वीरांगना चेन्नम्मा

  1. महेश दिवाकर का चरितकाव्य : वीरांगना चेन्नम्मा – सर्ग 7
  2. वीरांगना चेन्नम्मा पाठ का सारांश लिखें।
  3. रानी चेन्नम्मा के कुशल नेतृत्व की बदौलत अंग्रेज सेना छोड़ भागी थी युद्ध क्षेत्र
  4. नौवीं कक्षा वीरांगना चेन्नम्मा हिंदी नोट्स
  5. रानी चेन्नम्मा
  6. Kittur Rani Chennamma in Hindi


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महेश दिवाकर का चरितकाव्य : वीरांगना चेन्नम्मा – सर्ग 7

(पिछले अंक से जारी…) सर्ग - 7 महाराजा कित्तूर के, गये स्वर्ग सिधार। पता थैकरे को चला, हर्षित हुआ अपार।। कैसे अब कित्तूर पर, किया जाय अधिकार? लगी बनाने योजना, गोरों की सरकार।। मल्लप्पा और वेंकट, दोनों लिए फँसाय। लोभ थैकरे ने दिया, लालच बुरी बलाय।। दोनों ही कित्तूर का, हर पल देते हाल। दोनों ही ग़द्दार थे, बुनते रहते जाल।। रानी ने कित्तूर का, शासन लिया संभाल। जनता में कित्तूर की, वैभव भरा कमाल।। प्रथम सुरक्षा राज्य की, करी चाक-चौबन्द। लगा सके दुश्मन नहीं, कहीं लेश पैबन्द।। किये सुरक्षित द्वार सब, रानी ने मजबूत। पलक झपकते जान लें, अंग्रेजी-करतूत।। गुप्तचरों को सोंपकर, अलग-अलग दायित्व। रानी नित प्रति जांचती, सबका ही कृतित्त्व।। राज्य नियंत्रण में हुआ, रानी थी सन्तुष्ट। सब धर्मों, सब जाति के, लोग परस्पर तुष्ट।। ठोस सुरक्षा का इधर, चलता नित अभियान। उधर मल्लप्पा-वेंकट, पाल रहे अभिमान।। चेन्नम्मा ने जब किया, दोनों को पदमुक्त। तब से दोनों हो गये, और अधिक उन्मुक्त।। उनके पीछे गुप्तचर, लगा दिये दो-चार। गतिविधियाँ संदिग्ध जो, पता चलें हर बार।। मल्लप्पा और वेंकट, लुक-छिप करते खोज। गोपनीय हर सूचना, दें गोरों को रोज।। नित्य थैकरे से कहें, बढ़ा-चढ़ाकर हाल। महाराज की मृत्यु से, राज हुआ बदहाल।। चेन्नम्मा कित्तूर की, रानी बनी विशुद्ध। लेकिन, वे अंग्रेज के, रहतीं बड़ी विरूद्ध।। मृत्यु-पूर्व महाराज ने, दिया राज-आदेश। रानी चेन्नम्मा बने, इच्छा लिखी विशेष।। बाल लिया जो गोद है, बना दिया युवराज। होगा जैसे ही बड़ा, पहना दें फिर ताज।। गोरों से रानी करे, घृणा अमित अपार। अँग्रेज़ों का युद्ध में, रानी करें संहार।। हथियारों का राज्य में, बढ़ा रही भण्डार। युद्ध कला का दे रही, युवकों को उपहार।। रानी ने दरबार से,...

