वेग का मात्रक

  1. शून्य कोटि की अभिक्रिया का सूत्र , मात्रक , इकाई क्या है , अर्द्ध आयु काल , समाकलित वेग समीकरण (zero order reaction in hindi) – 11th , 12th notes In hindi
  2. कोणीय वेग क्या है, परिभाषा सूत्र मात्रक लिखिए koniy veg
  3. अपवाह वेग किसे कहते हैं अनुगमन वेग की परिभाषा, सूत्र, मात्रक, अर्थ क्या है विद्युत धारा में संबंध
  4. चाल और वेग किसे कहते हैं? परिभाषा, मात्रक, विमा, speed and Velocity in Hindi
  5. वेग किसे कहते हैं? Veg का सूत्र क्या होता है?
  6. अभिक्रिया वेग व्यंजक और वेग स्थिरांक , वेग नियम क्या है तथा विशिष्ट अभिक्रिया वेग किसे कहते है , इकाई , मात्रक , परिभाषा , अंतर – 11th , 12th notes In hindi
  7. संवेग क्या है, परिभाषा सूत्र मात्रक लिखिए sanveg संरक्षण
  8. त्वरण


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शून्य कोटि की अभिक्रिया का सूत्र , मात्रक , इकाई क्या है , अर्द्ध आयु काल , समाकलित वेग समीकरण (zero order reaction in hindi) – 11th , 12th notes In hindi

(zero order reaction in hindi) शून्य कोटि की अभिक्रिया का सूत्र , मात्रक , इकाई क्या है , अर्द्ध आयु काल , समाकलित वेग समीकरण : वह अभिक्रिया जिसका वेग इसके क्रियाकारकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं करता है , उसे अर्थात ऐसी अभिक्रिया में वेग का मान सान्द्रता की शून्य घात के समानुपाती होता है। अर्थात ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जो क्रियाकारक की या हम कह सकते है कि अभिक्रिया का वेग एक निश्चित परिभाषा : “वह अभिक्रिया जिसका वेग स्थिर रहता है उसे शून्य कोटि की अभिक्रिया कहते है। ” माना एक शून्य कोटि की अभिक्रिया निम्न है – A → B चूँकि यह शून्य कोटि की अभिक्रिया है अत: इस अभिक्रिया का वेग क्रियाकारक (A) की सांद्रता पर निर्भर नहीं करेगा या वेग का मान क्रियाकारक (A) की सान्द्रता की शून्य घात के समानुपाती होता है जिसे निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है – इस समीकरण को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है – d[A] = -kdt दोनों तरफ समाकलन पर करने पर [A] = – k t + C यहाँ C को समाकलन स्थिरांक कहते है। समाकलन स्थिरांक का मान ज्ञात करने के लिए , माना t = 0 पर क्रियाकारक की सांद्रता का मान [A] 0 है , अर्थात क्रियाकारक की प्रारंभिक सान्द्रता [A] 0 है। t = 0 और [A] = [A] 0 दोनों मान समीकरण में रखने पर [A] 0 = –k × 0 + C [A] 0 = C यह मान c का प्राप्त होता है जिसे ऊपर वाली समीकरण में c के स्थान पर रखते है तो वह समीकरण निम्न प्रकार प्राप्त होती है – [A] = – k t + [A] 0

कोणीय वेग क्या है, परिभाषा सूत्र मात्रक लिखिए koniy veg

जब कोई कण वृत्तीय गति करता है तो उसमें कोणीय विस्थापन होता है। सबसे पहले हम वृत्तीय गति के बारे में जानेंगे तथा उसके बाद कोणीय वेग और कोणीय विस्थापन परिभाषा और सूत्र जानेंगें। वृत्तीय गति से तात्पर्य वृत्ताकार पथ पर गति से है। जब कोई कण किसी निश्चित बिंदु के चारो ओर एक वृत्तीय पथ पर गति करता है तो कण के इस गति को वृत्तीय गति कहते हैं। किसी पंखे की गति, सूर्य के चारो ओर ग्रहों की गति ,धागे से बंधे पथ्थर की किसी अक्ष के परितः गति आदि वृत्तीय गति के उदाहरण है। कोणीय विस्थापन निश्चित अक्ष के सापेक्ष निश्चित समयांतराल में किसी कण की कोणीय स्थिति में परिवर्तन को उसका कोणीय विस्थापन कहते हैं। अथवा वृत्तीय गति करते हुए कण की अंतिम स्थिति एवं प्रारंभिक स्थिति के अंतर को कोणीय विस्थापन कहते हैं। इसे Δθ से प्रदर्शित करते हैं। कोणीय विस्थापन का मात्रक रेडियन होता है। यह एक सदिश राशि है। कोणीय विस्थापन विमाहिन राशि है। पढ़ें - कोणीय वेग कोणीय विस्थापन के परिवर्तन की समय दर को कोणीय वेग कहते हैं। इसे⍵ (ओमेगा) से प्रदर्शित करते हैं। कोणीय वेग सदिश राशि है। सूत्र कोणीय वेग = कोणीय विस्थापन / समयांतराल ⍵= θ 2 -θ 1 /t 2 -t 1 ⍵= Δθ/Δt मात्रक ⍵= Δθ/Δt से ⍵ का मात्रक = रेडियन/सेकंड कोणीय वेग का मात्रक = रेडियन/सेकंड विमीय सूत्र ⍵= Δθ/Δt से कोणीय वेग में कण का आवर्तकाल वृत्तीय गति करने वाली वस्तु का पूरा एक चक्कर लगाने में लगे समय को आवर्तकाल कहते हैं। इसे T से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मात्रक प्रति सेकंड है। आवर्तकाल का सूत्र - आवर्तकाल=परिधि/वेग कोणीय वेग में कण की आवृत्ति वृत्तीय गति करने वाली वस्तु एक सेकंड में वृत्त का जितने चक्कर लगाती है उसे वस्तु की आवृत्ति कहते हैं। इसे f से प्रदर्शित...

