वीर का कार्टून

  1. वीर रस की कविताएँ – https://www.librarykvlakhimpur1blog
  2. छोटा भीम
  3. वीर (फ़िल्म)


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वीर रस की कविताएँ – https://www.librarykvlakhimpur1blog

चढ़ चेतक पर तलवार उठा, रखता था भूतल पानी को। राणा प्रताप सिर काट काट, करता था सफल जवानी को॥ कलकल बहती थी रणगंगा, अरिदल को डूब नहाने को। तलवार वीर की नाव बनी, चटपट उस पार लगाने को॥ वैरी दल को ललकार गिरी, वह नागिन सी फुफकार गिरी। था शोर मौत से बचो बचो, तलवार गिरी तलवार गिरी॥ पैदल, हयदल, गजदल में, छप छप करती वह निकल गई। क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर, देखो चम-चम वह निकल गई॥ क्षण इधर गई क्षण उधर गई, क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई। था प्रलय चमकती जिधर गई, क्षण शोर हो गया किधर गई॥ लहराती थी सिर काट काट, बलखाती थी भू पाट पाट। बिखराती अवयव बाट बाट, तनती थी लोहू चाट चाट॥ क्षण भीषण हलचल मचा मचा, राणा कर की तलवार बढ़ी। था शोर रक्त पीने को यह, रण-चंडी जीभ पसार बढ़ी॥ शिखर शिखारियों मे मत रोको, उसको दौड़ लखो मत टोको, लौटे ? यह न सधेगा रुकना दौड़, प्रगट होना, फ़िर छुपना, अगम नगाधिराज, जाने दो, बिटिया अब ससुराल चली | तुम ऊंचे उठते हो रह रह यह नीचे को दौड़ जाती, तुम देवो से बतियाते यह, भू से मिलने को अकुलाती, रजत मुकुट तुम मुकुट धारण करते, इसकी धारा, सब कुछ बहता, तुम हो मौन विराट, क्षिप्र यह, इसका बाद रवानी कहता, तुमसे लिपट, लाज से सिमटी, लज्जा विनत निहाल चली, अगम नगाधिराज, जाने दो, बिटिया अब ससुराल चली | डेढ सहस मील मे इसने प्रिय की मृदु मनुहारें सुन लीँ, तरल तारिणी तरला ने सागर की प्रणय पुकारें सुन लीँ, श्रृद्धा से दो बातें करती, साहस पे न्यौछावर होती, धारा धन्य की ललच उठी है, मैं पंथिनी अपने घर होती, हरे-हरे अपने आँचल कर, पट पर वैभव डाल चली, अगम नगाधिराज, जाने दो, बिटिया अब ससुराल चली | यह हिमगिरि की जटाशंकरी, यह खेतीहर की महारानी, यह भक्तों की अभय देवता, यह तो जन जीवन का पानी ! इसकी लहरों से गर्...

