वीर भारत सभा

  1. राजस्थान राज्य की विभिन्न राजनीतिक संस्थाएँ
  2. वीर भारत सभा की स्थापना किसने की?
  3. खरवा ठिकाने के राव गोपालसिंह राठौड़
  4. राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व MCQ
  5. वीर सावरकर की जीवनी, माफ़ीनामा, कविता, जानें सभी महत्वपूर्ण तथ्य यहाँ।
  6. राव गोपाल सिंह खरवा का जीवन परिचय Gopal Singh Kharwa Biography Hindi
  7. [Solved] सुमेलित कीजिए –   संस्था  
  8. वीर सावरकर से भी प्रभावित थे भगत सिंह


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राजस्थान राज्य की विभिन्न राजनीतिक संस्थाएँ

संस्था संस्थापक वर्ष स्थान जयपुर हितकारिणी सभा बालचन्द्र शास्त्री, केसर लाल कटारिया – जयपुर सर्वहितकारिणी सभा स्वामी गोपालदास, कन्हैया लाल ढूढ़ 1907 चुरू वर्धमान विद्यालय अर्जुन लाल सेठी 1907 जयपुर राजपुताना मध्य भारत सभा सेठ जमना लाल बजाज 1918 दिल्ली हिन्दी साहित्य समिति जगन्नाथ दास अधिकारी 1912 भरतपुर राजस्थान सेवा संघ अर्जुन लाल सेठी, केसरी सिंह बारहठ व विजय सिंह पथिक 1919 वर्धा मारवाड़ हितकारिणी सभा चाँदमल सुराणा 1918 जोधपुर वीर भारत सभा केसरी सिंह बारहठ, ठा. गोपाल सिंह 1910 – मारवाड़ सेवा संघ जय नारायण व्यास 1920 जोधपुर मारवाड़ यूथ लींग जयनारायण व्यास 1931 जोधपुर बाल भारत सभा छगन लाल चौपासनी वाला – जोधपुर सिविल लिबर्टीज यूनियन – 1936 – सस्ता साहित्य मण्डल हरिभाऊ उपाध्याय 1925 अजमेर गाँधी आरण्य हरिभाऊ उपाध्याय 1925 अजमेर पुत्री पाठशाला गोपालदास व कन्हैया लाल ढूँढ़ 1907 चुरू कबीर पाठशाला गोपालदास व कन्हैया 1907 चुरू आजाद मोर्चा बाबा हरिश चन्द्र द्वारा स्थापित 1942 जयपुर चीरवा सेवा समिति – 1920 शेखावाटी चरखा संघ जमना लाल बजाज 1927 जयपुर साहित्य प्रसारिणी सभा कॅवर मदन सिंह, पूरण सिंह 1915 करौली आचार सुधारिणी सभा यमुना प्रसाद वर्मा 1910 धौलपुर अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद बाबा रामचन्द्र राव 1927 बम्बई हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी भवानी सहाय शर्मा 1932 अलवर वनवासी संघ मोती लाल तेजावत 1936 उदयपुर हरिजन संघ भोगी लाल पाण्ड्या 1935 डूंगरपुर हरि कीर्तन समाज, राजर्षि अभय समाज 1925 – 26 अलवर

वीर भारत सभा की स्थापना किसने की?

वीर भारत समाज की स्थापना वर्ष 1912 में विजय सिंह पथिक के उपनाम से प्रसिद्ध भूप सिंह ने शस्त्र संग्रह के लिए की थी। केन्द्रीय एवं राज्य सिविल सेवा परीक्षाओं में राज्य आधारित इसी तरह के अनेक प्रश्न पूछे जाते रहे है। जिसमें राज्य की सम-सामयिक घटनाऐं, राज्य की अर्थव्यवस्था, राज्य का भूगोल, कला एवं संस्कृति, जनजातियां, सामाजिक विकास, पुरस्कार एवं सम्मान आदि प्रमुख है। विभिन्न परीक्षाओं में दुहराव की प्रवृत्ति के दृष्टिगत यह प्रश्न आगामी परीक्षाओं हेतु निश्चित ही लाभकारी सिद्ध होगा। Tags : मध्य प्रदेश में सबसे अधिक क्षेत्र में सोयाबीन फसल बोई जाती है। सोयाबीन एक तिलहन फसल है। मध्य प्रदेश में देश का लगभग 88% सोयाबीन पैदा किया जाता है। इसलिए इसे सोया राजधानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश में लगभग 62 लाख हैक्टर में सोयाबीन की खेती की जाती ह • राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

