वेद किसे कहते हैं

  1. वेद
  2. वेद क्या है
  3. Ved Kya Hai वेद किसे कहते है चारो वेदो के नाम Vedas in Hindi
  4. महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था
  5. वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ
  6. वेदांग का परिचय – कक्षा कौमुदी.com
  7. वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ
  8. महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था
  9. वेद
  10. Ved Kya Hai वेद किसे कहते है चारो वेदो के नाम Vedas in Hindi


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वेद

चार वेद जानकारी धर्म भाषा वेद, 'वेद' आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार हैं:- • • • • वेदों को अपौरुषेय (जिसे किसी पुरुष के द्वारा न किया जा सकता हो, (अर्थात् ईश्वर कृत) माना जाता है। यह ज्ञान विराटपुरुष से वा श्रुति भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ ज्ञान'। क्योंकि इन्हें सुनकर के लिखा गया था। अन्य आर्य ग्रंथों को स्मृति कहते हैं, अर्थात वेदज्ञ मनुष्यों की वेदानुगत बुद्धि या स्मृति पर आधारित ग्रन्थ। वेद मंत्रों की व्याख्या करने के लिए अनेक ग्रंथों जैसे वेदों को समझना प्राचीन काल से ही पहले भारतीय और बाद में संपूर्ण विश्व भर में एक वार्ता का विषय रहा है। इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों - माधवीय वेदार्थदीपिका बहुत मान्य हैं। यूरोप के विद्वानों का वेदों के बारे में मत अनुक्रम • 1 कालक्रम • 1.1 प्राचीन विश्वविद्यालय • 2 वेद-भाष्यकार • 2.1 वेदों का प्रकाशन • 2.2 विदेशी प्रयास • 2.3 वेदों का काल • 3 वेदों का महत्व • 3.1 विवेचना • 4 वैदिक विवाद • 5 वैदिक वांगमय का वर्गीकरण • 5.1 वेदत्रयी • 5.2 चतुर्वेद • 5.3 अन्य नाम • 5.4 साहित्यिक दृष्टि से • 5.5 वर्गीकरण का इतिहास • 5.6 शाखा • 6 वेदों के विषय • 6.1 ऋग्वेद • 6.2 यजुर्वेद • 6.3 सामवेद • 6.4 अथर्ववेद • 6.5 उपवेद, उपांग • 7 वेद के अंग • 8 वैदिक स्वर प्रक्रिया • 9 वैदिक छंद • 10 वेद की शाखाएँ • 11 अन्य मतों की दृष्टि में वेद • 12 इन्हें भी देखें • 13 सन्दर्भ • 14 बाहरी कडियाँ कालक्रम [ ] मुख्य लेख वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से हैं। संहिता की तारीख लगभग 1700-1100 ईसा पूर्व, और "वेदांग" ग्रंथों के साथ-साथ संहिताओं की प्रतिदेयता कुछ विद्वान वैदिक काल की अवधि 1500-600 ईसा पूर्व मानते हैं तो कुछ इससे भी...

वेद क्या है

ved kya hai वेद किसे कहते है वेद- भारत धर्मप्रधान देश हैं। यहां की संस्कृति, प्राचीन सभ्यता आदि के विषय में विस्तृत अध्ययन यहां के धर्म ग्रंथों मे मिलता है। भारत का सर्वोत्तम प्राचीन ग्रंथ वेद है। वेद कितने प्रकार के होते है वेदों के चार प्रकार हैं • ऋग्वेद • यजुर्वेद • सामवेद • अथर्ववेद वेदों के संकलन कर्ता महर्षि वेदव्यास जी को माना जाता है, जो कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाने जाते है। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद एवं सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है। क्र. वेद जानकारी 01 ऋग्वेद ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान का संग्रह 02 यजुर्वेद मंत्र जप, पाठ आदि के समय, सस्वर पाठ के लिए 03 सामवेद गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है 04 अथर्ववेद इस वेद में रोग, निवारण, जादू -टोना, तंत्र -मंत्र,शाप, वशीकरण, आशीर्वाद, स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृ भूमि महात्मय आदि वेद के नाम यह भी पढ़े – • • • • • • • ऋग्वेद ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान का संग्रह जिस वेद में मिलता है, उसे ऋग्वेद कहा जाता है। इसमें 10 मंडल,1028 सूक्त (जिसमें वालखिल्य पाठ के 11 सूक्त भी शामिल है,सहित) एवं 10462 ऋचाएं हैं। जिन ऋषियों द्वारा इन वेद की ऋचाओं को पढ़ा जाता है,उन्हें होतृ कहते हैं। इस वेद से आर्य की राजनीतिक प्रणाली तथा इतिहास के बारे में जानकारी मिलती हैं। ऋग्वेद का जो तीसरा मण्डल हैं, विश्वामित्र द्वारा रचित माना गया हैं। इसमें सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है। इसके 8वे मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को “खिल” कहा जाता है तथा, 9 वे मंडल में देवता “सोम” का उल्लेख है। 10वें मंडल में वर्णित पुरुषसुक्त है, जिसके अनुसार चार वर्ण(ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र) आदि पुरुष ब्रम्हा के क्र...