छोटा भीम

• सत्र १ (२००८–०९) • सत्र २ (२००९–१०) • सत्र ३ (२०११–१२) • सत्र ४ (२०१२–१३) • सत्र ५ (२०१३–१४) • सत्र ६ (२०१४–१५) • सत्र ७ (२०१५–बर्तमान) प्रकरणों की संख्या ४२५ भाग २६ चलचित्र निर्माण प्रसारण अवधि १२ मिनट निर्माण कंपनी ग्रीनगोल्ड एनिमेशन वितरक ग्रीनगोल्ड एनिमेशन प्रसारण मूल चैनल २००८ बाह्य सूत्र छोटा भीम ( Chhota Bheem) एक अनुक्रम • 1 कहानी • 2 किरदार • 3 चलचित्र • 4 सन्दर्भ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ कहानी [ ] इस श्रृंखला में छोटे भीम और उसके दोस्त ढोलकपुर के राजा इंद्रवर्मा और ढोलकपुर राज्य को बुरी ताकतों से बचाने के लिये कार्य करते रहते हैं। इस सीरियल मे भीम मुख्य अभिनेता है। इसके अलावा टुनटुन मौसी की बेटी छुटकी है। अन्य पात्रों में चार वर्षीय बालक राजू, जग्गू बंदर, कालिया पहलवान, ढोलू और भोलू तथा कीचक भी हैं। किरदार [ ] मुख्य किरदार भीम, चुटकी, राजू, जग्गू, कालिया, ढोलु, भोलु व राजकुमारी इंदुमति हैं । • भीम • चुटकी • राजू • जग्गू • कालिया • ढोलु • भोलु • राजकुमारी इंदुमति • राजा इंद्रवर्मा • कीचक • टुनटुन मौसी • बुरी जादूगरनी • अच्छी जादूगरनी • छोटा मन्नु • शास्त्री धूमकेतू • अवी चाचा • मुंबई के मामा • भीम के दादा • भीम की माता • भीम के पिता • सेनापति • मन्त्री • डाकू मन्गल सिन्ह • लाका (डाकू मन्गल का चेला) • डाकू मन्गल सिन्ह के चाचा • बोटकपुर का राजा • पहलवानपुर का राजा • बोटकपुर का राजकुमार • शिवानी ( भीम की बहन ) चलचित्र [ ] • छोटा भीम और कृष्णा • छोटा भीम और कृष्ण: पाटलिपुत्र- मृतकों का शहर • छोटा भीम एंड कृष्णा: मायानगरी • छोटा भीम: पेट्रा की यात्रा • छोटा भीम: शाओलिन के मास्टर • छोटा भीम और द कर्स ऑफ दमयान • छोटा भीम एंड गणेश इन द अमेजिंग ओडिसी • छोटा ...

वीर (फ़िल्म)

अनुक्रम • 1 पटकथा • 2 कास्ट • 3 सन्दर्भ • 4 बाहरी कड़ियाँ पटकथा [ ] वीर प्रताप सिंह बड़े ही प्रतापी पिंडारी योद्धा पृथ्वी सिंह का बेटा था, जो देश को आज़ादी दिलाने हेतु युद्धों से बड़ा प्रचलित था। उसने अपने पिता के शासन को कायम रखने हेतु माधवगढ़ नामक राज्य के शासन का भार उठाया जहाँ का राजा ज्ञानेंद्र सिंह अंग्रेजों से मिला था। वीर को उसके भाई पुण्य सिंह से पूरी सहायता प्राप्त थी। वीर की प्रारंभिक शिक्षा तो राजस्थान के पिंडारी कबीले में ही हुई उसके बाद वह उच्च शिक्षा हेतु विदेश गया जहाँ एक रास्ते पर उसकी भेंट राजकुमारी यशोधरा से हुई। पहली नजर में ही दोनो को प्रेम हो गया। पढ़ाई के बाद वह जब गाँव आया तब पता चला कि यशोधरा ज्ञानेंद्र की बेटी तथा माधवगढ़ की राजकुमारी है। वह अपने पिता से राजा को मारने के बात को मानकर भेस बदलकर राजा का शुभचिंतक बन जाता है। राजकुमारी के स्वयंवर में राजकुमारी अनजाने में वीर को वीर कहकर संबोधित करती है जिससे सब को पता चल जाता है कि वह पिंडारी है। वह भरे स्वयंवर में राजकुमारी यशोधरा से विवाह कर लेता है। इन दोनों के कुछ समय एकांत वास के बाद पिंडारी माधवगढ़ के किले पर धावा बोलते हैं। वीर का कहना था कि अंग्रेजों ने मुझसे कहा है कि वे चले जाएंगे अतः बात आसानी से सुलझ जाती है तो फिर खून खराबे की आवश्यकता ही क्या। पर उसके पिता ने पहले ही राजा को मारने की कसम खाई थी। अतः रणभूमि में पिता पुत्र में युद्ध हुआ। इस बीच राजा ज्ञानेंद्र सिंह ने पिंडारियों पर तोपों से हमला करना चाहा परंतु पिंडारी सेना पहुंच के बाहर थी अतः उसने एक गोली चलाई जो सीधे वीर के सीने पर लगी। जब भगदड़ मचा तब राजा ने तोप चलाना चाहा परंतु उसके राजपूत साथी सत्य का साथ देने लगे और गोली लगने के बा...