अपवाह वेग किसे कहते हैं अनुगमन वेग की परिभाषा, सूत्र, मात्रक, अर्थ क्या है विद्युत धारा में संबंध

विषय सूची • • • अपवाह वेग जब किसी चालक तार के सिरों को किसी बैटरी से जोड़ा जाता है। तो इसके फलस्वरूप चालक तार में एक विद्युत क्षेत्र स्थापित हो जाता है। जो मुक्त इलेक्ट्रॉन पर एक बल लगाता है। इस बल के कारण मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में एक सूक्ष्म नियत वेग से चलने लगते हैं। इस सूक्ष्म नियत वेग को अपवाह वेग (drift velocity in hindi) कहते हैं। इसे अनुगमन वेग भी कहते हैं। अपवाह वेग अथवा अनुगमन वेग को V d से प्रदर्शित करते हैं। Note – कृपया ध्यान दें कि चालक तार में मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में इसलिए गति करते हैं चूंकि इलेक्ट्रॉनों पर ऋण आवेश होता है। अपवाह वेग को आसान शब्दों में इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है। कि किसी चालक के सिरों पर विभवांतर आरोपित करने पर चालक में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन जिस औसत वेग से गतिमान हो जाते हैं। उस औसत वेग को अपवाह वेग कहते हैं। अपवाह (अनुगमन) वेग तथा विद्युत धारा में संबंध जब किसी चालक तार के सिरों को बैटरी से जोड़ते हैं। तो उस चालक तार में i एंपियर की विद्युत धारा बहने लगती है। माना यदि चालक तार पर q आवेश हो तो विद्युत धारा i = \large \frac यह अपवाह अथवा अनुगमन वेग तथा विद्युत धारा में संबंध का सूत्र है। Note – अनुगमन वेग के आधार पर ओम के नियम की भी उत्पत्ति की जाती है लेकिन वह इतना महत्वपूर्ण नहीं है वह बहुत कम परीक्षाओं में पूछा जाता है। इसको हमने एक अलग अलग में तैयार किया है ताकि इसे समझने में आसानी हो सके तो आप उसे जरूर पढ़ें। • अपवाह वेग संबंधित प्रश्न उत्तर

चाल और वेग किसे कहते हैं? परिभाषा, मात्रक, विमा, speed and Velocity in Hindi

इस लेख में हम चाल एवं वेग के बारे में जानेंगे। यहां पर इस से संबंधित विभिन्न प्रश्न व टॉपिक के बारे में बताया गया है। जैसे :- चाल किसे कहते हैं?, वेग किसे कहते हैं, चाल और वेग की परिभाषा, चाल और वेग में अंतर, चाल व वेग के सूत्र formula, speed and velocity in hindi के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। विधार्थी कि सहायता के लिए नोट्स पीडीएफ भी उपलब्ध कराता गया है। चाल (Speed in Hindi) किसी भी गतिशील पिंड की चाल का आंकलन कैसे किया जाता है, चाल का सूत्र (formula), चाल का मात्रक, चाल की परिभाषा, किसे कहते हैं? इत्यादि के बारे में जानेंगे। चाल किसे कहते हैं? क्या है ! कोई गतिशील वस्तु किसी समय में तय की दूरी को चाल कहते है। अर्थात इकाई समय तय की दूरी को चाल कहते हैं। जैसे कोई कार 10 सेकण्ड में 200 मीटर दूरी तय करती हैं। यहां कार की गति की दिशा नहीं ज्ञात है। चाल की परिभाषा(Definition of Speed in hindi) :- यहां पर चाल की PARIBHASHA को दिया गया हैं। " किसी वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं। अथवा दूरी में परिवर्तन की दर को चाल कह सकते हैं।" • चाल एक अदिश राशि है। (अर्थात चाल का मान दिशा पर निर्भर नहीं करता) • किसी वाहन की चाल स्पीडोमीटर यंत्र द्वारा मापा जाता है। चाल का सूत्र (Formula of Speed) :- फार्मूला :- चाल = दूरी / समय चाल का SI मात्रक :- मीटर/सेकण्ड (m/s) चाल का मात्रक (C.G.S.) :- सेंटीमीटर/सेकण्ड (cm/s) चाल की विमा (विमीय सूत्र) :- [M0L1T-1] Note :- गतिमान कण के लिए चाल कभी शून्य अथवा ऋणात्मक नहीं हो सकती है, सदैव धनात्मक होती है। चाल के प्रकार (Type of Speed in Hindi) Chal के प्रकार यहां पर दिए गए है। Type of speed in hindi परीक्षा की दृष्टि से ...

