्तन की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो सीमा-पार क्रियाओं की वृद्धि तथा सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के संयोग से घटित होती है तथा जो विश्व स्तर पर सम्प्रेषण में सहायक होती है।” श्रीकान्त सोमनके अनुसार, “वैश्वीकरण से तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ना है।” सर वाधुल के अनुसार, “वैश्वीकरण शब्द बाजार क्षेत्र के तीव्र गति से विस्तार को प्रकट करता है, जो विश्वव्यापी पहुँच रखता है।” प्रो. मधु दण्डवते के अनुसार, “वैश्वीकरण से आशय किसी एक अर्थव्यवस्था का अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय करना है, ताकि विकास तथा व्यापार की सन्तुलित वृद्धि हो सके तथा सम्पत्ति के चक्रकार समुद्र के बीच से सम्पत्ति के द्वीपों को समाप्त किया जा सके।” भूमंडलीकरण (वैश्वीकरण) की विशेषताएँ क्या है ? वैश्वीकरण की निम्नलिखित विशेषताएँ है : • वैश्वीकरण की ये एक प्रमुख विशेषताएं है की इस के ...

Vaishvikaran kya hai

Vaishvikaran kya haiयह बात तो सभी विद्यार्थी अवश्य जानते होंगे कि पिछले कुछ वर्षों में हमारा बाजार पूरी तरह बदल गया है इस बदलाव का मुख्य कारण हम यह मान सकते हैं कि हमारे यातायात, संचार तथा उत्पादन तकनीको मे बहुत बड़ा बदलाव आया है पिछले कुछ वर्षों में वैश्वीकरण यानी जिसे हम भूमंडलीकरण भी कहते हैं शब्द का इस्तेमाल खूब किया जाने लगा है क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिसे समझना अति आवश्यक है और लेखक भी यह बात मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने के लिए वैश्वीकरण के प्रभावों को समझना अति आवश्यक है यह बात सभी विद्यार्थी मानने लगे हैं कि वैश्वीकरण के प्रभावों के कारण हमारे जीवन में अनेक परिवर्तन आए हैं जैसे दैनिक जीवन में अनेक प्रकार के कार्य, हमारा खान-पान, पहनावा व इसके अतिरिक्त सभी क्रियाकलाप में परिवर्तन हुआ है उदाहरण के रूप में जींस, बर्गर, पिज़्ज़ा जैसी चीजें हमारी परंपराओं का हिस्सा नहीं है परन्तु आज के समय में यह चीजे हमारे जीवन की प्राथमिक वस्तुएं है यह सब वैश्वीकरण का ही एक प्रभाव है जो पश्चिमी सभ्यता से भारत में भी अपनाया गया है वैश्वीकरण की परिभाषा Globalization definition in hindiवैसे तो वैश्वीकरण की कोई सटीक परिभाषा नहीं है परंतु इस निति को हम इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं • परिभाषा 1 – पूंजी, वस्तुओं, सेवाओं, विचारों व अन्य चीजों का एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्र प्रभाव की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण कहलाती हैं • परिभाषा 2 – इसे हम इस प्रकार से भी परिभाषित कर सकते हैं “एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें दो देश पूंजी, विचारों, वस्तुओं, सेवाओं और व्यवसायिक गतिविधियां के माध्यम से आपस में जुड़े होते हैं उसे हम वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण भी कह सकते हैं” • परिभाषा 3 – “वैश्वीकरण ह...