खरवा ठिकाने के राव गोपालसिंह राठौड़

राव गोपालसिंह राठौड़ का जन्म 10 अक्टूबर, 1873 ई. को हुआ। ये 1887 ई. में अपने पिता के देहांत के बाद अजमेर के खरवा ठिकाने की गद्दी पर बैठे। आप खरवा ठिकाने के 13वें राव साहब थे। खरवा ठिकाने के राठौड़ राजपूत मारवाड़ नरेश मोटा राजा उदयसिंह के पुत्र सगतसिंह के वंशज हैं। 12 वर्ष की आयु में गोपालसिंह जी ने घुड़सवारी व बंदूक चलाने में महारत हासिल कर ली थी। राव गोपालसिंह बचपन से ही इतिहास प्रेमी थे। उन्होंने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर दुर्गादास राठौड़ की गाथाओं से प्रेरणा ली और अंग्रेज सरकार से विद्रोह करने की ठानी। राव गोपालसिंह जी ने लिखा था कि “वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की तलवार, छत्रपति शिवाजी महाराज या वीर राठौड़ दुर्गादास किसी की भी तलवार मान ली जाए, ठिकाना खरवा एक ही बात है। इसकी तीखी धार कभी मंद नहीं होती। यह वैसी ही कठोर और वैसी ही तेज धार युक्त बनी रही है और बनी रहेगी, जैसी की उन प्रातः स्मरणीय वीरों के हाथ में बनी रही थी। अधिक समय तक काम में न लाने से यदि कुछ जंग लग भी जाता है, तो कर्तव्य-धर्म-बल से उठे हुए हाथ से चलने एवं रूधिर से धुलने पर वह अधिक तेज होकर अधिक चमकने लगती है।” बचपन में इनके शिक्षक शिवलाल तिवाड़ी रहे, फिर अजमेर के प्रसिद्ध मेयो कॉलेज में प्रवेश लिया। 1899 ई. (विक्रम संवत 1956) के छप्पनिया अकाल के समय राव गोपालसिंह ने जनता के लिए खज़ाना खोल दिया था। इसके अलावा उन्होंने कई जगह से कर्ज़ लेकर जनता के खाने-पीने की व्यवस्था की। 1906 ई. में राव गोपालसिंह कलकत्ता गए, जहां विपिनचन्द्र पाल व सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के साथ मिलकर भावी योजनाएं बनाई। 1907 ई. में राव गोपालसिंह, केसरीसिंह बारहठ व अर्जुनलाल सेठी ने मिलकर “अभिनव भारत समिति” की स्थापना की। र...

राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व MCQ

राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व से संबंधित प्रश्न Q1. मारवाड़ हितकारिणी सभा का गठन किसने किया? (A) जयनारायण व्यास (B) भूप सिंह (C) माणिक्य लाल वर्मा (D) सूरजमल Answer: A Notes:जोधपुर में मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना 1921 ई. में की गई थी| मारवाड़ हितकारिणी सभा ने अपनी दो पुस्तिकाएं “ मारवाड़ी की अवस्था” और “ पोपाबाई की पोल” प्रकाशित की जिनमें मारवाड़ प्रशासन की कटु आलोचना की गई थी। जयनारायण व्यास व आनन्दराज सुराणा को बन्दी बनाकर राज्य सरकार ने दमनचक्र चलाया था। Q2. प्रताप सिंह बारहठ को किस षड्यंत्र केस के तहत जेल भेजा गया? (A) बनारस षड्यंत्र (B) लाहौर षड्यंत्र (C) अलीपुर षड्यंत्र (D) मेरठ षड्यंत्र Answer: A NOTE: प्रतापसिंह बारहठ (केसरीसिंह बारहठ के पुत्र) ने अपने चाचा जोरावरसिंह बारहठ के साथ मिलकर हार्डिंग की हत्या की योजना बनाई थी। हार्डिंग के जुलुस पर बम जोरावरसिंह ने फेंका था। प्रताप यहां से सिन्ध चले गए। 1914-15 ई. में बनारस षड़यंत्र का आरोप तय किये जाने पर बरेली जेलमें डाल दिए गए। Q3. अमरदास वैरागी साधू के वेश में अपना अंतिम समय किस क्रांतिकारी ने व्यतीत किया? (A) केसरी सिंह (B) गोपाल सिंह खरवा (C) साधू सीताराम दास (D) जोरावर सिंह बारहठ Answer: D Note: जोरावरसिंह बारहठ का जन्म 1883 ई. में उदयपुर में हुआ। इनका पैतृक गांव भीलवाड़ा की शाहपुरा तहसील का देवखेड़ा है। एक भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। Q4. ‘जीवन कुटीर के गीत’ निम्न में से किसके द्वारा लिखा गया? (A) जयनारायण व्यास (B) हरिभाऊ उपाध्याय (C) हीरालाल शास्त्री (D) गोकुलभाई भट्ट Answer: C Q5. (A) किशनसिंह (B) डूंगरसिंह (C) जुझारसिंह (D) अनाड़सिंह Answer: B Note: डूंगर सिंह पाटोदा के ठाकुर उदय सिं...