Ved Kya Hai वेद किसे कहते है चारो वेदो के नाम Vedas in Hindi

वेद समस्त सत्य विद्याओ(Truth Education) का ग्रन्थ है, व ईश्वरकृत वाणी है न कि मनुष्यकृत। यह संस्कृत भाषा में लिखे हुए है। वेद सभी शाश्वत ज्ञान और विज्ञान का भंडार है। इसके द्वारा ब्रह्मा, प्रकृति व जीव के गुण कर्म स्वभाव तथा कार्य एवं कारण को जाना जाता है। सृष्टि रचना काल में स्वयं परमेश्वर ने वेदो का अनंत ज्ञान 4 ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को दिया था। वेद ज्ञान ऋषियों को समाधि अवस्था में प्राप्त हुआ. इसलिए वेदों को श्रुति(सुना हुआ ज्ञान) भी कहते है। वेदों की कुल संख्या चार है इसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, तथा अथर्ववेद है। ऋग्वेद सबसे पहला व बड़ा है एवं इसका विषय ‘ज्ञान’ है। वेदों के चार उपवेद क्रमशः आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, व अर्थवेद है। वेद सनातन संस्कृति का मूल है. जितने भी आर्ष शास्त्र है उन सभी में कही न कही वेदों के ही सूत्र व शिक्षा है। जो कोई ग्रन्थ वेद विरूद्ध बात करता है वह असत्य माना जाता है। वेदों में किसी भी प्रकार का इतिहास नहीं है, क्योंकि वेद की ऋचाओ से ही इस सृष्टि का निर्माण व अन्त होता है। वेद विद्वान लोगों को आर्य तथा दुष्ट, मूर्ख को अनार्य या दसयु कहता है। वेद कहता है कि सभी मनुष्य को ईश्वर की का आज्ञा का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। वेद का आदेश है कि सत्य के मार्ग पर चलते हुए प्रकृति संरक्षण तथा जीवो पर दया करना समस्त मनुष्य का धर्म है। इसमे कर्म को श्रेष्ठ बताया गया है. मनुष्य का कर्म अच्छा हो या बुरा इसका पर्याप्त फल अवश्य मिलता है। वेद का अर्थ • वेद सभी सत्य विद्याओ व ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ भंडार है, इसमें ब्रह्मविद्या से लेकर प्रकृति व जीव के सभी कार्य एवं कारण का उल्लेख किया गया है। • वेद का ज्ञान नित्य है, कभी न मिटने वाल...

महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था

महर्षि वाल्मीकि का जन्म ब्राह्मण कश्यप परिवार में हुआ था. लेकिन बचपन में ही उनका अपहरण एक भीलनी (भील सम्प्रदाय की आदिवासी महिला) ने कर दिया था. इस प्रकार वाल्मीकि भीलो के साथ ही पले-बढे थे. और बड़े होकर डाकू बन गए थे. लेकिन आपको पता है की महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था. जब वह डाकू थे. तो इस आर्टिकल में हम आपको ऋषि वाल्मीकि के अतीत में लेकर जाएगे और उनकी पूरी कहानी बताएगे. महर्षि ऋषि वाल्मीकि कौन थे? महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर था. तथा उनका लालन-पालन जंगल में भील सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ था. इस सम्प्रदाय के लोग पहाड़ो तथा जंगलो में रहते थे. तथा जंगल से जाने वाले मार्ग पर घात लगा कर बैठते थे. अगर कोई रहागीर वहा से निकलता तो उसे लुट कर पैसा आपस में बाट देते थे. चूँकि रत्नाकर का लालन पालन इन्ही सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ इसलिए उन्होंने भी सम्प्रदाय की परंपरा को अपनाया और आगे जाकर डाकू के काम को ही पेशे के रूप में अपनाया. महाभारत किसने लिखा था – महाभारत के लेखक और रचियता अपने परिवार के लालन पालन के लिए वह रास्ते में आने जाने वाले रहागीरो को लूटते थे. और उनको लूट से जो कुछ भी प्राप्त होता था. उससे अपने परिवार का पेट पालते थे. कभी-कभी जरूरत पड़ने पर वह राहगीरों की हत्या भी कर देते थे. इस प्रकार रत्नाकर के डाकू के काम से उनका पाप का घड़ा भरने लगा था. एक समय की बात है. जब उनके जंगल के रास्ते से नारद मुनि निकलते है. अपने डाकू के कार्य अनुसार रत्नाकर नारद मुनि को लुटने के लिए बंदी बना देते है. तब नारद मुनि ने रत्नाकर से एक प्रश्न पूछा कि “तुम ऐसा पाप का काम क्यों करते हो प्रभु ने तुम्हे हाथ पैर दिए है ईमानदारी से क्यों नहीं कमाते हो?” तब रत्नाकर ने जवाब दिया कि “य...

वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ

यहाँ आप पढ़ेंगे कि वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ | वेद किसे कहते हैं | वेद किसे कहते हैं | vedas meaning in hindi वेद क्या है (vedas hindi) कुछ लोग वेदों को अपौरुषेय अर्थात् दैवकृत मानते है, यानी उनका मानना है कि इनकी रचना मनुष्य ने नहीं बल्कि देवताओं ने की है। वेद का अर्थ (vedas meaning in hindi) वेद शब्द का अर्थ ‘ज्ञान’, महत् ज्ञान अर्थात् ‘पवित्र एवं आध्यात्मिक’ ज्ञान है। यह शब्द संस्कृत के ‘विद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है: जानना।

वेदांग का परिचय – कक्षा कौमुदी.com

अङ्ग्यन्ते ज्ञायन्ते एभिरिति अङ्गानि अर्थात् जिनके द्वारा किसी वस्तु की जानकारी मिलती है, उसका स्वरूप पहचानने में सहायता मिलती है उन्हे अंग कहते हैं। अब यहाँ हम वेद के अंग (वेदांग) कह रहे हैं यानी वेद की जानकारी पाने के लिए, उसका स्वरूप पहचानने के लिए जिनसे सहायता मिलती है वे ही वेदांग हैं। वेदांग कितने हैं? वेदांग छः हैं – शिक्षा व्याकरणं छन्दो निरुक्तं ज्योतिषं तथा। कल्पश्चेति षडङ्गानि वेदस्याहुर्मनीषिणः॥ पाणिनीय शिक्षा में वेदांगों का उल्लेख पाणिनीय शिक्षा में वेद को एक साक्षात् मूर्तिमान् पुरुष मान कर छः वेदांगों को अलग अलग अवयव माना है। छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते। ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते॥ शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम्। तस्मात् साङ्गमधीत्यैव ब्रह्मलोके महीयते॥ वेद रूपी पुरुष के शारीरिक अंग हैं – • पैर – छन्द • हाथ – कल्प • आँख – जोतिष् • कान – निरुक्त • नाक – शिक्षा • मुख – व्याकरण वेदांगों का संक्षिप्त परिचय अब हम एकैकशः छः वेदांगों का परिचय प्राप्त करते हैं। शिक्षा शिक्षा इस वेदांग को वेद की नाक माना है। स्वर, व्यंजन आदि वर्णों के उच्चारण के विषय में शिक्षा ग्रन्थों में उपदेश मिलता है। प्राचीन शिक्षाग्रन्थ प्रातिशाख्यरूप में उपलब्ध हैं। ऋग्वेद – • ऋक्प्रातिशाख्य यजुर्वेद – • वाजसनेयिप्रातिशाख्य • तैत्तिरीयप्रातिशाख्य अथर्ववेद – • अथर्ववेद प्रातिशाख्य सामवेद – • पुष्पसूत्र प्रातिशाख्य इनके अलावा पाणिनीय शिक्षा, भारद्वाजशिक्षा, याज्ञवल्क्यशिक्षा, मांडव्यशिक्षा, वाशिष्ठीशिक्षा आदि और भी अनेको शिक्षा ग्रन्थ उपलब्ध हैं। पाणिनीय शिक्षा महर्षि पाणिनी द्वारा प्रणीत शिक्षा पाणिनीय शिक्षा है। महर्षि पाणिनी व्याकरण के क्षेत्र म...

वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ

यहाँ आप पढ़ेंगे कि वेद क्या है (vedas hindi) वेद का अर्थ | वेद किसे कहते हैं | वेद किसे कहते हैं | vedas meaning in hindi वेद क्या है (vedas hindi) कुछ लोग वेदों को अपौरुषेय अर्थात् दैवकृत मानते है, यानी उनका मानना है कि इनकी रचना मनुष्य ने नहीं बल्कि देवताओं ने की है। वेद का अर्थ (vedas meaning in hindi) वेद शब्द का अर्थ ‘ज्ञान’, महत् ज्ञान अर्थात् ‘पवित्र एवं आध्यात्मिक’ ज्ञान है। यह शब्द संस्कृत के ‘विद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है: जानना।

महर्षि ऋषि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था

महर्षि वाल्मीकि का जन्म ब्राह्मण कश्यप परिवार में हुआ था. लेकिन बचपन में ही उनका अपहरण एक भीलनी (भील सम्प्रदाय की आदिवासी महिला) ने कर दिया था. इस प्रकार वाल्मीकि भीलो के साथ ही पले-बढे थे. और बड़े होकर डाकू बन गए थे. लेकिन आपको पता है की महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम क्या था. जब वह डाकू थे. तो इस आर्टिकल में हम आपको ऋषि वाल्मीकि के अतीत में लेकर जाएगे और उनकी पूरी कहानी बताएगे. महर्षि ऋषि वाल्मीकि कौन थे? महर्षि वाल्मीकि का पुराना नाम रत्नाकर था. तथा उनका लालन-पालन जंगल में भील सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ था. इस सम्प्रदाय के लोग पहाड़ो तथा जंगलो में रहते थे. तथा जंगल से जाने वाले मार्ग पर घात लगा कर बैठते थे. अगर कोई रहागीर वहा से निकलता तो उसे लुट कर पैसा आपस में बाट देते थे. चूँकि रत्नाकर का लालन पालन इन्ही सम्प्रदाय के लोगो के साथ हुआ इसलिए उन्होंने भी सम्प्रदाय की परंपरा को अपनाया और आगे जाकर डाकू के काम को ही पेशे के रूप में अपनाया. महाभारत किसने लिखा था – महाभारत के लेखक और रचियता अपने परिवार के लालन पालन के लिए वह रास्ते में आने जाने वाले रहागीरो को लूटते थे. और उनको लूट से जो कुछ भी प्राप्त होता था. उससे अपने परिवार का पेट पालते थे. कभी-कभी जरूरत पड़ने पर वह राहगीरों की हत्या भी कर देते थे. इस प्रकार रत्नाकर के डाकू के काम से उनका पाप का घड़ा भरने लगा था. एक समय की बात है. जब उनके जंगल के रास्ते से नारद मुनि निकलते है. अपने डाकू के कार्य अनुसार रत्नाकर नारद मुनि को लुटने के लिए बंदी बना देते है. तब नारद मुनि ने रत्नाकर से एक प्रश्न पूछा कि “तुम ऐसा पाप का काम क्यों करते हो प्रभु ने तुम्हे हाथ पैर दिए है ईमानदारी से क्यों नहीं कमाते हो?” तब रत्नाकर ने जवाब दिया कि “य...