What Is Globalization In Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • सबसे पहले हम वैश्विकरण का अर्थ जानेंगे | वैश्वीकरण का अर्थ होता है: विश्व + एकीकरण, अर्थात आपसी सहयोग | • वस्तुओ, सेवाओं, विचारों एवं व्यक्तियों का देशो के बीच आवागमन | एक छत के नीचे आकर एक दुसरे की मदद करना| • भूमंडलीकरण का अर्थ होता है: भू + मंडलीकरण अर्थात समाहित करना | • देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना ही भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण कहलाता है | • वैश्वीकरण के इतिहास की बात करें तो ये कोई आज की प्रक्रिया नहीं है ये तो कई सालो से चली आ रही है लेकिन आधुनिक वैश्वीकरण की बात करे तो ये 1991 से शुरू हुई है | • ये प्रक्रिया तो हड्डपा सभ्यता के समय से चल रही है कहते हैं की हडप्पा सभ्यता के समय व्यापार ओमान और मेसोपोटामिया से हुआ करता था | • पहले राजा महाराजा के काल में भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया थी लेकिन उस समय में वैश्वीकरण विस्तार से नहीं होती थी और ना ही ज्यादा दूर तक होती थी मगर उस समय भी एक मुल्क से दुसरे मुल्क के साथ राजस्व रहता था | • आधुनिक इतिहास में सारी चीजे बदल गयी हैं लोगो के तरके बदल गये है तकनीक तेजी से बढ़ रही हैं | • लेकिन अब के समय में दायरों में बदलाव हो गये हैं क्योकि पहले के समय की तुलना में अब चीजे आसान हो गयी हैं बहुत सारी सुविधाए हो गयी है सारे काम अब चुटकियो में हो जाते हैं ज्यादा समय नहीं लगता है हमें कोई भी व्यापार करना हो तो हम हवाई जहाजो और पानी के जहाजो से कर लेते हैं | • लेकिन अब आधुनिक परिभाषा की बाते करे तो क्षेत्रीय एवं स्थानीय वस्तुओ व सेवाओ का अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रवाह वैश्वीकरण कहलाता है | निम्नलिखित कारणों से वैश्वीकरण का आदान प्रदान होता है : • पूंजी • वस्तुओ • विचारों • श...

शोध आलेख : भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण का प्रभाव : एक महत्वपूर्ण समीक्षा / डॉ. जगदीप सिंह एवं डॉ. ममता कुमारी

शोध सार : भारतीय इतिहास के पन्नों में दर्ज़ है कि महिलाओं को सामाजिक दबाव , जाति के आधार पर भेदभाव और अन्य प्रकार की सामाजिक बाधाओं जैसे उत्पादक संसाधनों तक सीमित पहुंच , गरीबी , उन्नति के सीमित अवसर , लाचारी और बहिष्कार जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर , वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप महिलाओं के लिए नई परिस्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला का उदय हुआ है , जिसका उनके जीवन के लगभग हर पहलू पर प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन ने मीडिया की भूमिका , शिक्षा , सांस्कृतिक पहलुओं , राजनीति में महिलाओं की भूमिका , समाज में महिलाओं की भागीदारी और वैश्वीकरण के अन्य सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के संदर्भ में महिलाओं के जीवन पर वैश्वीकरण के प्रभावों को समझने की कोशिश की है। 1.1. महिलाओं की वर्तमान स्थिति महिलाएं विकास की महत्त्वपूर्ण सूत्रधार हैं। वे सतत विकास के लिए आवश्यक परिवर्तनकारी आर्थिक , पर्यावरणीय और सामाजिक परिवर्तनों को साकार करने की दिशा में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाती हैं। लेकिन क्रेडिट , स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक अपर्याप्त पहुंच उनके सामने आने वाली कई समस्याओं में से एक है। दुनिया भर में कृषि और आर्थिक कठिनाइयों के साथ - साथ जलवायु परिवर्तन ने स्थिति की गंभीरता को बढ़ा दिया है। (unwomen.org) के अनुसार , महिला सशक्तिकरण न केवल व्यक्तियों , परिवारों और ग्रामीण समुदायों की भलाई के लिए आवश्यक है , बल्कि विश्व के कृषि श्रमिकों की समग्र आर्थिक उत्पादकता के लिए भी आवश्यक है , विश्व स्तर पर कृषि श्रम में महिलाओं के महत्वपूर्ण अनुपात को देखते हुए। दुनिया में अधिकार सबसे गरीब महिलाएं हैं। गरीबी उन्मूलन ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। विश्व बैंक के नए गरीबी ...