वीरांगना चेन्नम्मा पाठ का सारांश लिखें।

वीरांगनाचेन्नम्मापाठकासारांश – चेन्नम्माकाजन्मकाकतीयवंशमेंमन 1778 मेंहुआथा।पिताधूलप्पादेसाईतथामातापद्मावती।यहइकलौतीसंतानथी।चेन्नम्माकाअर्थसुंदरकन्या।वीरपितासेउत्तधिकारकेरूपमेंअनेकयुद्धकताएँ, घुडसवारी, शस्त्रीखोंकाअभ्यासआखेटआदिमिलीथी।शिक्षा–दीक्षाराजकुलकेअनुरूपहुई।उर्दू, मराठी, संस्कृतभाषाओंकाअध्ययनकिया।कर्नाटकराज्यमेंबेलगावीजिलेमेंकित्तूरस्थापितहै।उनदिनोंव्यापारकाप्रमुखकेंद्रकित्तूरजानाजाताथा।हीरे-जवाहरातखरीदनेकेलिएदेश-विदेशकेव्यापारीआतेथे। वहाँकेप्रजावत्सलराजामल्लसर्जथे।चेन्नम्माकाविवाहराजामल्लसर्जसेहुआ।रानीचेन्नम्माऔरमल्लसर्जकापुत्रशिवबसवराजथा।लेकिनवहबचपनमेंहीचलबसा।राजामलुसर्जकीपहलीपत्नीका।नामरुद्रम्माथा।उसकापुत्रशिवलिंगरुद्रसर्जथा।पूनाकेपटवर्धननेमल्लसर्जराजाकोचालाकीसेबंदीबनालिया।वहींउनकीमृत्युहोगई।चेन्नम्मानेराजामल्लसर्जकेमृत्युकेबादशिवलिंगरुद्रसर्जकोगद्दीपरबिठाया।शिवलिंगरुद्रसर्जअपनेचाटुकारोंसेमित्रताकरकित्तूरकोहानिपहुँचाई। 11 सितंबर 1824 कोराजाशिवलिंगरुद्रसर्जकीमृत्युकेबादअंग्रेजोंनेकित्तूरराज्यहडपनेकीयोजनाबनाई।राजानि:संतानथाइसलिएउसनेअपनेएकसंबंधीसेगुरुलिंगमलुसर्जकोगोदलियाथा।उससमयडालहौसीगवर्नरथा।अंग्रेजगोदलिएपुत्रकोउत्तराधिकारीनहीमानतेथे। रानीनेकित्तूरकोसँभालनेकीकसमखाई।अंग्रेजोंसेयुद्धकरनेकेलिएरानीनेतैयारीशुरुकरदी।थैकरेकेसाथरानीनेअपनीस्वाधीनताकासौदानहींकिया।कित्तूरराज्यकेदेशद्रोहीयेल्लप्पशेट्टीऔरवेंकटरावअंग्रेजोंसेमिलगए।उन्होंनेकित्तूरकेसाथगद्धारीकी।अंग्रेजोंनेउनकोआधा-आधाराज्यसौंपदेनेकालालचदिखाया।चेन्नम्मानेथैकरेकेपत्रकोफाँडकरफेंकदियाजिसमेंकित्तूरराज्यकाशासनभारसंभालनेकीबातकहींगईथी।रानीनेथैकरेकोकराराजवाबदिया।कित्तूरपरथैकरेने 500 सिपाहियोंकेसाथहमलाकिया।लेकिनरानीडरीनहीं।उ...