वेग किसे कहते हैं? Veg का सूत्र क्या होता है?

9.5. 5. वेग कितने प्रकार के होते हैं? नमस्कार दोस्तों इस लेख में आपको वेग ( Veg ) के बारे में जानकारी मिलेगी। जैसे Velocity किसे कहते हैं? वेग की परिभाषा क्या है। वेग का फार्मूला , Velocity का मात्रक इत्यादि के बारे में यहां बताया गया है। वेग किसे कहते हैं ? Veg क्या है? किसी गतिशील वस्तु द्वारा एक निश्चित दिशा में एकांक समय में तय की गई दूरी को वस्तु का वेग कहते है। वेग में हमें दिशा ज्ञात होती है लेकिन चाल में हमें दिशा ज्ञात नही होती है। इसे भी पढ़ें :- वेग की परिभाषा – Definition of Velocity in Hindi “किसी वस्तु के विस्थापन के समय में वेग का सूत्र – Veg Ka Formula वेग = विस्थापन/समय वेग का SI मात्रक – Veg Ka Matrak मीटर/सेकण्ड (m/s) वेग का मात्रक (C.G.S.) सेंटीमीटर/सेकण्ड (cm/s) इसे भी पढ़ें :- वेग के प्रकार – Type of Velocity in Hindi वेग के विभिन्न प्रकार को यहां पर उल्लेखित किया गया है। (1) एक समान वेग किसे कहते हैं? यदि कोई वस्तु किसी निश्चित दिशा में तथा समान समय अंतराल में एक समान दूरी तय करती है तो उस वस्तु का वेग समान वेग कहलाता है। यह केवल तभी सम्भव है जब वस्तु एक सरल रेखा में तथा एक ही दिशा में नियत वेग से गतिशील हो और त्वरण शून्य हो। (2) असमान वेग किसे कहते हैं? यदि कोई वस्तु किसी निश्चित दिशा में समान समयान्तरालों में असमान दूरी तय करती है तो उस वस्तु का Vegअसमान वेगकहलाता है 3) औसत वेग (Average Velocity) क्या होता है? किसी वस्तु द्वारा विस्थापन में तय की गई कुल दूरी तथा उस दूरी को तय करने में लगे कुल समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं। औसत वेग का सूत्र (Formula of average Velocity):- औसत वेग ( V ) = कुल विस्थापित दूरी / कुल समय (4) तात्क्षणिक वेग (Instantane...

अभिक्रिया वेग व्यंजक और वेग स्थिरांक , वेग नियम क्या है तथा विशिष्ट अभिक्रिया वेग किसे कहते है , इकाई , मात्रक , परिभाषा , अंतर – 11th , 12th notes In hindi

यहाँ [A] और [B] , क्रियाकारक A और B की सांद्रता को दर्शाती है और m और n को स्टाइकियोमीट्री गुणांक कहलाता है , m और n का मान प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है इसलिए इनका मान a aur b के बराबर हो भी सकता है और न भी अर्थात प्रयोगों से कभी कभी m और n का मान क्रमशः a और b के बराबर भी प्राप्त हो जाता है। यहाँ k एक समानुपाती स्थिरांक है जिसे वेग स्थिरांक कहते है तथा इस सम्पूर्ण समीकरण को परिभाषा : वह अभिक्रिया वेग जब क्रियाकारकों की सांद्रता को इकाई मान ले उस स्थिति में अभिक्रिया के वेग को वेग स्थिरांक कहते है। याद रखिये कि वेग स्थिरांक को ही विशिष्ट अभिक्रिया वेग भी कहते है। अभिक्रिया का वेग नियम या व्यंजक कैसे ज्ञात करते है ? • दोनों क्रियाकारक की समान या निश्चित मात्रा (सांद्रता) लेकर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग का मान ज्ञात करते है। जैसे दोनों क्रियाकारको की सांद्रता का मान 0.1 मोल ले लेते है। • अब एक क्रियाकारक की सांद्रता को निश्चित रखते हुए दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता का मान परिवर्तित करते है और अभिक्रिया का प्रारंभीक वेग ज्ञात करते है। जैसे प्रथम क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल ही रखते है लेकिन दुसरे की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग का मान ज्ञात कर लेते है। • अब दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को स्थिर रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को परिवर्तित करते है और फिर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग ज्ञात कर लेते है। जैसे दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग ज्ञात कर लेते है।

