Varn vikshepan chamta se aap kya samajhte hain

  1. भाषा के कितने भेद होते हैं
  2. विज्ञापन लेखन, परिभाषा, प्रकार, उदाहरण
  3. आवर्धन क्षमता किसे कहते हैं
  4. बच्चों के विकास के लिए 5 टिप्स


Download: Varn vikshepan chamta se aap kya samajhte hain
Size: 52.65 MB

भाषा के कितने भेद होते हैं

भाषा (Bhasha) भाषा शब्द का निर्माण संस्कृत की ‘ भाष’ धातु से हुआ है . इस धातु का अर्थ है, वाणी की अभिव्यक्ति . मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है . वह समाज में अपने विचारों को दूसरे मनुष्यों पर प्रकट करता है तथा उनके विचारों को सुनता है और उन विचारों को वह समझने का प्रयत्न करता है . इसके लिए उसे शब्दों का सहारा लेना पड़ता है, शब्दों की रचना करनी पड़ती है . संसार में बहुत प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं. संसार में अनेक भाषाएं हैं , उदाहरण(bhasha ke udaharan)- अथवा भाषा मनुष्यों की चेष्टा या व्यापार को कहते हैं, जिसमें मनुष्य अपने उच्चारण-उपयोगी शरीर-अवयवों से उच्चरित किए गए वर्णनात्मक या व्यक्त शब्दों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं – डॉक्टर मंगल देव शास्त्री भाषा की परिभाषा तो आपको समझ में आ गया ही होगा, चलिए अब भाषा के प्रकार को समझते हैं . 1.मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Ki Paribhasha)- भाषा का जो रूप मुंह से बोला तथा कानों से सुना जाता है वह मौखिक भाषा कहलाती है .इसे कथित भाषा भी कहा जाता है . उदाहरण (maukhik bhasha ke udaharan)– जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता है . या जब आप किसी से मोबाइल पर बात करते हैं तो वहां मौखिक भाषा का प्रयोग होता है 3.सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Ki Paribhasha)- जिस भाषा में केवल ‘संकेतों अथवा चिन्हों’ का प्रयोग करके दूसरे व्यक्ति को समझाया जाता है ,वह सांकेतिक भाषा कहलाती है . इस भाषा में बिना ध्वनि अंगों के प्रयोग के, शरीर के विभिन्न अंगों (हाथ, चेहरा, गर्दन आदि) के माध्यम से अपने विचारों को एक विशेष संकेतों के रूप में दूसरों को समझाया जाता है . उदाहरण (sanketik bhasha ke udaharan)– प्राचीन...

विज्ञापन लेखन, परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

विषय सूची • • • • • • • विज्ञापन क्या है? विज्ञापन शब्द का अर्थ ‘विशिष्ट जानकारी’ से है। अर्थात वस्तु के गुणों को बढ़ाकर विज्ञापन में विशेष जानकारी प्रस्तुत किया जाता है। जो उपभोक्ता को आकर्षित करता है और उन्हें सामान खरीदने के लिए मजबूर करता है। विज्ञापन का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक किसी वस्तु या सेवा की जानकारी पहुंचता है। आज के जमाने में अपनी वस्तु की बिक्री बढ़ाने के लिए दुकानदार कंपनी नई नई प्रचार-प्रसार के तरीके ढूंढती है और विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ता को आकर्षित करती हैं। यह लोग उपभोक्ता को क्यों आकर्षित करते हैं? क्योंकि उनकी वस्तु अधिक से अधिक लाभ कमा सके। उत्पादक अपनी बिक्री कर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। तो उपभोक्ता उनका प्रयोग कर सुख एवं संतुष्टि पाना चाहते हैं। ग्राहक को इसी तरह आकर्षित कर उसका फायदा उठाते हैं और दुकानदार तरह-तरह के प्रोडक्ट का प्रयोग करते हैं। जैसे वे विज्ञापन है अर्थात की वर्तमान जमाने में देखेंगे की वस्तुओं की उत्पाद को बढ़ाने के लिए वस्तुओं के अधिक से अधिक बिक्री के लिए अगर लोगों के पास कोई हथियार है तो वह है, “विज्ञापन”। विज्ञापन का संसार विस्तार हो चुका है, विज्ञापन का अर्थ है कि विज्ञापन शब्द विज्ञापन में उपसर्ग लगने से बना है। अर्थात इसे जो ज्ञापन हैं मूल शब्द है, जिसका अर्थ होता है विशेष जानकारी प्रदान करना। यह जानकारी उत्पादित वस्तु और सेवा से जुड़ी होती है। यह जानकारी संबंधित होती है, जिस वस्तु की हमें बिक्री करनी होती है। दुकान में वस्तुओं के गुणों को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है। यह क्यों किया जाता है क्योंकि उपभोक्ता लालच में आकर खरीदने के लिए विवश हो जाए, उपभोक्ता को वस्तु की जानकारी तुलनात्मक दाम एवं चयन का विकल्प मि...