वीर सावरकर की जीवनी, माफ़ीनामा, कविता, जानें सभी महत्वपूर्ण तथ्य यहाँ।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने कार्यो के कारण इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाले महापुरुषों में वीर सावरकर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। वीर सावरकर स्वतंत्रता के पश्चात भारत की राजनीति में सदैव से ही चर्चा का विषय बने रहे है। भारत में अधिकतर लोग उन्हें देशभक्त, हिंदुत्ववादी और अखंड राष्ट्रप्रेमी के रूप में स्मरण करते है। वही कुछ लोग उन्हें विभिन विवादों के कारण एक विवादस्पद व्यक्ति के रूप में भी मानते है। भारत की राजनीति में वीर सावरकर के नाम को लेकर विभिन समय पर विभिन मुद्दों से सम्बंधित चर्चा होती रहती है ऐसे में हमें वीर सावरकर के जीवन के विभिन पहलुओं से अवगत होना आवश्यक है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको वीर सावरकर की जीवनी, माफ़ीनामा, कविता (Veer Savarkar jayanti 2023) के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है। वीर सावरकर की जीवनी इस आर्टिकल के माध्यम से आप वीर सावरकर की जीवनी एवं जीवन के विभिन पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त विनायक दामोदर सावरकर का माफ़ीनामा एवं भारतीय राजनीति में इनके प्रभाव के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। वीर सावरकर का संक्षिप्त परिचय यहाँ आपको वीर सावरकर के जीवन के सभी प्रमुख बिन्दुओ की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की गयी है :- यहाँ भी देखें -->> पूरा नाम (Full Name) विनायक दामोदर सावरकर अन्य नाम (Other Name) वीर सावरकर जन्म (Birth) 28 मई 1883 जन्म स्थान (Birth Place) नासिक, मुंबई, भारत शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) वकालत पेशा (Profession) वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता जाति (Caste) हिंदू, ब्राह्मण राष्ट्रीयता (Nationality) भारतीय वैवाहिक स्थिति (Marital Status) मैरिड पत्नी का नाम (...

राव गोपाल सिंह खरवा का जीवन परिचय Gopal Singh Kharwa Biography Hindi

Rao Gopal Singh Kharwa Biography In Hindi | राव गोपाल सिंह खरवा का जीवन परिचय:ये राजस्थान की खरवा रियासत के जागीरदार थे. राव गोपालसिंह का जन्म१९ अक्टूबर १८७३ को पिताराव माधोसिंह जी तथा माताकुंवरीजी चुण्डावत के घर हुआ था. इनके पिता श्री कुंवर के पद पर थे. इनमें बचपन से ही साहस एवं निर्भीकता के गुण थे. ये निशानेवाजी और घुड़सवारी के शौकीन थे. ये जनप्रिय एवं अंग्रेज विरोधी शासक थे, इस कारण गोपाल सिंह को चार सालों के लिएटोडगढ़ दुर्ग की जेल में बंद करके रखा गया. राव गोपाल सिंह खरवा का जीवन परिचय पूरा नाम राव गोपालसिंह खरवा जन्म १९ अक्टूबर १८७३ ई. घराना खरवा पिता राव माधोसिंह शिक्षा मेयो कोलेज अजमेर संस्थापक वीर भारत सभा डाक टिकट 30 मार्च, 1989 मृत्यु १२ मार्च १९३९ खरवादेशप्रेम का दीवाने थे उन्होंने अपने वतन की खातिर अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया था. यहाँ तक वो जिस जागीर के शासक थे उसका त्याग कर अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशस्त्र क्रांति का आगाज कर चुके थे. गोपाल सिंहसंस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीती व वेदांत आदि विषयों के जानकार थे, इन्होने उच्च शिक्षा के लिए मेयो कॉलेज अजमेर में दाखिला लिया, वे अंग्रेज के भी जानकार थे. मगर देश भक्ति ने उन्हें कॉलेज छोड़कर शस्त्र उठाने को प्रेरित किया. जब पिता श्रीराव माधोसिंह के देहांत के बाद जिस वर्ष इनका राज्याभिषेक हुआ. उस साल भयंकर अकाल पड़ा. लोगों के पास खाने के लिए अन्न तथा पशुओं को खिलाने के लिए चारा नहीं था. ऐसी स्थिति में एक जन सेवक की भूमिका निभाते हुए गोपाल सिंह ने अपने राजकोष के भंडार प्रजा के लिए खोल दिए. उन्होंने अपने जागीर की जनता को अकाल से उबारने के लिए खरवा की जागीर को अजमेर के बनियों के पास गिरवी रखकर अकाल पीड़ित ...