वेद

चार वेद जानकारी धर्म भाषा वेद, 'वेद' आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार हैं:- • • • • वेदों को अपौरुषेय (जिसे किसी पुरुष के द्वारा न किया जा सकता हो, (अर्थात् ईश्वर कृत) माना जाता है। यह ज्ञान विराटपुरुष से वा श्रुति भी कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ ज्ञान'। क्योंकि इन्हें सुनकर के लिखा गया था। अन्य आर्य ग्रंथों को स्मृति कहते हैं, अर्थात वेदज्ञ मनुष्यों की वेदानुगत बुद्धि या स्मृति पर आधारित ग्रन्थ। वेद मंत्रों की व्याख्या करने के लिए अनेक ग्रंथों जैसे वेदों को समझना प्राचीन काल से ही पहले भारतीय और बाद में संपूर्ण विश्व भर में एक वार्ता का विषय रहा है। इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों - माधवीय वेदार्थदीपिका बहुत मान्य हैं। यूरोप के विद्वानों का वेदों के बारे में मत अनुक्रम • 1 कालक्रम • 1.1 प्राचीन विश्वविद्यालय • 2 वेद-भाष्यकार • 2.1 वेदों का प्रकाशन • 2.2 विदेशी प्रयास • 2.3 वेदों का काल • 3 वेदों का महत्व • 3.1 विवेचना • 4 वैदिक विवाद • 5 वैदिक वांगमय का वर्गीकरण • 5.1 वेदत्रयी • 5.2 चतुर्वेद • 5.3 अन्य नाम • 5.4 साहित्यिक दृष्टि से • 5.5 वर्गीकरण का इतिहास • 5.6 शाखा • 6 वेदों के विषय • 6.1 ऋग्वेद • 6.2 यजुर्वेद • 6.3 सामवेद • 6.4 अथर्ववेद • 6.5 उपवेद, उपांग • 7 वेद के अंग • 8 वैदिक स्वर प्रक्रिया • 9 वैदिक छंद • 10 वेद की शाखाएँ • 11 अन्य मतों की दृष्टि में वेद • 12 इन्हें भी देखें • 13 सन्दर्भ • 14 बाहरी कडियाँ कालक्रम [ ] मुख्य लेख वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से हैं। संहिता की तारीख लगभग 1700-1100 ईसा पूर्व, और "वेदांग" ग्रंथों के साथ-साथ संहिताओं की प्रतिदेयता कुछ विद्वान वैदिक काल की अवधि 1500-600 ईसा पूर्व मानते हैं तो कुछ इससे भी...

Ved Kya Hai वेद किसे कहते है चारो वेदो के नाम Vedas in Hindi

वेद समस्त सत्य विद्याओ(Truth Education) का ग्रन्थ है, व ईश्वरकृत वाणी है न कि मनुष्यकृत। यह संस्कृत भाषा में लिखे हुए है। वेद सभी शाश्वत ज्ञान और विज्ञान का भंडार है। इसके द्वारा ब्रह्मा, प्रकृति व जीव के गुण कर्म स्वभाव तथा कार्य एवं कारण को जाना जाता है। सृष्टि रचना काल में स्वयं परमेश्वर ने वेदो का अनंत ज्ञान 4 ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को दिया था। वेद ज्ञान ऋषियों को समाधि अवस्था में प्राप्त हुआ. इसलिए वेदों को श्रुति(सुना हुआ ज्ञान) भी कहते है। वेदों की कुल संख्या चार है इसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, तथा अथर्ववेद है। ऋग्वेद सबसे पहला व बड़ा है एवं इसका विषय ‘ज्ञान’ है। वेदों के चार उपवेद क्रमशः आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, व अर्थवेद है। वेद सनातन संस्कृति का मूल है. जितने भी आर्ष शास्त्र है उन सभी में कही न कही वेदों के ही सूत्र व शिक्षा है। जो कोई ग्रन्थ वेद विरूद्ध बात करता है वह असत्य माना जाता है। वेदों में किसी भी प्रकार का इतिहास नहीं है, क्योंकि वेद की ऋचाओ से ही इस सृष्टि का निर्माण व अन्त होता है। वेद विद्वान लोगों को आर्य तथा दुष्ट, मूर्ख को अनार्य या दसयु कहता है। वेद कहता है कि सभी मनुष्य को ईश्वर की का आज्ञा का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। वेद का आदेश है कि सत्य के मार्ग पर चलते हुए प्रकृति संरक्षण तथा जीवो पर दया करना समस्त मनुष्य का धर्म है। इसमे कर्म को श्रेष्ठ बताया गया है. मनुष्य का कर्म अच्छा हो या बुरा इसका पर्याप्त फल अवश्य मिलता है। वेद का अर्थ • वेद सभी सत्य विद्याओ व ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ भंडार है, इसमें ब्रह्मविद्या से लेकर प्रकृति व जीव के सभी कार्य एवं कारण का उल्लेख किया गया है। • वेद का ज्ञान नित्य है, कभी न मिटने वाल...