शोध आलेख : किसानों पर आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण एवं वैश्वीकरण के प्रभावो का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन / सुरेश कुमार भावरियॉ

शोध आलेख : किसानों पर आधुनिकीकरण , पश्चिमीकरण एवं वैश्वीकरण के प्रभावो का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन ( जयपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में ) -सुरेश कुमार भा वरि यॉ शोध सार : भारत एक कृषि प्रधान देश है , यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है । इसमें राजस्थान राज्य की भी लगभग 70% जनसंख्या कृषि कार्यो में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है । राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद शुष्क मरुस्थ लिय जलवायु और पानी की कमी के कारण कृषि उत्पादन में पिछड़ा हुआ है । जिस देश और राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान हो और अधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कृषि से जुड़ी तो उस देश व राज्य सरकार का यह उत्तरदायित्व होता है कि किसानों की उन्नति पर विशेष ध्यान दें । किसान अनेक समस्याओं जैसे - अ शिक्षा , अज्ञानता , अंधविश्वास , सामाजिक कुरीतियां , आत्महत्या , ऋण ग्रस्तता , मा नसून की विफलता , इनपुट लागत में वृद्धि आदि समस्याओं से जूझ र हे है । किसानों की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए आधुनिकीकरण , पश्चिमीकरण एवं वैश्वीकरण के साथ - साथ कृषि ऋण व्यवस्था , कृषि विपणन व्यवस्था , सतत कृषि विकास , योजनाबद्ध तरीकों से विभिन्न योजनाओं को लागू करना जरूरी है तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं में दी जाने वाली सब्सिडी का सामाजिक अंकेशन ( सोशल ऑडिट ) करना जरूरी है , ताकि सरकारी कर्मचारियों , अधिकारियों एवं बिचौलि ए किसानों को दिया जाने वाला लाभ को हड़प ना सके और योजना का लाभ केवल प्रभाव शाली किसानों तक ही सीमित न रहे , लाभ सभी जरूरतमंद लघु एवं सीमांत किसानों को भी समान रूप से मिलना चाहिए । किसानों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न प्रसार एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन ...

अब वैश्वीकरण का अर्थ केवल वित्तीय लाभ नहीं

• 3 hours ago • 5 hours ago • 6 hours ago • 7 hours ago • 9 hours ago • 9 hours ago • 9 hours ago • 9 hours ago • 10 hours ago • 12 hours ago • 12 hours ago • 12 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 16 hours ago • 17 hours ago • 20 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 38.8°C इस वर्ष दावोस वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम में वैश्वीकरण पर चर्चा एक महत्वपूर्ण विषय था। हालांकि वर्तमान समय में किसी भी विषय की सही तरह से परिभाषा नहीं की जा सकती, क्योंकि बदलती दुनिया की अब एक महत्वपूर्ण पहचान है अस्थिरता, जहां जो अभी सही है, वह कुछ समय में गलत हो सकता है। लेकिन फिर भी भविष्य से संबंधित चुनौतियों और अवसरों को बेहतर तरीके से समझने के लिए, इस विषय को समझना जरूरी है। वैश्वीकरण का मानव सभ्यता पर हमेशा महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। यद्यपि प्राचीन से लेकर समकालीन विश्व इतिहास को देखें तो एक बात स्पष्ट है कि अन्योन्याश्रय या अवलंबन मानव संबंधों के लिए महत्वपूर्ण रहा है। मानव इतिहास के किसी भी चरण में जब हम व्यापार और विनिमय की धारणा का लागत लाभ के आधार पर विश्लेषण करें तो एक विवादित परिणाम आता है, जहां लाभ और नुक्सान दोनों हैं। किसी भी घटना को जब विभिन्न हितधारकों के लिए उत्पन्न परिणामों के संदर्भ में अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है तो उसका विरोध होना तय है। वैश्वीकरण की भी यह अद्भुत कहानी रही है। एक तरफ इसे पूंजीवाद के नए पहलू के रूप में करार दिया, जिससे गरीब राष्ट्रों का शोषण हुआ और धन कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित हो गया, तो दूसरी तरफ हाल में पॉपुलिस्ट (लोकलुभावन) विचा...