[Solved] सुमेलित कीजिए –   संस्था  

सही उत्तर A-1, B-4, C-2, D-3 है। Key Points • राजस्थान सेवा संघ : • इसकी स्थापना 1919 में अजमेर में हुई थी। • महात्मा गांधी के सहयोग से अर्जुन लाल सेठी, ठाकुर केसरी सिंह बारहठ , विजय सिंह पथिक, राम नारायण चौधरी और हरि भाई किंकर ने इसकी स्थापना की। • राजस्थान सेवा संघ के प्राथमिक कर्तव्यों में आम लोगों के मुद्दों को सुनना, बेगार प्रथा को अवैध बनाना, विदेशी सामान खरीदने से परहेज करना और खादी वस्तुओं को बढ़ावा देना शामिल है। • देश हितैषिणी सभा: • विवाह से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए 2 जुलाई, 1877 को उदयपुर में देश हितैषिणी सभा की स्थापना की गई। • इसने वैवाहिक गतिविधियों पर दो अलग-अलग प्रकार के प्रतिबंध स्थापित किए, शादी से संबंधित लागतों को कम किया और बहुविवाह को गैरकानूनी बनाने के लिए नियम तैयार किए। • वीर भारत सभा: • इसकी स्थापना केसरी सिंह बारहठ ने की थी। • सर्व हितैषिणी सभा: • इसकी स्थापना वर्ष 1907 में बीकानेर राज्य के चुरू में हुई थी। • चुरू में पंडित कन्हैयालाल, पंडित श्री राम मास्टर, स्वामी गोपालदास और चुरू के कुछ धनी लोगों ने मिलकर इस संस्था की स्थापना की। • ये सभी लोग आर्य समाज के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे और आर्य समाज के प्रचार और प्रसार के लिए पूरी तरह से समर्पित थे। The RSMSSB released the . Candidates who have qualified for the written exam will appear for the Document Verification round. The RSMSSB had announced 10157 vacancies for Basic Computer Teacher and Senior Computer Teacher posts. Candidates with a Graduate/ Post Graduate degree could apply for these posts.

वीर सावरकर से भी प्रभावित थे भगत सिंह

“देखिए जी, हम सावरकर की औलादें नहीं है, हम भगत सिंह के वंशज हैं। हम आखिरी सांस तक अत्याचार के विरुद्ध लड़ेंगे” बोलने में क्या जाता है, बोलने को ये भी बोल दो कि इंकलाब ज़िन्दाबाद का नारा आनंद भवन में सर्वप्रथम लगाया गया था, और जवाहरलाल नेहरू गदर पार्टी को जबरदस्त दान करते थे। अब बोलने पर टैक्स थोड़े ही लगता है, परंतु इतिहास एक बड़ा ही जटिल विषय है, जहां कुछ भी ब्लैक एण्ड व्हाइट नहीं होता। अगर आज के स्वघोषित इतिहासकार ढंग से इतिहास पढ़ लेते, तो उन्हे तो बोस बंधुओं में आरएसएस के एजेंट नज़र आ जाते। कोई आपको कहे कि फलाना व्यक्ति ऐसा है, और उसी बात का दिन रात ढोल पीटता रहे, तो एक स्तर के बाद आप भी झुंझलाहट में इतना तो बोलोगे ही, “कोई और नाम नहीं है क्या?” ऐसा ही हमारे वामपंथी इतिहासकारों का भी हाल है। दिन रात जपेंगे कि देश को “मुगलों और अन्य आक्रान्ताओं का आभार मानना चाहिए, गांधी न होते तो देश स्वतंत्र ही न होते”। और पढ़ें: कोई विरोध करे तो “आरएसएस का एजेंट” से लेकर “सावरकर की सोच से ग्रसित” जैसे कई उपनाम दिए जाते हैं, और यही वामपंथी अपने आप को भगत सिंह की आड़ में छुपा लेते हैं। परंतु अगर आपको बताएँ कि भगत सिंह और सावरकर समान विचारधारा पर कार्यरत थे, तो? जैसे गीतकार पीयूष मिश्रा ने एक व्याख्यान में कहा था, “भगत सिंह का व्यक्तित्व बहुत ही जटिल है, उन्हे एक खूँटे से बांधना घोर अन्याय होगा!” इस बात को कोई अनदेखा नहीं कर सकता कि भगत सिंह मार्क्सवाद एवं साम्यवाद के प्रति आकर्षित थे, परंतु ये कहना कि भगत सिंह विशुद्ध कम्युनिस्ट थे, अपने आप में काफी हास्यास्पद है। अगर ऐसा होता, तो फिर दो बातें कभी नहीं होती : न तो चंद्रशेखर आज़ाद, शिवराम हरी राजगुरु जैसे क्रांतिकारी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लि...