रानी चेन्नम्मा के कुशल नेतृत्व की बदौलत अंग्रेज सेना छोड़ भागी थी युद्ध क्षेत्र

देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद कराने के लिए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का पहला विद्रोह वर्ष 1857 में हुआ माना जाता है। लेकिन उससे भी पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों के खिलाफ सशस्त्र बल का नेतृत्व करने वाली कित्तूर की रानी कित्तूर ​चेन्नम्मा की 23 अक्टूबर को 243वीं जयंती है। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी रानी चेन्नम्मा ने वर्ष 1824 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध विद्रोह किया था। अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह करने वाली वह पहली महिला शासिका थीं। चेन्नम्मा कर्नाटक में एक लोकनायिका और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गई थीं। उनकी स्मृति में कर्नाटक राज्य के बेलगाम जिले के कित्तूर तालुका में हर वर्ष 22-24 अक्टूबर महीने में ‘कित्तूर उत्सव’ मनाया जाता है। इस उत्सव में लोग पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इस अवसर पर जानते हैं रानी कित्तूर ​चेन्नम्मा के जीवन के बारे में कुछ अनसुने किस्से… कित्तूर की रानी चेन्नम्मा का जीवन परिचय रानी चेन्नम्मा का जन्म 23 अक्टूबर, 1778 को वर्तमान कर्नाटक राज्य के बेलगावी जिले स्थित काकती गांव में हुआ था। उनका परिवार लिंगायत समुदाय से था। उन्होंने बचपन में ही घुड़सवारी, तलवार चलाने और तीरंदाजी का प्रशिक्षण प्राप्त किया। चेन्नम्मा का विवाह 15 साल की उम्र में कित्तूर के देसाई राजा मल्लसाराजा के साथ हुआ था। वह राजा के साथ शासन कार्यों में भाग लेती थीं। रानी चेन्नम्मा के पति मल्लसाराजा की वर्ष 1816 में और उनके एक पुत्र की वर्ष 1824 में मृत्यु हो गई। इससे रानी और कित्तूर राज्य पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन उसने अपना मनोबल नहीं टूटने दिया। चेन्नम्मा बहुत दुखी हुईं। उन्होंने शिवलिंगप्पा को गोद ले लिया और उसे अपना उत्तराधिकारी बन...

नौवीं कक्षा वीरांगना चेन्नम्मा हिंदी नोट्स

6. चेन्नम्मा को अंग्रेजों ने कहा बंदी बनाया था ? चेन्नम्मा को अंग्रेजों ने कित्तूर राज्य में बंदी बनाया था। दो तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए: 1. चेन्नामा के माता और पिता का नाम लिखिए। चेन्नम्मा की माता पद्मावती और पिता धुलप्पा देसाई । 2. चेन्नम्मा को उनके पिता से कौन-सी कलाई प्राप्त हुई थी ? घुड़सवारी, शस्त्रों का अभ्यास, आखेट आदि युद्ध कलाएँ उन्हें अपने वीर पिता से उत्तराधिकार के रूप में मिली थी। 3. कित्तूर राज्य की समृद्धि के बारे में लिखिए। उन दिनों कित्तूर कर्नाटक राज्य के व्यापार का प्रसिद्ध केंद्र भी था। देश विदेश के व्यापारी वहाँ के बाजारों में हीरे-जवाहरातें खरीदने के लिए आया करते थे। 4. कित्तूर का पतन शुरू होने का कारण क्या था ? मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद चेन्नम्मा ने रुद्रम्मा के पुत्र शिवलिंग रुर्दसर्ज को गद्दी पर बिठाया। शिवलिंग के रुद्रसर्ज चेन्नम्मा की सलाह को हवा में उड़ाकर चाटुकारों से गहरी मित्रता कर ली, जिससे कित्तूर का पतन शुरू हुआ। 5. येल्लप्पाशेट्टी और वेंकटराव कित्तूर के भेद खोलने क्यों तैयार हो गये ? करेने उन्हें कित्तूर का आधा आधा राज्य सौंप देने की लालच दिखायी। बदले में वे कित्तूर के सभी भेद खोलने और भरसक सहायता देने को तैयार हो गये। 6. कर्नाटक की जनता के लिए गर्व की क्या बात है ? कर्नाटक की जनता के लिए गर्व की बात यह है कि कर्नाटक की वीरांगना चेन्नम्मा ने पहली बार स्वतंत्रता की जो चिनगारी डाली थी बाद में वह सारे भारत में फैल गई। इन शब्दों का विलोम शब्द पाठ में से ढूंढकर लिखिए: • अस्वस्थ x स्वस्थ • कुरूप x सुंदर • देश x विदेश • शत्रुता x मित्रता • बाहर x अंदर • देशभक्त x देशद्रोही पसख्यकका • कायर x वीर • पराजय x जय अन्य लिंग शब्द लिखिए: • पीता – माता ...