आवर्धन क्षमता किसे कहते हैं

किसी वस्तु के वास्तविक आकार को बदले बिना उसको अपने वास्तविक आकार से बड़ा दिखाना आवर्धन (Magnification) कहलाता है। वस्तु जितने गुना बड़ी दिखती है, उसे 'आवर्धन' कहते हैं। यदि आवर्धन 1 से अधिक है तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिक रही है। यदि आवर्धन का मान 1 से कम हो तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिख रही है।आवर्धन क्षमता : 1. यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी Dपर बनता है तो संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u(1+D/f e) इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+u) होगी| 2. यदि अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है, संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u× D/f e इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+ f e) होगी| जहाँ, u = AB की अभिदृश्यक लेंस से दूरी, v= A 1B 1 की अभिदृश्यक लेंस O से दूरी, f e = नेत्रिका की फोकस दूरी| र्नित्मक चिन्ह यह प्रकट कर रहा है की प्रतिबिम्ब उल्टा बन रहा है| उपयोग : आधुनिकतम सूक्ष्मदर्शी के द्वारा छोटी-छोटी वस्तुओं को कई हजार गुना बड़ा देखा जा सकता है| इसका उपयोग जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, सूक्ष्म परीक्षणों में पैथ्लोजिस्ट द्वारा किया जाता है|

बच्चों के विकास के लिए 5 टिप्स

माता-पिता बनना एक विचित्र अनुभव है। आप कुछ ऐसा करने की कोशिश करते हैं जो आज तक कोई नहीं जान पाया कि उसे अच्छी तरह कैसे किया जाए। चाहे आपके बारह बच्चे हों, तब भी आप सीख ही रहे होते हैं। हो सकता है कि आपने ग्यारह बच्चे अच्छी तरह पाले हों, मगर बारहवें में आपको परेशानी हो सकती है। 1. सही माहौल बनाएं जरूरी माहौल तैयार करना बच्चों के पालन-पोषण में एक बड़ी भूमिका निभाता है। आपको सही तरह का माहौल तैयार करना चाहिए, जहां खुशी, प्यार, परवाह और अनुशासन की एक भावना आपके अंदर भी और आपके घर में भी हो। आप अपने बच्चे के लिए सिर्फ इतना कर सकते हैं कि उसे प्यार और सहारा दे सकते हैं। उसके लिए ऐसा प्यार भरा माहौल बनाएं जहां बुद्धि का विकास कुदरती तौर पर हो। एक बच्चा जीवन को बुनियादी रूप में देखता है। इसलिए आप उसके साथ बैठकर जीवन को बिल्कुल नयेपन के साथ देखें, जिस तरह वह देखता है। बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि जैसे ही बच्चा पैदा होता है, शिक्षक बनने का समय शुरू हो जाता है। जब एक बच्चा आपके घर में आता है, तो यह शिक्षक बनने का नहीं, सीखने का समय होता है। जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा जीवन में वही करे, जो आपने किया। आपके बच्चे को कुछ ऐसा करना चाहिए, जिसके बारे में सोचने की भी आपकी हिम्मत नहीं हुई। तभी यह दुनिया आगे बढ़ेगी और उपयोगी चीज़ें घटित होंगी। मानव जाति की एक बुनियादी जिम्मेदारी है, कि वे ऐसा माहौल बनाए जिससे इंसानों की अगली पीढ़ी आपसे और हमसे कम से कम एक कदम आगे हो। यह बहुत ही अहम है कि अगली पीढ़ी थोड़ी और खुशी से, कम डर, कम पक्षपात, कम उलझन, कम नफरत और कम कष्ट के साथ जीवन जिए। हमें इसी लक्ष्य को लेकर चलना चाहिए। अगली पीढ़ी के लिए आपका योगदान यह होना चाहिए कि आप इस दुनिया में कोई बिगड़ैल बच्...