संवेग क्या है, परिभाषा सूत्र मात्रक लिखिए sanveg संरक्षण

संवेग (Momentum) रेखीय गति कर रही वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं। संवेग का सूत्र , मात्रक तथा विमीय सूत्र संवेग = द्रव्यमान ⅹ वेग संवेग का मात्रक किग्रा मीटर / सेकंड ( kg.m/s) होता है। विमीय सूत्र = इसे से प्रदर्शित करते हैं। यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा वेग की दिशा में होती है। यदि दो भिन्न-भिन्न द्रव्यमान की वस्तुएं नियत (constant) वेग से गतिमान हो तो संवेग द्रव्यमान के समानुपाती होता है। p∝m अर्थात द्रव्यमान अधिक है तो संवेग भी अधिक होगा अथवा द्रव्यमान कम है तो संवेग का मान कम होगा। इसी प्रकार यदि भिन्न-भिन्न द्रव्यमान की वस्तुओं का संवेग नियत हो तो गतिशील वस्तुओं का वेग उनके द्रव्यमानों के व्युत्क्रमानुपाती होता है। पढ़े - संवेग संरक्षण का नियम संवेग संरक्षण नियम के अनुसार - यदि दो या दो से अधिक वस्तुओं के निकाय पर कोई बाह्य बल आरोपित न हो तो निकाय की सम्पूर्ण संवेग अपरिवर्तित रहता है।

त्वरण

किसी वस्तु के त्वरण कहते हैं। इसका उदाहरण: माना समय t=० पर कोई कण १० मीटर/सेकेण्ड के वेग से उत्तर दिशा में गति कर रहा है। १० सेकेण्ड बाद उसका वेग बढ़कर ३० मीटर/सेकेण्ड (उत्तर दिशा में) हो जाता है। यह मानते हुए कि इस समयान्तराल में त्वरण का मान नियत है, त्वरण का मान = (३० m/s - १० m/s) / १० सेकेण्ड = २ मीटर प्रति सेकेण्ड 2 होगा। किसी वस्तु विशेष द्वारा बदला गया वेग ही त्वरण कहलाता है। वेग-समय ग्राफ सामान्यतः वस्तु की गति की अवधि में उसके जब किसी वस्तु का वेग समय के सापेक्ष बदलता है तो उसमें त्वरण हो रहा है । वेग में परिवर्तन तथा तत्सम्बन्धित समयान्तराल के अनुपात को औसत त्वरण कहते हैं। इसे से प्रदर्शित करते हैं: a ¯ = v − v 0 t − t 0 = Δ v Δ t यहां t 0,t क्षणों पर वस्तु का वेग क्रमशः v 0,v है। यह एकांक समय में वेग में औसत परिवर्तन होता है। त्वरण का SI मात्रक ms² है । वेग-समय (v-t) ग्राफ से वस्तु का औसत त्वरण उस सरल रेखा की 0, t 0) से जोड़ती है। तात्क्षणिक त्वरण [ ] गतिमान वस्तु का तात्क्षणिक त्वरण उसके औसत त्वरण के समान होगा यदि उसके दो समयों (t तथा (t+∆t)) के मध्य का अन्तराल (∆t) a = lim Δ t → 0 Δ v Δ t = D t v . स्पर्शरेखीय तथा अभिकेन्द्रीय त्वरण [ ] a t, वेग की दिशा में) तथा अभिकेन्द्रीय त्वरण ( a c, वेग के लम्बवत दिशा में) किसी वक्र पथ पर गति करते हुए कण का वेग समय के फलन के रूप में निम्नलिखित प्रकार से लिखा जा सकता है- v ( t ) = v ( t ) v ( t ) v ( t ) = v ( t ) u t ( t ) , जहाँ u n इकाई नॉर्मल सदिश (अन्दर की तरफ) है तथा r उस क्षण पर कुछ विशिष्ट स्थितियाँ [ ] • • • • सन्दर्भ [ ] • Afrikaans • Alemannisch • አማርኛ • Aragonés • العربية • مصرى • অসমীয়া • Asturianu • Azər...