रानी चेन्नम्मा

पूरा नाम रानी चेन्नमा जन्म जन्म भूमि कित्तूर, मृत्यु अभिभावक धूलप्पा और पद्मावती पति/पत्नी राजा मल्लसर्ज कर्म भूमि भाषा नागरिकता भारतीय अन्य जानकारी चेन्नम्मा ने रानी चेन्नम्मा ( Rani Chennamma, जन्म- 23 अक्तूबर, 1778, कित्तूर, परिचय 'चेन्नम्मा' का अर्थ होता है- 'सुंदर कन्या'। इस सुंदर बालिका का जन्म विवाह चेन्नम्मा का विवाह कित्तूर के राजा मल्लसर्ज के साथ हुआ। कित्तूर उन दिनों कित्तूर पर हमला अंग्रेज़ों की नजर इस छोटे परन्तु संपन्न राज्य कित्तूर पर बहुत दिन से लगी थी। अवसर मिलते ही उन्होंने गोद लिए पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया और वे राज्य को हड़पने की योजना बनाने लगे। आधा राज्य देने का लालच देकर उन्होंने राज्य के कुछ देशद्रोहियों को भी अपनी ओर मिला लिया। पर रानी चेन्नम्मा ने स्पष्ट उत्तर दिया कि उत्तराधिकारी का मामला हमारा अपना मामला है, अंग्रेज़ों का इससे कोई लेना-देना नहीं। साथ ही उसने अपनी जनता से कहा कि जब तक तुम्हारी रानी की नसों में मृत्यु पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख

Kittur Rani Chennamma in Hindi

Kittur Rani Chennamma in Hindi –भारत के इतिहास में अंग्रेजो के खिलाफ अपनी आवाज उठाने में पुरुषो के योगदान के साथ साथ कई महिलाओं का बराबर योगदान रहा है। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते है, तो आपने रानी चेन्नम्मा का नाम तो जरूर सुना होगा, और क्यों नहीं, आखिरकार उन्हें कित्तूर की रानी के रूप में जो जाना जाता है। तो आईये अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने वाली रानी चेन्नम्मा के जीवन को विस्तार के जानते है। Who is Rani Chennamma of Kittur? | कित्तूर की रानी चेन्नम्मा कौन है? कित्तूर चेन्नम्मा जिन्हे रानी चेन्नम्मा के नाम से भी जाना जाता है। यह कित्तूर की भारतीय रानी थीं, जिनका जन्म 23 अक्टूबर 1778 को काकती, बेलगावी जिला, (वर्तमान कर्नाटक) में हुआ। रानी चेन्नम्मा ने साल 1825 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ, पैरामाउंटसी की अवज्ञा में, एक सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया। यही नहीं वह पहली भारतीय शासक थीं, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध विद्रोह किया, और रानी लक्ष्मीबाई से पहले रानी चेन्नम्मा ने ब्रिटिश सेना का विरोध किया, इसलिए उनको ‘ कर्नाटक की लक्ष्मीबाई‘ भी कहा जाता है। about (Kittur) Rani Chennamma in Hindi नाम रानी चेन्नम्मा अन्य नाम कित्तूर चेन्नम्मा, कित्तूर की रानी प्रसिद्ध ‘कर्नाटक की लक्ष्मीबाई’ जन्म 23 अक्टूबर 1778 जन्मस्थान काकती, बेलगावी जिला, (वर्तमान कर्नाटक) कार्य 1825 ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह माता पिता ज्ञात नहीं पति राजा मल्लसर्जा मृत्यु 21 फरवरी 1829 मृत्युस्थान बैलहोंगल, बॉम्बे प्रेसीडेंसी राष्ट्रीयता भारतीय Kittur Rani Chennamma in Hindi Rani Chennamma story in Hindi | रानी चेन्नम्मा की कहानी यहाँ से हम आपको रानी चेन्नम्मा की ...